Kay hama dhiyan dhare, nase, ki, ci, be, bha, shoh, ko, jaldi, ci khna ohare, samjna sar, l, hay, kay, eiske, liye, hamay, konsa, yoag, ya pranayam karna chahiye, ohar, kise, ke, dilki, bat, jana na, ci, khna, haye, kon, sa yooag ohar, pranayam, kar, na, cha, hi, ye,, ki, kuchi, mah, no, may, ahi, sa, prati, t, ho, hamay, ki, ya, sab, hamay, aha, sain, lage
Guru ji mujhe kuchh din se left ear me ghnti bjne ki awajein bht zyada aa rhi hain kahin ye tinnitus desease to nhi hai? Pls.sir jaldi btane ki kripa Karen
Namaskar sir! Pichle 6months se meri health me problem chal rha hai ...me aapko symptoms batati hoo plz aap Thora guide kriye..ki body me konsa tatva imbalance hai ya koi aur vajan se hai...mujhe eyes me redness lusty vision,dark circles ho rha hai..sharir me thakan..pairo ke panjo me dard..constipation...irregular periods...ho rhe hai...Motapa bdh gya..face me bhi swelling jesa fuul kya hai..sexual dysfunction...jaisi samasya hai.sharir me acidity ka level bhi bdh jata hai....me 3yrs se sadhna me hoo.lekin..ab koi jaap krne se heat wapis bdh jaaty hai...plz guide sir...🙏
आपकी आँखों की समस्या तो ज्यादा फोन या कंप्युटर आदि को यूज करने के कारण या किसी इंफेक्शन के कारण हो सकती है, लेकिन बाकी सभी बातें जो आपने बताई है वो पहले दो चक्रों यानि मूलाधार व swadhishtan चक्र से सम्बन्धित है, इसमे भी आपको मूलाधार चक्र पर आपको ज्यादा काम करना चाहिए, क्योंकि यदि मूलाधार संतुलित हो गया तो काम ऊर्जा संतुलित हो जायेगी और swadhishtan मे वहीं ऊर्जा फिर जब जायेगी तो कामवासना ना बनकर सृजन बन जायेगी। आप अपना मूलाधार चक्र इस प्रकार विकसित कर सकते है:- सप्त चक्रों के क्रम मे मूलाधार पहला चक्र है, इस चक्र के जाग्रत होने पर व्यक्ति के भीतर वीरता, निर्भीकता और आनंद का भाव जाग्रत हो जाता है। व्यक्ति की आर्थिक स्थिति मे सुधार होता है तथा उसकी समाजिक असुरक्षा दूर होती है । व्यक्ति के शरीर का मध्य भाग व इसके अंग गुप्तांग, गुर्दे, लिवर आदि का स्वास्थ्य उतम रहता है । ऊर्जा की प्रबलता बनी रहती है तथा मूलाधार से आगे के चक्रों मे बढने मे सुविधा हो जाती है । इस चक्र के जागृत होने से भगवान गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है । मूलाधार जागृति के लिये निम्न बाते बहुत जरुरी है :- मूलाधार चक्र का रंग लाल है अतः लाल रंग की वस्तुओं को अपने समीप रखना व लाल रंग के खाध पदार्थों का उपभोग करना उतम है, इसके इलावा कुछ ऐसे व्यायाम करना जिससे हमारे शरीर के मध्य भाग मे जोर पडे जैसे उठक-बैठक, दौडना, टहलना आदि लाभदायक है । कुछ योग आसन जैसे भुजंंग आसन, धनुरसन, चक्र आसन, कुर्सी आसन आदि भी मूलाधार जागृति करते है, कपालभाति, अग्निसार, भस्त्रिका आदि प्राणायाम भी मूलाधार मे जाग्रति लाते है । इसके इलावा ताड़न क्रिया, अश्वनी मुद्रा भी बहुत प्रभावी है । इस चक्र के देवता श्री गणेश है अतः इस चक्र पर ध्यान लगाते हुए भगवान गणेश जी के मंत्र का जाप करने से यह चक्र जागृत होता है । मंत्र इस प्रकार है : ॐ गं गणपतये नम: निम्नलिखित ध्यान से भी आप मूलाधार जागृति कर सकते है : किसी भी ध्यानात्मक आसन में बैठ जाएं। अपने दोनों हाथों को ज्ञान मुद्रा में रखें तथा अपनी आंखों को बन्द करके रखें। अपनी गर्दन, पीठ व कमर को सीधा करके रखें। अब सबसे पहले अपने ध्यान को गुदा द्वार व जननेन्द्रिय के बीच स्थान मे मूलाधार चक्र पर ले जाएं। फिर मूलाधार चक्र पर अपने मन को एकाग्र व स्थिर करें और अपने मन में चार पंखुड़ियों वाले बन्द लाल रंग वाले कमल के फूल की कल्पना करें। फिर अपने मन को एकाग्र करते हुए उस फूल की पंखुड़ियों को एक-एक करके खुलते हुए कमल के फूल का अनुभव करें। इसकी कल्पना के साथ ही उस आनन्द का अनुभव करने की कोशिश करें। उसकी पंखुड़ियों तथा कमल के बीच परागों से ओत-प्रोत सुन्दर फूल की कल्पना करें। इस तरह कल्पना करते हुए तथा उसके आनन्द को महसूस करते हुए अपने मन को कुछ समय तक मूलाधार चक्र पर स्थिर रखें। अथवा शांत होकर, आँखे बंद करके, कमर को सीधा रखते हुए, ध्यानस्थ मुद्रा मे बैठ जाये, अब अपना पुरा ध्यान अपनी आती जाती श्वास पर लाये और जब भी श्वास अंदर आये तो " औम" और जब भी श्वास बाहर आये तो " लं " बीज मंत्र का मानसिक उचारण करे ।
@@Dhyankagyan777 thanks alot for your reply. Me bahut dino se wait kr rhi thi reply kaa.sir meri ankho ki samasya acidity aur heat ke badhne se ho rhi hai mera agni tatva bhi asantulit ho gya hai..jo manipur chakra se related hai..jiske liye me aapka bataya dhyan follow kr rhi hoo agni mudra lagake krne ka...isse kuch aram hai.....sir kya me naabhi chakra pe kam krke niche ke chkro me santulan laa skti hoo...???me aapne bataya hua bhi follow krungi...iske liye plz bataye ki myladhar chakra dhya konsi disha me muh krke baithna hoga
Guruji mene jab dhyan karna suru kiya to ek baar muje jo anubhav hua vo bohot tivra thaa..mera man ekdum astitva k savalo se bhara hua tha or me emotion se bhara hua tha tab achanak seer k andar se jese k koy raas bhari potli fut gai ho or achanak se pure seer me thandak fel gai or man ek dum sunya bhav me chala gaya.....kripya ise samjaye🙏🏻
ध्यान के अभ्यास के दौरान भांति भांति के आध्यात्मिक व रहस्यमयी अनुभव हमें अक्सर होते रहते हैं, कुछ अनुभवों का हम विश्लेषण कर के उनका अर्थ जान सकते हैं और कुछ अनुभवों का हूबहू अर्थ समझना सम्भव नहीं होता क्युकी वे अनुभव हमारे अस्तित्व के गहरे तलो पर होते जहा पर हमारी बुद्धि की पहुंच नहीं होती, आपके य़ह अनुभव भी उसी ढंग के है और नितांत व्यक्तिगत है। अतः इनका विश्लेषण नहीं किया जा सकता, किन्तु इतना तो कहा जा सकता है की आपके य़ह अनुभव सुन्दर और शुभ है।
@@Dhyankagyan777 hello sir,, Mere iss problem ko abhi 6months ho rhe hai...me jo bhi chakra dhyan kr rhi hoo usse asar ulte nazar aa rhe hai...aaj mene apka video dekhkr jab prithvi mudra lagakr muladhar pr dhyan kiya to meri ankhi me dard hone laga aur sharir me kamvasna adhik nazar aane lagi...jisse mera social life bahut kharab ho gya hai..me samaz nhi paa rhi ki kya problem ho rha hai exactly...konsa tatva chakra kharab hua haii..plz guide me help me
मेरे आज्ञा चक्र पर सारा दिन वाइव्रेशन होती है खीचब होता है लेकिन मेरा ध्यान नही लगता मैं साधना मैं 4 घंटे तक बेटा हू दिन मैं 8 घंटे ऊर्जा तो काफी महसूस होती है लेकिन ध्यान में सफलता नहीं मिल रही।
जो खिंचाव आज्ञा चक्र पर आप महसूस कर रहे है, उसका मतलब की आपकी प्राण ऊर्जा य़हा पर पहुँच रही है जोकि एक शुभ संकेत है। वस्तुतः ऐसा अनुभव हमारे मस्तिष्क में स्थित आज्ञा चक्र के पार्थिव रूप pineal gland के कारण होता है, य़ह अनुभव उसका स्पन्दन है जो निरन्तर जारी रहता है, लेकिन हम इस भाव को केवल ध्यान के दौरान ही महसूस कर पाते है क्योंकि उस दौरान हमारा मन एकाग्र और शांत होता है जिस कारण से हमें ऐसा महसूस होता है, व्यस्तता के चलते हमे ऐसा कम महसुस होता है। जब ध्यान सघन होने लगता है तो ऊर्जा ऊर्ध्वगमन करके मस्तिष्क में एकत्रित होने लगती है इस कारण से नए तन्तु खुलते है जिससे सर में खिंचाव व वाइब्रेशन होने की अनुभूति होती है।
ध्यान मे सफ़लता मिलने की आपकी क्या परिभाषा है वह मुझे नहीं मालूम, लेकिन यदि आपको ध्यान से निम्नलिखित बदलाव आ रहे हैं तो समझे की आपको सफ़लता मिल रहीं हैं ध्यान मे यदि आपको ये लक्षण आ रहे हैं तो आप ठीक चल रहे हैं और ध्यान मे आप सफ़लतापूर्वक आगे बढ़ रहे है :- 1) आपका तनाव, चिंताएं, टेंशन, बेचैनी, परेशानियां पहले से बहुत कम या बिल्कुल खत्म हो गई हो। 2) आप की सभी नकारात्मक मानसिक, या भावनात्मक स्थितियां, सकरात्मक हो गई हो। 3) आपके जीवन मे एक व्यव्स्था, एक नियम और अनुशासन आ गया हो, जो जबरदस्ती से नहीं ब्लकि आनंद से चल रहा हो। 4) आपमे स्वीकार भाव, प्रेम, जागरुकता और सजगता की वृद्धि हो रहीं हो। 5) आपको ध्यान साधना के दौरान खूब आनंद आता हो
Hii Koi koi guruji kahte h ki..jo twin hote h jo ki poore world me 5%hai....unke andar 5 tataw me se kisi tatw ki kami hoti hai...jiise ki wo complete nhi hopate h...jo wo milte h ek dusre se to complete hote h...kya yah sahi hai...twin souls hote h...agar hote h ..wo male and female ke rup me birth liye ho to kya unki marriage ho sakti...agar ho sakta h to itna separation kyu hota hai.???
ऐसा बहुत दुर्लभ होता है की किसी की सुषुम्ना नाड़ी हर समय चलती रहे, हालांकि योग का सारा उद्देश्य ही यही है की साधना के अभ्यास से सुषुम्ना नाड़ी अधिक से अधिक सक्रीय होती चली जाये, अभी सामान्यतः हर एक घण्टे के अन्तराल मे 2 से 5 मिनट तक ही सुषुम्ना सक्रीय होती है, लेकिन अभ्यास के द्वारा य़ह समय धीरे-धीरे बढ़ता चला जाता है।
अक्सर जब साधक अपनी साधना के दौरान योग, प्राणायाम व ध्यान आदि की विभिन्न क्रियाओं का अभ्यास करता है तो कुछ दिनो मे इन क्रियाओं के प्रभाव से शरीर मे गर्मी बढ़ने लग जाती है, ताकि शरीर मे ताप को बढ़ा कर अशुद्धियों को जलाया जा सके । जागृत ऊर्जा अपने मार्ग की सफाई शरीर मे ताप को बढ़ा कर करती है ताकी उतप्त हुए शरीर मे सभी अशुद्धिया जल जाये । इसी लिये तो हमारे शरीर मे बुखार भी होता है, वस्तुतः बुखार होता ही इसलिये है ताकि इसकी गर्मी मे हानिकारक जीवाणु भस्म हो जाये । अतः जब भी साधना के दौरान आपको ऐसे लक्षण अनुभव हो तो उनको स्वीकार करे व ऊर्जा को अपना काम करने दे । किंतु फिर भी यदि आपको ज्यादा तकलिफ हो तो आप ज्यादा से ज्यादा इतना कर सकते है की खुब पानी पिये, अपने आहार मे ठण्डी तासिर के खाध पदार्थो तथा सुपाच्य भोजन व फल आदि का सेवन करे । अनुलोम-विलोम, शीतली, सित्कारि, चंद्र भेदी प्राणायाम का नित्य अभ्यास करे । अधिकतर जब आप सोते या लेटते है तो बाई नासिका को ऊपर की और रख कर सोये यानि दाई करवट लेकर सोये इससे आपकी चंद्र नाडि जो शरीर को शीतलता देती है, वह चलेगी और शरीर की और मस्तिष्क की अति की गर्मी शान्त होगी ।
अगर आपको आपकी ध्यान साधना के लिये किसी गुरु का सानिध्य मिल जाता है और उनसे आपकी श्रद्धा बन जाती है तो यह बहुत उतम बात है, लेकिन अगर नही भी मिल पाते है तो किसी भी अनुभवी, ज्ञानी, जानकार, विद्वान या शिक्षक से भी आप मार्ग दर्शन ले सकते है । अगर वो भी नही मिल पाते है तो अपनी अंतरात्मा को अपना गुरु मानकर भी आप आगे बढ़ सकते है, अन्यथा आप अपने इष्ट देवता को अपना गुरु मानकर भी आगे बढ़ सकते है ।
@@anjusood4083 मैं आपका गुरु तो नहीं लेकिन एक मार्गदर्शक बन कर आपकी सहायता कर सकता हूं, अगर आपको कोई समस्या आए या कोई प्रश्न हो तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं।
Jai gurudev🙏🙏 Sir me kisi ko bhi dukhi dekhti hu to mujhe bhut pareshan ho ja rhi hu, bhut jyada hi immotional ho ja rhe hai bs rote rhte hai bina mtlb me hi kya kru sir margdarshan kre
इसका मतलब की आपका हृदय चक्र सक्रीय हो रहा है जिस वजह से आप अत्यधिक सम्वेदनशील और भावुक हो रहे हैं, य़ह तो अच्छी बात है, लेकिन यदि आपको लगता है की य़ह भावुकता जरूरत से ज्यादा हो रहीं हैं तो आप अपने आज्ञा चक्र पर भी ध्यान का अभ्यास करे जिससे आपमे ज्ञान का उदय होगा और अतिरेक की भावनाएं संतुलित होने लगेगी।
@@Dhyankagyan777 dhanyawad sir apne jaisa btaya hai vaisa hi karege. Sir apne bataya tha ki ek taraf focus kro chahe study y adhyatm to mne study p focus kiya ab iska kafi achcha result rha hai Apke margdarshan se mujhe bhut labh hua hai 🙏🙏🙏🙏🙏
Sir apne yhi nhi btaya ki konci finger ko thumb se milakar dhayan me baithne se kya hota jese ki apne akash ki middle finger ko thumb se Milao and chitli ungli ko thumb se milakar earth ka tatwa badta hai aese hi others fingers ke bare btaye Please
आप ध्यान और जाप को समझने की कोशिश करे। जाप एक आरंभिक बिंदु है जिसका अंतिम लक्ष्य होता है निर्विचार स्थिति मे पहुंचना, और जब साधक निर्विचार स्थिति यानि गहरे ध्यान मे प्रवेश कर जाये तो वहाँ पर जाप का काम पूरा हो जाता है, तब ऐसी स्थिति मे साधक को जाप बंद करके गहरे ध्यान मे चले जाना चाहिए। इस बात को इस प्रकार समझे की आपको नांव से नदी पार करनी है और जब किनारा आ जाता है तो आप नांव से उतर कर आगे बढ़ जाते हैं, मंत्र का काम भी नांव की तरह गहरे ध्यान तक पहुंचाना है, जब ध्यान की गहराई मे आप पहुंच जाते है तो नांव की तरह ही मंत्र को छोडकर ध्यान मे आगे गहरे बढ़ जाये। कहा भी गया है की जब मंत्र सिद्ध हो जाये तो माला टूट जाती है अर्थार्त गहरे ध्यान मे प्रवेश होने पर मंत्र छूट जाता है । इसलिए जाप के दौरान जब जाप बोझिल होने लगे और ध्यान मे गहराई बढ़ने लगे तो उस समय मंत्र को छोड़कर निर्विचार अवस्था मे चले जाना चाहिए। अपनी बैठक में आपको पहले जाप करना चाहिए और फिर ध्यान करना चाहिए।
इसका मतलब आपकी जागृत ऊर्जा संतुलित रूप से बॉडी मे डिस्ट्रीब्यूट नहीं हो पाती है, इसके लिए आपको अपने बंद द्वार खोलने होगे ताकि ऊर्जा को उसका रास्ता मिल सके, लेकिन सूक्ष्म शरीर मे मौजूद कुछ अशुद्धियों के कारण अथवा ब्लॉक के कारण ऊर्जा रास्ते मे अटक जाती है, इसलिए आपको अपना शुद्धीकरण करना चाहिए। शुद्धि से मुख्यतः अर्थ है अपने स्थूल शरीर के साथ साथ सूक्ष्म शरीर की इडा पिंगला सुष्मना आदि नाड़ियों को शुद्ध करना, क्युकि जब ध्यान के दौरान उर्ज़ा जागृत होती है तो इन्ही नाड़ियों के माध्यम से खासकर सुष्मना नाडि के माध्यम से उर्ज़ा उर्ध्व गामी होती है अतः ध्यान मे सब से पहले इस नाडि के मार्ग को साफ करने का विधान है नाड़ी अशुद्धियों के कारण बंद रहती है और प्राणायाम की मदद से हम इसे शुद्ध कर सकते हैं। इसके इलावा दिर्ध श्वास प्र्श्वास यानि निरंतर लम्बी गहरी सांस लेने की आदत डालनी चाहिये । जल नेति, सूत्र नेति का अभ्यास, योग अभ्यास जैसे त्रिव गति से सुर्य नमस्कार करना चाहिए। और ध्यान में बैठने से पहले कुछ शुद्धि दायक प्राणायाम करें जैसे कि कपालभाति और नाड़ी शोधन।
@@Dhyankagyan777 guruji sat sat naman , mere sawal k jawab dene k liye dhanyawad. m thoda detail m apni samasya batana chahta hun. meri urja jb upper uthti h to muje esa to nhi lgta ki koi blockage h blki urja jyada hoti h meri capacity s jyada jise m sambhal nhi pata jis karan mera sir dard krne lgta h ,isi k karan ek baar mera sarir gubare ki tarah fool gya tha.to iske liye apne jo upay bataya h wo kaam krega. iske alawa ye sb hone se mera dhyan krna chhoot gya h. m prannayam krta hun to b meri urja chadne lagti h, sarir mera sukhta ja rha mere baal safed ho rhe h, muje ye chinta rahti h ki meri umar abi 30 h aage kha tk chal paunga, dhyan krne k man hota h lekin is sb k chalte kr nhi pata hoon, kripya margadrshan kren.
Jay gurudev Apki vdos kmal ki Hoti h ap me bhot bhot gyan h u have deep knowledge of spritualty I really like your vdos Nd your lovely smoothly voice Plz make vdo on Mantra Lekhan I really want vdo on this topic I know u will definitely make vdo on this topic I m truly grateful to you... Thankyou so much 🥰
@@Dhyankagyan777 muje ek bat janni thi kya koi tatv jyada बढ़ा हुआ है तो इस पर dhayan lgane se wo बढ़ेगा की बैलेंस होगा?? Plz rpl क्योंकि मुझे डर है की जो बढ़ा हुआ तत्व हे उस चक्र तत्व पे ध्यान लगाने से वो और बढ़ेगा?
@@kajalagarwal1507 अगर हम किसी भी तत्व पर ध्यान लगाते हैं तो ऐसा तत्व ना तो बढ़ेगा और ना ही घटेगा, अपितु संतुलित होगा, इसलिए आप चिंतित ना हो की कहीं तत्व ज्यादा ना बढ़ जाये, जरूरत से ज्यादा किसी तत्व का बढ़ना तो असंतुलन होगा जबकि ध्यान संतुलन लाता है। इसलिए आप निश्चित होकर संतुलन के उद्देश्य से तत्व ध्यान कर सकते है। कम या ज्यादा का तत्व असंतुलन अधिकतर हमारे गलत खान पान और अनुचित जीवन शैली से आता है ।
नमस्ते धन्यवाद ॐनमःशिवाय
🙏🙏🙏 khub sundor
Bahut bahut dhanyawad aapka 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
नमस्ते धन्यवाद आपने पंच महाभुतो का ज्ञान दिआ वो बहु मुल्य है आज के लोगो को पंच महा भुत क्या हे वही मालुम नही ॐनमःशिवाय
Bhot bhot dhanyawad
ਧਂਨਵਾਦ ਜੀ🙏🏻
Bahut badhiya information koti koti naman🙏🙏🙏🙏🙏
Adbhut
Bohot sunder aartha bataya hai aap ne
Hare krishna prabhuji
Bahu upyogi jankari
Thank you very much
जय हो🙏🙏
आपकी knowledge बहुत भला करती है hunara, thank you for this love, sir🙂🙏✨🧘🦋🌜
Bahut bahut Subhkamna
Very Nice Information about all Five Elements, Thanks.
Bahut bahut Sunder
धन्यवाद
Good info, thanks for sharing
Vayu mudra main tarjani ungli ke Gra bhag ko anguthe ke mool main laguna hota hain.
Very very useful master ji
Very important knowledge 🙏
Kay hama dhiyan dhare, nase, ki, ci, be, bha, shoh, ko, jaldi, ci khna ohare, samjna sar, l, hay, kay, eiske, liye, hamay, konsa, yoag, ya pranayam karna chahiye, ohar, kise, ke, dilki, bat, jana na, ci, khna, haye, kon, sa yooag ohar, pranayam, kar, na, cha, hi, ye,, ki, kuchi, mah, no, may, ahi, sa, prati, t, ho, hamay, ki, ya, sab, hamay, aha, sain, lage
Iske liye aapko tratk meditation karna chahiye
Very very nice information
👌👌👌🙏
जल तत्व की आकृति आज तक मिरर पर बनती नहीं देखी है क्या किसी को दिखा ? बाकी सब तत्व मिरर पर स्वास छोड़ने से आकृति बनती हे
Bahut badiya 🙏🙏🙏
Babut aachi knowledge
गुरुजी, यह एक बहुत ही बहुमूल्य विडीओ है। इस के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा। 🙏🏻
ओम शांति 💐 🙏
इतना पावन एवं अमूल्य ज्ञान प्रदान करने के लिए आपको अनंत धन्यवाद, अनंत साधुवाद,
शब्दों द्वारा तो आपका आभार व्यक्त नहीं किया ही जा सकता ।
Guru dev🙏 aap ko pranam 🙏
Dhanyawad 💐💐💐🙏
आपकी विडीयो सुनकर काफी जानकारी मिली हे। थनयवाद।
🙏
Thank u🙏🏻🙏🏻
Thankyou sooo much for this video
बहुतही सुन्दर विश्लेषण
Om namah shivay 🙏 pranam guruji.
🌹Jay gurudeo🌹
सर जी बहुत ही बडीआ जानकारी देते हो जी
Gurudev ko Charan ispars
GREAT
अति सुन्दर, इस जानकारी की लंबे समय से जिज्ञासा थी। आज इस वीडियो के माध्यम से जिज्ञासा शांत हुई। चरण स्पर्श, सादर प्रणाम।
Guru ji mujhe kuchh din se left ear me ghnti bjne ki awajein bht zyada aa rhi hain kahin ye tinnitus desease to nhi hai? Pls.sir jaldi btane ki kripa Karen
Namaskar sir!
Pichle 6months se meri health me problem chal rha hai ...me aapko symptoms batati hoo plz aap Thora guide kriye..ki body me konsa tatva imbalance hai ya koi aur vajan se hai...mujhe eyes me redness lusty vision,dark circles ho rha hai..sharir me thakan..pairo ke panjo me dard..constipation...irregular periods...ho rhe hai...Motapa bdh gya..face me bhi swelling jesa fuul kya hai..sexual dysfunction...jaisi samasya hai.sharir me acidity ka level bhi bdh jata hai....me 3yrs se sadhna me hoo.lekin..ab koi jaap krne se heat wapis bdh jaaty hai...plz guide sir...🙏
आपकी आँखों की समस्या तो ज्यादा फोन या कंप्युटर आदि को यूज करने के कारण या किसी इंफेक्शन के कारण हो सकती है, लेकिन बाकी सभी बातें जो आपने बताई है वो पहले दो चक्रों यानि मूलाधार व swadhishtan चक्र से सम्बन्धित है, इसमे भी आपको मूलाधार चक्र पर आपको ज्यादा काम करना चाहिए, क्योंकि यदि मूलाधार संतुलित हो गया तो काम ऊर्जा संतुलित हो जायेगी और swadhishtan मे वहीं ऊर्जा फिर जब जायेगी तो कामवासना ना बनकर सृजन बन जायेगी।
आप अपना मूलाधार चक्र इस प्रकार विकसित कर सकते है:-
सप्त चक्रों के क्रम मे मूलाधार पहला चक्र है, इस चक्र के जाग्रत होने पर व्यक्ति के भीतर वीरता, निर्भीकता और आनंद का भाव जाग्रत हो जाता है। व्यक्ति की आर्थिक स्थिति मे सुधार होता है तथा उसकी समाजिक असुरक्षा दूर होती है । व्यक्ति के शरीर का मध्य भाग व इसके अंग गुप्तांग, गुर्दे, लिवर आदि का स्वास्थ्य उतम रहता है । ऊर्जा की प्रबलता बनी रहती है तथा मूलाधार से आगे के चक्रों मे बढने मे सुविधा हो जाती है । इस चक्र के जागृत होने से भगवान गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है ।
मूलाधार जागृति के लिये निम्न बाते बहुत जरुरी है :-
मूलाधार चक्र का रंग लाल है अतः लाल रंग की वस्तुओं को अपने समीप रखना व लाल रंग के खाध पदार्थों का उपभोग करना उतम है, इसके इलावा कुछ ऐसे व्यायाम करना जिससे हमारे शरीर के मध्य भाग मे जोर पडे जैसे उठक-बैठक, दौडना, टहलना आदि लाभदायक है । कुछ योग आसन जैसे भुजंंग आसन, धनुरसन, चक्र आसन, कुर्सी आसन आदि भी मूलाधार जागृति करते है, कपालभाति, अग्निसार, भस्त्रिका आदि प्राणायाम भी मूलाधार मे जाग्रति लाते है । इसके इलावा ताड़न क्रिया, अश्वनी मुद्रा भी बहुत प्रभावी है ।
इस चक्र के देवता श्री गणेश है अतः इस चक्र पर ध्यान लगाते हुए भगवान गणेश जी के मंत्र का जाप करने से यह चक्र जागृत होता है । मंत्र इस प्रकार है : ॐ गं गणपतये नम:
निम्नलिखित ध्यान से भी आप मूलाधार जागृति कर सकते है :
किसी भी ध्यानात्मक आसन में बैठ जाएं। अपने दोनों हाथों को ज्ञान मुद्रा में रखें तथा अपनी आंखों को बन्द करके रखें। अपनी गर्दन, पीठ व कमर को सीधा करके रखें। अब सबसे पहले अपने ध्यान को गुदा द्वार व जननेन्द्रिय के बीच स्थान मे मूलाधार चक्र पर ले जाएं। फिर मूलाधार चक्र पर अपने मन को एकाग्र व स्थिर करें और अपने मन में चार पंखुड़ियों वाले बन्द लाल रंग वाले कमल के फूल की कल्पना करें। फिर अपने मन को एकाग्र करते हुए उस फूल की पंखुड़ियों को एक-एक करके खुलते हुए कमल के फूल का अनुभव करें। इसकी कल्पना के साथ ही उस आनन्द का अनुभव करने की कोशिश करें। उसकी पंखुड़ियों तथा कमल के बीच परागों से ओत-प्रोत सुन्दर फूल की कल्पना करें। इस तरह कल्पना करते हुए तथा उसके आनन्द को महसूस करते हुए अपने मन को कुछ समय तक मूलाधार चक्र पर स्थिर रखें।
अथवा
शांत होकर, आँखे बंद करके, कमर को सीधा रखते हुए, ध्यानस्थ मुद्रा मे बैठ जाये, अब अपना पुरा ध्यान अपनी आती जाती श्वास पर लाये और जब भी श्वास अंदर आये तो " औम" और जब भी श्वास बाहर आये तो " लं " बीज मंत्र का मानसिक उचारण करे ।
@@Dhyankagyan777 thanks alot for your reply. Me bahut dino se wait kr rhi thi reply kaa.sir meri ankho ki samasya acidity aur heat ke badhne se ho rhi hai mera agni tatva bhi asantulit ho gya hai..jo manipur chakra se related hai..jiske liye me aapka bataya dhyan follow kr rhi hoo agni mudra lagake krne ka...isse kuch aram hai.....sir kya me naabhi chakra pe kam krke niche ke chkro me santulan laa skti hoo...???me aapne bataya hua bhi follow krungi...iske liye plz bataye ki myladhar chakra dhya konsi disha me muh krke baithna hoga
Very nice video 👍👍👍
Guruji mene jab dhyan karna suru kiya to ek baar muje jo anubhav hua vo bohot tivra thaa..mera man ekdum astitva k savalo se bhara hua tha or me emotion se bhara hua tha tab achanak seer k andar se jese k koy raas bhari potli fut gai ho or achanak se pure seer me thandak fel gai or man ek dum sunya bhav me chala gaya.....kripya ise samjaye🙏🏻
ध्यान के अभ्यास के दौरान भांति भांति के आध्यात्मिक व रहस्यमयी अनुभव हमें अक्सर होते रहते हैं, कुछ अनुभवों का हम विश्लेषण कर के उनका अर्थ जान सकते हैं और कुछ अनुभवों का हूबहू अर्थ समझना सम्भव नहीं होता क्युकी वे अनुभव हमारे अस्तित्व के गहरे तलो पर होते जहा पर हमारी बुद्धि की पहुंच नहीं होती, आपके य़ह अनुभव भी उसी ढंग के है और नितांत व्यक्तिगत है। अतः इनका विश्लेषण नहीं किया जा सकता, किन्तु इतना तो कहा जा सकता है की आपके य़ह अनुभव सुन्दर और शुभ है।
@@Dhyankagyan777 dhanyawad guruji 🙏🏻
Fine.good.clear and perfect.quite interesting.thanks.
Sir kya mera agni tatva (mnipur chkra)..jal tatva(swadishtan) prothvi tatva muladhar ...me problem hua hai
Yes, आपको अपने मूलाधार चक्र अथवा पृथ्वी तत्व पर काम करने की आवश्यकता है।
@@Dhyankagyan777 hello sir,,
Mere iss problem ko abhi 6months ho rhe hai...me jo bhi chakra dhyan kr rhi hoo usse asar ulte nazar aa rhe hai...aaj mene apka video dekhkr jab prithvi mudra lagakr muladhar pr dhyan kiya to meri ankhi me dard hone laga aur sharir me kamvasna adhik nazar aane lagi...jisse mera social life bahut kharab ho gya hai..me samaz nhi paa rhi ki kya problem ho rha hai exactly...konsa tatva chakra kharab hua haii..plz guide me help me
U have not told mudra of all elements
Yes, by mistake i missed it 🙏
मेरे आज्ञा चक्र पर सारा दिन वाइव्रेशन होती है
खीचब होता है
लेकिन मेरा ध्यान नही लगता मैं साधना मैं 4 घंटे तक बेटा हू दिन मैं 8 घंटे ऊर्जा तो काफी महसूस होती है
लेकिन ध्यान में सफलता नहीं मिल रही।
जो खिंचाव आज्ञा चक्र पर आप महसूस कर रहे है, उसका मतलब की आपकी प्राण ऊर्जा य़हा पर पहुँच रही है जोकि एक शुभ संकेत है।
वस्तुतः ऐसा अनुभव हमारे मस्तिष्क में स्थित आज्ञा चक्र के पार्थिव रूप pineal gland के कारण होता है, य़ह अनुभव उसका स्पन्दन है जो निरन्तर जारी रहता है, लेकिन हम इस भाव को केवल ध्यान के दौरान ही महसूस कर पाते है क्योंकि उस दौरान हमारा मन एकाग्र और शांत होता है जिस कारण से हमें ऐसा महसूस होता है, व्यस्तता के चलते हमे ऐसा कम महसुस होता है।
जब ध्यान सघन होने लगता है तो ऊर्जा ऊर्ध्वगमन करके मस्तिष्क में एकत्रित होने लगती है इस कारण से नए तन्तु खुलते है जिससे सर में खिंचाव व वाइब्रेशन होने की अनुभूति होती है।
ध्यान मे सफ़लता मिलने की आपकी क्या परिभाषा है वह मुझे नहीं मालूम, लेकिन यदि आपको ध्यान से निम्नलिखित बदलाव आ रहे हैं तो समझे की आपको सफ़लता मिल रहीं हैं
ध्यान मे यदि आपको ये लक्षण आ रहे हैं तो आप ठीक चल रहे हैं और ध्यान मे आप सफ़लतापूर्वक आगे बढ़ रहे है :-
1) आपका तनाव, चिंताएं, टेंशन, बेचैनी, परेशानियां पहले से बहुत कम या बिल्कुल खत्म हो गई हो।
2) आप की सभी नकारात्मक मानसिक, या भावनात्मक स्थितियां, सकरात्मक हो गई हो।
3) आपके जीवन मे एक व्यव्स्था, एक नियम और अनुशासन आ गया हो, जो जबरदस्ती से नहीं ब्लकि आनंद से चल रहा हो।
4) आपमे स्वीकार भाव, प्रेम, जागरुकता और सजगता की वृद्धि हो रहीं हो।
5) आपको ध्यान साधना के दौरान खूब आनंद आता हो
Hii
Koi koi guruji kahte h ki..jo twin hote h jo ki poore world me 5%hai....unke andar 5 tataw me se kisi tatw ki kami hoti hai...jiise ki wo complete nhi hopate h...jo wo milte h ek dusre se to complete hote h...kya yah sahi hai...twin souls hote h...agar hote h ..wo male and female ke rup me birth liye ho to kya unki marriage ho sakti...agar ho sakta h to itna separation kyu hota hai.???
मैं श्रमा चाहता हूं किन्तु आपके प्रश्न का संपूर्ण उतर मेरे पास नहीं है।
@@Dhyankagyan777 okay thankyou ☀️❤️☀️
गुरूदेव प्रणाम -- ये तो हमारे लिए बहुत बहुमूल्य होगया है - अब पाँच ज्ञानेन्द्रिय ध्यान साधना विधि को कैसे करें ? ये भि सम्झादिजिए धन्यवाद --
Kya kuchh log aise bhi hote Hain jinki har samay Sushma Nadi chalti rahti hai kripya avashya answer de
ऐसा बहुत दुर्लभ होता है की किसी की सुषुम्ना नाड़ी हर समय चलती रहे, हालांकि योग का सारा उद्देश्य ही यही है की साधना के अभ्यास से सुषुम्ना नाड़ी अधिक से अधिक सक्रीय होती चली जाये, अभी सामान्यतः हर एक घण्टे के अन्तराल मे 2 से 5 मिनट तक ही सुषुम्ना सक्रीय होती है, लेकिन अभ्यास के द्वारा य़ह समय धीरे-धीरे बढ़ता चला जाता है।
गुरु जी नमस्कार आप के चरणो में कोटि कोटि प्रणाम करता गुरुजी सिर में पसीना क्यों आता है और गर्म हो जाता है यह किस कारण होता है 🙏
अक्सर जब साधक अपनी साधना के दौरान योग, प्राणायाम व ध्यान आदि की विभिन्न क्रियाओं का अभ्यास करता है तो कुछ दिनो मे इन क्रियाओं के प्रभाव से शरीर मे गर्मी बढ़ने लग जाती है, ताकि शरीर मे ताप को बढ़ा कर अशुद्धियों को जलाया जा सके ।
जागृत ऊर्जा अपने मार्ग की सफाई शरीर मे ताप को बढ़ा कर करती है ताकी उतप्त हुए शरीर मे सभी अशुद्धिया जल जाये । इसी लिये तो हमारे शरीर मे बुखार भी होता है, वस्तुतः बुखार होता ही इसलिये है ताकि इसकी गर्मी मे हानिकारक जीवाणु भस्म हो जाये । अतः जब भी साधना के दौरान आपको ऐसे लक्षण अनुभव हो तो उनको स्वीकार करे व ऊर्जा को अपना काम करने दे ।
किंतु फिर भी यदि आपको ज्यादा तकलिफ हो तो आप ज्यादा से ज्यादा इतना कर सकते है की खुब पानी पिये, अपने आहार मे ठण्डी तासिर के खाध पदार्थो तथा सुपाच्य भोजन व फल आदि का सेवन करे । अनुलोम-विलोम, शीतली, सित्कारि, चंद्र भेदी प्राणायाम का नित्य अभ्यास करे । अधिकतर जब आप सोते या लेटते है तो बाई नासिका को ऊपर की और रख कर सोये यानि दाई करवट लेकर सोये इससे आपकी चंद्र नाडि जो शरीर को शीतलता देती है, वह चलेगी और शरीर की और मस्तिष्क की अति की गर्मी शान्त होगी ।
गुरु जी आपके चरणो में कोटि कोटि प्रणाम करते हैं 🤗
Guruji purv disha me baithkehi 7to chakra ka dhyan nahi kar sakte kya.
कर सकते है।
@@Dhyankagyan777 dhanyavad guruji 🙏
Very good👍 precious information. Gurujii 🙏. Is their any method to know which Tatwa is unbalanced ? Please guide me. Hari Om.
I do not know any specific or special method to know it but gernally with the help of symptoms we can recognize that which element is imballenced
इतनी बहुमूल्य जानकारी देने केलिए हृदय धन्यवाद करती हूं 🙏🏻🌹
Thanks
Me 7 years se dhiyan kar rahi hu guru par shardha nahi bani kya karu
अगर आपको आपकी ध्यान साधना के लिये किसी गुरु का सानिध्य मिल जाता है और उनसे आपकी श्रद्धा बन जाती है तो यह बहुत उतम बात है, लेकिन अगर नही भी मिल पाते है तो किसी भी अनुभवी, ज्ञानी, जानकार, विद्वान या शिक्षक से भी आप मार्ग दर्शन ले सकते है । अगर वो भी नही मिल पाते है तो अपनी अंतरात्मा को अपना गुरु मानकर भी आप आगे बढ़ सकते है, अन्यथा आप अपने इष्ट देवता को अपना गुरु मानकर भी आगे बढ़ सकते है ।
Thanks guru ji
Kya aap mere guru ban sakte ho muje aap jaisa guru chahiye
@@anjusood4083 मैं आपका गुरु तो नहीं लेकिन एक मार्गदर्शक बन कर आपकी सहायता कर सकता हूं, अगर आपको कोई समस्या आए या कोई प्रश्न हो तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं।
👌💐
Granthio- Brahm, Vishnu V Rudra granthio par bhi vidio banaye, 🌸
Jai gurudev🙏🙏
Sir me kisi ko bhi dukhi dekhti hu to mujhe bhut pareshan ho ja rhi hu, bhut jyada hi immotional ho ja rhe hai bs rote rhte hai bina mtlb me hi kya kru sir margdarshan kre
इसका मतलब की आपका हृदय चक्र सक्रीय हो रहा है जिस वजह से आप अत्यधिक सम्वेदनशील और भावुक हो रहे हैं, य़ह तो अच्छी बात है, लेकिन यदि आपको लगता है की य़ह भावुकता जरूरत से ज्यादा हो रहीं हैं तो आप अपने आज्ञा चक्र पर भी ध्यान का अभ्यास करे जिससे आपमे ज्ञान का उदय होगा और अतिरेक की भावनाएं संतुलित होने लगेगी।
@@Dhyankagyan777 dhanyawad sir apne jaisa btaya hai vaisa hi karege.
Sir apne bataya tha ki ek taraf focus kro chahe study y adhyatm to mne study p focus kiya ab iska kafi achcha result rha hai
Apke margdarshan se mujhe bhut labh hua hai
🙏🙏🙏🙏🙏
आपने पंच तत्व का जो ज्ञान दिया मैं आपको ह्रदय से धन्यवाद देता हूँ आप समाज सेवा का बड़ा काम कर रहे हैं धन्यवाद
Sir apne yhi nhi btaya ki konci finger ko thumb se milakar dhayan me baithne se kya hota jese ki apne akash ki middle finger ko thumb se Milao and chitli ungli ko thumb se milakar earth ka tatwa badta hai aese hi others fingers ke bare btaye Please
जय श्री राम
गुरुजी क्या हम ध्यान जाप एक साथ करना चाइए या ध्यान अलग करना चाइए ।
आप ध्यान और जाप को समझने की कोशिश करे।
जाप एक आरंभिक बिंदु है जिसका अंतिम लक्ष्य होता है निर्विचार स्थिति मे पहुंचना, और जब साधक निर्विचार स्थिति यानि गहरे ध्यान मे प्रवेश कर जाये तो वहाँ पर जाप का काम पूरा हो जाता है, तब ऐसी स्थिति मे साधक को जाप बंद करके गहरे ध्यान मे चले जाना चाहिए।
इस बात को इस प्रकार समझे की आपको नांव से नदी पार करनी है और जब किनारा आ जाता है तो आप नांव से उतर कर आगे बढ़ जाते हैं, मंत्र का काम भी नांव की तरह गहरे ध्यान तक पहुंचाना है, जब ध्यान की गहराई मे आप पहुंच जाते है तो नांव की तरह ही मंत्र को छोडकर ध्यान मे आगे गहरे बढ़ जाये।
कहा भी गया है की जब मंत्र सिद्ध हो जाये तो माला टूट जाती है अर्थार्त गहरे ध्यान मे प्रवेश होने पर मंत्र छूट जाता है ।
इसलिए जाप के दौरान जब जाप बोझिल होने लगे और ध्यान मे गहराई बढ़ने लगे तो उस समय मंत्र को छोड़कर निर्विचार अवस्था मे चले जाना चाहिए।
अपनी बैठक में आपको पहले जाप करना चाहिए और फिर ध्यान करना चाहिए।
guruji pranam
muje kundlini se judi samasya h, ye urja mere kabo k bahr ho jati h,jb b m koi dhyan krta hun. iska kya upaay ho sakta h.
इसका मतलब आपकी जागृत ऊर्जा संतुलित रूप से बॉडी मे डिस्ट्रीब्यूट नहीं हो पाती है, इसके लिए आपको अपने बंद द्वार खोलने होगे ताकि ऊर्जा को उसका रास्ता मिल सके, लेकिन सूक्ष्म शरीर मे मौजूद कुछ अशुद्धियों के कारण अथवा ब्लॉक के कारण ऊर्जा रास्ते मे अटक जाती है, इसलिए आपको अपना शुद्धीकरण करना चाहिए।
शुद्धि से मुख्यतः अर्थ है अपने स्थूल शरीर के साथ साथ सूक्ष्म शरीर की इडा पिंगला सुष्मना आदि नाड़ियों को शुद्ध करना, क्युकि जब ध्यान के दौरान उर्ज़ा जागृत होती है तो इन्ही नाड़ियों के माध्यम से खासकर सुष्मना नाडि के माध्यम से उर्ज़ा उर्ध्व गामी होती है अतः ध्यान मे सब से पहले इस नाडि के मार्ग को साफ करने का विधान है
नाड़ी अशुद्धियों के कारण बंद रहती है और प्राणायाम की मदद से हम इसे शुद्ध कर सकते हैं। इसके इलावा दिर्ध श्वास प्र्श्वास यानि निरंतर लम्बी गहरी सांस लेने की आदत डालनी चाहिये । जल नेति, सूत्र नेति का अभ्यास, योग अभ्यास जैसे त्रिव गति से सुर्य नमस्कार करना चाहिए।
और ध्यान में बैठने से पहले कुछ शुद्धि दायक प्राणायाम करें जैसे कि कपालभाति और नाड़ी शोधन।
@@Dhyankagyan777 guruji sat sat naman , mere sawal k jawab dene k liye dhanyawad. m thoda detail m apni samasya batana chahta hun. meri urja jb upper uthti h to muje esa to nhi lgta ki koi blockage h blki urja jyada hoti h meri capacity s jyada jise m sambhal nhi pata jis karan mera sir dard krne lgta h ,isi k karan ek baar mera sarir gubare ki tarah fool gya tha.to iske liye apne jo upay bataya h wo kaam krega. iske alawa ye sb hone se mera dhyan krna chhoot gya h. m prannayam krta hun to b meri urja chadne lagti h, sarir mera sukhta ja rha mere baal safed ho rhe h, muje ye chinta rahti h ki meri umar abi 30 h aage kha tk chal paunga, dhyan krne k man hota h lekin is sb k chalte kr nhi pata hoon, kripya margadrshan kren.
Jay gurudev
Apki vdos kmal ki Hoti h ap me bhot bhot gyan h u have deep knowledge of spritualty
I really like your vdos Nd your lovely smoothly voice
Plz make vdo on Mantra Lekhan
I really want vdo on this topic
I know u will definitely make vdo on this topic
I m truly grateful to you...
Thankyou so much 🥰
Apne mera ekbar pahle bhi margdarshan kiya hai, me apni complete bat nhi likh payi hu, margdarshan kre
Guru ji mujhe aap ka phone number mil sakta hai pls 🙏🙏🙏
मैं श्रमा चाहता हूं किंतु मैं किसी भी अन्य प्रकार से बात करने मे असमर्थ हू, आप कृपया कमेन्ट के माध्यम से ही अपनी बात पूछ सकते हैं।
@@Dhyankagyan777 muje ek bat janni thi kya koi tatv jyada बढ़ा हुआ है तो इस पर dhayan lgane se wo बढ़ेगा की बैलेंस होगा?? Plz rpl क्योंकि मुझे डर है की जो बढ़ा हुआ तत्व हे उस चक्र तत्व पे ध्यान लगाने से वो और बढ़ेगा?
@@kajalagarwal1507 अगर हम किसी भी तत्व पर ध्यान लगाते हैं तो ऐसा तत्व ना तो बढ़ेगा और ना ही घटेगा, अपितु संतुलित होगा, इसलिए आप चिंतित ना हो की कहीं तत्व ज्यादा ना बढ़ जाये, जरूरत से ज्यादा किसी तत्व का बढ़ना तो असंतुलन होगा जबकि ध्यान संतुलन लाता है। इसलिए आप निश्चित होकर संतुलन के उद्देश्य से तत्व ध्यान कर सकते है।
कम या ज्यादा का तत्व असंतुलन अधिकतर हमारे गलत खान पान और अनुचित जीवन शैली से आता है ।
🙏