मैं गीता प्रैस की महर्षि वाल्मिकी जी की रामायण साथ साथ पढ़ती हूं। आप एकदम बिल्कुल वो ही पढ़ा रहे हैं। समाज में बहुत गलत धारणाएं बनी हुई हैं। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
हार्दिक धन्यवाद शुभकामनाएं आयुष्मान भव ओ३म् 🙏🏼🚩 कृण्वनतो विश्वमार्यम 🚩 चरैवेति चरैवेति... । जय आर्य जय आर्यव्रत भरतखण्ड 🚩 सीरियलों व रामानंद सागर जी की रामायण ने मिलावटी दिखा कर पूरे समाज को अन्धभक्त बना दिया ओम् 😢
राम राम आचार्य जी, वास्तव मे 1987 से 1988 मे रामानंद सागर रामायण टी वी सीरियल दिखाया गया था, जिसकी छाप ( प्रभाव) है , पुस्तको को पढ़कर ज्ञान प्राप्त करना, सुनकर ज्ञान प्राप्त करना लाभदायक है । दिखाई गई वास्तविक है क्या-कुछ है , विचार करने योग्य है। कोई बात अनुचित हो तो क्षमा चाहूगी। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
ऐसा लगता है तुलसीदास जी को रामायण अछे से याद नही थी या फिर जान बूझ कर बातों को अपने तरीके से मोड़कर लिख दिया ,, ये बहुत गलत बात है कम से कम विद्वान और जानकार लोगो को इतिहास से किसी भी तरह की छेड़छाड़ नही करनी चाहिए ,,बाद में उन मिलावट करके लिखी गयी बातों को ही लोग इतिहास मान लेते है
मैं गीता प्रैस की महर्षि वाल्मिकी जी की रामायण साथ साथ पढ़ती हूं। आप एकदम बिल्कुल वो ही पढ़ा रहे हैं। समाज में बहुत गलत धारणाएं बनी हुई हैं। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
धन्यवाद आचार्य जी ....
आप देश हित में बहुत ही सराहनीय कार्य कर रहे है । नमन है आपको ।
सुप्रभातम। आपकी व्याख्याएँ बहुत ही सरल व सुन्दर शब्दों में होती हैं आनन्द आता है। सादर।
बहुत ही सुंदर वाणी मे समझाते हो
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏
हार्दिक धन्यवाद शुभकामनाएं आयुष्मान भव ओ३म् 🙏🏼🚩 कृण्वनतो विश्वमार्यम 🚩 चरैवेति चरैवेति... । जय आर्य जय आर्यव्रत भरतखण्ड 🚩
सीरियलों व रामानंद सागर जी की रामायण ने मिलावटी दिखा कर पूरे समाज को अन्धभक्त बना दिया ओम् 😢
राम राम आचार्य जी,
वास्तव मे 1987 से 1988 मे रामानंद सागर रामायण टी वी सीरियल दिखाया गया था, जिसकी छाप ( प्रभाव) है , पुस्तको को पढ़कर ज्ञान प्राप्त करना, सुनकर ज्ञान प्राप्त करना लाभदायक है ।
दिखाई गई वास्तविक है क्या-कुछ है , विचार करने योग्य है।
कोई बात अनुचित हो तो क्षमा चाहूगी।
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
आचार्य जी सादर नमस्ते 🙏🙏📝👌👌🎤👌👌🌺🌻🌹🌻🌺
ओम् , सादर प्रणाम आचार्य जी ।
जय श्रीराम।
🙏
सादर नमस्ते अचार्य जी माता सीता जी का उम्र कितना है मुस्लिम लोग आरोप लगाता है ६ साल का है
ऐसा लगता है तुलसीदास जी को रामायण अछे से याद नही थी या फिर जान बूझ कर बातों को अपने तरीके से मोड़कर लिख दिया ,, ये बहुत गलत बात है कम से कम विद्वान और जानकार लोगो को इतिहास से किसी भी तरह की छेड़छाड़ नही करनी चाहिए ,,बाद में उन मिलावट करके लिखी गयी बातों को ही लोग इतिहास मान लेते है
मेरे विचार मेण tulsiji ka aadhar puraan hai n ki valmiki ramayan
मेरे विचार मेण tulsiji ka aadhar puraan hai n ki valmiki ramayan
नमस्ते आचार्य जी 3 ही फेरे क्यों लिये जाते हैं इनका क्या मतलब है?
🙏🏻🙏🏻
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