जीवन ज्ञान - श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद (अगस्त २००६, अमरकंटक)

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  • Опубліковано 11 гру 2024

КОМЕНТАРІ • 13

  • @jaikishan9755
    @jaikishan9755 9 місяців тому +1

    चित्त के पहले शब्द। चित्त के बाद अर्थ। क्या बात है बाबा जी 🎉

  • @trader3789
    @trader3789 2 роки тому +1

    bahut jyda deep baat bole hee baba Ji 🙏🙏

  • @sss1637
    @sss1637 Рік тому

    जय हो परम पूज्य गुरुजी महाराज की

  • @laxminarayanpanda218
    @laxminarayanpanda218 2 роки тому

    हरि हर श्रृद्धेय वावा जी।

  • @jerambhaishankar5119
    @jerambhaishankar5119 11 місяців тому

    Very good.❤😮❤..jgd

  • @samirjha155
    @samirjha155 2 роки тому +3

    Ise slow speed Kar ke Kai bar sunne se self-realization ki sambhavna he.

    • @manishahir3145
      @manishahir3145 Рік тому +1

      Bar bar sunna pdega jab tak shabdo k arth clear na ho

  • @manishahir3145
    @manishahir3145 Рік тому +1

    Baba ji bole ki itna sa baat he jisko til ka tad na banaya jaye wo ekdam sahi he agar jigyasa se ek hi vedio ke shabdo k arth ko pakad paye

  • @KKRana-wf8kt
    @KKRana-wf8kt 7 місяців тому

    🙏🏻🕉️🌹🚩

  • @kamleshverma9761
    @kamleshverma9761 Рік тому

    🙏🙏🙏

  • @jaikishan9755
    @jaikishan9755 9 місяців тому +1

    भ्रमित अवस्था में भी न्याय धर्म सत्य की अपेक्षा बनी हुई है। कोई उदाहरण दीजिए तो कृपा होगी आपकी।

    • @Art_Universe01
      @Art_Universe01 Місяць тому

      हम इसे ऐसे समझ सकते हैं कि किसी भी स्थिति में हमें समाधान स्वीकार होता है, मूल्य (वस्तु मूल्य सहित समस्त मूल्य) स्वीकार होते हैं और सत्य या भ्रम में सत्य का चयन स्वीकार ही होता है, इस प्रकार भ्रमित अवस्था में भी मानव न्याय धर्म और सत्य का आकांक्षी होता ही है। उसके पास बस न्याय धर्म और सत्य रूपी वस्तु का ही अभाव रहता है।

  • @balwantsahu3458
    @balwantsahu3458 3 роки тому +1

    🙏