गुरु वाक्यम् एपिसोड 814 : भाव सर्वोपरि है।
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- Опубліковано 5 лют 2025
- पृथ्वी पर जो कुछ भी कर के मन प्रसन्न होता है वही भोग है, चाहे वह जीवन - यापन के लिए हो या किसी और उद्देश्य से। गुरु कहते हैं जो भी कार्य करो उसको शुद्ध भावना से करो, तभी वह श्रेष्ट है अन्यथा कुछ नहीं। पशु का भाव अलग है, मनुष्य का भाव उससे कहीं श्रेष्ठ होना चाहिए। जीवन में हर उपलब्धि की चेष्टा हम केवल ख़ुशी प्राप्त करने के लिए ही करते हैं।
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