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श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमनहरण भवभय दारुणं ।नव कंज लोचन कंज मुखकर कंज पद कंजारुणं ॥१॥कन्दर्प अगणित अमित छविनव नील नीरद सुन्दरं ।पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचिनोमि जनक सुतावरं ॥२॥भजु दीनबन्धु दिनेश दानवदैत्य वंश निकन्दनं ।रघुनन्द आनन्द कन्द कोशलचन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥शिर मुकुट कुंडल तिलकचारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।आजानु भुज शर चाप धरसंग्राम जित खरदूषणं ॥४॥इति वदति तुलसीदास शंकरशेष मुनि मन रंजनं ।मम् हृदय कंज निवास कुरुकामादि खलदल गंजनं ॥५॥मन जाहि राच्यो मिलहि सोवर सहज सुन्दर सांवरो ।करुणा निधान सुजान शीलस्नेह जानत रावरो ॥६॥एहि भांति गौरी असीस सुन सियसहित हिय हरषित अली।तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनिमुदित मन मन्दिर चली ॥७॥॥सोरठा॥जानी गौरी अनुकूल सियहिय हरषु न जाइ कहि ।मंजुल मंगल मूल वामअङ्ग फरकन लगे।रचयिता: गोस्वामी तुलसीदास
ಸೂಪರ್ ಹಾಡು 🙏 ಜೈ ಶ್ರೀ ರಾಮ 🙏😊
Jaii jyabhirama 🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🙏pranammm🙏🙏🙏🙏shri ramm chandra jaii ramm chandra 🙏🙏🙏
🙏
Satya sai bhajan group sang this very beautifully also.Ofcourse this is very very well sung❤❤❤❤Om sai Ram🙏🙏🙏🙏
@@raba1721 thank you 🙏
Kalyan ramaaaaa kamniyea ramaaa 🌷🍓🌷🌹🍓🍏🌷🌹🍏🌹🍐🌹🍒🌹🌸🍓🌸🍒🌸🍒🙏🙏🙏🙏🙏🙏pranammmm
Thank you 🙏
Divine Rendition. Blessed to listen this Bhajan from Sri Maruti Prasad Ji. Sairam💕🙏💕🙏💕
What a feel. Maruthisir forever genius.🙏
ಜಯರಾಮ್ ಶ್ರೀರಾಮ್.ಶ್ರೀಗುರುಭ್ಯೋ ನಮ:
Jai shree Ram
@@ganapursiddiramappa8132 🙏
Very nice sir super excellent
Sai Ram
Super🎉🎉song rendering
exalannt❤🎉🙏🙏
AUM Shree sairama 🍁🌸💮🌼🌸🌸💮🌼🌸🌸💮
Beautiful🙏
Lirics petandi sir
👍🙏
श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं ॥२॥
भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥
शिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥
इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं ॥५॥
मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो ॥६॥
एहि भांति गौरी असीस सुन सिय
सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥
॥सोरठा॥
जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम
अङ्ग फरकन लगे।
रचयिता: गोस्वामी तुलसीदास
ಸೂಪರ್ ಹಾಡು 🙏 ಜೈ ಶ್ರೀ ರಾಮ 🙏😊
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