आज का इंसान वास्तव में बहुत हद तक भूल गया है कि जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं सादगी, संतुलन, और मानवता से जुड़ी हैं, न कि भौतिक वस्तुओं और फर्जी उन्नति से। आधुनिक शिक्षा और समाज का झुकाव भौतिक समृद्धि, प्रतिस्पर्धा, और तकनीकी विकास की ओर इतना अधिक हो गया है कि इंसान अपनी आध्यात्मिक और नैतिक जड़ों से दूर हो गया है। शिक्षा की मूल परिभाषा सच में प्रेम, करुणा, और मानवता के मूल्यों पर आधारित होनी चाहिए थी। लेकिन आज की शिक्षा प्रणाली ज्ञानी इंसान बनाने के बजाय पेशेवर इंसान बनाने पर केंद्रित है। यह प्रणाली रटने, प्रतिस्पर्धा और नाप-तौल पर आधारित हो गई है, जो सत्य और सहानुभूति की बजाय केवल भौतिक सफलता को प्राथमिकता देती है। इस प्रकार की शिक्षा वास्तविक जीवन और प्रकृति के साथ तालमेल बैठाने में असमर्थ है। अब अगर बात करें चांद या मंगल पर जीवन बसाने की-तो यह आधुनिक विज्ञान और तकनीकी विकास की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। लेकिन यह प्रश्न उठता है कि क्या यह सच में आवश्यक है? जब पृथ्वी ही हमारे लिए सबसे उपयुक्त जगह है और हम उसे नष्ट कर रहे हैं, तो कहीं और जीवन बसाने का प्रयास एक अंतरिम समाधान हो सकता है, लेकिन स्थायी समाधान नहीं। अगर इंसान ने अपनी प्राकृतिक जिम्मेदारियों को समझा होता और पृथ्वी का संरक्षण किया होता, तो शायद हमें आज दूसरे ग्रहों पर जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। प्रकृति का संतुलन बेहद नाजुक है, और इंसान अपने लालच और भौतिक लाभ के लिए उसे लगातार नष्ट कर रहा है। जंगलों की कटाई, प्रदूषण, प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन-ये सब प्रकृति के साथ खेल हैं। इसका नतीजा जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरणीय संकटों के रूप में हम देख रहे हैं। समाधान यही है कि इंसान को फिर से आत्म-ज्ञान, सत्य, और प्रकृति के साथ तालमेल पर ध्यान देना होगा। उसे यह समझना होगा कि असली उन्नति आंतरिक शांति, करुणा, और सादगी में है, न कि बाहरी भौतिक उन्नति में।
मोदी जी, केवल एक पेड़ लगाने से धरती का विकास संभव नहीं है। आप गांवों में विकास के नाम पर बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां और मकान बनवा रहे हैं, लेकिन साथ ही यह उम्मीद करते हैं कि धरती हरी-भरी बनी रहे। एक पेड़ लगाने से धरती हरी-भरी नहीं होगी। इसके लिए हमें बहुमूल्य खेती को प्रोत्साहित करना होगा। केवल खेती ही नहीं, बल्कि हमें ऐसे पेड़ लगाने चाहिए जो पर्यावरण को अधिक लाभ पहुंचाएं। तभी हमारी धरती पुनः हरी-भरी होगी और वातावरण शुद्ध हो सकेगा। विकास और पर्यावरण का संतुलन बनाए रखना आज की सबसे बड़ी जरूरत है।
Education is knowledge and education is culture when the education acknowledge the relavance of humanity by acknowledging the dignity of education always for social welfare. Thanks.
पञ्च धर्माः संयुक्ता मुष्टिरूपेण शक्तिं निर्मन्ति।✊☸️🕉️✝️☪️🫂जात-पात के बंधन: एक भ्रम यह जो हम जात-पात, धर्म, और सम्प्रदाय के नाम पर लड़ते हैं, क्या वह ईश्वर की इच्छा हो सकती है? वह ईश्वर जो प्रेम और दया का स्रोत है, कैसे चाह सकता है कि उसके बच्चे आपस में नफरत करें? सोचिए, अगर माता-पिता के दो बच्चे आपस में लड़ें, तो माता-पिता को कैसा महसूस होगा? हमने अपनी पहचान को धर्म और जाति तक सीमित कर लिया है। पर सच्चाई यह है कि हमारी असली पहचान सिर्फ एक है-मानव। हम सबकी जात एक है-मानव जाति। हम सबका धर्म एक है-मानवता।
मैं ही गंधर्व मैं ही फ़रिश्ता मैं ही एंजेल मैं ही सुख में ही शांति और मैं ही काल का काल हु मैं ही परम सत्य हु मैं ही सूर्य हु मैं ही नक्षत्र हु मैं कण कण में हु और मैं ही ब्रह्मा मैं ही विष्णु और मै ही शिव हु मैं ही मानव हु मै ही कुदरत हु मै ही पुरुष मै स्त्री और मै ही किन्नर हु मै ही गीत और मैं ही अगीत मै ही प्रकाश और मै ही अंधकार मै ही मिट्टी और मैं ही पानी हु मैं संपूर्ण इतिहास का गवाह हु मैं शिव हु
23-11-2024 🌷🌹🇮🇳🇳🇱🇸🇷🇳🇱🇮🇳🌹🌷 👍🏼👌🏼❤️ प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी और उनके साथियों का जय हों, भारत माता की जय!!! जय श्री राम, जय हिंद, जय भारत! शुभ दिन प्रिय आत्माओं, राम राम 🙏🏼🙏🏼 🕉️ हर हर महादेव 🕉️
देश में गरीबी बेरोजगारी तो दूर होती नही इनसे
सिर्फ बड़ी बड़ी बात आती है
आज का इंसान वास्तव में बहुत हद तक भूल गया है कि जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं सादगी, संतुलन, और मानवता से जुड़ी हैं, न कि भौतिक वस्तुओं और फर्जी उन्नति से। आधुनिक शिक्षा और समाज का झुकाव भौतिक समृद्धि, प्रतिस्पर्धा, और तकनीकी विकास की ओर इतना अधिक हो गया है कि इंसान अपनी आध्यात्मिक और नैतिक जड़ों से दूर हो गया है।
शिक्षा की मूल परिभाषा सच में प्रेम, करुणा, और मानवता के मूल्यों पर आधारित होनी चाहिए थी। लेकिन आज की शिक्षा प्रणाली ज्ञानी इंसान बनाने के बजाय पेशेवर इंसान बनाने पर केंद्रित है। यह प्रणाली रटने, प्रतिस्पर्धा और नाप-तौल पर आधारित हो गई है, जो सत्य और सहानुभूति की बजाय केवल भौतिक सफलता को प्राथमिकता देती है। इस प्रकार की शिक्षा वास्तविक जीवन और प्रकृति के साथ तालमेल बैठाने में असमर्थ है।
अब अगर बात करें चांद या मंगल पर जीवन बसाने की-तो यह आधुनिक विज्ञान और तकनीकी विकास की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। लेकिन यह प्रश्न उठता है कि क्या यह सच में आवश्यक है? जब पृथ्वी ही हमारे लिए सबसे उपयुक्त जगह है और हम उसे नष्ट कर रहे हैं, तो कहीं और जीवन बसाने का प्रयास एक अंतरिम समाधान हो सकता है, लेकिन स्थायी समाधान नहीं। अगर इंसान ने अपनी प्राकृतिक जिम्मेदारियों को समझा होता और पृथ्वी का संरक्षण किया होता, तो शायद हमें आज दूसरे ग्रहों पर जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
प्रकृति का संतुलन बेहद नाजुक है, और इंसान अपने लालच और भौतिक लाभ के लिए उसे लगातार नष्ट कर रहा है। जंगलों की कटाई, प्रदूषण, प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन-ये सब प्रकृति के साथ खेल हैं। इसका नतीजा जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरणीय संकटों के रूप में हम देख रहे हैं।
समाधान यही है कि इंसान को फिर से आत्म-ज्ञान, सत्य, और प्रकृति के साथ तालमेल पर ध्यान देना होगा। उसे यह समझना होगा कि असली उन्नति आंतरिक शांति, करुणा, और सादगी में है, न कि बाहरी भौतिक उन्नति में।
मोदी जी, केवल एक पेड़ लगाने से धरती का विकास संभव नहीं है।
आप गांवों में विकास के नाम पर बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां और मकान बनवा रहे हैं, लेकिन साथ ही यह उम्मीद करते हैं कि धरती हरी-भरी बनी रहे। एक पेड़ लगाने से धरती हरी-भरी नहीं होगी। इसके लिए हमें बहुमूल्य खेती को प्रोत्साहित करना होगा।
केवल खेती ही नहीं, बल्कि हमें ऐसे पेड़ लगाने चाहिए जो पर्यावरण को अधिक लाभ पहुंचाएं। तभी हमारी धरती पुनः हरी-भरी होगी और वातावरण शुद्ध हो सकेगा। विकास और पर्यावरण का संतुलन बनाए रखना आज की सबसे बड़ी जरूरत है।
भारत माता की जय 🙏🙏
Wow great sir ji
पाँचों धर्म मिलकर एक मुट्ठी एक शक्ति बनाते हैं।✊☸️🕉️✝️☪️🫂उसका यहीं कहना है वो एक है और वो सबके है हम एक धर्म है
अपने देश अपने घर मणिपुर भी चले jaiye,
Thanks, all respected people's of Guyana 🇬🇾, people's of India 🇮🇳, pm sir & respected sansad tv teams 🙏 (Jay 🇮🇳 hind)
Education is knowledge and education is culture when the education acknowledge the relavance of humanity by acknowledging the dignity of education always for social welfare.
Thanks.
Jai hind
पञ्च धर्माः संयुक्ता मुष्टिरूपेण शक्तिं निर्मन्ति।✊☸️🕉️✝️☪️🫂जात-पात के बंधन: एक भ्रम
यह जो हम जात-पात, धर्म, और सम्प्रदाय के नाम पर लड़ते हैं,
क्या वह ईश्वर की इच्छा हो सकती है?
वह ईश्वर जो प्रेम और दया का स्रोत है,
कैसे चाह सकता है कि उसके बच्चे आपस में नफरत करें?
सोचिए, अगर माता-पिता के दो बच्चे आपस में लड़ें,
तो माता-पिता को कैसा महसूस होगा?
हमने अपनी पहचान को धर्म और जाति तक सीमित कर लिया है।
पर सच्चाई यह है कि हमारी असली पहचान सिर्फ एक है-मानव।
हम सबकी जात एक है-मानव जाति।
हम सबका धर्म एक है-मानवता।
Pm modi is a great person ❤❤❤
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् । धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥
मैं ही गंधर्व मैं ही फ़रिश्ता मैं ही एंजेल मैं ही सुख में ही शांति और मैं ही काल का काल हु मैं ही परम सत्य हु मैं ही सूर्य हु मैं ही नक्षत्र हु मैं कण कण में हु और मैं ही ब्रह्मा मैं ही विष्णु और मै ही शिव हु मैं ही मानव हु मै ही कुदरत हु मै ही पुरुष मै स्त्री और मै ही किन्नर हु मै ही गीत और मैं ही अगीत मै ही प्रकाश और मै ही अंधकार मै ही मिट्टी और मैं ही पानी हु मैं संपूर्ण इतिहास का गवाह हु मैं शिव हु
❤❤❤ जय हिंद जय श्री राम ❤
23-11-2024
🌷🌹🇮🇳🇳🇱🇸🇷🇳🇱🇮🇳🌹🌷
👍🏼👌🏼❤️
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी और उनके साथियों का जय हों, भारत माता की जय!!!
जय श्री राम, जय हिंद, जय भारत!
शुभ दिन प्रिय आत्माओं,
राम राम 🙏🏼🙏🏼
🕉️ हर हर महादेव 🕉️
मणिपुर यात्रा?
Enghindi language ❤❤❤❤
Good
Hounarable vasudhav kutumbkam bharat mata ki jay jay kar hounarable our pm shri ji ka hardik aabhar
आपने राजनीति में धर्म को बीच में लाए तो अब सबका धर्म मै सबको दिखाऊंगा।