रेगिस्तान में सोना मिल गया! सेवन (Sevan) घास || Golden Grass थारपारकर गाय की जीवनदायिनी।👍
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- Опубліковано 4 жов 2024
- Desi Ghee - +916367016466
भारत सिंह राजपुरोहित- 7023332304
Email- gousevaa@gmail.com
Tharparkar
यह नसल थारपारकर जिला (पश्चिमी पाकिस्तान) से है। यह भारत में मुख्यत जोधपुर, कच्छ और जैसलमेर क्षेत्रों में पायी जाती है। इसे ग्रे सिंधी, वाइट सिंधी और थारी के नाम से भी जाना जाता है। इसके शरीर का रंग राख के जैसा, मध्यम आकार का और चौड़ा सिर होता है। सींग वीणा के आकार के और किनारों पर से तीखे होते हैं। इनकी टांगे छोटी, पतली और लंबी पूंछ, बड़ा और चौड़ा कूबड़ और बड़े आकार का लेवा होता है, जिसमें निप्पल उचित फासले पर होते हैं। यह गाय प्रति ब्यांत में 1400 लीटर दूध देती है। यह नसल एक मिश्रित नसल है। इस नसल के बैल खेत में अच्छा काम करते हैं।
चारा
इस नसल की गायों को जरूरत के अनुसार ही खुराक दें। फलीदार चारे को खिलाने से पहले उनमें तूड़ी या अन्य चारा मिला लें। ताकि अफारा या बदहजमी ना हो। आवश्यकतानुसार खुराक का प्रबंध नीचे लिखे अनुसार है।
खुराक प्रबंध
जानवरों के लिए आवश्यक खुराकी तत्व: उर्जा, प्रोटीन, खनिज पदार्थ और विटामिन।
खुराकी वस्तुएं:
अनाज और इसके अन्य पदार्थ: मक्की, जौं, ज्वार, बाजरा, छोले, गेहूं, जई, चोकर, चावलों की पॉलिश, मक्की का छिलका, चूनी, बड़ेवें, बरीवर शुष्क दाने, मूंगफली, सरसों, बड़ेवें, तिल, अलसी, मक्की से तैयार खुराक, गुआरे का चूरा, तोरिये से तैयार खुराक, टैपिओका, टरीटीकेल आदि।
हरे चारे: बरसीम (पहली, दूसरी, तीसरी, और चौथी कटाई), लूसर्न (औसतन), लोबिया (लंबी ओर छोटी किस्म), गुआरा, सेंजी, ज्वार (छोटी, पकने वाली, पकी हुई), मक्की (छोटी और पकने वाली), जई, बाजरा, हाथी घास, नेपियर बाजरा, सुडान घास आदि।
सूखे चारे और आचार: बरसीम की सूखी घास, लूसर्न की सूखी घास, जई की सूखी घास, पराली, मक्की के टिंडे, ज्वार और बाजरे की कड़बी, गन्ने की आग, दूर्वा की सूखी घास, मक्की का आचार, जई का आचार आदि।
अन्य रोज़ाना खुराक भत्ता: मक्की/ गेहूं/ चावलों की कणी, चावलों की पॉलिश, छाणबुरा/ चोकर, सोयाबीन/ मूंगफली की खल, छिल्का रहित बड़ेवे की ख्ल/सरसों की खल, तेल रहित चावलों की पॉलिश, शीरा, धातुओं का मिश्रण, नमक, नाइसीन आदि।
नस्ल की देख रेख
शैड की आवश्यकता
अच्छे प्रदर्शन के लिए, पशुओं को अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों की आवश्यकता होती है। पशुओं को भारी बारिश, तेज धूप, बर्फबारी, ठंड और परजीवी से बचाने के लिए शैड की आवश्यकता होती है। सुनिश्चित करें कि चुने हुए शैड में साफ हवा और पानी की सुविधा होनी चाहिए। पशुओं की संख्या के अनुसान भोजन के लिए जगह बड़ी और खुली होनी चाहिए, ताकि वे आसानी से भोजन खा सकें। पशुओं के व्यर्थ पदार्थ की निकास पाइप 30-40 सैं.मी. चौड़ी और 5-7 सैं.मी. गहरी होनी चाहिए।
गाभिन पशुओं क देखभाल
अच्छे प्रबंधन का परिणाम अच्छे बछड़े में होगा और दूध की मात्रा भी अधिक मिलती है। गाभिन गाय को 1 किलो अधिक फीड दें, क्योंकि वे शारीरिक रूप से भी बढ़ती है।
बछड़ों की देखभाल और प्रबंधन
जन्म के तुरंत बाद नाक या मुंह के आस पास चिपचिपे पदार्थ को साफ करना चाहिए। यदि बछड़ा सांस नहीं ले रहा है तो उसे दबाव द्वारा बनावटी सांस दें और हाथों से उसकी छाती को दबाकर आराम दें। शरीर से 2-5 सैं.मी. की दूरी पर से नाभि को बांधकर नाडू को काट दें। 1-2 प्रतिशत आयोडीन की मदद से नाभि के आस पास से साफ करना चाहिए।
सिफारिश किए गए टीके
जन्म के बाद कटड़े/बछड़े को 6 महीने के हो जाने पर पहला टीका ब्रूसीलोसिस का लगवाएं। फिर एक महीने बाद आप मुंह खुर का टीका लगवाएं और गलघोटू का भी टीका लगवाएं। एक महीने के बाद लंगड़े बुखार का टीका लगवाएं। बड़ी उम्र के पशुओं की हर तीन महीने बाद डीवॉर्मिंग करें। कट्डे/बछड़े के एक महीने से पहले सींग ना दागें। एक बात का और ध्यान रखें कि पशु को बेहोश करके सींग ना दागें आजकल इलैक्ट्रोनिक हीटर से ही सींग दागें।
Rathi
राठी गोवंश राजस्थान के उत्तर-पश्चिमी भागों ( गंगानगर, बीकानेर और जैसलमेर) में पाए जाते हैं। इस नस्ल की गाय अत्यधिक दूध देने के लिये प्रसिद्ध है। गुजरात राज्य में भी राठी गाय बहुत पाली जाती है।[1]
वयस्क राठी गाय का वजन लगभग 280 - 300 किलोग्राम और बैल का 350-350 किलोग्राम होता है। राठी पशु की त्वचा भूरा व सफेद या काला व सफेद रंगों का मिश्रण होती है।
भारतीय गायों में राठी नस्ल एक महत्वपूर्ण दुधारू नस्ल है। यह गाय प्रतिदन 8 - 12 लीटर दूध देती है। कहीं-कहीं इसे 18 लीटर तक दूध देते हुए देखा गया है। राठी नस्ल के बैल बहुत मेहनती होते हैं। इस नस्ल के बैल गरम मौसम में भी लगातार 10 घंटे तक काम करतें हैं। ये रेगिस्तान में भरी-भरकम सामान खींचकर चल सकतें हैं। यह गाय भारत के किसी भी क्षेत्र में रह लेती है।राठी गाय को "राजस्थान की कामधेनु" भी कहते हैं।
GIR
यह नसल राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में पायी जाती है। इसे देसण, गुजराती, सूरती, काठियावाड़ी, और सोरठी भी कहा जाता है। इसका शरीर लाल रंग का होता है जिस पर सफेद धब्बे, सिर गुबंद के आकार का और लंबे कान होते हैं। यह गाय प्रति ब्यांत में औसतन 2110 दूध देती है।
चारा
इस नसल की गायों को जरूरत के अनुसार ही खुराक दें। फलीदार चारे को खिलाने से पहले उनमें तूड़ी या अन्य चारा मिला लें। ताकि अफारा या बदहजमी ना हो। आवश्यकतानुसार खुराक का प्रबंध नीचे लिखे अनुसार है।
खुराक प्रबंध
जानवरों के लिए आवश्यक खुराकी तत्व: उर्जा, प्रोटीन, खनिज पदार्थ और विटामिन।
खुराकी वस्तुएं:
अनाज और इसके अन्य पदार्थ: मक्की, जौं, ज्वार, बाजरा, छोले, गेहूं, जई, चोकर, चावलों की पॉलिश, मक्की का छिलका, चूनी, बड़ेवें, बरीवर शुष्क दाने, मूंगफली, सरसों, बड़ेवें, तिल, अलसी, मक्की से तैयार खुराक, गुआरे का चूरा, तोरिये से तैयार खुराक, टैपिओका, टरीटीकेल आदि।
#गौराष्ट्रयात्रा #gaurashtrayatra
Bharat singh ji aap gomata aur manav samaj ke liye adbhud kam kar rhe ho hukkam
जय गौ माता 🙏ये जो बबूल है ये हमारे महाराष्ट्र के विदर्भ प्रांत में भी फैल गई है , बहोत ही हानिकारक पेड है ये
बहुत नुकसान किया है
जय श्री राम
जय गो माता
जय जय राजस्थान
राजस्थान में तो हर कोई चीज सोना ही है
Kya sevan ke beej mil sakenge, jo charge hoga use de denge.
Kya iske bej mil sakte h jo bhi price hoga hum de denge 🙏🙏🙏 plz reply
शैतान सिंह जी की गायों का विडीयो दिखाए
जय श्री राम🌅 जय गो माता🙏🙏
जय गोमाता
जय गोमाता जय गोपाल जय नन्दी महाराज जय शंकर महादेव 🕉🕉🕉🕉🕉🙏🙏🙏🙏🙏
Such a useful information. We should protect govansh
जरूरी हैं
Sir ji bahut achha jankari di
Bahut sundar
जय गोमाता जय गोपाल
Nice information
जय गौ माता जय गोपाल
Ye phodhe itne khrab he ki mere kheto ki modo pr kahi kahi pr he vha koi bij ungta hi nhi hai or iske kate bahut jahrile he jha subega vha bahut jada dard hota he or hat suj jata hai or aap ese hi video banate rhe thankyou ❤️❤️
❣️❣️❣️
Jay Maa Karni Desnok
Aabhar
बहुत बहुत अच्छी जानकारी
आभार
हमारे गांव मैं भी गोशाला हैं सब दानदाता उपर ही चल रही हैं ओर दुधं का रेट भी बहुत कम मिल रहा हैं, 30,35, मिल रहा है गाय भी बहुत बडं रही हैं आज भी गोशाला -,7/8, लाख माईनस मैं चल रही हैं चारा बहुत महगां हो गया हैं जो 4"5 रुपये किलो मिलता था वो आज 10,12 रुपये किलो हो गया हैं आपके पास कोई विकल्प हो तो बताओ गांव चोराऊ तेहसील सायला जिला जालोर
Bharat ji you are doing a great job.....
जब से खेतों में ट्रेक्टर से तवी निकालना शुरू हुआ हैंं
शेवण का नामोनिशान मिट गया ज्यादातर जगहों पर
Ram Ram
जय गोमाता
Kheep ka upyog repeater cow and buffalo ke liye istemal hota h or iska pakka result milta h m 20saal se use karta hu
Bhai sa Ram Ram
Sewan ki beej chahiye
Plz upay bataye
Bharat bhai please ekbar nagori nasal ka bhi video banay 🙏🙏🙏🙏🙏
Sir ji Sevan ki bele ko mp Maharashtra me lagaye aur usse bij ko rajasthan punh le kr Rajasthan samudra kare
Sir eska beg Mel sekta h kya
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Kya iska bij mewar main bhi chal sakta hai
जी
Bilkul chalegi
Are bhai sevan foto najdik se thik dikhao
ये ध्यान नही दिया
Jab bhi ess babul ko dekhte hi kat diya kro