परिवर्तन संसार का नियम है। निश्चित ही यह सोचने वाली बात है, कि कुदरत की सबसे अद्बभुत रचना 'मनुष्य' है। हर बीतते युग के साथ मनुष्य की बुद्धि का विकास हुआ है। क्या दुःख, अशान्ति व चिंता भोगने ही मनुष्य संसार में आता है? महामानव बुद्ध एवं महामानव डॉ. आंबेडकर के जीवन दर्शन से मुझे प्रेरणा मिली है कि "बुद्धिज्म महान सामाजिक दर्शन है, जो कही भी तथा प्रत्येक जगह पर अपनाया जा सकता है"। महामानव डॉ. आंबेडकर के "कई कानून और कई समाधान" मुझे स्वीकार है, सोच मेरी निरंतर सकारात्मक है सत्य, शांति और ईमानदारी मेरी दुनिया है। The Indian Constitution will be adopted and the nation will be liberated. 'भारतीय संविधान' आधुनिक महाशक्ति के साथ - साथ राष्ट्र का जीवन खून है। डॉ. आंबेडकर सृष्टि व सत्य का वो सूर्य है, जिसने 'भारतीय संविधान' में मानवीय जीवन के साथ - साथ जीवजंतु, पेड़ - पौधों को भी जीवन जीने का अधिकार दिया है। 'डॉ. आंबेडकरवाद' प्यार - पढ़ाई से भी अत्यधिक आवश्यक व महत्वपूर्ण "जीवनजीने--जीवनमरण" का प्रकृतिवादी, मानवतावादी, विज्ञानवादी महानतम रिसर्च है, जो दृढ़ संकल्प है। संविधान अपनाएंगे! राष्ट्र की मुक्ति पाएंगे!! आंबेडकरिज्म अपनाएंगे! मानव विज्ञान पाएंगे! बुद्धिज्म अपनाएंगे! मानव मुक्ति पाएंगे!!
जब तक लोग ऐसा धर्म जो अंधविश्वासों से भरा हुआ है का अनुसरण करते रहेंगे तब तक यह दुनिया एक दुसरे से लड़ते झगड़ते रहेंगे ,बुद्ध शांति का मार्ग है पर यह दुनिया एक जानवरों का झुंड है जो अपने विवेक का प्रयोग करने में असर्मथ है
ईश्वर जो इज सृष्टी का रचेता है वह एक super natural power है . जिसने इंसान पशू पक्षी किडे माकोडे बनाये . इनके लिए हवा पाणी अन्न प्रकाश का निर्माण किया . इस दुनिया का कोई भी इंसान यह जान नही पाया और देख नही पाया की ईश्वर कौन है . सभी धर्म बादमे बने है . धर्म इनसानोने बनाये है और आपसमे लढ रहे है . शास्त्र भी यह खोज नही पाया की सृष्टी का निर्माण किसने किया है . धर्म इंसानने अपने स्वार्थ के लिए बनाये है . जहा स्वार्थ आपसमे टकाराता है वहा कूकर्म पैदा होते है . यही जगत की सच्चाई है ..... प्राणीयोमे और पक्षीयोमे धर्म कयू नही है ? सिर्फ इंसान ही धर्मके नाम पर लढते है ..
Rajan Bagwe dear brother aap sahi bolte ho shastra bi ye jaan nhi paaye ki ishwar kya h. Pr ye dharm khud ishwar ne hi bnaya jiska sachha arth insaan samjh nhi paya h. Sbi dharmo ka mul daya or propkar hi hai. Manav is sansar ka sbse uttam jeev h mtlab manva sharir is pure dharti ka raja hai or jiska dharm sirf or sirf karuna daya or propkar hai. Bhagwan ne hi dharm. Bnaya h bhasha or earth ki bhugolik duriyo ke karan ise kahi allah rub or bhagwan bolte h. Or iska mul sirf pyar daya or propkar h.rahi baat janwaro ke dharm ki to unme dharm kaise ho skta h agar sher daya kre to khayega kya sirf ek sher hi nhi har chhota jeev jantu ek dusre ko kha ke hi zinda rahta h.kyoki unka sharir hi aisa bnaya h ki use hinsk bnana padega. Daya hi to dharm ka mul h to wo fir kaise kisi dharm ko apnaye. Bahut se log dharm ke sahi arhto ko samjhte nhi or apne lalch se kuritiyo ko janm dete hai jinka virodh jaruri h pr dharm ke mul bhav ko samjhe bina kahna ki dharm insaan ne bnaya h e galat h
@@anukapoor258 धर्म का मतलब दया करुणा और परोपकार यह मै जानता हू . लेकीन इस्लाम धर्म के नाम पर धोका है . जो लोग अल्ला को नही मानते है वो काफीर है और ऊनका कत्ल वाजीब है ऐसा ऊनका कुरान कहता है . पाकिस्तान मे शिया मुसलमान का कत्ल भी जायज है .
Rajan Bagwe mai aapki baat se sahmat hu. mai is baat se inkar nhi kr skti ki dharam ke naam se insaan ne hi kai kuritiyo or apne paap ko chhipane ke liye dharam ki aad li hai. Kai saari baate or uch neech ka bhedbhav ye sb bi hindu dharm me aapko mil jayega. Ishwar kabi ye sb nhi sikhata ki kisi ka katl kro ya fir uch neech kro ye insaan ki hi gandi mansikta hai jiska virodh insaan ko jarur kra na chahiye. Baaki dharm ka mul tatv daya or propkar hi hai ye hi insaan ka dharm h jise bhagwan ne hi bnaya h or jise sbko sweekar krna chahiye. Jis bi dharm hinsa ki baat h wo hi paap h or insaano ke haatho rachi kalpnik baate h jiska virodh aavshak hai.
कबीर जी कहते हैं अक्षर पुरुष एक पेड़ है निरंजन वाकी डार। त्रीदेवा साखा हुए पात रुप संसार। शब्द शब्द सब कोई कहे वह तो शब्द भी देह जिह्वा पर आवे नहीं निरख परख कर लेह वेद हमारा भेद हैं मैं वेदों के माही जौने मैं मिलूं वह वेदों जानत नाही
@@ARJ107 good question .inhone likh to diya kabeer ji ka doha lekin iska arth shayad khud bhi nahi jaantey ya bataaney se dartey hain .let me help you .🙏
ईश्वर है या नही है.इसका जीवन अनुपालन या दैनिक जीवन से क्या वास्ता.जो बुद्ध का मार्ग जानेगा वो और भी कुछ है उस पर भी अमल करेगा ये प्रश्न कोई आज का तो है नही बुद्ध भी परेशान थे लोग उनसे येही पूछते थे.क्योंकि बुद्ध मार्ग बताने वाले बुद्ध पुरुष थे तभी उन्होने अनेकान्त बुद्ध की बात कही थी.बुद्ध ने कारुनिक ढंग से कहा है ना कि आलोचक ढंग से.
ईश्वर वही हे जो अपनेको जानते हो जिसने अपने को जानलिया है वहा पूरी ब्रह्मांड को जानते है जिन्हें एक का ज्ञान हो गया है उन्हें दो का भी ज्ञान हो गया है इसी तरह पूरा बिश्स्व का ज्ञान होता है 🙏🙏🙏❤️❤️❤️👍
भगवान बुद्घ ने मोक्ष का और शांति जा एक अलग मार्ग खोजा है और उनकी सभी बातें उनके ज्ञान पर आधारित हैं लेकिन जो उनके भी ज्ञान से परे है उन बातों का उत्तर उन्हें उस समय भी नहीं मिल सका अर्थात उनके लोक कल्याण के प्रश्नों के उत्तर तो मिल गए लेकिन अभी भी उनके बहुत प्रश्न थे जिनके उत्तर उन्हें भी नहीं मिल सके । सृष्टि और सृष्टिकर्ता के बारे में। क्योंकि एक प्रश्न मेरे दिमाग मे आया है जिसका उत्तर शायद ही भगवान बुद्ध के पास होता यदि वो होते कि उनके जन्म के समय ही और जन्म से पहले ही ऋषियों को कैसे पता था कि एक युग पुरुष जन्म लेने वाला है जो अपने ज्ञान से लोगो के दुःखों को दूर करेगा और अस्ति ऋषि ने महाराजा शुद्धोधन के सामने सिद्धार्थ के लिए भविष्यवाणी कैसे कर दी कि वो महान सन्यासी बनेगा। अगर भगवान नहीं होते तो उनको कैसे ज्ञान हो जाता भविष्य जे बारे में। मैं भगवान बुद्ध के मार्ग में ही चल रहा हूं और उनके ज्ञान का अनुयायी हूँ।
मूर्ति वाला ईश्वर मूर्ख है जो इसको पूजा पाठ विनती आदि करें वो महामूर्ख है सिर्फ महापुरुषों के विचारो को अपनाओ विचार ही ईश्वर है अर्थात ज्ञान ही ईश्वर और परमात्मा है जो आपको महापुरुष बना देता है
महात्मा बुद्ध को उनके अनुयायी ईश्वर में विश्वास न रखने वाला नास्तिक मानते हैं। इस सम्बन्ध में आर्यजगत के एक महान विद्वान पं. धर्मदेव विद्यामार्तण्ड अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “बौद्धमत एवं वैदिक धर्म” में लिखते हैं कि आजकल जो लोग अपने को बौद्धमत का अनुयायी कहते हैं उनमें बहुसंख्या ऐसे लोगों की है जो ईश्वर और आत्मा की सत्ता से इन्कार करते हैं तथा वेदों की निन्दा करते हैं। माननीय डा. भीमराव अम्बेदकर भी जिस बौद्धमत के प्रचार के लिए प्रयत्नशील थे उसमें भी बौद्धमत का ऐसा ही नास्तिक स्वरूप माना जाता है, किन्तु बौद्ध ग्रन्थों के निष्पक्ष अनुशीलन करने पर वह (पं. धमदेव विद्यामार्तण्ड) इस परिणाम पर पहुंचें हैं कि महात्मा बुद्ध ईश्वर की सत्ता से सर्वथा इनकार करनेवाले और वेदों की निन्दा करने वाले न थे, प्रत्युत आस्तिक थे। एक बड़ी कठिनाई महात्मा बुद्ध के यथार्थ विचार जानने में यह है कि उन्होंने स्वयं कोई ग्रन्थ नहीं लिखा अब दीघनिकाय, मज्झिनिकाय, विनयम पिटक आदि जो भी ग्रन्थ महात्मा बुद्ध के नाम से पाये जाते हैं उनका संकलन उनके निर्वाण की कई शताब्दियों के पश्चात् किया गया जिनमें से बहुत-सी उक्तियां किंवदन्ती के ही रूप में हैं। नास्तिक कौन होता है? इस प्रश्न को उठाकर उसका समाधान करते हुए आर्यविद्वान पं. धर्मदेव जी कहते हैं कि अष्टाध्यायी के ‘अस्ति नास्ति दिष्टं मतिं’ इस सुप्रसिद्ध सूत्र के अनुसार जो परलोक और पुनर्जन्म आदि के अस्तित्व को स्वीकार करता है वह आस्तिक है और जो इन्हें नहीं मानता वह नास्तिक कहाता है। महात्मा बुद्ध परलोक और पुनर्जन्म को मानते थे इससे कोई इन्कार नहीं कर सकता। इसलिये उन्हें सिद्ध करने के लिए अनेक प्रमाण देना अनावश्यक है। प्रथम प्रमाण के रूप में धम्मपद के जरावग्गो श्लोक (संख्या 153) ‘अनेक जाति संसारं, सन्धाविस्सं अनिन्विस। गृहकारकं गवेस्संतो दुक्खा जाति पुनप्पुनं।।’ में महात्मा बुद्ध ने कहा है कि अनेक जन्मों तक मैं संसार में लगातार भटकता रहा। गृह निर्माण करनेवाले की खोज में। बार-बार जन्म दुःखमय हुआ। श्लोक का यह अर्थ महाबोधि सभा, सारनाथ-बनारस द्वारा प्रकाशित श्री अवध किशोर नारायण द्वारा अनुदित धम्मपद के अनुसार है। दूसरा प्रमाण ब्रह्मजाल सुत्त का है जहां महात्मा बुद्ध ने अपने 2 या 4 नहीं अपित लाखों जन्मों के चित्तसमाधि आदि के द्वारा स्मरण का वर्णन किया है। वहां उन्होंने कहा है-भिक्षुओं ! कोई भिक्षु संयम, वीर्य, अध्यवसाय, अप्रमाद और स्थिर चित्त से उस प्रकार की चित्त समाधि को प्राप्त करता है जिस समाधि को प्राप्त चित्त में अनेक प्रकार के जैसे कि एक सौ, हजार, लाख, अनेक लाख पूर्वजन्मों की स्मृति हो जाती है-“मै। इस नाम का, इस गोत्र का, इस रंग का, इस आहार का, इस प्रकार के सुखों और दुःखों का अनुभव करनेवाला और इतनी आयु तक जीनेवाला था। सो मैं वहां मरकर वहां उत्पन्न हुआ। वहां भी मैं इस नाम का था। सो मैं वहां मरकर यहां उत्पन्न हुआ।“ इत्यादि। अगला तीसरा प्रमाण धम्मपद के उपर्युक्त वर्णित श्लोक का अगला श्लोक है जिसमें गृहकारक के रूप में आत्मा का निर्देश किया गया है। श्लोक है- ’गह कारक दिट्ठोऽसि पुन गेहं न काहसि। सब्वा ते फासुका भग्गा गहकूटं विसंखितं। विसंखारगतं चित्तं तण्हर्निं खयमज्झागा।।‘ इस श्लोक के अनुवाद में इसका अर्थ दिया गया है कि हे गृह के निर्माण करनेवाले! मैंने तुम्हें देख लिया है, तुम फिर घर नहीं बना सकते। तुम्हारी कडि़यां सब टूट गईं, गृह का शिखर गिर गया। चित्त संस्कार रहित हो गया, तृष्णाओं का क्षय हो गया। इस पर टिप्पणी करते हुए पं. धर्मदेव जी कहते हैं कि यह मुक्ति अथवा निर्वाण के योग्य अवस्था का वर्णन है। जब तक ऐसी अवस्था नहीं हो जाती तब तक जन्म-मरण का चक्र चलता रहता है। इस प्रकार यह सर्वथा स्पष्ट है कि महात्मा बुद्ध परलोक, पुनर्जन्म आदि में विश्वास करने के कारण आस्तिक थे।
इस वीडियो से प्रमाणित होता है कि बुद्ध मनके तल के पार नही जा पाए। न तो बुद्ध को व न ही उन्हें जीवन पर्यंत मिलने वाले किसी भी ईश्वर के बारे तर्क करने वाले को ईश्वर के विषय मे तनिक भी ज्ञान था और न ही आजके युग मे किसी को है और न कभी हो सकता। जब तक किसी का बुद्धि का द्वार नही खुल जाए तब तक ईश्वर संबंधी किसी भी ज्ञान के लिए कोई भी जीव पात्र तक नही हो सकता। अतः तथागत के ईश्वर के संबंध में दिए गए सभी तर्क अर्थहीन व निर्मूल सिद्ध हो जाते है क्योंकि इन सभी का तल मन के तल तक ही सीमित है। जब जीव मन के तल के पार चला जाता है तब उसकी समझ मे आता है कि ईश्वर तर्क का विषय ही नही है। इस जगत में सभी जीवों की रचना प्रकृति और ब्रह्म के संयोग से हुई है किंतु परमात्मा की अत्यंत सूक्ष्म जीवन दायिनी शक्ति जिससे यह पूरी प्रकृति जीवंत है फिर भी परमात्मा इससे पूर्णतया असंग है। यह सब मनकी कल्पना से भी परे का ज्ञान है जिसे जीव मन बुद्धि चित व अहंकार से भी परे जब जीव पूर्व जन्मों के सभी संचित संस्कारों से मुक्त होकर निज आत्म स्वरूप में प्रतिष्ठित हो जाता है तभी यह ज्ञान उसके अनुभव में आता है फिर भी वह मनके तल पर उसकी अभिव्यक्ति की सामर्थ्य नही जुटा पाता। ईश्वर के संबंध में अभिव्यक्ति का कोई भी यंत्र इस मानव देह में मौजूद ही नही है। अतः यह विषय सदा से अनिवर्चनीय रहा है फिर भी कुछ स्वार्थी लोगों ने केवल अपने सम्प्रदाय का झंडा ऊंचा करने के उद्देश्य से इसको विवाद के विषय बनाकर अपना स्वार्थ सिद्ध किया। धन्यवाद
When not even asmllest insituation in this world can be run without having its head or other supervisory authority then how this big world could be run without any supper power, that supper power is called God who is though formless but can be seen by HIS true meditation. I Wonder why our lord Budha could not feel His presence during his meditation. He is omanipresent and I always feel His prensence in every creature of this world.
बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी। नमो बुद्घ स। जय भीम जय संविधान
फेक रही हैं,
जिन भाई ने उस नमो तस् भगवतो अरहतो सम्यकसमबुद्ध के बारे में और उनके धम़ के बारे में गंभीरता से जानकारी दी। उसके लिए बहुत बहुत मंगल।
जय भीम जय भारत जय संविधान नमो बुद्धाय बहुत सुन्दर
Bahut hi sahi aur sundar tark. Namo Buddhay 🙏🏼🙏🏼🙏🏼
परिवर्तन संसार का नियम है।
निश्चित ही यह सोचने वाली बात है, कि कुदरत की सबसे अद्बभुत रचना 'मनुष्य' है।
हर बीतते युग के साथ मनुष्य की बुद्धि का विकास हुआ है।
क्या दुःख, अशान्ति व चिंता भोगने ही मनुष्य संसार में आता है?
महामानव बुद्ध एवं महामानव डॉ. आंबेडकर के जीवन दर्शन से मुझे प्रेरणा मिली है कि "बुद्धिज्म महान सामाजिक दर्शन है, जो कही भी तथा प्रत्येक जगह पर अपनाया जा सकता है"।
महामानव डॉ. आंबेडकर के "कई कानून और कई समाधान" मुझे स्वीकार है, सोच मेरी निरंतर सकारात्मक है सत्य, शांति और ईमानदारी मेरी दुनिया है।
The Indian Constitution will be adopted and the nation will be liberated.
'भारतीय संविधान' आधुनिक महाशक्ति के साथ - साथ राष्ट्र का जीवन खून है।
डॉ. आंबेडकर सृष्टि व सत्य का वो सूर्य है, जिसने 'भारतीय संविधान' में मानवीय जीवन के साथ - साथ जीवजंतु, पेड़ - पौधों को भी जीवन जीने का अधिकार दिया है।
'डॉ. आंबेडकरवाद' प्यार - पढ़ाई से भी अत्यधिक आवश्यक व महत्वपूर्ण "जीवनजीने--जीवनमरण" का प्रकृतिवादी, मानवतावादी, विज्ञानवादी महानतम रिसर्च है, जो दृढ़ संकल्प है।
संविधान अपनाएंगे! राष्ट्र की मुक्ति पाएंगे!!
आंबेडकरिज्म अपनाएंगे! मानव विज्ञान पाएंगे!
बुद्धिज्म अपनाएंगे! मानव मुक्ति पाएंगे!!
वाह क्या बात है। बहुत खूब। बहुत ही अच्छा विश्लेषण। आपको साधुवाद
🙏🙏👏👏👏👏khup chan sir
We are very grateful towards BABASAHEB AMBEDKAR who gives us Bouddha Dhamma.
बहुत अच्छा है बार बार सुनने का मन करता है
नमो बुद्धाय World top great बुद्ध ।आप 100%सत्य बोले मैडम ।।odisha।।
Namo budhay 🙏🏻 🙏🏻
Budhdham Sharanam Gachchami Vandanam you posted motisinh parmar
Budham Saranam Gachami 🙏🏿🌹🙏🏿 Sangam Saranam Gachami 🙏🏿🌹🙏🏿 Dhamam Saranam Gachami 🙏🏿🌹🙏🏿🌹🙏🏿🌹🙏🏿🌹🙏🏿🌹🙏🏿🌹🙏🏿🌹🙏🏿
वाह वाह बहुत सरलता से समजाया धन्यवाद ।। जय भीम
अति सुंदर संवाद।
बहुत बहुत धन्यवाद।
नमो बुद्धाय जी मैडम जी आपबड़े भाग्य शाली हो जो भगवान धम्म सुना रहे हो। नमो तथागत
Sadu sadu bahut acha kam hai......!
Namo Buddhay🙏🙏🙏👍❤️👈
Bhut khub adhbut aapko aur apki puri team ko sadhuwad
Very nice video
Great video... Thank you... All the Best... 🙏
वेद पढ़े पर भेद न जाने , बांचे पुराण अट्ठारह ।
पत्थर की तो पूजा करते । भूले सिरजन हारा ।।
और ज्ञान सब ज्ञानड़ी कबीर ज्ञान सो ज्ञान।
जैसे गोला तोप का,
करता चले मैदान।।
पढ़ें शुक्ष्म वेद।
कबीर सागर।
बुध्दं सरणं गच्छामि।
धम्मं सरणं गच्छामि।
संघं सरणं गच्छामि।
द्वितियम्पि बुध्दं सरणं गच्छामि।
द्वितियम्पि धम्मं सरणं गच्छामि।
द्वितियम्पि संघं सरणं गच्छामि।
ततियम्पि बुध्दं सरणं गच्छामि।
ततियम्पि धम्मं सरणं गच्छामि।
ततियम्पि संघं सरणं गच्छामि।
Sadhu Sadhu Sadhu... 🙏☸🙏
Sadho sadho
Hari bol
SABKO ACHCHHE AATMIK GYAAN MILE UPARVAALE JIVIT ISVAR PRABHU YESHUPITAA SATGURUDEV
जय श्री श्रीकृष्ण परब्रह्म परमेश्वर भगवान की जय हो
Bahut accha jankari
बहुत सुन्दर आपका भला हो
Hare krishna🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰
धन्यवाद महोदया जी I आप ने अच्छी तरह ब्रह्मा (>ईश्वर) के बारे समझा दिया है I नमो बुद्धाय I
जब तक लोग ऐसा धर्म जो अंधविश्वासों से भरा हुआ है का अनुसरण करते रहेंगे तब तक यह दुनिया एक दुसरे से लड़ते झगड़ते रहेंगे ,बुद्ध शांति का मार्ग है पर यह दुनिया एक जानवरों का झुंड है जो अपने विवेक का प्रयोग करने में असर्मथ है
Andhwiswas me lagbhag sabhi ,manwata ko manane ko tayar nahi hai,bharat ka bhawisay khatre me hai
👏👏👏🙏🙏🙏
Namo buddhay
Namo buddhaya, sadhuvad.
Namo Buddhay 🙇🌺🙏🌺
Namo Buddhay
Bahut sahi updesh hai
Namo budhay
Bilkul sahi baat iswar jese kuch nehi he
Namo buddhay jai bhim 🙏🏻
Namo buddhay........
ईश्वर जो इज सृष्टी का रचेता है वह एक super natural power है . जिसने इंसान पशू पक्षी किडे माकोडे बनाये . इनके लिए हवा पाणी अन्न प्रकाश का निर्माण किया . इस दुनिया का कोई भी इंसान यह जान नही पाया और देख नही पाया की ईश्वर कौन है . सभी धर्म बादमे बने है . धर्म इनसानोने बनाये है और आपसमे लढ रहे है . शास्त्र भी यह खोज नही पाया की सृष्टी का निर्माण किसने किया है . धर्म इंसानने अपने स्वार्थ के लिए बनाये है . जहा स्वार्थ आपसमे टकाराता है वहा कूकर्म पैदा होते है . यही जगत की सच्चाई है ..... प्राणीयोमे और पक्षीयोमे धर्म कयू नही है ? सिर्फ इंसान ही धर्मके नाम पर लढते है ..
Rajan Bagwe dear brother aap sahi bolte ho shastra bi ye jaan nhi paaye ki ishwar kya h. Pr ye dharm khud ishwar ne hi bnaya jiska sachha arth insaan samjh nhi paya h. Sbi dharmo ka mul daya or propkar hi hai. Manav is sansar ka sbse uttam jeev h mtlab manva sharir is pure dharti ka raja hai or jiska dharm sirf or sirf karuna daya or propkar hai. Bhagwan ne hi dharm. Bnaya h bhasha or earth ki bhugolik duriyo ke karan ise kahi allah rub or bhagwan bolte h. Or iska mul sirf pyar daya or propkar h.rahi baat janwaro ke dharm ki to unme dharm kaise ho skta h agar sher daya kre to khayega kya sirf ek sher hi nhi har chhota jeev jantu ek dusre ko kha ke hi zinda rahta h.kyoki unka sharir hi aisa bnaya h ki use hinsk bnana padega. Daya hi to dharm ka mul h to wo fir kaise kisi dharm ko apnaye. Bahut se log dharm ke sahi arhto ko samjhte nhi or apne lalch se kuritiyo ko janm dete hai jinka virodh jaruri h pr dharm ke mul bhav ko samjhe bina kahna ki dharm insaan ne bnaya h e galat h
@@anukapoor258 धर्म का मतलब दया करुणा और परोपकार यह मै
जानता हू . लेकीन इस्लाम धर्म के नाम पर धोका है . जो लोग अल्ला को नही मानते है वो काफीर है और ऊनका कत्ल वाजीब है ऐसा ऊनका कुरान कहता है . पाकिस्तान मे शिया मुसलमान का कत्ल भी जायज है .
Rajan Bagwe mai aapki baat se sahmat hu. mai is baat se inkar nhi kr skti ki dharam ke naam se insaan ne hi kai kuritiyo or apne paap ko chhipane ke liye dharam ki aad li hai. Kai saari baate or uch neech ka bhedbhav ye sb bi hindu dharm me aapko mil jayega. Ishwar kabi ye sb nhi sikhata ki kisi ka katl kro ya fir uch neech kro ye insaan ki hi gandi mansikta hai jiska virodh insaan ko jarur kra na chahiye. Baaki dharm ka mul tatv daya or propkar hi hai ye hi insaan ka dharm h jise bhagwan ne hi bnaya h or jise sbko sweekar krna chahiye. Jis bi dharm hinsa ki baat h wo hi paap h or insaano ke haatho rachi kalpnik baate h jiska virodh aavshak hai.
आपकी वीडियो बहुत ही अच्छी थी लेकिन आपने जो भी कमेंट किए हैं उसको थोड़ी सरल भाषा में बोलिए जिससे छोटे से छोटे बच्चों को भी समझ में आ जाए
Bahut sunder
Right video your sister and speech thanks so much Jai bhim namo budhay
कबीर जी कहते हैं
अक्षर पुरुष एक पेड़ है निरंजन वाकी डार। त्रीदेवा साखा हुए पात रुप संसार।
शब्द शब्द सब कोई कहे वह तो शब्द भी देह जिह्वा पर आवे नहीं निरख परख कर लेह
वेद हमारा भेद हैं मैं वेदों के माही जौने मैं मिलूं वह वेदों जानत नाही
Good
@@ARJ107 good question .inhone likh to diya kabeer ji ka doha lekin iska arth shayad khud bhi nahi jaantey ya bataaney se dartey hain .let me help you .🙏
ईश्वर है या नही है.इसका जीवन अनुपालन या दैनिक जीवन से क्या वास्ता.जो बुद्ध का मार्ग जानेगा वो और भी कुछ है उस पर भी अमल करेगा ये प्रश्न कोई आज का तो है नही बुद्ध भी परेशान थे लोग उनसे येही पूछते थे.क्योंकि बुद्ध मार्ग बताने वाले बुद्ध पुरुष थे तभी उन्होने अनेकान्त बुद्ध की बात कही थी.बुद्ध ने कारुनिक ढंग से कहा है ना कि आलोचक ढंग से.
बहुत सटिक जानकारी जय भिम
जय जगदँबा
यदि भगवान ने दुनिया बनाई तो भगवान को किसने बनाया।
Ye duniya urja sey hai
ईश्वर वही हे जो अपनेको जानते हो जिसने अपने को जानलिया है वहा पूरी ब्रह्मांड को जानते है जिन्हें एक का ज्ञान हो गया है उन्हें दो का भी ज्ञान हो गया है इसी तरह पूरा बिश्स्व का ज्ञान होता है 🙏🙏🙏❤️❤️❤️👍
बहुत अच्छा प्रवचन नमो बुद्धाय
NAMO BUDDHAY
Very nice sister
Jai bheem namobudhay Jai samvidhan Jai mulnibasi
Nice
Good
ÀllahuAkber
Ameen
.Right Jay Bhim namo buddhay
N c🙏🙏🙏
Jay Bheem namo buddhay
JIVIT PRABHU ISU SABKAA BHALAA KARE
100% truth...
भगवान बुद्घ ने मोक्ष का और शांति जा एक अलग मार्ग खोजा है और उनकी सभी बातें उनके ज्ञान पर आधारित हैं लेकिन जो उनके भी ज्ञान से परे है उन बातों का उत्तर उन्हें उस समय भी नहीं मिल सका अर्थात उनके लोक कल्याण के प्रश्नों के उत्तर तो मिल गए लेकिन अभी भी उनके बहुत प्रश्न थे जिनके उत्तर उन्हें भी नहीं मिल सके । सृष्टि और सृष्टिकर्ता के बारे में। क्योंकि एक प्रश्न मेरे दिमाग मे आया है जिसका उत्तर शायद ही भगवान बुद्ध के पास होता यदि वो होते कि उनके जन्म के समय ही और जन्म से पहले ही ऋषियों को कैसे पता था कि एक युग पुरुष जन्म लेने वाला है जो अपने ज्ञान से लोगो के दुःखों को दूर करेगा और अस्ति ऋषि ने महाराजा शुद्धोधन के सामने सिद्धार्थ के लिए भविष्यवाणी कैसे कर दी कि वो महान सन्यासी बनेगा। अगर भगवान नहीं होते तो उनको कैसे ज्ञान हो जाता भविष्य जे बारे में। मैं भगवान बुद्ध के मार्ग में ही चल रहा हूं और उनके ज्ञान का अनुयायी हूँ।
Ok
RIGHT..
मूर्ति वाला ईश्वर मूर्ख है जो इसको पूजा पाठ विनती आदि करें वो महामूर्ख है सिर्फ महापुरुषों के विचारो को अपनाओ विचार ही ईश्वर है अर्थात ज्ञान ही ईश्वर और परमात्मा है जो आपको महापुरुष बना देता है
बिना कर्ता के बारी बनते हुई देखा. दूध मे खीर जरूर होते हेई, पर खीर तुम्हें निकल ना हे. घर जानेका पथ बहत हेई.
Right sir
Bakwas hain
Name bhuday 🙏🙏
Namo buddhay Jai bhim Jai bigyan
नमो बुध्दाय
Maha Maitriya Mangalam.
साधु🌷 साधु🌷साधु🌷
हर चीज कारणो से बनी है. हर एक कारण एक दुसरे से संबंधित है.
Ok
इस दुनिया मे कोई ईश्वर नहि हे बस मानव आणि त्यांचे कुशल कर्म सब कुच हे नमो बुध्दाय जयभिम जय संविधान
महात्मा बुद्ध को उनके अनुयायी ईश्वर में विश्वास न रखने वाला नास्तिक मानते हैं। इस सम्बन्ध में आर्यजगत के एक महान विद्वान पं. धर्मदेव विद्यामार्तण्ड अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “बौद्धमत एवं वैदिक धर्म” में लिखते हैं कि आजकल जो लोग अपने को बौद्धमत का अनुयायी कहते हैं उनमें बहुसंख्या ऐसे लोगों की है जो ईश्वर और आत्मा की सत्ता से इन्कार करते हैं तथा वेदों की निन्दा करते हैं। माननीय डा. भीमराव अम्बेदकर भी जिस बौद्धमत के प्रचार के लिए प्रयत्नशील थे उसमें भी बौद्धमत का ऐसा ही नास्तिक स्वरूप माना जाता है, किन्तु बौद्ध ग्रन्थों के निष्पक्ष अनुशीलन करने पर वह (पं. धमदेव विद्यामार्तण्ड) इस परिणाम पर पहुंचें हैं कि महात्मा बुद्ध ईश्वर की सत्ता से सर्वथा इनकार करनेवाले और वेदों की निन्दा करने वाले न थे, प्रत्युत आस्तिक थे। एक बड़ी कठिनाई महात्मा बुद्ध के यथार्थ विचार जानने में यह है कि उन्होंने स्वयं कोई ग्रन्थ नहीं लिखा अब दीघनिकाय, मज्झिनिकाय, विनयम पिटक आदि जो भी ग्रन्थ महात्मा बुद्ध के नाम से पाये जाते हैं उनका संकलन उनके निर्वाण की कई शताब्दियों के पश्चात् किया गया जिनमें से बहुत-सी उक्तियां किंवदन्ती के ही रूप में हैं।
नास्तिक कौन होता है? इस प्रश्न को उठाकर उसका समाधान करते हुए आर्यविद्वान पं. धर्मदेव जी कहते हैं कि अष्टाध्यायी के ‘अस्ति नास्ति दिष्टं मतिं’ इस सुप्रसिद्ध सूत्र के अनुसार जो परलोक और पुनर्जन्म आदि के अस्तित्व को स्वीकार करता है वह आस्तिक है और जो इन्हें नहीं मानता वह नास्तिक कहाता है। महात्मा बुद्ध परलोक और पुनर्जन्म को मानते थे इससे कोई इन्कार नहीं कर सकता। इसलिये उन्हें सिद्ध करने के लिए अनेक प्रमाण देना अनावश्यक है। प्रथम प्रमाण के रूप में धम्मपद के जरावग्गो श्लोक (संख्या 153) ‘अनेक जाति संसारं, सन्धाविस्सं अनिन्विस। गृहकारकं गवेस्संतो दुक्खा जाति पुनप्पुनं।।’ में महात्मा बुद्ध ने कहा है कि अनेक जन्मों तक मैं संसार में लगातार भटकता रहा। गृह निर्माण करनेवाले की खोज में। बार-बार जन्म दुःखमय हुआ। श्लोक का यह अर्थ महाबोधि सभा, सारनाथ-बनारस द्वारा प्रकाशित श्री अवध किशोर नारायण द्वारा अनुदित धम्मपद के अनुसार है। दूसरा प्रमाण ब्रह्मजाल सुत्त का है जहां महात्मा बुद्ध ने अपने 2 या 4 नहीं अपित लाखों जन्मों के चित्तसमाधि आदि के द्वारा स्मरण का वर्णन किया है। वहां उन्होंने कहा है-भिक्षुओं ! कोई भिक्षु संयम, वीर्य, अध्यवसाय, अप्रमाद और स्थिर चित्त से उस प्रकार की चित्त समाधि को प्राप्त करता है जिस समाधि को प्राप्त चित्त में अनेक प्रकार के जैसे कि एक सौ, हजार, लाख, अनेक लाख पूर्वजन्मों की स्मृति हो जाती है-“मै। इस नाम का, इस गोत्र का, इस रंग का, इस आहार का, इस प्रकार के सुखों और दुःखों का अनुभव करनेवाला और इतनी आयु तक जीनेवाला था। सो मैं वहां मरकर वहां उत्पन्न हुआ। वहां भी मैं इस नाम का था। सो मैं वहां मरकर यहां उत्पन्न हुआ।“ इत्यादि। अगला तीसरा प्रमाण धम्मपद के उपर्युक्त वर्णित श्लोक का अगला श्लोक है जिसमें गृहकारक के रूप में आत्मा का निर्देश किया गया है। श्लोक है- ’गह कारक दिट्ठोऽसि पुन गेहं न काहसि। सब्वा ते फासुका भग्गा गहकूटं विसंखितं। विसंखारगतं चित्तं तण्हर्निं खयमज्झागा।।‘ इस श्लोक के अनुवाद में इसका अर्थ दिया गया है कि हे गृह के निर्माण करनेवाले! मैंने तुम्हें देख लिया है, तुम फिर घर नहीं बना सकते। तुम्हारी कडि़यां सब टूट गईं, गृह का शिखर गिर गया। चित्त संस्कार रहित हो गया, तृष्णाओं का क्षय हो गया। इस पर टिप्पणी करते हुए पं. धर्मदेव जी कहते हैं कि यह मुक्ति अथवा निर्वाण के योग्य अवस्था का वर्णन है। जब तक ऐसी अवस्था नहीं हो जाती तब तक जन्म-मरण का चक्र चलता रहता है। इस प्रकार यह सर्वथा स्पष्ट है कि महात्मा बुद्ध परलोक, पुनर्जन्म आदि में विश्वास करने के कारण आस्तिक थे।
Shristy ne Apne aap ko banaya..... Nature is god
Nice advice
Omshanti omshanti omshanti VANDEMATRAM 💞 new world is Comeing 🎈
JIVIT ISVAR MRUTYU JAY PRABHU YESHU GURUDEV he sachchaaudhaarkartaa
Sach hai jo Aatm gyan ke bad bhi janne ke liye sesh rah jaye wahi parmatma hai.
Budham saranam gakshami dhamam saranam gakshami sangham saranam gakshami namo budhay jai baba saheb bhim ji
Jay bheem nabo bouddhay
I swear satya men vash karta hai
Anubhav hi Satya jyan hai
Namo buddhay jay bhim
I agree
Yes Right Buddha is my God so ✝️ God bless you son sorry dear ✝️ jai Bhim Namo Buddhay 🔥
Truth
Anil kumar Jay Bheem
Jay bheem Namo buddhay Jay constitution.
Sadhu sadhu sadhu
इस वीडियो से प्रमाणित होता है कि बुद्ध मनके तल के पार नही जा पाए। न तो बुद्ध को व न ही उन्हें जीवन पर्यंत मिलने वाले किसी भी ईश्वर के बारे तर्क करने वाले को ईश्वर के विषय मे तनिक भी ज्ञान था और न ही आजके युग मे किसी को है और न कभी हो सकता। जब तक किसी का बुद्धि का द्वार नही खुल जाए तब तक ईश्वर संबंधी किसी भी ज्ञान के लिए कोई भी जीव पात्र तक नही हो सकता। अतः तथागत के ईश्वर के संबंध में दिए गए सभी तर्क अर्थहीन व निर्मूल सिद्ध हो जाते है क्योंकि इन सभी का तल मन के तल तक ही सीमित है। जब जीव मन के तल के पार चला जाता है तब उसकी समझ मे आता है कि ईश्वर तर्क का विषय ही नही है। इस जगत में सभी जीवों की रचना प्रकृति और ब्रह्म के संयोग से हुई है किंतु परमात्मा की अत्यंत सूक्ष्म जीवन दायिनी शक्ति जिससे यह पूरी प्रकृति जीवंत है फिर भी परमात्मा इससे पूर्णतया असंग है। यह सब मनकी कल्पना से भी परे का ज्ञान है जिसे जीव मन बुद्धि चित व अहंकार से भी परे जब जीव पूर्व जन्मों के सभी संचित संस्कारों से मुक्त होकर निज आत्म स्वरूप में प्रतिष्ठित हो जाता है तभी यह ज्ञान उसके अनुभव में आता है फिर भी वह मनके तल पर उसकी अभिव्यक्ति की सामर्थ्य नही जुटा पाता। ईश्वर के संबंध में अभिव्यक्ति का कोई भी यंत्र इस मानव देह में मौजूद ही नही है। अतः यह विषय सदा से अनिवर्चनीय रहा है फिर भी कुछ स्वार्थी लोगों ने केवल अपने सम्प्रदाय का झंडा ऊंचा करने के उद्देश्य से इसको विवाद के विषय बनाकर अपना स्वार्थ सिद्ध किया। धन्यवाद
Jai Shri Ram.
Ishwar ki kalpana buri nahi hai jaise kapde pahnana kharab nahi hai rah to hum log dono ke bina par inse hamari samaj susobhit hoti hai
बहुत बहुत साधुवाद।।।
अच्छे प्रवचन
When not even asmllest insituation in this world can be run without having its head or other supervisory authority then how this big world could be run without any supper power, that supper power is called God who is though formless but can be seen by HIS true meditation. I Wonder why our lord Budha could not feel His presence during his meditation. He is omanipresent and I always feel His prensence in every creature of this world.
God does not exist
🌹नमो: बुद्धाय 🌹
Very nice
Jai Bhim
Namo buddy Jai bheem
Buddha is my God so ✝️ God bless you son sorry dear ✝️ jai Bhim Namo Buddhay 🔥
Jaybhim namo budhay
Jai Buddha
जय भीम, नमो बुद्धाय।
Jai bhim