ये बात तार जुड़ने की नहीं है बल्कि ये बात धर्म की है और धर्म नाम नहीं बल्कि धर्म एक अखंड नियम है परिभाषा है कि अल्लाह ईश्वर एक अखंड सर्वोपरि निरंकार सभी का पालनहार है उसकी एकता अखंडता सर्वोपरियता निरंकारता दयालुता के प्रति त्याग तपस्या /इबादत मे ध्यान ज्ञान एकत्रित करके किसी भी पाप कर्म से दूर इंसानियत समस्त जीव जंन्तु प्रकृति के प्रति शान्तिमय ससम्मान व्यवहार न्याय करना ही धर्म है और उसके इन असीम गुणों को किसी इंसान के रूप मे परिभाषित करना,खंडित करना, खुद को महाविद्वान बताना, राजधर्म का पालन न करना अन्याय, दंगा फ़साद फैलाना इंसानियत धर्म के दायरे से बहार राक्षसी प्रवर्ती है जैसे सूर्य चन्द्रमा पृथ्वी हवा पानी आग आसमान एवं समस्त जीव जंन्तु वनस्पति विष अमृत किसी भी व्यक्ति विशेष के लिए एक अखंड समानता का व्यवहार करती है रही बात विद्वान मत कि ये तो शास्त्र इतिहास गवाह है कि महाविद्वान कि मति मारी जाती है वो विद्वानता के वशीभुत झूठ पाखंड अन्याय को श्रेष्ठ मानकर धर्म न्याय का दमन करने लगता है अतः राजनीती स्वरूप भगवदगीता का स्पष्ट मूल संदेश है कि न्याय सर्वोपरि है कोई भी बड़े बजुर्ग गुरु दानवीर भाई भतीजावाद सगे संबंधित का स्थान शून्य है रामायण राम राज मे स्वयम राम जी ने ईश्वर कि आराधना मे विघ्न डालने वालो को राक्षस कहकर उनका वध किया इस कलयुग मे मुसलमान की इबादत उस सनातनी सभ्यता का वही तरीका है जिसमे तन मन से पवित्र हो कर ध्यान मग्न हो कर उस एक अखंड सर्वोपरि निरंकार की बिना मूर्ति बिना राम कृष्ण राज मे भी स्तुति नाम जप लम्बी तपस्या /इबादत की जाती थी
सर संघ चालक जो मंदिर के विरुद्ध ज्ञान दे वो सरसंघ चालक की जरूरत नहीं। संविधान भी भारत।में।है और जब संविधान नहीं था तन भी भारत था। जो कानून और संविधान भारतीय संस्कृति के विरुद्ध जाए वो संविधान भी नही चलेगा। जिसके एजेंडे में भारतीय संस्कृति नही वो व्यक्ति हिंदुओ के एजेंडे में नही हैं। जब।लोग अपने पुरखे के जमीन संपत्ति नहीं छोड़ते तो हम अपने भगवान के सबूत जैसे छोड़ दें जिसे मुस्लिमो ने तोड़ा और उसपर।मस्जिद बना दिया। जो संविधान मुस्लिम अक्रांत और हिंदुओ कोनेक करेगा वो कानून और नियम नही।मानेंगे। जय जय श्री राम
Sir sanchalak,aor Sadhu sant,ek hi hai, chronology samjhe, is mudde me dhar dhari ja rahi hai,ab Sant aage ayenge, politician to samil hi hai,ab tri sanku, khel hoga,
ये बात तार जुड़ने की नहीं है बल्कि ये बात धर्म की है और धर्म नाम नहीं बल्कि
धर्म एक अखंड नियम है परिभाषा है कि अल्लाह ईश्वर एक अखंड सर्वोपरि निरंकार सभी का पालनहार है
उसकी एकता अखंडता सर्वोपरियता निरंकारता दयालुता के प्रति त्याग तपस्या /इबादत मे ध्यान ज्ञान एकत्रित करके किसी भी पाप कर्म से दूर इंसानियत समस्त जीव जंन्तु प्रकृति के प्रति शान्तिमय ससम्मान व्यवहार न्याय करना ही धर्म है
और उसके इन असीम गुणों को किसी इंसान के रूप मे परिभाषित करना,खंडित करना, खुद को महाविद्वान बताना, राजधर्म का पालन न करना अन्याय, दंगा फ़साद फैलाना इंसानियत धर्म के दायरे से बहार राक्षसी प्रवर्ती है
जैसे सूर्य चन्द्रमा पृथ्वी हवा पानी आग आसमान एवं समस्त जीव जंन्तु वनस्पति विष अमृत किसी भी व्यक्ति विशेष के लिए एक अखंड समानता का व्यवहार करती है
रही बात विद्वान मत कि ये तो शास्त्र इतिहास गवाह है कि महाविद्वान कि मति मारी जाती है वो विद्वानता के वशीभुत झूठ पाखंड अन्याय को श्रेष्ठ मानकर धर्म न्याय का दमन करने लगता है
अतः राजनीती स्वरूप भगवदगीता का स्पष्ट मूल संदेश है कि न्याय सर्वोपरि है कोई भी बड़े बजुर्ग गुरु दानवीर भाई भतीजावाद सगे संबंधित का स्थान शून्य है
रामायण राम राज मे स्वयम राम जी ने ईश्वर कि आराधना मे विघ्न डालने वालो को राक्षस कहकर उनका वध किया
इस कलयुग मे मुसलमान की इबादत उस सनातनी सभ्यता का वही तरीका है जिसमे तन मन से पवित्र हो कर ध्यान मग्न हो कर उस एक अखंड सर्वोपरि निरंकार की बिना मूर्ति बिना राम कृष्ण राज मे भी स्तुति नाम जप लम्बी तपस्या /इबादत की जाती थी
सर संघ चालक जो मंदिर के विरुद्ध ज्ञान दे वो सरसंघ चालक की जरूरत नहीं। संविधान भी भारत।में।है और जब संविधान नहीं था तन भी भारत था। जो कानून और संविधान भारतीय संस्कृति के विरुद्ध जाए वो संविधान भी नही चलेगा। जिसके एजेंडे में भारतीय संस्कृति नही वो व्यक्ति हिंदुओ के एजेंडे में नही हैं। जब।लोग अपने पुरखे के जमीन संपत्ति नहीं छोड़ते तो हम अपने भगवान के सबूत जैसे छोड़ दें जिसे मुस्लिमो ने तोड़ा और उसपर।मस्जिद बना दिया। जो संविधान मुस्लिम अक्रांत और हिंदुओ कोनेक करेगा वो कानून और नियम नही।मानेंगे।
जय जय श्री राम
Media Walon Mar Chuka why media wala Sarkar se nahin puchta hai Sahara ka Paisa Sarkar Lekar ke kya kar raha hai
Teer kaman se nikal chuka hai ye hi baat hai ab qaaboo me nahi aa raha
Berozgaaron ki foj ghalat
Raaste per daal di gayi hai
Sir sanchalak,aor Sadhu sant,ek hi hai, chronology samjhe, is mudde me dhar dhari ja rahi hai,ab Sant aage ayenge, politician to samil hi hai,ab tri sanku, khel hoga,
😡
Yogi mohan bhagvat ka .hi.gurumaar.chela.banne.chala
देश जहां पर हनुमान का हाथ पर आया ऐसा ही करतेरहेगा
Neta ko neta bnne do , vagwat tu neta bnega kya .
Budhha ka ye niji byan hai ।