एक कहानी सुनाता हु एक राजा था जिसका नाम पूर्ण था उस राजा का एक बेटा था उसका नाम भी पूर्ण था और दोनो स्वभाव से भी पूर्ण थे । एक बार बेटा पापा से जिद करके डरावना जंगल देखने गया उस जंगल का नियम था की जो कोई उस जंगल में जाएगा उसे एक अहम ना की currency दिया जाएगा और जब जंगल से वापिस पापा के घर आना होगा तो वो अहम की currency उसी जंगल के अंदर जमा करनी होगी । वरना जंगल से बाहर नहीं जाने दिया जाएगा। बेटा जंगल की सैर करते करते अपने घर और पापा को भूल गया और जंगल को अपना घर समझ बैठा । चुकी डरावना जंगल तो वह डरने भी लगा और जंगली सुरक्षा की जरूरत में ढेर सारी दुशरो की खोई हुई अहम की करेंसी अपने ऊपर लाद ली और भूल गया की जब तक वापस नही करेगा तब तक जंगल से बाहर नहीं निकल सकता और पापा से भी नही मिल सकता।
गुरूजी नमस्कार आपके वीडियो नित्य देखता हूँ। एक प्रश्न उठा है मन मे। आपने कहा कि चित प्रोजेक्टिर हैं। उसने स्म्रति भरी हुई है। और पर्दा आत्मा है। जिसपे संसार रुपी फ़िल्म चल रही है। तो ये बताइये की देख कौन रहा है।
Mujhe lg rha hai parda to karan hua dekhne ka mtlb atma karan sharir ab is sansar ko atma dwara hi man ,buddhi chitt dekh rh hai jaise ki kch na hote huye bhi hai aise smriti ke karan ho rh
एक ऐसा चलचित्र जिसमे हम सब मनुष्य भी स्व विस्मृत होकर इसी चलचित्र में शामिल भी हो गाय हैं! तभी तो हम सब भी इस स्वप्नवात जगत को स्वप्न नही जानते हैं और वास्तविक जान रहे हैं!!! अगर हम सबमें से कोई जाग्रत होना चाहता हो तो लगातार होश रहे कि,में हूं! जब यह भाव "में हूं" की गहराई बढ़ेगी और अंत में स्व बोध जाग्रत हो जायेगा तब यह सब वास्तविक स्वरूप में प्रकट हो जायेगा! तब यह ऐसा न दिखेगा जैसा अभी दिख रहा है! कैसा दिखेगा? यह शब्दों में नही बताया जा सकता! कारण कि वह तो तब परम मौन से मौन को देखोगे और मौन से ही वह बोध में आता है!
Sab kuchh ho raha .. yani phir se samjho .. kriya prakriti mein hoti yani ... Chalti rahti .. waise hi jaise sab utpann ho k nasht ho raha ..waise hi kya hum nahin kitne saal ki life hoti .. iss universe k saamne jo virodhabhas hai agar shabdon ka .. sakar nirakar type .. tab bhi agar dekho to vishwaroop hi hai Gita jaisa sci bhi dekh chuki sab dekh rahe .. hum se tumse hi hai iss jivan maran ka khel jo chal raha bhagwan ne kya fark Kiya sabko nature se sab free ... Arbon saalon ki age khud sci kahti to phir satya kyun nahi
सत्यम परम धीमहि 🌞🚩
You are wonderful storyteller👏🙌👌great ending
ATTI UTTAM
Jay gurudev
अतिसुंदर
Sam Jane ka Tarikka achcha he
Wah bhai wah sundar gyan dhanywad 🙏
Very Good Thaks❤
Man Aatma sansar Ke Bare me Satya Kaha HAI nice Shiv good
🙏💕
उम्दा
समझ में आता जा रहा है धन्यवाद
एक कहानी सुनाता हु
एक राजा था जिसका नाम पूर्ण था
उस राजा का एक बेटा था उसका नाम
भी पूर्ण था और दोनो स्वभाव से भी पूर्ण थे । एक बार बेटा पापा से जिद करके
डरावना जंगल देखने गया उस जंगल का नियम था की जो कोई उस जंगल में जाएगा उसे एक अहम ना की currency दिया जाएगा और जब जंगल से वापिस पापा के घर आना होगा तो वो अहम की currency उसी जंगल के अंदर जमा करनी होगी ।
वरना जंगल से बाहर नहीं जाने दिया जाएगा।
बेटा जंगल की सैर करते करते
अपने घर और पापा को भूल गया
और जंगल को अपना घर समझ बैठा ।
चुकी डरावना जंगल तो वह डरने भी लगा और जंगली सुरक्षा की जरूरत में ढेर सारी दुशरो की खोई हुई अहम की करेंसी अपने ऊपर लाद ली और भूल गया की जब तक वापस नही करेगा तब तक जंगल से बाहर नहीं निकल सकता
और पापा से भी नही मिल सकता।
Nicely described, namastey from kadi town of Gujarat state.
Namo bhudhay
गुरूजी नमस्कार
आपके वीडियो नित्य देखता हूँ।
एक प्रश्न उठा है मन मे।
आपने कहा कि चित प्रोजेक्टिर हैं।
उसने स्म्रति भरी हुई है।
और पर्दा आत्मा है।
जिसपे संसार रुपी फ़िल्म चल रही है।
तो ये बताइये की देख कौन रहा है।
Mujhe lg rha hai parda to karan hua dekhne ka mtlb atma karan sharir ab is sansar ko atma dwara hi man ,buddhi chitt dekh rh hai jaise ki kch na hote huye bhi hai aise smriti ke karan ho rh
आत्मा देख रहा है। चित्त पर्दा है।❤
@@Rajeshgupta-ct9uy atma ko dekhne ke liye parde ki jarurat nhi hai lekin lekin man buddhi chitt atma dwara hi kriyashil hai
Prabhu ji, ye sab man hi hai, me to kuch bhi nahi.
🙏🙇🙏🌹
14:20
एक ऐसा चलचित्र जिसमे हम सब मनुष्य भी स्व विस्मृत होकर इसी चलचित्र में शामिल भी हो गाय हैं!
तभी तो हम सब भी इस स्वप्नवात जगत को स्वप्न नही जानते हैं और वास्तविक जान रहे हैं!!!
अगर हम सबमें से कोई जाग्रत होना चाहता हो तो लगातार होश रहे कि,में हूं!
जब यह भाव "में हूं" की गहराई बढ़ेगी और अंत में स्व बोध जाग्रत हो जायेगा तब यह सब वास्तविक स्वरूप में प्रकट हो जायेगा! तब यह ऐसा न दिखेगा जैसा अभी दिख रहा है!
कैसा दिखेगा? यह शब्दों में नही बताया जा सकता! कारण कि वह तो तब परम मौन से मौन को देखोगे और मौन से ही वह बोध में आता है!
Very Very nice
chit or mastiks alag alag haa mere bhai correct yourself
पर हम शरीर में क्यू बंध गये....?
Jis sharir ko aap me smajh rahe hai wo aap nahi.
Yhi to dekhna h vichar ko delhna
Answer my question ?
पर्दा चित्त है। आत्मा नही है
आत्मा चित्त पर चलने वाली फिल्म का दृष्टा (साक्षी) है।
Haad hoo gai koi chit ko ashtavakra or sankarchrya bhram bata rahe haa ? or tu isko fake bol raha ? 🤔🤔🤔🤔🤔 chit aand roopam shivohm ?
Sab kuchh ho raha .. yani phir se samjho .. kriya prakriti mein hoti yani ... Chalti rahti .. waise hi jaise sab utpann ho k nasht ho raha ..waise hi kya hum nahin kitne saal ki life hoti .. iss universe k saamne jo virodhabhas hai agar shabdon ka .. sakar nirakar type .. tab bhi agar dekho to vishwaroop hi hai Gita jaisa sci bhi dekh chuki sab dekh rahe .. hum se tumse hi hai iss jivan maran ka khel jo chal raha bhagwan ne kya fark Kiya sabko nature se sab free ... Arbon saalon ki age khud sci kahti to phir satya kyun nahi