मैं रहता ही नहीं। तत्व हल्के आवरण हट रहे हैं। मन बुद्धि संस्कार उपरां हो रहा है। सबको बेहद की पररम शांति। परमशांति.ओआरजी. भी देखें। बेहद का महिपरिवर्तन हो रहा है।
बिल्कुल गलत। जो तलाश रहा है वह झूठ है . जब तलाश खत्म होकर शून्य हो जाएंगे तो वही चेतन शून्यता आत्मा है । जिसमें कोई प्रश्न नहीं उठता , प्रश्न हमेशा मन में उठते हैं ,मन सिर्फ एक विचार है , मन का अस्तित्व नहीं है
मन का अभाव - ही आतमा का भाव, मै। नही अहम। यानि अहंकार , अहंकार , अहम हाँ और वह वरहम है- मै शरीर मन - वुधी - ईनदरिया विषय और संसार नही - मै जन्म मरन से रहित , आतमा जो परमातमा का ही अँ श ह मैं - मे नही शरीर नही आतमा हूँ जो जन्मती मरती नही इस लिए आतमा को जानना की मैआतमा हू शरीर नही - जन्मता मरता / शरीर है - आतमानही
😂🌺☪️🕉️✝️🔯☮️☯️🕎🌺😂 मैं हूँ, मैं क्या हूँ, मैं कौन हूँ ?🧐 नेती…नेती… नेती से आगे इति… इति…इति✅🌺 दिव्य यात्रा निरंतर और अब स्थिति हैः- मैं क्या नहीं हूँ ? मैं कौन नहीं हूँ ? मैं ही मैं हूँ✅🌺✝️🕉️☪️🕎☯️☮️🔯🌺✅
जब सब तलाश छूट जायेगी तलाशने वाला रह नही जाएगा तब जो शून्यता बचेगी वही तुम हो , वही आत्मा है और उसका स्वभाव मौन है वह दृष्टा , बोध मात्र है , होश मात्र है , ध्यान ही हमारी आत्मा है ।। जब ये कॉमेंट लिखने वाला भी मिट जाएगा और यूट्यूब पर sreach करना भी छूट जाएगा अपने आप वो अनंत शांति है ।। अभी तो अशांति है , ये अशांति ही तो मन है यही तो आत्मा को खोज रही है जो अशांति है , जब अशांति यानी मन जो ये विचार करता है ये मिटने के बाद शून्यता ही तो बचती है जो चैत्नय है । वही आत्मा है और आत्मा कभी घोषणा नही करती , घोषणा करने वाला तो अहंकार है । शुरुवात मौन से करो ।। मौन के बिना तुम कभी आत्मा को न जान सकोगे ।। मैं खुद 5 साल के लिए मौन हूं और कभी कभी रमन महर्षि जी के परवचन सुन लेता हूं । और मैं परिवार के साथ रहता हूं ना कि जंगल में , । ये संभव है । अशांति बाहर नहीं है मन ही अशांति का दूसरा नाम है ।। मन ही प्रश्नकर्ता है जिस मात्र में प्रश्न खत्म हो जाएंगे तो समझना उतना % मन खत्म हुआ ।।
🕉💥अहोभाव (मन से मौन हो जाना) 💖🌹👏🙏🕉
मेरे सत गुरू बार बार प्रणाम प्रणाम ❤❤🎉🎉🎉🎉🎉😅
Jai gurudev के चरणों मे प्रणाम
💯💯💯👍🏾👍🏾👍🏾👍🏾🙏🙏🙏 bahut hi good Rahasya aur presentation hai thank you thank you thank you very much Gurudev
Continue practice ki need hai
Thanks!
🙏❤️ koti koti naman. ❤️🙏
जय गुरुदेव....
Om hi Satya hai
🙏🙏 जय श्रीराम
अद्भुत, बहुत बढ़िया वीडियो बनाई, धन्यवाद 🙏
Raman bhagavan ko koti koti naman🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 🕉🙏🔱👏🚩🙌🏼
मैं रहता ही नहीं। तत्व हल्के आवरण हट रहे हैं। मन बुद्धि संस्कार उपरां हो रहा है। सबको बेहद की पररम शांति। परमशांति.ओआरजी. भी देखें। बेहद का महिपरिवर्तन हो रहा है।
🙏🙏🙏
नमन
Many Many Thanks for sharing such wisdom with us. 🙏❤️
अपने आप को कुछ मत मानो जो है वह है🌹🌹🙏🙏🌹🌹
बहुत बहुत आभार 🙏🙏
जय सिया राम🌺🙏🙏
I like
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
धन्यवाद 🙏
🙏💐😇🙂
Om namahshivaay🙏🙏🙏
🙏🙏
I am nothing= I am everything
हे भगवान 🙏🙏🙏
Mene khud ko bahut talasha, jab jana jo talash raha hai bus v surat hi mein hun,
बिल्कुल गलत। जो तलाश रहा है वह झूठ है . जब तलाश खत्म होकर शून्य हो जाएंगे तो वही चेतन शून्यता आत्मा है । जिसमें कोई प्रश्न नहीं उठता , प्रश्न हमेशा मन में उठते हैं ,मन सिर्फ एक विचार है , मन का अस्तित्व नहीं है
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🪔👏🧘♂️
Mera bhi ye he Question ❓ hai ki mai beavhar me apne atma swaroop me hamesha kaise Hosh me rahu please Reply I 🙏🙏🙏Hari om 🙏🙏
मन का अभाव - ही आतमा का भाव, मै। नही अहम। यानि अहंकार ,
अहंकार , अहम हाँ और वह वरहम है- मै शरीर मन - वुधी - ईनदरिया विषय और संसार नही - मै जन्म मरन से रहित , आतमा जो परमातमा का ही अँ श ह
मैं - मे नही शरीर नही आतमा हूँ जो जन्मती मरती नही इस लिए आतमा को जानना की मैआतमा हू शरीर नही - जन्मता मरता / शरीर है - आतमानही
Gyan kese ho
Nmn
😂🌺☪️🕉️✝️🔯☮️☯️🕎🌺😂
मैं हूँ, मैं क्या हूँ, मैं कौन हूँ ?🧐
नेती…नेती… नेती से आगे इति… इति…इति✅🌺
दिव्य यात्रा निरंतर और अब स्थिति हैः-
मैं क्या नहीं हूँ ?
मैं कौन नहीं हूँ ?
मैं ही मैं हूँ✅🌺✝️🕉️☪️🕎☯️☮️🔯🌺✅
जब सब तलाश छूट जायेगी तलाशने वाला रह नही जाएगा तब जो शून्यता बचेगी वही तुम हो , वही आत्मा है और उसका स्वभाव मौन है वह दृष्टा , बोध मात्र है , होश मात्र है , ध्यान ही हमारी आत्मा है ।। जब ये कॉमेंट लिखने वाला भी मिट जाएगा और यूट्यूब पर sreach करना भी छूट जाएगा अपने आप वो अनंत शांति है ।। अभी तो अशांति है , ये अशांति ही तो मन है यही तो आत्मा को खोज रही है जो अशांति है , जब अशांति यानी मन जो ये विचार करता है ये मिटने के बाद शून्यता ही तो बचती है जो चैत्नय है । वही आत्मा है और आत्मा कभी घोषणा नही करती , घोषणा करने वाला तो अहंकार है । शुरुवात मौन से करो ।। मौन के बिना तुम कभी आत्मा को न जान सकोगे ।। मैं खुद 5 साल के लिए मौन हूं और कभी कभी रमन महर्षि जी के परवचन सुन लेता हूं । और मैं परिवार के साथ रहता हूं ना कि जंगल में , । ये संभव है । अशांति बाहर नहीं है मन ही अशांति का दूसरा नाम है ।। मन ही प्रश्नकर्ता है जिस मात्र में प्रश्न खत्म हो जाएंगे तो समझना उतना % मन खत्म हुआ ।।
Bahot bahot dahnyvad 🙏🙏
वहु त। सुनदर -
🙏🙏