Maa Chamunda Mandir | Dewas Tekri | Shaktipeeth of Dewas | देवास टेकरी | देवास माता टेकरी | Guide

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  • Опубліковано 7 жов 2024
  • Maa Chamunda Mandir Mata Tekri In Dewas
    In Chaitra Navratri, devotees of Mata go to the temples to visit Mata for their darshan. The famous shrine of the goddess is established in the city of Dewas in the Malwa region of Madhya Pradesh. Which is included in the 52 Shaktipeeths of Mother. This Shaktipeeth of Dewas is about 34 km from Indore. Situated on the high hill, this temple of Mata is famous all over the country. The reason for its unique fame is two sisters sitting here. Yes, there are two goddesses in this unique court of Mother. Here, mother Tulja Bhavani and mother Chamunda Devi are seated. This temple is known as Tekri and it is said that the blood of Goddess Mother was spilled here. Therefore, the publication of Maa Chamunda has been established here.
    देवास माता टेकरी : चामुंडा और तुलजा भवानी
    बड़ी माता और छोटी माता का मंदिर
    धर्मयात्रा में इस बार दर्शन कीजिए जगत प्रसिद्ध देवास वाली माता के। देवास टेकरी पर स्थित माँ भवानी का यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। लोक मान्यता है कि यहाँ देवी माँ के दो स्वरूप अपनी जागृत अवस्था में हैं। इन दोनों स्वरूपों को छोटी माँ और बड़ी माँ के नाम से जाना जाता है। बड़ी माँ को तुलजा भवानी और छोटी माँ को चामुण्डा देवी का स्वरूप माना गया है।
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    यहाँ के पुजारी बताते हैं कि बड़ी माँ और छोटी माँ के मध्य बहन का रिश्ता था। एक बार दोनों में किसी बात पर विवाद हो गया। विवाद से क्षुब्द दोनों ही माताएँ अपना स्थान छोड़कर जाने लगीं। बड़ी माँ पाताल में समाने लगीं और छोटी माँ अपने स्थान से उठ खड़ी हो गईं और टेकरी छोड़कर जाने लगीं।
    माताओं को कुपित देख माताओं के साथी (माना जाता है कि बजरंगबली माता का ध्वज लेकर आगे और भेरूबाबा माँ का कवच बन दोनों माताओं के पीछे चलते हैं) हनुमानजी और भेरूबाबा ने उनसे क्रोध शांत कर रुकने की विनती की। इस समय तक बड़ी माँ का आधा धड़ पाताल में समा चुका था। वे वैसी ही स्थिति में टेकरी में रुक गईं।
    वहीं छोटी माता टेकरी से नीचे उतर रही थीं। वे मार्ग अवरुद्ध होने से और भी कुपित हो गईं और जिस अवस्था में नीचे उतर रही थीं, उसी अवस्था में टेकरी पर रुक गईं।
    इस तरह आज भी माताएँ अपने इन्हीं स्वरूपों में विराजमान हैं। यहाँ के लोगों का मानना है कि माताओं की ये मूर्तियाँ स्वयंभू हैं और जागृत स्वरूप में हैं। सच्चे मन से यहाँ जो भी मन्नत माँगी जाती है, हमेशा पूरी होती है। इसके साथ ही देवास के संबंध में एक और लोक मान्यता यह है कि यह पहला ऐसा शहर है, जहाँ दो वंश राज करते थे- पहला होलकर राजवंश और दूसरा पँवार राजवंश। बड़ी माँ तुलजा भवानी देवी होलकर वंश की कुलदेवी हैं और छोटी माँ चामुण्डा देवी पँवार वंश की कुलदेवी।
    टेकरी में दर्शन करने वाले श्रद्धालु बड़ी और छोटी माँ के साथ-साथ भेरूबाबा के दर्शन अनिवार्य मानते हैं। नवरात्र के दिन यहाँ दिन-रात लोगों का ताँता लगा रहता है। इन दिनों यहाँ माता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है ।
    कैसे जाएँ :
    हवाई मार्ग- यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा मध्यप्रदेश की व्यावसायिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर शहर में स्थित है ।
    सड़क मार्ग - यह शहर राष्ट्रीय राजमार्ग आगरा-मुंबई से जुड़ा हुआ है। यह मार्ग माता की टेकरी के नीचे से ही गुजरता है। इसके निकटतम बड़ा शहर इंदौर है, जो यहाँ से मात्र 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इंदौर से आप बस या टैक्सी लेकर देवास जा सकते हैं।
    रेलमार्ग- इंदौर शहर में रेल मार्ग का जाल बिछा हुआ है। इंदौर आकर आप रेल से देवास जा सकते हैं।

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