एक पक्षीय आदेश के तहत Perpetual Injunction देने की संभावना शुन्य रहती है। परमानेंट निषेधाज्ञा कोर्ट के फाइनल निर्णय के बाद ही दिया जाता है। Temporary Injunction दिया भी जा सकता है पर Perpetual Injunction बिल्कुल भी नहीं। हां ये अलग बात है कि आप कोर्ट के आदेश से संतुष्ट नहीं है तो Perpetual Injunction को हटाने के लिए अपील में जा सकते हैं अर्थात लोअर कोर्ट से मामला को लेकर हायर कोर्ट में जा सकते हैं।
@@SamacharPrasar जू•डी•कोर्ट ने डिक्री पारित कर पुलिस की मौजूदगी में निर्माण कार्य कराने के आदेश पारित कर दिए जिसपर पुलिस द्वारा निर्माण कार्य करा कर कोर्ट के अमीन द्वारा जज को आख्या पेश करदी गयी लेकिन फिर FTC में मुकदमा डाल कर कोर्ट को गुमराह करके परमानेंट इंजक्शन ले लिया ! आगामी तरीक को मालिकाना हक जताते हुए यदि हम जू•डी• कोर्ट द्वारा जारी की गई डिक्री और आदेश साक्ष्य/तथ्य के रूप में पेश करें तो परमानेंट इंजक्शन हट जाएगा ? नंबर चाहिए सर आपका !
अभी आपका मामला कोर्ट में चल रहा है। उसके नतीजे का इंतजार कीजिए। अभी इस पर कोई टिप्पणी करना सही नहीं होगा। बेहतर है कि आप अपने वकील साहब से संपर्क बनाए रखें। अपने वकील साहब पर भरोसा रखें।
अगर पिता के रहते हुए बेटा मर जाए तो पोता पोती के रहते हुए क्या पुतुह को ससुर Ragistry कर सकता है क्या अगर हाँ है तो पुतुह के Ragistry मे पति के नाम की जगह पिता का नाम हो सकता है क्या Name Alam State Bihar District Darbhanga
मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक अगर पिता के रहते बेटा मर जाता है तो पुश्तैनी संपत्ति पर अधिकार दूसरे बेटा का हो जाता है, यदि पिता के दो बेटा है तो। यदि पिता की स्वअर्जित संपत्ति है तो वह किसी के नाम वसीयत या गिफ्ट कर सकता है। अगर पुश्तैनी संपत्ति है और पिता को एक ही बेटा है और वह बेटा मर गया है तो पुश्तैनी जमीन में पोता और पोती को स्वतः अधिकार मिल जाएगा। यहां मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक पोता को जितना हिस्सा मिलेगा उसका आधा ही पोती को मिलेगा। यदि पिता के बेटा के हिस्सा में कुल 3 बीघा जमीन आया था तो पोता को 2 बीघा और पोती को 1 बीघा जमीन हिस्सा में मिलेगा। जहां तक रजिस्ट्री का सवाल है ससुर स्वअर्जित संपत्ति पुतोहु के नाम से रजिस्ट्री कर सकता है, लेकिन उसका पति का नाम के आगे स्वर्गीय लिखा जाएगा। पति की जगह पर पिता का नाम कभी नहीं आएगा। हां ये तभी आ सकता जब ससुर ने मर्यादा को ताक पर रखकर पुतोहु से शादी कर लिया हो।
संयुक्त परिवार की पैतृक एवं सांझी सम्पदा की घोषणा एवं बटनवारा कराकर पृथक दखलयावी की सहायता के लिए वाद पत्र अन्तर्गत धारा 34 एवं 5 विशिष्ट अनुतोष अधिनियम 1963 एवं धारा 9 सी पी सी 1908 वाद मुल्य 2400 रूपये । District Court के व्यवहार न्यायाधीश महोदय वर्ग 2 Civil Court Singrouli MP में मुकदमा विचाराधीन है यहां किसी प्रकार टेम्प्रेरी स्टे नहीं है इसमे जमिन एक ही जिले में स्थित है ग्रामीण क्षेत्रों की व नगरीय क्षेत्रों की जहां मृतक बिकेता के द्वारा अपनी नगरीय क्षेत्रों की जमीन का कुछ अंश बेच दिया जाता है और कुछ बचीं हुईं जमीन वसीयतनामा अपने सगे पोते को कर दिया गया है वहीं वसीयत कर्ता अपनी सम्पूर्ण चल व अचल सम्पत्ति जो दो तहसीलो ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में है नगरीय क्षेत्रों की सम्पत्ति सेल्फ एक्वायर सम्पत्ति है अपने वकालत पेशे की जबकि ग्रामीण क्षेत्रों की सम्पूर्ण जमीन वसीयतनामा के आधार पर अपने दादा से प्राप्त किया था मृतक 1973से वकालत पेशे में आये हुए थे और शहरी क्षेत्र में अपने वकालत की कमाई से 1974 में 24.5 डिसमिल तथा 1978 में 25 डिसमिल यानी खसरा नंबर 343/1/2 भाग एक ही परीवार के अलंग अलग भाईयों से दो बार में रजिस्टर्ड विक्रय पत्र सब रजिस्ट्रार सिंगरौली के यहां से कराया गया है मृतक का छोटा भाई ने 17 दिसम्वर 2015 को RCS A /00125 /2015 District court Singrauli में लक्ष्मी प्रसाद V/S लल्लू प्रसाद के नाम से चल रहा है अभी तक मृतक लल्लू प्रसाद के द्वारा जवाब में स्वयं की कमाई हुई सम्पत्ति है नगरीय क्षेत्र की जमीन हैं जवाब में कहा गया है इसके तीन माह बाद 30जनवरी 2022को बिकय पत्र वसीयतनामा का निष्पादन कराने के बाद 13 फरवरी 2022 को उनकी मृत्यु हो जाती है अभी पत्नी वेटी व क्रेता पोते व बहु को पार्टी वनाने के लिए आवेदन लगा है अभी मृतक के पत्नी वेटी बड़ी बहु व पोते की उपस्थिति नहीं हुई है । मृतक लल्लू प्रसाद के मृत्यु के बाद क्या T P Act की धारा 52 का क्या प्रभाव पड़ेगा क्या रजिस्टर्ड विक्रय पत्र निरस्त हो सकता है साथ ही वसीयतनामा के आधार पर आगे सफलता प्राप्त होगी या नहीं ? यदि कोई व्यक्ति मान लिजिए टोटल 0.49.5 डिसमिल जमीन में से दो व्यक्तियों A व Bके मध्य विक्रय कर देता है A को 36 डिसमिल व B को 3.5 डिसमिल जमीन का नामांतरण भी हो चुका है साथ ही शेष 10 डिसमिल को A को बसियत कर दिया रजिस्टर्ड रजिस्ट्रार कार्यालय से लेकिन विक्रय के 13 दिनो के बाद बिकेता कि मृत्यु हो जाती है मृत्यु के 3 माह के बाद जब प्रतिवादी गण का छोटा पुत्र फौती नामांतरण हेतु 10डिसमिल के लिए तहसील दार के कार्यालय में फौती नामांतरण का आवेदन लगाते हैं तो बसीयत ग्रहिता भी बसीयत का आवेदन तहसीलदार के यहां लगा देता है जहां दोनो फाइलें फौती नामांतरण व वसीयती नामांतरण को एक ही शामिल कर लिया गया है दोनो तहसीलों में । मृतक बिकेता के निम्नलिखित वारिस है ( 1) विधवा पत्नी ( 2 )बिधवा पुत्री (3) बड़ा पुत्र (4) छोटा पुत्र इसमें A ज़ो क्रेता है मृतक का सगा पोता है B जो क्रेता है वह मृतक की बड़ी बहु है साथ हीं वसियत ग्रहिता भी मृतक का सगा पोता ही है यानी ( B मां _ A वेटा ) इसमे मृतक की (1) बिधवा पत्नी (२) बिधवा वेटी (3) बड़ा पुत्र इसमें वसियत ग्रहिता यानि A के साथ है जो शपथपत्र वसियत ग्रहिता के पछ में दे रहे हैं तहसीलदार के यहां कि बसीयत के आधार पर नामांतरण कर दिया जाये हमें कोइ आपत्ति नहीं है सहमति जताई है । इसमें आगे क्या होना चाहिए वसियती नामांतरण या फौती नामांतरण का आदेश होगा ।अगला कदम बादी गणो का क्या होगा ? मृतक का छोटा पुत्र के लिए क्या उपाय है या कर सकता है वह साथ ही वसीयतनामा से पोते को लाभ मिलेगा या नहीं साथ ही रजिस्ट्री की हुई जमीन पर ,TPAct की धारा 52 से कौई नुकसान तो नहीं होगा A व B को कृपया विस्तार से जानकारी देने का कष्ट करें ताकि आपके उचित मार्गदर्शन का लाभ हमें मिल सके । सधन्यवाद मो. न.9425331986
जमीन की रजिस्ट्री 15 लाख दरसाई गई है क्योंकि शहरी क्षेत्र नगर पालिका में आती है।वाद मुल्य में वादी द्वारा वाद मूल्य मात्र 2400 रुपए अति न्यूनतम दर से किया गया है जो कृषि भूमि का आधार मानकर। बसीयत ग्रहिता को जो जमीन वसीयतनामा किया गया है 4 डिसमिल जमीन पर दो मंजिला पक्का इमारत बना हुआ है।
Good 👍
Thanks sir bahut bahut abhari hain apka 🌷🌷👌🌹🇮🇳👌😆
Gift deed selldeed ke bare me janana chahti hoon
ua-cam.com/video/nI8GGfUAPDw/v-deo.html
वीडियो का लिंक भेज दिया है। इसे बार बार देख लीजिए। सब समझ में आ जाएगा।
1 पक्षीय आदेश के अंतर्गत गलत तरीके से लिये गए स्थायी निषेधाज्ञा (permanent injection) को कैसे कैंसिल कराया जाएगा !
एक पक्षीय आदेश के तहत Perpetual Injunction देने की संभावना शुन्य रहती है। परमानेंट निषेधाज्ञा कोर्ट के फाइनल निर्णय के बाद ही दिया जाता है। Temporary Injunction दिया भी जा सकता है पर Perpetual Injunction बिल्कुल भी नहीं। हां ये अलग बात है कि आप कोर्ट के आदेश से संतुष्ट नहीं है तो Perpetual Injunction को हटाने के लिए अपील में जा सकते हैं अर्थात लोअर कोर्ट से मामला को लेकर हायर कोर्ट में जा सकते हैं।
@@SamacharPrasar जू•डी•कोर्ट ने डिक्री पारित कर पुलिस की मौजूदगी में निर्माण कार्य कराने के आदेश पारित कर दिए जिसपर पुलिस द्वारा निर्माण कार्य करा कर कोर्ट के अमीन द्वारा जज को आख्या पेश करदी गयी लेकिन फिर FTC में मुकदमा डाल कर कोर्ट को गुमराह करके परमानेंट इंजक्शन ले लिया ! आगामी तरीक को मालिकाना हक जताते हुए यदि हम जू•डी• कोर्ट द्वारा जारी की गई डिक्री और आदेश साक्ष्य/तथ्य के रूप में पेश करें तो परमानेंट इंजक्शन हट जाएगा ? नंबर चाहिए सर आपका !
अभी आपका मामला कोर्ट में चल रहा है। उसके नतीजे का इंतजार कीजिए। अभी इस पर कोई टिप्पणी करना सही नहीं होगा। बेहतर है कि आप अपने वकील साहब से संपर्क बनाए रखें। अपने वकील साहब पर भरोसा रखें।
अगर पिता के रहते हुए बेटा मर जाए तो पोता पोती के रहते हुए क्या पुतुह को ससुर Ragistry कर सकता है क्या अगर हाँ है तो पुतुह के Ragistry मे पति के नाम की जगह पिता का नाम हो सकता है क्या
Name Alam
State Bihar
District Darbhanga
मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक अगर पिता के रहते बेटा मर जाता है तो पुश्तैनी संपत्ति पर अधिकार दूसरे बेटा का हो जाता है, यदि पिता के दो बेटा है तो। यदि पिता की स्वअर्जित संपत्ति है तो वह किसी के नाम वसीयत या गिफ्ट कर सकता है। अगर पुश्तैनी संपत्ति है और पिता को एक ही बेटा है और वह बेटा मर गया है तो पुश्तैनी जमीन में पोता और पोती को स्वतः अधिकार मिल जाएगा। यहां मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक पोता को जितना हिस्सा मिलेगा उसका आधा ही पोती को मिलेगा। यदि पिता के बेटा के हिस्सा में कुल 3 बीघा जमीन आया था तो पोता को 2 बीघा और पोती को 1 बीघा जमीन हिस्सा में मिलेगा। जहां तक रजिस्ट्री का सवाल है ससुर स्वअर्जित संपत्ति पुतोहु के नाम से रजिस्ट्री कर सकता है, लेकिन उसका पति का नाम के आगे स्वर्गीय लिखा जाएगा। पति की जगह पर पिता का नाम कभी नहीं आएगा। हां ये तभी आ सकता जब ससुर ने मर्यादा को ताक पर रखकर पुतोहु से शादी कर लिया हो।
Sir town area kya hai aur ye kaise bana
U p me vivahit putrid krishi Jamin me Patrik Sampat me stay Order le sakti hai
हाँ, यूपी में विवाहित पुत्री कृषि भूमि पर स्टे ऑर्डर ले सकती है,यदि वह कानूनी रुप से इसके लिए योग्य हो।
संयुक्त परिवार की पैतृक एवं सांझी सम्पदा की घोषणा एवं बटनवारा कराकर पृथक दखलयावी की सहायता के लिए वाद पत्र अन्तर्गत धारा 34 एवं 5 विशिष्ट अनुतोष अधिनियम 1963 एवं धारा 9 सी पी सी 1908 वाद मुल्य 2400 रूपये । District Court के व्यवहार न्यायाधीश महोदय वर्ग 2 Civil Court Singrouli MP में मुकदमा विचाराधीन है यहां किसी प्रकार टेम्प्रेरी स्टे नहीं है इसमे जमिन एक ही जिले में स्थित है ग्रामीण क्षेत्रों की व नगरीय क्षेत्रों की जहां मृतक बिकेता के द्वारा अपनी नगरीय क्षेत्रों की जमीन का कुछ अंश बेच दिया जाता है और कुछ बचीं हुईं जमीन वसीयतनामा अपने सगे पोते को कर दिया गया है वहीं वसीयत कर्ता अपनी सम्पूर्ण चल व अचल सम्पत्ति जो दो तहसीलो ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में है नगरीय क्षेत्रों की सम्पत्ति सेल्फ एक्वायर सम्पत्ति है अपने वकालत पेशे की जबकि ग्रामीण क्षेत्रों की सम्पूर्ण जमीन वसीयतनामा के आधार पर अपने दादा से प्राप्त किया था मृतक 1973से वकालत पेशे में आये हुए थे और शहरी क्षेत्र में अपने वकालत की कमाई से 1974 में 24.5 डिसमिल तथा 1978 में 25 डिसमिल यानी खसरा नंबर 343/1/2 भाग एक ही परीवार के अलंग अलग भाईयों से दो बार में रजिस्टर्ड विक्रय पत्र सब रजिस्ट्रार सिंगरौली के यहां से कराया गया है मृतक का छोटा भाई ने 17 दिसम्वर 2015 को RCS A /00125 /2015 District court Singrauli में लक्ष्मी प्रसाद V/S लल्लू प्रसाद के नाम से चल रहा है अभी तक मृतक लल्लू प्रसाद के द्वारा जवाब में स्वयं की कमाई हुई सम्पत्ति है नगरीय क्षेत्र की जमीन हैं जवाब में कहा गया है इसके तीन माह बाद 30जनवरी 2022को बिकय पत्र वसीयतनामा का निष्पादन कराने के बाद 13 फरवरी 2022 को उनकी मृत्यु हो जाती है अभी पत्नी वेटी व क्रेता पोते व बहु को पार्टी वनाने के लिए आवेदन लगा है अभी मृतक के पत्नी वेटी बड़ी बहु व पोते की उपस्थिति नहीं हुई है । मृतक लल्लू प्रसाद के मृत्यु के बाद क्या T P Act की धारा 52 का क्या प्रभाव पड़ेगा क्या रजिस्टर्ड विक्रय पत्र निरस्त हो सकता है साथ ही वसीयतनामा के आधार पर आगे सफलता प्राप्त होगी या नहीं ? यदि कोई व्यक्ति मान लिजिए टोटल 0.49.5 डिसमिल जमीन में से दो व्यक्तियों A व Bके मध्य विक्रय कर देता है A को 36 डिसमिल व B को 3.5 डिसमिल जमीन का नामांतरण भी हो चुका है साथ ही शेष 10 डिसमिल को A को बसियत कर दिया रजिस्टर्ड रजिस्ट्रार कार्यालय से लेकिन विक्रय के 13 दिनो के बाद बिकेता कि मृत्यु हो जाती है मृत्यु के 3 माह के बाद जब प्रतिवादी गण का छोटा पुत्र फौती नामांतरण हेतु 10डिसमिल के लिए तहसील दार के कार्यालय में फौती नामांतरण का आवेदन लगाते हैं तो बसीयत ग्रहिता भी बसीयत का आवेदन तहसीलदार के यहां लगा देता है जहां दोनो फाइलें फौती नामांतरण व वसीयती नामांतरण को एक ही शामिल कर लिया गया है दोनो तहसीलों में । मृतक बिकेता के निम्नलिखित वारिस है ( 1) विधवा पत्नी ( 2 )बिधवा पुत्री (3) बड़ा पुत्र (4) छोटा पुत्र इसमें A ज़ो क्रेता है मृतक का सगा पोता है B जो क्रेता है वह मृतक की बड़ी बहु है साथ हीं वसियत ग्रहिता भी मृतक का सगा पोता ही है यानी ( B मां _ A वेटा ) इसमे मृतक की (1) बिधवा पत्नी (२) बिधवा वेटी (3) बड़ा पुत्र इसमें वसियत ग्रहिता यानि A के साथ है जो शपथपत्र वसियत ग्रहिता के पछ में दे रहे हैं तहसीलदार के यहां कि बसीयत के आधार पर नामांतरण कर दिया जाये हमें कोइ आपत्ति नहीं है सहमति जताई है । इसमें आगे क्या होना चाहिए वसियती नामांतरण या फौती नामांतरण का आदेश होगा ।अगला कदम बादी गणो का क्या होगा ? मृतक का छोटा पुत्र के लिए क्या उपाय है या कर सकता है वह साथ ही वसीयतनामा से पोते को लाभ मिलेगा या नहीं साथ ही रजिस्ट्री की हुई जमीन पर ,TPAct की धारा 52 से कौई नुकसान तो नहीं होगा A व B को कृपया विस्तार से जानकारी देने का कष्ट करें ताकि आपके उचित मार्गदर्शन का लाभ हमें मिल सके । सधन्यवाद मो. न.9425331986
जमीन की रजिस्ट्री 15 लाख दरसाई गई है क्योंकि शहरी क्षेत्र नगर पालिका में आती है।वाद मुल्य में वादी द्वारा वाद मूल्य मात्र 2400 रुपए अति न्यूनतम दर से किया गया है जो कृषि भूमि का आधार मानकर। बसीयत ग्रहिता को जो जमीन वसीयतनामा किया गया है 4 डिसमिल जमीन पर दो मंजिला पक्का इमारत बना हुआ है।
Jankari dene ke liye dhanyawad sir ji