Ravi Ji main aapke bahat sare videos sunti hun, bahat accha lagta hain, par kabhi comment nahi karti. aj man huya kuch baat batane ki. Jitna humne samjha hain, Agna Chakra jagrit hone par jhut ka parda uthta hain aur sach saamne ana shuru hota hain to bahat jor ka jhatka lagta hain. kiu ki hamara duniya jhut par adharit hota hai. isse pahle hume bahat krodh aur ghrina ata hain, khud par bhi aur dusro par bhi; hum maf nahi kar pate, khud ko bhi aur dusro ko bhi kiu ki hum bahat judgemental hote hain. phir dheere dheere samajh ana shuru hota hain; judge karne ke wajah hum samajhte hain ke insaan har galti aanjane mein kar raha hain. agar usse taniq bhi andaza hota to woh kabhi galti nahi karte. kahi na kahi hume lagta hain ke is dharti ki vibration mein hi kuch problem hain. par jab samajh ana shuru hota hain to ek miracle hota hain; kal tak hum jise judge kar rahe the aj uske liye bura lagne lagta hain, pyar mehsus honi lagti hain aur lagte hain ke hum sab ek hain, alag nahi. bahat prem mehsus hota hain. pehli baar hume pata chalta hain ke unconditional love kya hota hain aur Parmatma hum sabko unconditionally love karte hain. Yahi sabse bara Miracle malum hota hain. Om Shanti!
Third eye / dasam dvar/ pineal glad / khete hai ye hmare mastishk ke center me hai aur yha pe sukshm tatvon hai aur Mai 18 saal ka hu mera pichle saal Kundalini aveknig hua tha aur twinflame journey me bhi hota hai aur mai kursi pe baitha tha 2021 jul ki baat hai use phele meri urja uthi to gle me jake ruk gyi fir 5 din baad urja uthi to meri mathe pe sensation bhut tej ho rha tha fir o sensation bhramand se niche spin kr rha tha aur ohi active hogya to mere aankhon pe kamal jaisa failav dikh rha tha jab o spine kr rha tha to kch tbav sa mahasus hua fir o urja uper kich gyi aur sab vichaar sant hogye aur sharir me halka pan mahasus ho rha tha mai apne ankhe khuli rkha tha aur bhut log jo dhyan me hote hai o uska anubhav is tre krte hai o sochte hai ki mai sharir se bhar nikl gya per aisa kch nhi hota hai third eye activate hone ke baad u liquid uper ki tarf flow krti hai o hi urja hamre ajna chakra se gale me ajati hai fir hmare pet me o liquid tpkta hai aur use cosmic energy banti hai jise bharmandiya urja khete hai per o tbhi tak mahasus hoga jab tak o sadna ya bhakti krege ka agr chor diya to o normal hojayega isse multi dimensions ka knowledge hota hai hai aur ye jada tr twin flame journey me bhi hota hai Kyu ki bina sakhti ke shiva jaagrit nhi hote hai isliye kundali apne se jaagrit nhi krna chye apne se jaagrit krege to skti ko pane ke liye bhatke ge aur sab varyath hai agr shakti khud jaagrit hoti hai to shiva bhi prem saubhav me hote hai aur ye spiritual knowledge manushya yoni me hota hai ki sukhm sarir me nhi to sab sukshm sarir se moksh nhi le lete 💐💐
गुरुदेव जी आपके चरणो में कोटि कोटि प्रणाम करते हैं आप में बहुत अच्छा ज्ञान प्रदान करते हम आपके वीडियो का इंतजार करते रहते हैं गुरुदेव जी गुरु जी हम पूजा पाठ करते हैं हमें ऐसा लगता है हम कहीं दूर चले जाए हमें कोई बुला रहा है ऐसा क्यों लग रहा है जहां सुनसान जगह कहीं दूर अकेले चले जाए जंगल में चले जाए ऐसा मैं क्यों लगता है मुझे कुछ काम हमें मार्गदर्शन करा दीजिए करा दीजिए
जब आप भक्ति मार्ग पर चलते हैं या ध्यान का अभ्यास करते हैं तो उसके प्रभाव से मन शांत होने लगता है और व्यर्थ की बातें खत्म होने लगती है और कई बार किसी व्यक्ती विशेष की स्थिति यदि संसार मे ऐसी हो गई हो की अब उसे संसार मे ज्यादा आनंद ना आ रहा हो तो स्वाभाविक रूप से मन मे संसार के प्रति विरक्ति आने लगती है और ऐसे मे व्यक्ति इस शांति मे और अधिक गहरे जाने की भावना से दूर एकांत मे जाने की इच्छा करने लगता है ताकि उसकी शान्ति और बढ़ जाये, इसके इलावा कई बार परमात्मा की तरफ से भी य़ह संदेश होता है कि आप ध्यान ज्ञान मे और आगे बढ़े और उसके अनुरूप स्थान पर निवास करे, तो प्रकृति भी बुलाती है। किन्तु कई बार हम ध्यान के अनुभवों मे इतना खो जाते है की अपने संसारिक दायित्वों को भूल जाते है, तब य़ह ठीक नहीं है क्योंकि अति किसी भी चीज़ की बुरी होती है। अतः यदि आपके साथ ऐसा कुछ नहीं है तो ठीक अन्यथा बेहतर होगा की आप संसार और ध्यान दोनों मे संतुलन बना कर चले ।
Pehle sab rishte tutne lagte hain kiu ki hum har rishto se bahat kuch expect karte hain aur rishte kuch had tak swarth ke liye banate hain; lekin gyan hone par hum dusro se umeed karna bandh karte hain aur unke majburi samajh sakte hain. isliye hume rishto se umeed nahi hota. rishta unconditional ho jata hain aur healthy ho jata hain.
Dono prkar se kiya ja sakta hai Yadi aap beginner hai toh behtar hoga ki aap ankh band karke sidha middle me dekhe, kyuki aisa karna easy hai but effective hai Par yadi aap already kaafi meditation kar chuke hai toh aap eyes ko thoda upar karke bhi kar sakte hai, ye style thoda pressure creat karta hai but bahut effective hai Aapko dono me se jo comfortable lage, aap us prkar se kar sakte hai
Sar mein ISI avastha per hun Magar mere chehre per Achanak soiling a gai hai chehra kafi Mota ho gaya hai donon gal shoes gaye hain iska kya Karan hai please Samadhan kijiye
Sab se pahle Dr se consult kare ki kahi iska koi physical reason toh nahi hai or yadi koi physical reason na ho toh phir iska karan face par excess energy accumulation ho sakta hai, toh phir aap kuch din ke liye meditation bandh kar de or physical exercises kare taaki jo energy imbalance hokar face par stuck ho gai hai voh release ho jaye or har roj 10 minut anuloam viloam pranayam kare, aisa karne se face normal hone lagega
Dhanyvad ji ek prashn ka aur Uttar de dijiye main 4:00 baje se uthata hun Dhyan karne ke liye to Jab Main gahrai Mein Jaane Lagta Hun To Mujhe jhatake Bhi bahut Lagte Hain iska kya matlab hua
अचानक शरीर का हिलना कंपन होना या झटका आदि लगना इसलिये होता है क्युकी हमारे शरीर मे असंख्य नस नाडिया है जिनमे से प्राण ऊर्जा होकर गुजरती है । अगर कोई नाडी अशुद्धि के कारण बंद हो तो वो प्राण उर्जा के त्रिव प्रवाह के कारण जब खुलती है तो हमे झटका लगने की अनुभूति होती है । इस प्रक्रिया को नाडी शुद्धि भी कहा जाता है । ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि हमारे भौतिक शरीर के बाद हमारे अंदर एक और शरीर है जिसे सूक्ष्म शरीर कहते है, य़ह सूक्ष्म शरीर ऊर्जा तरंगों से निर्मित है। हम सब के अंदर ये प्राण ऊर्जा से बना शरीर मौजूद है लेकिन हम कम ही इसको महसूस कर पाते है लेकिन साधना के दौरान य़ह शरीर विकसित होने लगता है जिस कारण हमें तरंगे, झटके, सनसनाहट महसुस होने लगती है। दूसरी बात जब ध्यान के प्रभाव से ऊर्जा का जागरण होता है तो ऊर्जा ऊपर के चक्रों की और बढ़ती है जिससे सोये चक्र जागने लगते है अथवा मस्तिष्क के सोये हिस्से जागने लगते हैं, इस कारण से भी शरीर मे झटके लगने की अनुभूति होती है। तीसरी बात की कई बार शॉर्ट सर्किट के कारण भी झटके लग सकते है, तो ऐसी स्थिति मे ध्यान के दौरान अपने दोनों हाथों मे ज्ञान मुद्रा अथवा भैरव मुद्रा बना कर रखे। मूलतः ध्यान के दौरान झटके लगना एक कॉमन और शुभ लक्षण है, और कई बार समान्य जीवन के दौरान भी इस प्रकार के कम्पन होना सामान्य है।
Third eye par parkash dikhna ya dard hona ek samany yani common symptom hai, aisa aksar hota hai or ye ek accha sign hai, isliye aap iski chinta na kare or dhyan jari rakhe bus itna khyal rakhna ki dhyan ke dauran maathe par jyada jor na daale
गुरु जी मैं घ्यान के समय घ्यान चक्कर पर जब मैं घ्यान करता हूं तब आग जैसी खूबसूरत प्रकाश दिखाई देती रही है आगे और कुछ भी नहीं दिखाई परता , कभी कभी हेलोजन के जैसी खूबसूरत प्रकाश दिखाई देती रही है। फिर वह प्रकाश बदलती रहती है लेकिन यही दो रंग दिखता है क्या करेंगे
Main aaj kal sakshi ka dhyaan kar raha hoon. Saans ko andar bahar aate jaaye sirf dekhta rehta hoon. Pichle kuch dino se dono भौहें ke beech mein zor se khenchav mehsus hota hai. Meetha meetha sa dard dhyaan k baad bhi bana rehta hai. Mujhe kya karna chaiye?
Ravi ji main Pichhle 1 mahine se Dhyan kar raha hun Dhyan Mein baithte Hi mere Sharir Mein khujali hone Lagti Hai is Karan Dhyan Mein man Nahin Lagta yah Kyon hoti hai aur kya iska Karan Aisa Koi upay hai jo Dhyan Mein baithane per Sharir na khujlaen ho to kripya bataiye
शरीर में खुजली बहुत से शारीरिक कारणों से भी हो सकती है और ध्यान के प्रभाव से भी हो सकती है। वस्तुतः हमारे सूक्ष्म शरीर में कई बार बहुत से ब्लॉक बन जाते है जो ऊर्जा के मुक्त प्रवाह को बाधित करते है तो जब ध्यान के अभ्यास से उपजी ऊर्जा जब इन ब्लॉक के समीप से गुजरती है तो मार्ग बाधित होने की वजह से ऊर्जा की कुछ मात्रा यही पर अटक जाती है और इस स्थान पर तब हमें खुजली होनी शुरू हो जाती है। ऐसी स्थिति मे आपको अवरोध हटाने के लिए और सूक्ष्म ऊर्जा नाड़ियों मे शुद्धि के लिए अनुलोम विलोम प्राणयाम का हर रोज 15 मिनट तक अभ्यास करना चाहिए इसके अलावा ध्यान के सतत अभ्यास को जारी रखते हुए भी आप इन ब्लॉक को खोल सकते है और खुजली से मुक्त हो सकते है। यदि ब्लॉक बहुत पुराना है तो इसके खुलने में समय लग सकता है। अतः धैर्य रखे ।
@@Dhyankagyan777 जो चीज में सोचती हु जो मुझे करनी है में ही उसे ठीक ढंग से कर सकती हूं लेकिन मेरे सोचने पर ही वो चीज कोई और कैसे करने लगता हैं ये कई सालों से हो रहा है और वही मेरी काम मे परेशानी डाल रहा है में क्या करूँ
इस समस्या से निजात के लिए आपको अपने आज्ञा चक्र को पहले से ज्यादा संतुलित और बेहतर करने की जरूरत है, इस संतुलन को प्राप्त करने के लिए और आज्ञा चक्र की शक्ति को बढ़ाने के लिए मैं आपको एक ध्यान विधि बता रहा हू, यदि संभव हो तो आप इसका अभ्यास करे। तो पूरी विधि समझते है, पहले अपना ध्यान आज्ञा चक्र पर लाये, फिर अपना ध्यान नाक के दोनो छिद्रों से अंदर आती श्वास पर लाये, गौर से नाक के प्रवेश द्वार से सांस को अंदर आता हुआ व बाहर जाता हुआ महसूस करे । महसूस करे की आपके नाक से भीतर प्रवेश करती हुई सांस ऊपर आज्ञा चक्र तक आती है और फिर बाहर निकलती हुई सांस आज्ञा चक्र से नीचे उतरती हुई नाक के छिद्रों से बाहर निकल जाती है । सांस का प्रारम्भिक बिंदु नासिकाग्र है और अन्तिम बिंदु आज्ञा चक्र है । इस प्रकार सांस नासिकाग्र से आज्ञा चक्र के बीच मे आते जाते हुए भ्रमण करने की कल्पना करते रहेगे । अब अगला बिंदु, हर बार, जब भी आपकी सांस नासिकाग्र से आज्ञा चक्र पर पहुचे तो सांस को भीतर रोक ले और सांस को यथाशक्ति रोक कर रखते हुए आज्ञा चक्र पर मन को एकाग्र रखे, इसी समय, जब आपकी सांस रूकी हुई है और मन आज्ञा चक्र पर केंद्रित है, आपको सफेद प्रकाश का एक चमचमाता हुआ सितारे नुमा बिंदु दिखाई दे सकता है या अन्य कोई अनुभुति हो सकती है । अब धीरे-धीरे से रोकी हुई सांस को बाहर छोड़े और फिर से अपना ध्यान नासिकाग्र पर ले आये । तो बार बार इस प्रक्रिया को दोहराए । प्रतिदिन 5 मिनट से 15 मिनट तक इसका अभ्यास किया जा सकता है ।
@@Dhyankagyan777 मैंने कुम्भक क्रिया प्रारम्भ की जिसकी वजह से मेरी सुष्मना नारी जाग्रत हो जाती हैं कभी कभी मुझे पता ही नही चलता है नींद में जब रहती हूं या कुछ सोचती हूं जो नही होना चाहिए वह भी हो जाता हैं सफेद रंग का तारा दिखाई दे तब क्या करना चाहिए
ऐसा होता है और ऐसा होना स्वाभाविक है, जब ध्यान के आरंभिक दिनों मे आप श्वास पर ध्यान केंद्रित करेगे तो नींद कम हो जायेगी। क्यूंकि इस ध्यान से शरीर मे आक्सीजन की खपत कम हो जाती है और होश बढ़ने लगता है, जिसके कारण नींद की जरूरत कम हो जाती है। जब हम ध्यान का अभ्यास करते है तो उससे हमारे शरीर का परा अनुकम्पी तन्त्र प्रभावित होता है जिससे हमारे सम्पुर्ण मन व शरीर को विश्राम मिलता है । नींद मे भी यही प्रक्रिया होती है । अतः यदि ध्यान के प्रभाव से आपका शरीर विश्रांति को पा रहा है तो नींद की अवधि कम हो जाना स्भाविक है । क्युकी नींद की कमी की पूर्ति ध्यान के माध्यम से हो रही है । लेकिन यदि आपको लगता है की आपकी नींद की कमी अन्य कारणों से भी हो सकती है तो निम्न बातों पर गोर करे :- अच्छी व गहरी नींद लेने के लिये कुछ आधारभूत बातो का होना जरुरी है जैसे की :- मेलाटोनिन :- यह हमारे मस्तिष्क मे स्थित पिनियल ग्रंथि जोकि हमारे आज्ञा चक्र से भी सयुक्त है उसके द्वारा निर्मित किया जाने वाला एक हार्मोन है । इसी हार्मोन के घटने या बढ़ने से हमारी नींद की क़्वलिटी घटती या बढ़ती है । अगर आप नींद की कमी से परेशान है तो इसका अर्थ है की आपका आज्ञा चक्र सही तरीके से मेलाटोनिन का निर्माण नही कर पा रहा है अतः आपको विभिन योग की क्रियाओ द्वारा इस हार्मोन का उत्पादन बढ़ाना होगा । मेलाटोनिन के उचित निर्माण के लिये आप हर रोज अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करे, इस प्राणायाम को नेचरल ट्रंकलीज़र यानि नींद लाने की प्राकृतिक दवा भी बोला जाता है । अतः हर सुबह या रात को सोने से पहले 15 मिनट के लिये इसका अभ्यास करे । नासग्र दृष्टि जिसमे की हम अपनी दोनो आँख की पुतलियों को अपनी नाक की नोक पर बिना पलकों को झपकाये एकटक देखते है या बिंदु त्राटक जिसमे हम एक काले बिंदु पर अपलक देखते है या दीपक त्राटक जिसमे दीपक की लौ पर नजरों को टिकाया जाता है, इनमे से किसी भी एक त्राटक का रात को सोने से पुर्व 15 मिनट के लिये अभ्यास करे । औम का उचारण : रात्रि सोने से पुर्व उच्च स्वर मे 15 मिनट के लिये महामंत्र औम का उचारण करे या भंवरे का गुन्जन करे । इससे आपके मस्तिष्क के तंतु शान्त हो जायेगे और गहन नींद आयेगी । शवासन : शवासन के अभ्यास से हमारे शरीर व मन से जुडी हर क्रिया शान्त हो जाती है अतः सोने से पुर्व शवासन मे विश्राम करे । ध्यान : ध्यान के अभ्यास से हमारे सेंट्रल नर्वस सिस्टम का परा अनुकम्पी तंत्र सक्रिय होता है जो नींद लाने मे सहायक है । अतः ध्यान का अभ्यास करे । इसके इलावा तनाव व बैचनी से बचे, हमेशा खुश व सकरात्मक रहे, दिनभर मे खुब शारिरिक मेहनत करे, व्यायाम व योग करे, रात्रि को भरपेट भोजन ना करे, फल सलाद हरी सब्जियां दूध दही आदि का सेवन करे तथा ताम्सिक आहार मांस मदिरा चाय काफी मसालेदार पदार्थो का त्याग करे । हर रोज नियत समय पर सोने के लिये जाये और नियत समय पर उठ जाये, दिन मे ना सोये, नींद लाने के लिये जबर्दस्ती प्रयास ना करे, नींद ना आने पर थोडा टहल ले कोई पुस्तक आदि पढ़ ले, संगीत आदि सुन ले और फिर सोने का प्रयास करे । मेरा पूर्ण विश्वास है की यदि आप उपरोक्त क्रियाओं का नित्य प्रति अभ्यास करेगे तो तीन दिन के भीतर भीतर से ही आपको गहरी नींद आनी शुरु हो जायेगी ।
मैं अनुलोम विलोम सुबह करती हु• थोडी देर बाद ध्यान करती हु •रात को ज्योती त्राटक करती हु •अब 3दीन से मेरा सर दर्द होता है और मुझे सोते समय डर लगता है •. •इसके पेहले मै आनंद से सोती थी और प्रकाश देखती थी भगवान दर्शन होता था अब 3दीन से मन शांत भी नहीं निंद नहि आती • क्या nagetive energy होती है क्या?please reply
बिल्कुल भी गलत नहीं है अपितु अच्छा है और शुभ है, ध्यान के अभ्यास मे जब ऊर्जा जागृति मे आती है तो हमें अपने भीतर सूक्ष्म शरीर के अंदर ऊर्जा के स्वरूप को, विभिन्न प्रकार से, हम प्रकाश और रंगो के रूप मे देखते हैं, तो ऐसी अवस्था मे गोल्डन सन भी दिख सकता है या नीला, सफेद प्रकाश भी।
Guruji pranam Guruji kal rat se sex sentar par har har 10se20 minute me vibration ho raha hai bar bar aisa man kar raha hai dhyan me baith jaoo ki koi urja thred iye par preser kar raha hai ek alag hi bhaw jaga hai bar bar mai apne bhitar hi ja raha hu
@@nandkishorsoni4734 तब ऐसा होना स्वाभाविक है क्युकी विपश्यना ध्यान विधि से आपके सूक्ष्म शरीर में प्राण ऊर्जा की वृद्धि होने लगेगी और फिर यही इनर्जी आपके सूक्ष्म व स्थूल शरीर मे विभिन्न स्थानों पर वाइब्रेशन पैदा करनी शुरू कर देती है और इसी कारण से क्युकी आपकी श्वास प्रश्वास के पैटर्न बदलने के कारण भी शरीर मे बहुत से रासायनिक परिवर्तन होते हैं जिस कारण से व्यक्ती की भाव दशा और फिलिंग मे भी विभिन्न बदलाव आ सकते हैं। अतः ऐसा होना समान्य है और समय के साथ अपने आप ही य़ह स्थितियां परिवर्तित भी हो जायेगी।
Yog nidra ka abhyash karte hue sota hu to Kai bar aisa hota hai ki ankhe band ho fir bhi sab kuch dikhta hai kuch second ke liye ya Aisa lagta hai jaise koi chiz nabhi se uth kar achanak aagya chakr par prakashan huaa ho kya aagya chakr active ho raha hai ya kuch aur hai. Pranam 🙏
This is my new channel of tour & travel :-
ua-cam.com/channels/O8r8Odl3UJFjI5Y4MGu4Aw.html
You are welcome to join 😊❤️🙏
Quality kamm kar kai upload karna aap bhaiya mai 16 sal ka hu aap video mujhe bhut help karta hai
जयगुरूदेव धन्यवाद सर नमस्कार 🙏 आध्यात्मिक ज्ञान का मार्गदर्शन दीयाहै।आज्ञाचक्र जानेगा धन्यवाद सर सादरप्रणाम शुभप्रभात:।
Aap ka bhala ho aap bahut ache se rahe
Very nice video.
बहुत बढ़िया जानकारी
Thank You Guruji. Aap Ka swavab Komal hai . Positive energy Mila .
Gurujii Bahut Dhanyavaad is gyaan ke liye🙏
Thanks 🙏
🙏Bahut khoob!!Bahut Bahut hi badhiya video banayi hai aapne!!💐🌈
Thanks guru ji
Thanks
जय गूरू देव
ओम शांति 💐🙏
Namaste Sir ji
Ravi Ji main aapke bahat sare videos sunti hun, bahat accha lagta hain, par kabhi comment nahi karti. aj man huya kuch baat batane ki. Jitna humne samjha hain, Agna Chakra jagrit hone par jhut ka parda uthta hain aur sach saamne ana shuru hota hain to bahat jor ka jhatka lagta hain. kiu ki hamara duniya jhut par adharit hota hai.
isse pahle hume bahat krodh aur ghrina ata hain, khud par bhi aur dusro par bhi; hum maf nahi kar pate, khud ko bhi aur dusro ko bhi kiu ki hum bahat judgemental hote hain.
phir dheere dheere samajh ana shuru hota hain; judge karne ke wajah hum samajhte hain ke insaan har galti aanjane mein kar raha hain. agar usse taniq bhi andaza hota to woh kabhi galti nahi karte. kahi na kahi hume lagta hain ke is dharti ki vibration mein hi kuch problem hain.
par jab samajh ana shuru hota hain to ek miracle hota hain; kal tak hum jise judge kar rahe the aj uske liye bura lagne lagta hain, pyar mehsus honi lagti hain aur lagte hain ke hum sab ek hain, alag nahi. bahat prem mehsus hota hain. pehli baar hume pata chalta hain ke unconditional love kya hota hain aur Parmatma hum sabko unconditionally love karte hain. Yahi sabse bara Miracle malum hota hain. Om Shanti!
third eye jagrit Se pehele kya... krodh aur ghrina sabke prati aati hai??
Thank you🙏🌹
Sri hari 🌹🙏
Very nice 👍👍👍
प्रणाम गुरूदेव🌹🙏
🙏
Third eye / dasam dvar/ pineal glad / khete hai ye hmare mastishk ke center me hai aur yha pe sukshm tatvon hai aur
Mai 18 saal ka hu mera pichle saal Kundalini aveknig hua tha aur twinflame journey me bhi hota hai aur mai kursi pe baitha tha 2021 jul ki baat hai use phele meri urja uthi to gle me jake ruk gyi fir 5 din baad urja uthi to meri mathe pe sensation bhut tej ho rha tha fir o sensation bhramand se niche spin kr rha tha aur ohi active hogya to mere aankhon pe kamal jaisa failav dikh rha tha jab o spine kr rha tha to kch tbav sa mahasus hua fir o urja uper kich gyi aur sab vichaar sant hogye aur sharir me halka pan mahasus ho rha tha mai apne ankhe khuli rkha tha aur bhut log jo dhyan me hote hai o uska anubhav is tre krte hai o sochte hai ki mai sharir se bhar nikl gya per aisa kch nhi hota hai third eye activate hone ke baad u liquid uper ki tarf flow krti hai o hi urja hamre ajna chakra se gale me ajati hai fir hmare pet me o liquid tpkta hai aur use cosmic energy banti hai jise bharmandiya urja khete hai per o tbhi tak mahasus hoga jab tak o sadna ya bhakti krege ka agr chor diya to o normal hojayega isse multi dimensions ka knowledge hota hai hai aur ye jada tr twin flame journey me bhi hota hai
Kyu ki bina sakhti ke shiva jaagrit nhi hote hai isliye kundali apne se jaagrit nhi krna chye apne se jaagrit krege to skti ko pane ke liye bhatke ge aur sab varyath hai agr shakti khud jaagrit hoti hai to shiva bhi prem saubhav me hote hai aur ye spiritual knowledge manushya yoni me hota hai ki sukhm sarir me nhi to sab sukshm sarir se moksh nhi le lete 💐💐
गुरुदेव जी आपके चरणो में कोटि कोटि प्रणाम करते हैं आप में बहुत अच्छा ज्ञान प्रदान करते हम आपके वीडियो का इंतजार करते रहते हैं गुरुदेव जी गुरु जी हम पूजा पाठ करते हैं हमें ऐसा लगता है हम कहीं दूर चले जाए हमें कोई बुला रहा है ऐसा क्यों लग रहा है जहां सुनसान जगह कहीं दूर अकेले चले जाए जंगल में चले जाए ऐसा मैं क्यों लगता है मुझे कुछ काम हमें मार्गदर्शन करा दीजिए करा दीजिए
जब आप भक्ति मार्ग पर चलते हैं या ध्यान का अभ्यास करते हैं तो उसके प्रभाव से मन शांत होने लगता है और व्यर्थ की बातें खत्म होने लगती है और कई बार किसी व्यक्ती विशेष की स्थिति यदि संसार मे ऐसी हो गई हो की अब उसे संसार मे ज्यादा आनंद ना आ रहा हो तो स्वाभाविक रूप से मन मे संसार के प्रति विरक्ति आने लगती है और ऐसे मे व्यक्ति इस शांति मे और अधिक गहरे जाने की भावना से दूर एकांत मे जाने की इच्छा करने लगता है ताकि उसकी शान्ति और बढ़ जाये, इसके इलावा कई बार परमात्मा की तरफ से भी य़ह संदेश होता है कि आप ध्यान ज्ञान मे और आगे बढ़े और उसके अनुरूप स्थान पर निवास करे, तो प्रकृति भी बुलाती है।
किन्तु कई बार हम ध्यान के अनुभवों मे इतना खो जाते है की अपने संसारिक दायित्वों को भूल जाते है, तब य़ह ठीक नहीं है क्योंकि अति किसी भी चीज़ की बुरी होती है। अतः यदि आपके साथ ऐसा कुछ नहीं है तो ठीक अन्यथा बेहतर होगा की आप संसार और ध्यान दोनों मे संतुलन बना कर चले ।
गुरुदेव जी गुरुदेव जी आपका कोटि-कोटि धन्यवाद जी 🌻🌻
@@Dhyankagyan777 श्रीमान जी आपसे व्यक्तिगत तौर पर बात हो पाना संभव हो सकता है🙏
Pehle sab rishte tutne lagte hain kiu ki hum har rishto se bahat kuch expect karte hain aur rishte kuch had tak swarth ke liye banate hain; lekin gyan hone par hum dusro se umeed karna bandh karte hain aur unke majburi samajh sakte hain. isliye hume rishto se umeed nahi hota. rishta unconditional ho jata hain aur healthy ho jata hain.
Sir ankh band karke sidha middle nein dikhna hai ya eyes ko thoda upar karke dikhna hai
Dono prkar se kiya ja sakta hai
Yadi aap beginner hai toh behtar hoga ki aap ankh band karke sidha middle me dekhe, kyuki aisa karna easy hai but effective hai
Par yadi aap already kaafi meditation kar chuke hai toh aap eyes ko thoda upar karke bhi kar sakte hai, ye style thoda pressure creat karta hai but bahut effective hai
Aapko dono me se jo comfortable lage, aap us prkar se kar sakte hai
🙏🏻🙏🙏🏻🙏🙏
Sar mein ISI avastha per hun Magar mere chehre per Achanak soiling a gai hai chehra kafi Mota ho gaya hai donon gal shoes gaye hain iska kya Karan hai please Samadhan kijiye
Sab se pahle Dr se consult kare ki kahi iska koi physical reason toh nahi hai or yadi koi physical reason na ho toh phir iska karan face par excess energy accumulation ho sakta hai, toh phir aap kuch din ke liye meditation bandh kar de or physical exercises kare taaki jo energy imbalance hokar face par stuck ho gai hai voh release ho jaye or har roj 10 minut anuloam viloam pranayam kare, aisa karne se face normal hone lagega
Dhanyvad ji ek prashn ka aur Uttar de dijiye main 4:00 baje se uthata hun Dhyan karne ke liye to Jab Main gahrai Mein Jaane Lagta Hun To Mujhe jhatake Bhi bahut Lagte Hain iska kya matlab hua
अचानक शरीर का हिलना कंपन होना या झटका आदि लगना इसलिये होता है क्युकी हमारे शरीर मे असंख्य नस नाडिया है जिनमे से प्राण ऊर्जा होकर गुजरती है । अगर कोई नाडी अशुद्धि के कारण बंद हो तो वो प्राण उर्जा के त्रिव प्रवाह के कारण जब खुलती है तो हमे झटका लगने की अनुभूति होती है । इस प्रक्रिया को नाडी शुद्धि भी कहा जाता है ।
ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि हमारे भौतिक शरीर के बाद हमारे अंदर एक और शरीर है जिसे सूक्ष्म शरीर कहते है, य़ह सूक्ष्म शरीर ऊर्जा तरंगों से निर्मित है। हम सब के अंदर ये प्राण ऊर्जा से बना शरीर मौजूद है लेकिन हम कम ही इसको महसूस कर पाते है लेकिन साधना के दौरान य़ह शरीर विकसित होने लगता है जिस कारण हमें तरंगे, झटके, सनसनाहट महसुस होने लगती है।
दूसरी बात जब ध्यान के प्रभाव से ऊर्जा का जागरण होता है तो ऊर्जा ऊपर के चक्रों की और बढ़ती है जिससे सोये चक्र जागने लगते है अथवा मस्तिष्क के सोये हिस्से जागने लगते हैं, इस कारण से भी शरीर मे झटके लगने की अनुभूति होती है।
तीसरी बात की कई बार शॉर्ट सर्किट के कारण भी झटके लग सकते है, तो ऐसी स्थिति मे ध्यान के दौरान अपने दोनों हाथों मे ज्ञान मुद्रा अथवा भैरव मुद्रा बना कर रखे।
मूलतः ध्यान के दौरान झटके लगना एक कॉमन और शुभ लक्षण है, और कई बार समान्य जीवन के दौरान भी इस प्रकार के कम्पन होना सामान्य है।
Ravi ji namste mein dhiyan krta hu to 3rd eye per perkas dikhta h per drd bhot hota h mera koi jeevant guru nhi h mujhe rasta dikhaye sir
Third eye par parkash dikhna ya dard hona ek samany yani common symptom hai, aisa aksar hota hai or ye ek accha sign hai, isliye aap iski chinta na kare or dhyan jari rakhe bus itna khyal rakhna ki dhyan ke dauran maathe par jyada jor na daale
@@Dhyankagyan777 ji dhanywad
Sir kya tratak ke through third eye ko active kar sakte hai??
बिल्कुल कर सकते हैं, वस्तुतः त्राटक ही मुख्य रूप से तृतीय नेत्र जागरण की विधि है।
गुरु जी मैं घ्यान के समय घ्यान चक्कर पर जब मैं घ्यान करता हूं तब आग जैसी खूबसूरत प्रकाश दिखाई देती रही है आगे और कुछ भी नहीं दिखाई परता , कभी कभी हेलोजन के जैसी खूबसूरत प्रकाश दिखाई देती रही है। फिर वह प्रकाश बदलती रहती है लेकिन यही दो रंग दिखता है क्या करेंगे
Main aaj kal sakshi ka dhyaan kar raha hoon. Saans ko andar bahar aate jaaye sirf dekhta rehta hoon. Pichle kuch dino se dono भौहें ke beech mein zor se khenchav mehsus hota hai. Meetha meetha sa dard dhyaan k baad bhi bana rehta hai. Mujhe kya karna chaiye?
Ravi ji main Pichhle 1 mahine se Dhyan kar raha hun Dhyan Mein baithte Hi mere Sharir Mein khujali hone Lagti Hai is Karan Dhyan Mein man Nahin Lagta yah Kyon hoti hai aur kya iska Karan Aisa Koi upay hai jo Dhyan Mein baithane per Sharir na khujlaen ho to kripya bataiye
शरीर में खुजली बहुत से शारीरिक कारणों से भी हो सकती है और ध्यान के प्रभाव से भी हो सकती है।
वस्तुतः हमारे सूक्ष्म शरीर में कई बार बहुत से ब्लॉक बन जाते है जो ऊर्जा के मुक्त प्रवाह को बाधित करते है तो जब ध्यान के अभ्यास से उपजी ऊर्जा जब इन ब्लॉक के समीप से गुजरती है तो मार्ग बाधित होने की वजह से ऊर्जा की कुछ मात्रा यही पर अटक जाती है और इस स्थान पर तब हमें खुजली होनी शुरू हो जाती है।
ऐसी स्थिति मे आपको अवरोध हटाने के लिए और सूक्ष्म ऊर्जा नाड़ियों मे शुद्धि के लिए अनुलोम विलोम प्राणयाम का हर रोज 15 मिनट तक अभ्यास करना चाहिए
इसके अलावा ध्यान के सतत अभ्यास को जारी रखते हुए भी आप इन ब्लॉक को खोल सकते है और खुजली से मुक्त हो सकते है। यदि ब्लॉक बहुत पुराना है तो इसके खुलने में समय लग सकता है। अतः धैर्य रखे ।
Guru ji hirde chakar par dhyan lagane kee vidhi ka link btaa doe please
ua-cam.com/video/tAZ8cJP3MOI/v-deo.html
@@Dhyankagyan777 🙏🙏🙏🙏
Third eye ki power balance krni hai uske liy kya kre
Sirf dhayan kare. Prabhu swam balance karenge. For details Watch videos on my channel
आप कृपया और स्पष्ट रूप से बताये, आप आज्ञा चक्र की पॉवर कम महसूस कर रहे हैं या ज्यादा ?
@@Dhyankagyan777 जो चीज में सोचती हु जो मुझे करनी है में ही उसे ठीक ढंग से कर सकती हूं लेकिन मेरे सोचने पर ही वो चीज कोई और कैसे करने लगता हैं ये कई सालों से हो रहा है और वही मेरी काम मे परेशानी डाल रहा है में क्या करूँ
इस समस्या से निजात के लिए आपको अपने आज्ञा चक्र को पहले से ज्यादा संतुलित और बेहतर करने की जरूरत है, इस संतुलन को प्राप्त करने के लिए और आज्ञा चक्र की शक्ति को बढ़ाने के लिए मैं आपको एक ध्यान विधि बता रहा हू, यदि संभव हो तो आप इसका अभ्यास करे।
तो पूरी विधि समझते है, पहले अपना ध्यान आज्ञा चक्र पर लाये, फिर अपना ध्यान नाक के दोनो छिद्रों से अंदर आती श्वास पर लाये, गौर से नाक के प्रवेश द्वार से सांस को अंदर आता हुआ व बाहर जाता हुआ महसूस करे । महसूस करे की आपके नाक से भीतर प्रवेश करती हुई सांस ऊपर आज्ञा चक्र तक आती है और फिर बाहर निकलती हुई सांस आज्ञा चक्र से नीचे उतरती हुई नाक के छिद्रों से बाहर निकल जाती है । सांस का प्रारम्भिक बिंदु नासिकाग्र है और अन्तिम बिंदु आज्ञा चक्र है । इस प्रकार सांस नासिकाग्र से आज्ञा चक्र के बीच मे आते जाते हुए भ्रमण करने की कल्पना करते रहेगे ।
अब अगला बिंदु, हर बार, जब भी आपकी सांस नासिकाग्र से आज्ञा चक्र पर पहुचे तो सांस को भीतर रोक ले और सांस को यथाशक्ति रोक कर रखते हुए आज्ञा चक्र पर मन को एकाग्र रखे, इसी समय, जब आपकी सांस रूकी हुई है और मन आज्ञा चक्र पर केंद्रित है, आपको सफेद प्रकाश का एक चमचमाता हुआ सितारे नुमा बिंदु दिखाई दे सकता है या अन्य कोई अनुभुति हो सकती है ।
अब धीरे-धीरे से रोकी हुई सांस को बाहर छोड़े और फिर से अपना ध्यान नासिकाग्र पर ले आये ।
तो बार बार इस प्रक्रिया को दोहराए । प्रतिदिन 5 मिनट से 15 मिनट तक इसका अभ्यास किया जा सकता है ।
@@Dhyankagyan777 मैंने कुम्भक क्रिया प्रारम्भ की जिसकी वजह से मेरी सुष्मना नारी जाग्रत हो जाती हैं कभी कभी मुझे पता ही नही चलता है नींद में जब रहती हूं या कुछ सोचती हूं जो नही होना चाहिए वह भी हो जाता हैं
सफेद रंग का तारा दिखाई दे तब क्या करना चाहिए
Ravi ji Mujhe Dhyan karne per Nind bhi nahin aati hai kya Dhyan karne se Nind uchat Jaati Hai
Dhyan karne se sound sleep aati hai. Neend ki avadhi kam ho jati hai. For detail watch my videos
ऐसा होता है और ऐसा होना स्वाभाविक है, जब ध्यान के आरंभिक दिनों मे आप श्वास पर ध्यान केंद्रित करेगे तो नींद कम हो जायेगी। क्यूंकि इस ध्यान से शरीर मे आक्सीजन की खपत कम हो जाती है और होश बढ़ने लगता है, जिसके कारण नींद की जरूरत कम हो जाती है।
जब हम ध्यान का अभ्यास करते है तो उससे हमारे शरीर का परा अनुकम्पी तन्त्र प्रभावित होता है जिससे हमारे सम्पुर्ण मन व शरीर को विश्राम मिलता है । नींद मे भी यही प्रक्रिया होती है । अतः यदि ध्यान के प्रभाव से आपका शरीर विश्रांति को पा रहा है तो नींद की अवधि कम हो जाना स्भाविक है । क्युकी नींद की कमी की पूर्ति ध्यान के माध्यम से हो रही है ।
लेकिन यदि आपको लगता है की आपकी नींद की कमी अन्य कारणों से भी हो सकती है तो निम्न बातों पर गोर करे :-
अच्छी व गहरी नींद लेने के लिये कुछ आधारभूत बातो का होना जरुरी है जैसे की :-
मेलाटोनिन :- यह हमारे मस्तिष्क मे स्थित पिनियल ग्रंथि जोकि हमारे आज्ञा चक्र से भी सयुक्त है उसके द्वारा निर्मित किया जाने वाला एक हार्मोन है । इसी हार्मोन के घटने या बढ़ने से हमारी नींद की क़्वलिटी घटती या बढ़ती है । अगर आप नींद की कमी से परेशान है तो इसका अर्थ है की आपका आज्ञा चक्र सही तरीके से मेलाटोनिन का निर्माण नही कर पा रहा है अतः आपको विभिन योग की क्रियाओ द्वारा इस हार्मोन का उत्पादन बढ़ाना होगा ।
मेलाटोनिन के उचित निर्माण के लिये आप हर रोज अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करे, इस प्राणायाम को नेचरल ट्रंकलीज़र यानि नींद लाने की प्राकृतिक दवा भी बोला जाता है । अतः हर सुबह या रात को सोने से पहले 15 मिनट के लिये इसका अभ्यास करे ।
नासग्र दृष्टि जिसमे की हम अपनी दोनो आँख की पुतलियों को अपनी नाक की नोक पर बिना पलकों को झपकाये एकटक देखते है या बिंदु त्राटक जिसमे हम एक काले बिंदु पर अपलक देखते है या दीपक त्राटक जिसमे दीपक की लौ पर नजरों को टिकाया जाता है, इनमे से किसी भी एक त्राटक का रात को सोने से पुर्व 15 मिनट के लिये अभ्यास करे ।
औम का उचारण : रात्रि सोने से पुर्व उच्च स्वर मे 15 मिनट के लिये महामंत्र औम का उचारण करे या भंवरे का गुन्जन करे । इससे आपके मस्तिष्क के तंतु शान्त हो जायेगे और गहन नींद आयेगी ।
शवासन : शवासन के अभ्यास से हमारे शरीर व मन से जुडी हर क्रिया शान्त हो जाती है अतः सोने से पुर्व शवासन मे विश्राम करे ।
ध्यान : ध्यान के अभ्यास से हमारे सेंट्रल नर्वस सिस्टम का परा अनुकम्पी तंत्र सक्रिय होता है जो नींद लाने मे सहायक है । अतः ध्यान का अभ्यास करे ।
इसके इलावा तनाव व बैचनी से बचे, हमेशा खुश व सकरात्मक रहे, दिनभर मे खुब शारिरिक मेहनत करे, व्यायाम व योग करे, रात्रि को भरपेट भोजन ना करे, फल सलाद हरी सब्जियां दूध दही आदि का सेवन करे तथा ताम्सिक आहार मांस मदिरा चाय काफी मसालेदार पदार्थो का त्याग करे । हर रोज नियत समय पर सोने के लिये जाये और नियत समय पर उठ जाये, दिन मे ना सोये, नींद लाने के लिये जबर्दस्ती प्रयास ना करे, नींद ना आने पर थोडा
टहल ले कोई पुस्तक आदि पढ़ ले, संगीत आदि सुन ले और फिर सोने का प्रयास करे ।
मेरा पूर्ण विश्वास है की यदि आप उपरोक्त क्रियाओं का नित्य प्रति अभ्यास करेगे तो तीन दिन के भीतर भीतर से ही आपको गहरी नींद आनी शुरु हो जायेगी ।
मैं अनुलोम विलोम सुबह करती हु• थोडी देर बाद ध्यान करती हु •रात को ज्योती त्राटक करती हु •अब 3दीन से मेरा सर दर्द होता है और मुझे सोते समय डर लगता है •. •इसके पेहले मै आनंद से सोती थी और प्रकाश देखती थी भगवान दर्शन होता था अब 3दीन से मन शांत भी नहीं निंद नहि आती • क्या nagetive energy होती है क्या?please reply
Third eye visualization mai golden light like sun ☀️ dikhe to kya ye galat hai
बिल्कुल भी गलत नहीं है अपितु अच्छा है और शुभ है, ध्यान के अभ्यास मे जब ऊर्जा जागृति मे आती है तो हमें अपने भीतर सूक्ष्म शरीर के अंदर ऊर्जा के स्वरूप को, विभिन्न प्रकार से, हम प्रकाश और रंगो के रूप मे देखते हैं, तो ऐसी अवस्था मे गोल्डन सन भी दिख सकता है या नीला, सफेद प्रकाश भी।
Aur Kabhi Urja ka Prabhav साफ-साफ samajh mein aata hai Sharir mein aur Kabhi Urja mahsus hi Nahin Hoti Aisa Kyon Hota Hai
ऐसा होना समान्य है क्युकी कभी हमारे ध्यान की गहराई कम होती है और कभी ज्यादा।
Guruji pranam
Guruji kal rat se sex sentar par har har 10se20 minute me vibration ho raha hai bar bar aisa man kar raha hai dhyan me baith jaoo ki koi urja thred iye par preser kar raha hai ek alag hi bhaw jaga hai bar bar mai apne bhitar hi ja raha hu
कृपया बताये की क्या आप कोई प्राणायम या ध्यान की विधि कर रहे हैं और अगर कर रहे हैं तो कौनसी ?
Vipatshana
@@nandkishorsoni4734 तब ऐसा होना स्वाभाविक है क्युकी विपश्यना ध्यान विधि से आपके सूक्ष्म शरीर में प्राण ऊर्जा की वृद्धि होने लगेगी और फिर यही इनर्जी आपके सूक्ष्म व स्थूल शरीर मे विभिन्न स्थानों पर वाइब्रेशन पैदा करनी शुरू कर देती है और इसी कारण से क्युकी आपकी श्वास प्रश्वास के पैटर्न बदलने के कारण भी शरीर मे बहुत से रासायनिक परिवर्तन होते हैं जिस कारण से व्यक्ती की भाव दशा और फिलिंग मे भी विभिन्न बदलाव आ सकते हैं। अतः ऐसा होना समान्य है और समय के साथ अपने आप ही य़ह स्थितियां परिवर्तित भी हो जायेगी।
Dhanyawad guruji
Yog nidra ka abhyash karte hue sota hu to Kai bar aisa hota hai ki ankhe band ho fir bhi sab kuch dikhta hai kuch second ke liye ya Aisa lagta hai jaise koi chiz nabhi se uth kar achanak aagya chakr par prakashan huaa ho kya aagya chakr active ho raha hai ya kuch aur hai. Pranam 🙏
Thank you sir