कोल्डिहवा, उत्तर प्रदेश के प्रयागराज ज़िले में स्थित एक पुरातात्विक स्थल है. यह देवघाट गांव के पास बेलन नदी की घाटियों में है. कोल्डिहवा, उत्तर प्रदेश के कुछ नवपाषाण स्थलों में से एक है
नव-पाषाणकालीन स्थल चिरांद जो बिहार राज्य के छपरा जिला में स्थित है । यहाँ से अस्थि एवं प्रस्तर उपकरणों, गारे और सरकण्डे के घरों के अवशेषों तथा चावल और मूंग सहित तरह-तरह की फसलों का समृद्ध संग्रह देखने को मिलता है । कर्नाटक के पिक्लीहल से आवास स्थल प्राप्त हुआ है ।नव-पाषाणकालीन स्थल चिरांद जो बिहार राज्य के छपरा जिला में स्थित है । यहाँ से अस्थि एवं प्रस्तर उपकरणों, गारे और सरकण्डे के घरों के अवशेषों तथा चावल और मूंग सहित तरह-तरह की फसलों का समृद्ध संग्रह देखने को मिलता है । कर्नाटक के पिक्लीहल से आवास स्थल प्राप्त हुआ है ।
स्थानीय भाषा में बुर्जहोम को प्लेस ऑफ बिर्च कहा जाता है। इस जगह का यह नाम इसलिए पड़ा, क्योकि यहां की खुदाई के दौरान भारी संख्या में जले हुए बिर्च के वृक्ष मिले थे, जिससे यह पता चलता है कि उस काल में इस इलाके में बहुतायत में सन्टी के पेड़ पाए जाते थे
ब्राह्मी लिपि को पड़ा जा चुका है. ब्राह्मी भारत की सबसे पुरानी लिपियों में से एक है. इसका इस्तेमाल सम्राट अशोक के लेखों में हुआ था. ब्राह्मी लिपि से जुड़ी कुछ खास बातेंः ब्राह्मी लिपि में मात्राओं का इस्तेमाल किया जाता था
Question 1- ऐतिहासिक काल की लिपि पढ़ी गयी है question 2 - कोल्डीहवा - इलाहबाद question 3- chirand ( बिहार) से प्रचुर मात्रा में हड्डी के उपकरण पाए गए जो मुख्य रूप से हिरण के सींग के थे सारण से चना, मूंग के साक्ष्य मिले Question 4- बुर्जहोम (जम्मू कश्मीर) से गर्ताबाश, मृतभाण्ड, हड्डियों के औजर, मालिक के साथ कुत्ते के दफनाए जाने के साक्ष्य,।।। Question 5- मध्य पुरापाषाण काल में पशु पालन के साक्ष्य पहला पालतू पशु कुत्ता था
कोल्डिहवा, उत्तर प्रदेश के प्रयागराज ज़िले में स्थित एक पुरातात्विक स्थल है. यह देवघाट गांव के पास बेलन नदी की घाटियों में है. कोल्डिहवा, उत्तर प्रदेश के कुछ नवपाषाण स्थलों में से एक है.
नव-पाषाणकालीन स्थल चिरांद जो बिहार राज्य के छपरा जिला में स्थित है । यहाँ से अस्थि एवं प्रस्तर उपकरणों, गारे और सरकण्डे के घरों के अवशेषों तथा चावल और मूंग सहित तरह-तरह की फसलों का समृद्ध संग्रह देखने को मिलता है । कर्नाटक के पिक्लीहल से आवास स्थल प्राप्त हुआ है ।नव-पाषाणकालीन स्थल चिरांद जो बिहार राज्य के छपरा जिला में स्थित है । यहाँ से अस्थि एवं प्रस्तर उपकरणों, गारे और सरकण्डे के घरों के अवशेषों तथा चावल और मूंग सहित तरह-तरह की फसलों का समृद्ध संग्रह देखने को मिलता है । कर्नाटक के पिक्लीहल से आवास स्थल प्राप्त हुआ है ।
ब्राह्मी लिपि को पड़ा जा चुका है. ब्राह्मी भारत की सबसे पुरानी लिपियों में से एक है. इसका इस्तेमाल सम्राट अशोक के लेखों में हुआ था. ब्राह्मी लिपि से जुड़ी कुछ खास बातेंः ब्राह्मी लिपि में मात्राओं का इस्तेमाल किया जाता था
Class is very excellent💯👍💯 😊😊🤗🤗sir
Very very nice classsss and very dhasu class 👉कोल्डिहवा---प्रयागराज ! 👉बुर्ज होम---जम्मू कश्मीर 👉paltu animal --dog 10,000 ---4000 वर्ष पूर्व
कोल्डिहवा प्रयागराज, उत्तर प्रदेश,
Thumbnail achcha hai sar bahut 👌
Koldihawa place up ke pragraj me
Bhurj home se मानव कंकाल के साथ कुत्ते के कंकाल के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं।
Very Nice class sir ji 🚩🚩🚩🚩🚩🚩❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Brahmi script ko read kiya gya
कोल्डिहवा, उत्तर प्रदेश के प्रयागराज ज़िले में स्थित एक पुरातात्विक स्थल है. यह देवघाट गांव के पास बेलन नदी की घाटियों में है. कोल्डिहवा, उत्तर प्रदेश के कुछ नवपाषाण स्थलों में से एक है
Chirag / saraan..... Vihar main pdta hai ,,,,madhayapasadkall main patu janwer (Dog) hai
नव-पाषाणकालीन स्थल चिरांद जो बिहार राज्य के छपरा जिला में स्थित है । यहाँ से अस्थि एवं प्रस्तर उपकरणों, गारे और सरकण्डे के घरों के अवशेषों तथा चावल और मूंग सहित तरह-तरह की फसलों का समृद्ध संग्रह देखने को मिलता है । कर्नाटक के पिक्लीहल से आवास स्थल प्राप्त हुआ है ।नव-पाषाणकालीन स्थल चिरांद जो बिहार राज्य के छपरा जिला में स्थित है । यहाँ से अस्थि एवं प्रस्तर उपकरणों, गारे और सरकण्डे के घरों के अवशेषों तथा चावल और मूंग सहित तरह-तरह की फसलों का समृद्ध संग्रह देखने को मिलता है । कर्नाटक के पिक्लीहल से आवास स्थल प्राप्त हुआ है ।
स्थानीय भाषा में बुर्जहोम को प्लेस ऑफ बिर्च कहा जाता है। इस जगह का यह नाम इसलिए पड़ा, क्योकि यहां की खुदाई के दौरान भारी संख्या में जले हुए बिर्च के वृक्ष मिले थे, जिससे यह पता चलता है कि उस काल में इस इलाके में बहुतायत में सन्टी के पेड़ पाए जाते थे
Madhyapasan me 🐶🐕🐕🐶dog ko pala gya
ब्राह्मी लिपि को पड़ा जा चुका है. ब्राह्मी भारत की सबसे पुरानी लिपियों में से एक है. इसका इस्तेमाल सम्राट अशोक के लेखों में हुआ था. ब्राह्मी लिपि से जुड़ी कुछ खास बातेंः
ब्राह्मी लिपि में मात्राओं का इस्तेमाल किया जाता था
: Bhurj home se मानव कंकाल के साथ कुत्ते के कंकाल के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं।
: कुत्ते को पालतू पशु मध्य पाषाण काल में बनाया।
मानव में सर्वप्रथम कुत्ते को पालतू पशु मध्य पाषाण काल में बनाया। मध्य पाषाण काल की खोज 1867
Question 1- ऐतिहासिक काल की लिपि पढ़ी गयी है question 2 - कोल्डीहवा - इलाहबाद question 3- chirand ( बिहार) से प्रचुर मात्रा में हड्डी के उपकरण पाए गए जो मुख्य रूप से हिरण के सींग के थे
सारण से चना, मूंग के साक्ष्य मिले
Question 4- बुर्जहोम (जम्मू कश्मीर) से गर्ताबाश, मृतभाण्ड, हड्डियों के औजर, मालिक के साथ कुत्ते के दफनाए जाने के साक्ष्य,।।।
Question 5- मध्य पुरापाषाण काल में पशु पालन के साक्ष्य पहला पालतू पशु कुत्ता था
कुत्ते को पालतू पशु मध्य पाषाण काल में बनाया।
कोल्डिहवा, उत्तर प्रदेश के प्रयागराज ज़िले में स्थित एक पुरातात्विक स्थल है. यह देवघाट गांव के पास बेलन नदी की घाटियों में है. कोल्डिहवा, उत्तर प्रदेश के कुछ नवपाषाण स्थलों में से एक है.
नव-पाषाणकालीन स्थल चिरांद जो बिहार राज्य के छपरा जिला में स्थित है । यहाँ से अस्थि एवं प्रस्तर उपकरणों, गारे और सरकण्डे के घरों के अवशेषों तथा चावल और मूंग सहित तरह-तरह की फसलों का समृद्ध संग्रह देखने को मिलता है । कर्नाटक के पिक्लीहल से आवास स्थल प्राप्त हुआ है ।नव-पाषाणकालीन स्थल चिरांद जो बिहार राज्य के छपरा जिला में स्थित है । यहाँ से अस्थि एवं प्रस्तर उपकरणों, गारे और सरकण्डे के घरों के अवशेषों तथा चावल और मूंग सहित तरह-तरह की फसलों का समृद्ध संग्रह देखने को मिलता है । कर्नाटक के पिक्लीहल से आवास स्थल प्राप्त हुआ है ।
ब्राह्मी लिपि को पड़ा जा चुका है. ब्राह्मी भारत की सबसे पुरानी लिपियों में से एक है. इसका इस्तेमाल सम्राट अशोक के लेखों में हुआ था. ब्राह्मी लिपि से जुड़ी कुछ खास बातेंः
ब्राह्मी लिपि में मात्राओं का इस्तेमाल किया जाता था