|| ISTEQBAL E MAH E MOHARRAM|| LAHNA AZADARI 2024|| AHLE AZA YE CHAND MOHARRAM KA CHAND HAI||
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- Опубліковано 5 лип 2024
- #lahna_azadari
#isteqbale_mahe_moharram
KALAM- WAYEZ SULTANPURI
Lyrics (Hindi)
अहले अज़ा ये चाँद मोहर्रम का चाँद है
निकला ग़मे हुसैन के मौसम का चाँद है
ये फ़ातेमा के लाल के मातम का चाँद है
फरशे अज़ा बिछाओ बड़े ग़म का चाँद है
इस चाँद में अली का दुलारा हुआ शहीद
इस चाँद में रसूल का प्यारा हुआ शहीद
1.
घर मे सजाओ परचमे अब्बासे बा वफ़ा
औऱ उसके पास लाके रखो शह का ताज़िया
पढ़ते रहो हुसैन की गुरबत का मर्सिया
था जिसका इंतेज़ार वो दिन फिर से आ गया
पुरसे को शाहज़ादिये कौनेन आई हैं
फरशे अज़ा पे मादरे हसनैन आई हैं
2.
मोनिस ना बच सका कोई यावर ना बच सका
क़ासिम ना बच सके अली अकबर ना बच सका
बत्तीस साल वाला बरादर ना बच सका
हद हो गई कि नन्हा सा असगर ना बच सका
इस चाँद में उजड़ गई खेती रसूल की
इस चाँद में लुटी है कमाई बतूल की
3.
करबोबला के बाद भी पड़ती थी जब नज़र
लैला तड़प के रोती थी ये चाँद देखकर
शिद्दत से याद आता था कड़ियल जवां पिसर
सीने पा ज़ख्म और वो फ़रज़न्द का जिगर
कहती थी मेरा चाँद तो मिट्टी में मिल गया
अए चाँद बार बार मेरे सामने न आ
4.
वाएज़ हेलाले माहे मोहर्रम को देखकर
सीने में कांप जाता है अक्सर मेरा जिगर
रोता है दिल हुसैन की गुरबत को सोचकर
जाती है मेरी फिक्र सकीना के दर्द पर
इस चाँद में हुसैन की प्यारी हुई यतीम
सीने पे सोने वाली दुलारी हुई यतीम
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