● पंचवासना के उपासक जीव ● • जागृत कल्पना जगत में वर्तमान के समान असंख्य ब्रह्मांड उत्पन्न लय हो चुके उनमें स्थित अक्षरब्रह्म की असंख्य पंचवासनाएँ बेहद ब्रह्मांड और उनके अंदर स्थित धाम स्वरूप लीला आदि के विषय में ज्ञान रखते हैं । • ऐसी पंचवासनाएँ और उनके उपासक जीव भी बिना किसी परेशानी के बेहद ब्रह्मांड में अखंड हो चुके होंगे ? • पर क्या ऐसा हुआ या उन्हें भी जन्म मरण में भटकना पड़ा और उनमें से अनेकों जीव आदि इस वर्तमान नींदमयी स्वप्न जगत में आई ?● बेहद भूमि का थोडा ज्ञान ● • वर्तमान बेहद ब्रह्मांड में चार बहिष्त बनाई गई और सातवें दिन के बाद चार बहिष्त बनाई जाएगी जीवों को अखंड करने हेतु । • नींदमयी स्वप्न जगत से पहले जागृत कल्पना की सृष्टि समय जीवों के साथ देवी देवता भी किसी तरह बेहद ब्रह्मांड का थोडा सा ज्ञान प्राप्त कर उस अनुसार आचरण करते तो उन्हें कहाँ और कौंसे धामों में अखंड किया जाता ? • क्या ऐसे जीव बिना अखंड बहिष्त के बेहद ब्रह्मांड में अपने इष्ट के धाम अखंड होते ?● परब्रह्म से मूल संबंध ● • नश्वर संसार में चिदाभास जीवों के तनों में आई सुरती आत्माओं का संबंध परमधाम के मूलमिलावा बैठी मूलतन परात्म से हैं । • उनका अखंड संबंध परमात्मा श्री राजजी से क्यों वे उन्हीं की आनंद अंग हैं, इस कारण उन आत्माओं के हृदय को परमधाम कहाँ हैं । • सुरती आत्माओं का मूल संबंध होने से इस संसार में परब्रह्म के चरण कमल पडे और पहली बार तारतम वाणी का अवतरण हुआ । • मूल संबंध ना होने पर, तारतम वाणी ना आती और ना परब्रह्म आते और ना हीं जीवों के लिए अष्टबहिष्त बनाई जाती ।
● पंचवासना के उपासक जीव ●
• जागृत कल्पना जगत में वर्तमान के समान असंख्य ब्रह्मांड उत्पन्न लय हो चुके उनमें स्थित अक्षरब्रह्म की असंख्य पंचवासनाएँ बेहद ब्रह्मांड और उनके अंदर स्थित धाम स्वरूप लीला आदि के विषय में ज्ञान रखते हैं ।
• ऐसी पंचवासनाएँ और उनके उपासक जीव भी बिना किसी परेशानी के बेहद ब्रह्मांड में अखंड हो चुके होंगे ?
• पर क्या ऐसा हुआ या उन्हें भी जन्म मरण में भटकना पड़ा और उनमें से अनेकों जीव आदि इस वर्तमान नींदमयी स्वप्न जगत में आई ?● बेहद भूमि का थोडा ज्ञान ●
• वर्तमान बेहद ब्रह्मांड में चार बहिष्त बनाई गई और सातवें दिन के बाद चार बहिष्त बनाई जाएगी जीवों को अखंड करने हेतु ।
• नींदमयी स्वप्न जगत से पहले जागृत कल्पना की सृष्टि समय जीवों के साथ देवी देवता भी किसी तरह बेहद ब्रह्मांड का थोडा सा ज्ञान प्राप्त कर उस अनुसार आचरण करते तो उन्हें कहाँ और कौंसे धामों में अखंड किया जाता ?
• क्या ऐसे जीव बिना अखंड बहिष्त के बेहद ब्रह्मांड में अपने इष्ट के धाम अखंड होते ?● परब्रह्म से मूल संबंध ●
• नश्वर संसार में चिदाभास जीवों के तनों में आई सुरती आत्माओं का संबंध परमधाम के मूलमिलावा बैठी मूलतन परात्म से हैं ।
• उनका अखंड संबंध परमात्मा श्री राजजी से क्यों वे उन्हीं की आनंद अंग हैं, इस कारण उन आत्माओं के हृदय को परमधाम
कहाँ हैं ।
• सुरती आत्माओं का मूल संबंध होने से इस संसार में परब्रह्म के चरण कमल पडे और पहली बार तारतम वाणी का अवतरण हुआ ।
• मूल संबंध ना होने पर, तारतम वाणी ना आती और ना परब्रह्म आते और ना हीं जीवों के लिए अष्टबहिष्त बनाई जाती ।
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How powerful professor paradox powers and abilities and feets par videos bnao please bro thanks
Like no. 20
❤️
Like sub to kar diya par details par dhyan do Omniverse vale me blue or gray dono alag colour ke the😂
Bhai main Bangladesh se apka video dekhta hoon ❤❤❤
I am from Pakistan 🇵🇰😊
I am form Bangladesh too
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@@ubcrash thank you Bhai Ripley dene ki lie 🥰🥰🥰
Best video
❤️
Iam 21 nomber comant😊
I am from Bangladesh and love your videos 🇧🇩🇧🇩🇧🇩
Rathintheherowatch
😸👩✈thank you
Bhai Background Music ka nam btao please 🥺
Ben 10 comic explain kariye
❤️