सप्रेम नमस्ते पुज्य स्वामी जी, आपका "ज्ञान" एक विशाल महा-सागर है, आप लगातार बांटते चले जा रहें हैं ................. आपका हार्दिक धन्यवाद जी ! कृष्ण कुमार साहनी 28.05.22
पूज्य स्वामी विवेकानंद परिव्राजक जी महाराज एवं श्री सार्थक महाजन जी को बहुत धन्यवाद । आपके कार्यक्रम द्वारा मनुष्यमात्र का आध्यात्मिक विकास हो रहा हैं।
मैं कामना करता हूं कि स्वामी विवेकानंद जी के जीवन में शुद्ध अध्यात्म का अत्यंत तक उदय हो ताकि इस अंधकार में डूबे विश्व में प्रकाश हो जिससे उस प्रकाश में मानव अपने लक्ष को देख सके।
❤ओम नमस्ते स्वामी जी आप को बहुत बहुत धन्यावाद जी आप बहुत सरल तरी के से समझाते हें लेकिन स्वामी जी में सुनते सुनते कब सौजाती हूं पता नहीं क्यौ एसा क्यौ होता हे और में एसा क्या करूं में नसौऊं लेकिन आप जोभी कहते हें सब सुनती हूं सोने के बाद भी
।।मुक्तक छंद कविता।।:+:सारशबद अखण्ड चित्त मे लखे बिन, मोक्ष और मुक्ती नाही भाई नाही। नर विरथा जनम गंवाई, सतगुरु सतधामी बिन सारशबद ना पाई।।00।।सतगुरु सतधामी ने सारशबद अखण्ड चित्त मे दिया लखाय, भेदी गुरु साँई अरुण जी ने भेद दिया समझाय। सुरति शबद की संगत से, योग विहंगम चाल दिया सिखाय-नर विरथा जनम--।।01।।काशी गया द्वारका जावे, चार धाम तीरथ फिर आवे। मन की मैल ना जाय--नर विरथा जनम --।।02।।छाप तिलक बहु भांति लगावे, सिर पर जटा विभूति रमावे। हृदय शांति ना समाय-नर विरथा जनम गंवाय।।03।।वेद पुराण पढे बहु भारी, खंडन मंडन उमर गुजारी। विरथा की लोक बढाई-नर विरथा जनम गंवाई।।04।।चार दिनो का जग मे वासा, छोड दे भाई जगत की आशा। सारशबद अखण्ड सतगुरु जी का चित्त मे धरले, -नर भवसागर से उस पार उतरले।।05।।साँई अरुण जी कहे सुनो सतसंग नित्य रोज ही हमारो। भव दुविधा का हो जाय निवारो-सुरति शबद मे समाई लो-नर विरथा जनम--।।06।।पारस और संत मे बडो अंतरो जान, पारस लोहे को सोना करे।संत करले आप समान-नर विरथा जनम गंवाय।।07।।,,साँई अरुण जी कमाल मोबाइल नंबर-9158583999-को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।,,।।
स्वामी जी आप आपने ही बात से पलट गये आप ने कहा पहले जन्म को नहीं जानसक्ते और कारण बताया उस जन्म मे दिमाख अलग था और इस जन्म मे अलग हे फिर आप पुनर जन्म की ही बात करणे लगे और एक बात बार बार कह रह ते की मै ऋषी की ही बात करता हु ठीक हे ऋषी की बात करो मगर आपनी बी बात करो आपना ही अनुभव सत्य होता हे मै ऋषी के प्रति कोई प्रश्न चिन्ह नहीं लगा रहा हु हमारे पूर्वज सभी महान् उनको कोटी कोटी प्रणाम हे मगर हर एक समय देश काल और परस्थिती अलग होती हे उस के नुसार वक्ता को बोलना चाहिए अगर कुछ गलत लिखदिया तो क्षमा कर ना🙏🚩
सादर नमस्ते जी महाराज जैसा कि आपने कहा की जड़ गति नहीं हो सकता है जैसे स्कूटर को कोई चलाए तो चलेगा,वरना नहीं तो पृथ्वी जड़ है या चेतन,और अगर जड़ है तो इसे कौन चला रहा है तथा जिस कारण से इसकी दो गतियां है वह क्या चेतन है अगर नहीं तो कैसे चला रहा है।कृपा कर बताने का कष्ट करें।
Omprakash Gupta • 25 min ago (edited) : मन क्या है क्योंकि कर्म का विचार तो आत्मा का लक्षण है? और आत्मा तो सूक्ष्मतम, बहुआयामी अर्थात् स्फैरीकल घूर्णित होने से स्पन्दित फ्लक्चुएट होती है। इसे सत्य क्यों नहीं मानें? और मन तो आत्मा की गति है / क्रिया है और आत्मा की गति है / क्रिया यदि सत्य की ओर संतुलित हो तो वह चित्त अवस्था किन्तु अनियंत्रित, भ्रमित अर्थात असंतुलित होने से आत्मा की गति है / क्रिया को मन क्यों नहीं कह सकते?
गुरुजी नमस्ते आज का मानव खासकर पौराणिक कथाओं में मानव शरीर में हाथी का सिर मानव शरीर में बकरे का सिर घोड़े का सिर चूहे पर गणपति की सवारी करना। विष्णु का गरुड़ पर सवारी करना क्या यह सब गप्प नही तो क्या है?
कुछ समय बाह्य जगत को देखने के साथ साथ अंतर आत्मा का भी ध्यान करना चाहिए, जो १.नाभि से ११अंगुल ऊपर वकचस्थल के मध्य स्थित है २. दो अंगुल चौड़ी है 3. अंगुष्ठ मात्र लंबी है 4. सूर्य की तरह लाल रंग है। 5. दिव्य दो नेत्र आत्म के है। 6. आत्म में कोई मुख नही है, कुछ न खा कर, केवल त्रप्त होती है, अत: तरल पदार्थ आत्म को सनतुष्ट करते है। 7. आत्मा का तेज आंख की काली पुतली में देखा जा सकता है। 8. आत्म की मोटाई सुई की नोक के १०० वे हिस्से से भी पतली होती है, तभी तो आत्मा निकलने पर कोई घाव नही होता। ९. आत्मज्ञान नारी को नही होता है।
मेरी आयु 30 वर्ष है अभी तक पौराणिक, परंतु आर्य निर्माण के दो दिन सत्र से पिचले 2-3 साल से स्वाध्याय कर रहे हैं अब के बाद हम गुरुकुल के प्रदालीप्रदाली से विद्या लेना चाहते हैं कोई रास्ता बताए
सुना है कि विवेकानंद जव परमहंस जी के पास गये तो यही प्रशन किया कि क्या आपने प्रमातमा को देखा है?तो परमहंस ने जवाव मे कहा था कि हाँ देखा है विलकुल ऐसे जैसे तुम इस समय मुझे ओर में तुझे देख रहा हुँ।तो निराकार को कैसे देखा ओर दिखाया होगा परमहंस ने?अव आप यह तो नही कह सकते कि परमहंस या विवेकानंद ने झूठ वोला।कृपया शंका समधान किजीऐ।
सुझाव के लिए धन्यवाद। आगे से इस बात का ध्यान रखा जाएगा वैसे मेरा प्रयास यही रहा था कि स्वामी जी का ही solo layout रहे परंतु प्रश्न पूछने के साथ साथ exit solo layout ओपशन दबाना फिर solo layout का ओपशन सिलेक्ट करना थोड़ा कठिन कार्य है ।
@@anshumandhingan6277 आप भी गांजा फुकते हो क्या किताब किसी चीज का सबूत नहीं होता आप अदालत में जाकर या बोलोगे क्या आत्मा मरती नहीं मैंने तो सिर्फ शरीर मारा है यैसा गीता में लिखा है उसके बाद कानून आपको छोड़ देंगे क्या खुद बेवकूफ हो सामने वाले को भी अपने को समझते हो
Why not about God, why talk of rishis only? Are the rish greater than God? Your lectures are good, but why do you all talk of rishis and books? Why do you all never talk of God? Coz you all can't talk to God despite the spiritual pursuit. Indian swamis always talk of rishis and books and never about God They don't even know that Vedas are not given by God, but by the demigod to rishis. Only the Gita is given by God,not the Vedas. If the Vedas were given by God, God would have again given the Gita. But Indian swomis are more interested in Vedas than the Gita.. Ask God, vedas are not given by God, but by a demigod
परमश्रद्धेय स्वामी जी के चरणों में कोटि-कोटि दंडवत प्रणाम 🙏
सप्रेम नमस्ते पुज्य स्वामी जी,
आपका "ज्ञान" एक विशाल महा-सागर
है, आप लगातार बांटते चले जा रहें हैं .................
आपका हार्दिक धन्यवाद जी !
कृष्ण कुमार साहनी
28.05.22
प्रिय सार्थक! आप के माध्यम से धर्म, और अध्यात्म की अत्यंत मूल्यवान सेवा हो रही है , एतदर्थ शुभकामनाएं!
स्वामी जी नमस्ते, आप ने बहुत ही सरल तरीके से समझाया है कि आत्मा क्या है। धन्यवाद
सार्थक बेटे को शुभ आशीष एवं शुभकामनाएँ
जय श्री राम
जय श्री हनुमान
जय श्री नीम करौली जी बाबा
🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹
बहुत सुन्दर है स्वामीजी🙏🙏🙏
स्वामीजी को शत-शत नमन।
Namasteji swamiji dhanyabad
पूज्य स्वामी विवेकानंद परिव्राजक जी महाराज
एवं श्री सार्थक महाजन जी को बहुत धन्यवाद ।
आपके कार्यक्रम द्वारा मनुष्यमात्र का आध्यात्मिक विकास हो रहा हैं।
नमस्ते, स्वामी जी,आप का बहुत आभार
बहुत ही सुन्दर ज्ञान से भरपुर प्रवचन।
सर्वोभ्य : नमस्ते 🙏
स्वामी जी सादर नमस्ते जी
Bohot acche bhrata jii🙏🙏
ଓମ ସାଦର ନମସ୍ତେ ସ୍ୱାମୀଜୀ 🙏🙏🙏
नमस्ते स्वामी जी
Baijayanti sadare namaste swamiji 🙏
इतनी सरल भाषा में ज्ञान परोसा गया है कि आप सभी को हार्दिक धन्यवाद। और कोटि कोटि नमन।
स्वामी जी नमस्ते, आपको शत शत प्रणाम और बहुत बहुत धन्यवाद l बहुत अच्छी तरह सरल करके समझाया गया l
Acharya ji ko sadar namste. 🕉️🙏🙏 Arya samaj budgara bijnor up.
सादर नमन पूज्य गुरुदेव स्वामी विवेकानंद परिव्राजक जी।
"ओ३म् भूर्भुवःस्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि।धियो यो नः प्रचोदयात् ।"
Namasteji swamiji dhanyabad om
मैं कामना करता हूं कि स्वामी विवेकानंद जी के जीवन में शुद्ध अध्यात्म का अत्यंत तक उदय हो ताकि इस अंधकार में डूबे विश्व में प्रकाश हो जिससे उस प्रकाश में मानव अपने लक्ष को देख सके।
सबको सादर नमस्ते जी।
Swamiji namaste 🙏
सादर नमस्ते पूज्य स्वामी जी। बहुत सुन्दर व्याख्या, धन्यवाद स्वामी जी। 🙏🙏
सादर नमस्ते स्वामीजी महाराज कोटि कोटि नमन 🙏🙏🙏🥀🥀🌺🌹🌹🏵️🥀💐🙏💐
स्वामी जी नमस्ते आपके द्वारा वैदिक सिद्धांतों को सरल ढंग से बतलाने के लिए धन्यवाद
🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉
Sader namste Swami ji 🕉️🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙋
नमस्ते स्वामीजी 🙏🙏🙏
🙏 नमस्ते धन्यवाद स्वामी जी 💐🙏🙏💐
Swamiji Pranam. OM.
जय हो भारत के ज्ञान विज्ञान की l
Swami ji ko prnam🙏
नमस्ते स्वामी जी,🕉️🚩👌✌️🙏
Guru ji Sadar Namaste🙏
स्वामी विवेकानंद जी की जय हो!!!
Maza agaya bhai🙏❤️ from lucknow
Sader namaste Swami ji
पूरा व्याख्यान सुन लिया। अति उत्तम ! बहुत ज्ञानवर्धक है 🙏🚩💐🌹।
🙏swami ji
ओम नमस्ते जी ,
Great young Arya 👏 chiranjiv raho ji
🙏
Swami ji ko sadar namaskar
Mai swami nahi hu😀😂🙏🙏
❤ओम नमस्ते स्वामी जी आप को बहुत बहुत धन्यावाद जी आप बहुत सरल तरी के से समझाते हें लेकिन स्वामी जी में सुनते सुनते कब सौजाती हूं पता नहीं क्यौ एसा क्यौ होता हे और में एसा क्या करूं में नसौऊं लेकिन आप जोभी कहते हें सब सुनती हूं सोने के बाद भी
Nmsty swami ji 🙏🙏🙏💐💐💐
Dhanyawad Guruji
स्वामी जी को सत सत नमन सौदान सिंह आर्य अलीगढ़
ये विचार ही कितना डरावना है कि हम आत्मा है और अमर है , ये विचार ही तनाव देती है कैसे सहज रहे
स्वामीजी को प्रणाम, प्रिय सार्थक बेटे को शुभाशीष, उत्तम कार्यक्रम आपका और स्वामीजी का मार्गदर्शन भी
नमस्ते पूज्य स्वामी जी 🙏
🥰🧡
Om
Bahut Sundar Aacharya ji
।।मुक्तक छंद कविता।।:+:सारशबद अखण्ड चित्त मे लखे बिन, मोक्ष और मुक्ती नाही भाई नाही। नर विरथा जनम गंवाई, सतगुरु सतधामी बिन सारशबद ना पाई।।00।।सतगुरु सतधामी ने सारशबद अखण्ड चित्त मे दिया लखाय, भेदी गुरु साँई अरुण जी ने भेद दिया समझाय। सुरति शबद की संगत से, योग विहंगम चाल दिया सिखाय-नर विरथा जनम--।।01।।काशी गया द्वारका जावे, चार धाम तीरथ फिर आवे। मन की मैल ना जाय--नर विरथा जनम --।।02।।छाप तिलक बहु भांति लगावे, सिर पर जटा विभूति रमावे। हृदय शांति ना समाय-नर विरथा जनम गंवाय।।03।।वेद पुराण पढे बहु भारी, खंडन मंडन उमर गुजारी। विरथा की लोक बढाई-नर विरथा जनम गंवाई।।04।।चार दिनो का जग मे वासा, छोड दे भाई जगत की आशा। सारशबद अखण्ड सतगुरु जी का चित्त मे धरले, -नर भवसागर से उस पार उतरले।।05।।साँई अरुण जी कहे सुनो सतसंग नित्य रोज ही हमारो। भव दुविधा का हो जाय निवारो-सुरति शबद मे समाई लो-नर विरथा जनम--।।06।।पारस और संत मे बडो अंतरो जान, पारस लोहे को सोना करे।संत करले आप समान-नर विरथा जनम गंवाय।।07।।,,साँई अरुण जी कमाल मोबाइल नंबर-9158583999-को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।,,।।
very good information
Bibeka Nandji Sadare Namast
🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🔥
आत्मा घूमती रहती है , ये बात पहली बार पता चली , काफी विचित्र सी बात है 😅😅
ओर हमे पता भी नही चलता।
नमस्ते
आत्मा सीखता है फिर हर जन्म में फिर जीरो से शुरु कयू करना पड़ता है
👌
स्वामी जी आप आपने ही बात से पलट गये आप ने कहा पहले जन्म को नहीं जानसक्ते और कारण बताया उस जन्म मे दिमाख अलग था और इस जन्म मे अलग हे फिर आप पुनर जन्म की ही बात करणे लगे और एक बात बार बार कह रह ते की मै ऋषी की ही बात करता हु ठीक हे ऋषी की बात करो मगर आपनी बी बात करो आपना ही अनुभव सत्य होता हे मै ऋषी के प्रति कोई प्रश्न चिन्ह नहीं लगा रहा हु हमारे पूर्वज सभी महान् उनको कोटी कोटी प्रणाम हे मगर हर एक समय देश काल और परस्थिती अलग होती हे उस के नुसार वक्ता को बोलना चाहिए अगर कुछ गलत लिखदिया तो क्षमा कर ना🙏🚩
सादर नमस्ते जी महाराज
जैसा कि आपने कहा की जड़ गति नहीं हो सकता है जैसे स्कूटर को कोई चलाए तो चलेगा,वरना नहीं तो पृथ्वी जड़ है या चेतन,और अगर जड़ है तो इसे कौन चला रहा है तथा जिस कारण से इसकी दो गतियां है वह क्या चेतन है अगर नहीं तो कैसे चला रहा है।कृपा कर बताने का कष्ट करें।
स्वामी जी कर्म संस्कार बाकी रहेगा जब तक तो मुक्ति है नही आप बोल रहे मुक्ति से लौटने पर पाप पुण्य मिलाकर सामान्य जन्म देता है,🙏
Omprakash Gupta • 25 min ago (edited) : मन क्या है क्योंकि कर्म का विचार तो आत्मा का लक्षण है? और आत्मा तो सूक्ष्मतम, बहुआयामी अर्थात् स्फैरीकल घूर्णित होने से स्पन्दित फ्लक्चुएट होती है। इसे सत्य क्यों नहीं मानें? और मन तो आत्मा की गति है / क्रिया है और आत्मा की गति है / क्रिया यदि सत्य की ओर संतुलित हो तो वह चित्त अवस्था किन्तु अनियंत्रित, भ्रमित अर्थात असंतुलित होने से आत्मा की गति है / क्रिया को मन क्यों नहीं कह सकते?
गुरुजी नमस्ते आज का मानव खासकर पौराणिक कथाओं में मानव शरीर में हाथी का सिर मानव शरीर में बकरे का सिर घोड़े का सिर चूहे पर गणपति की सवारी करना। विष्णु का गरुड़ पर सवारी करना क्या यह सब गप्प नही तो क्या है?
Swami ji Bina parmanu atmakati kaise karti hai
मन क्या है क्योंकि कर्म का विचार तो आत्मा का लक्षण है? और यह सभी वेदों तथा ऋषियों के अनुरूप हैं यदि नहीं तो क्यों?
स्वामीजी! वेद, उपनिषद, वेदांत , ब्राह्यण ग्रंथ आदि में अंतर किस प्रकार समझें?
क्या ब्रम्हा विष्णु शिव है। कैसे बताने का कष्ट करे ।
कुछ समय बाह्य जगत को देखने के साथ साथ अंतर आत्मा का भी ध्यान करना चाहिए, जो
१.नाभि से ११अंगुल ऊपर वकचस्थल के मध्य स्थित है
२. दो अंगुल चौड़ी है
3. अंगुष्ठ मात्र लंबी है
4. सूर्य की तरह लाल रंग है।
5. दिव्य दो नेत्र आत्म के है।
6. आत्म में कोई मुख नही है, कुछ न खा कर, केवल त्रप्त होती है, अत: तरल पदार्थ आत्म को सनतुष्ट करते है।
7. आत्मा का तेज आंख की काली पुतली में देखा जा सकता है।
8. आत्म की मोटाई सुई की नोक के १०० वे हिस्से से भी पतली होती है, तभी तो आत्मा निकलने पर कोई घाव नही होता।
९. आत्मज्ञान नारी को नही होता है।
क्या आपने व्याकरण पढ़ा है
जीव दुःखी होता है या आत्मा
Atmahi permatma hai aisa kahte hai to vo kya hai?
सनातन संचयन वाले भाई स्वामी जी आचार्य है विद्वान है इनको ज्यादा बोलने का मौका देना चाहिए।
वेद तो प्रकृति के बाद लिखा गया तो ईश्वर के बारे में इतना कैसे लिखा बताएं
ये सब मन के गुण है l आत्मा के नही आत्मा निर्गुण है l
मेरी आयु 30 वर्ष है अभी तक पौराणिक, परंतु आर्य निर्माण के दो दिन सत्र से पिचले 2-3 साल से स्वाध्याय कर रहे हैं अब के बाद हम गुरुकुल के प्रदालीप्रदाली से विद्या लेना चाहते हैं कोई रास्ता बताए
दर्शनयोग महाविद्यालय रोजड़ में अध्ययन की उत्तम व्यवस्था है,
वहाँ अवश्य संपर्क करें
Ram or Krishan iswar hai yaa nahi, agar nahi too Gita mai bhgwan ka Virat roop Kay hai
0:32 " सर्व और व्याप्त " ----------> " सर्व ओर व्याप्त " ...... और ---> ओर
1. क्या "समय" अनादि नहीं है ??
Aham brahmasmi kya hai,
वेढो मे आत्मा का बहु वचन कहा हे वेढो मे आत्मा ऐक ही बताई हे
सुना है कि विवेकानंद जव परमहंस जी के पास गये तो यही प्रशन किया कि क्या आपने प्रमातमा को देखा है?तो परमहंस ने जवाव मे कहा था कि हाँ देखा है विलकुल ऐसे जैसे तुम इस समय मुझे ओर में तुझे देख रहा हुँ।तो निराकार को कैसे देखा ओर दिखाया होगा परमहंस ने?अव आप यह तो नही कह सकते कि परमहंस या विवेकानंद ने झूठ वोला।कृपया शंका समधान किजीऐ।
प्रश्न पूछने के बाद प्रश्नकर्ता को लाइव रहने की आवश्यकता नहीं है।
सुझाव के लिए धन्यवाद। आगे से इस बात का ध्यान रखा जाएगा
वैसे मेरा प्रयास यही रहा था कि स्वामी जी का ही solo layout रहे परंतु प्रश्न पूछने के साथ साथ exit solo layout ओपशन दबाना फिर solo layout का ओपशन सिलेक्ट करना थोड़ा कठिन कार्य है ।
जब निराकार है तो अन्य स्थानों पर कैसे जाता है
किस स्थान पर जाता है
किसी चीज को साबित करने के लिए प्रमाण की जरूरत होती है कि यूट्यूब में आकर भाषण देने की ।
वेदों, उपनिषदों और दर्शनों से प्रमाण दिए हैं उन्होंने इस व्याख्यान में।
@@anshumandhingan6277 आप भी गांजा फुकते हो क्या
किताब किसी चीज का सबूत नहीं होता
आप अदालत में जाकर या बोलोगे क्या आत्मा मरती नहीं मैंने तो सिर्फ शरीर मारा है यैसा गीता में लिखा है
उसके बाद कानून आपको छोड़ देंगे क्या
खुद बेवकूफ हो सामने वाले को भी अपने को समझते हो
@@anshumandhingan6277 रामायण महाभारत पहले हुआ कि डायनासोर पहले आए बता दीजिए थोड़ा
@@rajeshmahan5970 डायनासोर रामायण से पहले आए।
@@rajeshmahan5970 ठोकर मारता हूं मैं ऐसी अदालत को जो वेदों को प्रमाण नहीं मानती।
रोटी में कितना नहीं तो क्यों खाते हो बहुत जल्द तुम करती हो भोजन में ऊर्जा रहती है स्वामी जी
Guru ji mukat hone ke bad feer se janam kyo lega guru ji aisa kahte hain
Sir u are saying about Jivatma pl dont contradict with Geeta
Why not about God, why talk of rishis only? Are the rish greater than God? Your lectures are good, but why do you all talk of rishis and books? Why do you all never talk of God? Coz you all can't talk to God despite the spiritual pursuit.
Indian swamis always talk of rishis and books and never about God
They don't even know that Vedas are not given by God, but by the demigod to rishis.
Only the Gita is given by God,not the Vedas. If the Vedas were given by God, God would have again given the Gita.
But Indian swomis are more interested in Vedas than the Gita..
Ask God, vedas are not given by God, but by a demigod
सादर नमस्ते स्वामी जी
Baijayanti sadare namaste swamiji 🙏
स्वामी जी नमस्ते
🙏
Om
🙏🙏🙏