Guru Poonam Special | ईश्वर के सिवाय कहीं भी मन लगाया, तो अंत में रोना ही पड़ेगा | Divine Satsang

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  • Опубліковано 28 сер 2024
  • Guru Poonam Satsang, Alandi Ashram (Pune), 7-July-2008
    सत्संग के कुछ मुख्य अंश:
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    * एकाग्रता और अनासक्ति (ये दो सूत्र पकड़ लो); बेटे में आसक्ति न करो, नहीं तो वो रुलायेगा; पति में, पत्नी में आसक्ति नहीं करो, (नहीं तो) रुलायेगा; सेवा कर लो, लेकिन ज्यादा आसक्ति करा, तो उसके बिना रोना पड़ेगा;
    * जो मन आत्मा-परमात्मा में लगाना चाहिये, वो अगर किसी में भी मन लगाया, आसक्ति किया, तो अंत में रोना ही पड़ेगा;
    * ईश्वर के सिवाय कहीं भी मन लगाया, तो अंत में रोना ही पड़ेगा - ये पक्का रखो;
    * सुख का भोक्ता बनने से (मनुष्य) दुःख से बच नहीं सकता, चाहे ब्रह्माजी भी हो, वो भी नहीं बचा सकते;
    आप सुख के भोगी मत बनो; आँख के द्वारा फिल्म का सुख लिया, जीभ के द्वारा भोजन का सुख लिया; ऐसे ही बच्चे को जन्म देना है तो दो, लेकिन सुख के लिये पति-पत्नी का काम विकार भोगा, तो तबीयत टूटेगी;
    ऐसा कोई सुख भोग नहीं जिसके पीछे दुःख, भय और रोग नहीं;
    तो संयम और साधना, भगवद ज्ञान, भगवद प्रीति, भगवद विश्रांति - ये सभी साधनों का चुन-चुन कर सार चीज़ आप लोगों को सुना रहा हूँ;
    इससे जल्दी में जल्दी कल्याण होता है;
    * ऐसा हो जाये, वैसा हो जाये - इस कल्पना में मत पड़ो; ऐसा हो जायेगा, फिर भी क्या?
    जो पहले नहीं था, हो गया, तो भी बाद में नहीं होगा, बदल जायेगा;
    लेकिन जो पहले था, अभी है, बाद में रहेगा, उसमें आ जाओ, तो सदा के लिये सुखी (हो जाओगे);
    जो शाश्वत है, उसमें टिक जाओ; नश्वर को बदल बदल के सुखी होने की गलती निकाल दो;
    गलती का नाम है दुःख; गलती का नाम है जन्म-मरण; गलती निकालने का इरादा पक्का करो;
    * जब भी सुख-दुःख आये, मन में देखने वाला चैतन्य है, साक्षी है; क्रोध आये तो उसको भी देखो, क्रोध में डूबना नहीं; चिंता आई तो उसको भी देखने वाला अमर आत्मा है, राम है;
    चिंता मिथ्या है, दुःख मिथ्या है, सुख मिथ्या है - उसको देखने वाला राम सत्य है, आनंद स्वरूप है;
    तो कृष्ण जैसे विघ्न-बाधा में मस्त रहते थे...(ऐसे ही आप भी निर्लिप्त रहने की योग्यता पा लेंगे);
    * दुःख आये तो दुःख के भोगी न बनो, दुःख का कारण खोजो;
    परिस्थिति ऐसी आयी और मैं चाहता हूँ कि ऐसा नहीं होना चाहिए, इसीलिए दुःख आया है;
    आग्रह है, ऐसा होना चाहिए; ऐसा नहीं होता है, तभी दुखी होते हैं;
    लेकिन ये संसार है - भगवान कृष्ण जैसों को भी देखो जन्मते ही पराये घर लिवाये गए; छे दिन के हुए तो पूतना जहर पिलाने आ गयी;
    एक महीने के हुए तो धेंकासुर, अघासुर, आदि आ गए; 17 साल की उम्र तक उपद्रव होते रहे;
    लेकिन श्रीकृष्ण अपने रोम-रोम में रमने वाले राम स्वभाव को जानते थे, बंसी बजती रही, दुखों के सिर पर नाचते रहे;
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    Ishvar ke sivaaye kahin bhi man lagaaya to ant mein rona hi padega...
    Endearingly called 'Bapu ji'(Asaram Bapu Ji), His Holiness is a Self-Realized Saint from India. Pujya Asaram Bapu ji preaches the existence of One Supreme Conscious in every human being; be it Hindu, Muslim, Christian, Sikh or anyone else. For more information, please visit -
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