मेरे मालिक जी आपके पावन चरन कमल मे मेरी कोटी कोटी बार पायलगी बंदगी पंहुचे ममता मई माता साहिबा जी आपके पावन चरन कमल मे मेरी कोटी कोटी बार पायलगी बंदगी पंहुचे सप्रेम साहेब बंदगी साहेब जी 🤲🏻🤲🏻🤲🏻🤲🏻🤲🏻🤲🏻🤲🏻🤲🏻🤲🏻🤲🏻🤲🏻🤲🏻🤲🏻🤲🏻🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
सतनाम कबीर साहेब पंथ हजुर मुनि नाम साहेब के पावन चरन कमलो मे गुरूदेव के पावन चरन कमलो मे कोटि कोटि नमन प्रणाम करते हुए सादर पावन वंदनीय सपेम साहेब बंदगी साहेब जी
बस ऐक ही पढ़ने में सुनने में आता है ।। जब देखो सबको देखो ।। मेरे सद्गुरु परमात्मा स्वरुप ।। मेरे मालिक ।। आपके पावन चरण कमलों में ।। कोटी कोटी बार सप्रेम साहेब बंदगी साहेब जी।। और कुछ तो पढ़ने में सुनने में दिखने में नहीं आता है ।। जहां तक देखो बस ।। कमेन्ट में बैनर पर ।। बोर्ड पर ।। मेला आरती पुंजा ।। कार्यक्रम में ।। ऐक ही आवाज गुंजती है बोलें जाते हैं। साहेब, बंदगी, साहेब जी,,पावन चरण कमलों में कोटि कोटि बार त्रिबार साहेब, बंदगी, साहेब, जी, परमात्मा स्वरुप मेरे सद्गुरु मेले मालीक सरकार हुजुर के पावन चरण कमलों में। ।। बस इतना ही और कुछ आचरण नहीं । साहेब सद्गुरु कबीर जी के वाणी ~ वचनों का कुछ भी पालन नहीं ।। जिवन मे ऐ टच भी नहीं होता ।। जिवन चरित्र में उतरे नहीं केवल शोर बकोर का नारा ।। साहेब, बंदगी, साहेब, जी,,और कुछ भी परिवर्तन ~ बदलाव ।। जिवन मे कही दिखाई नहीं देता है ।। दया ~ करुणा ~ प्रेम ~ का भाव ।। ऊच नीच का भेद वही का वही। ।। छोटे ~ बड़े का भेद वही का वही ।। अगली पंक्ति। पिछले हरोल वही के वही। ।। क्या सुधार कब सुधार होगा। ।। कब अगले ~ पिछले का भेद मिटेगा। ऐक में परमात्मा दिखाई देता है ।। और मैं वोही-दिखता है उसमें परमात्मा नहीं दिखता । ऐ जुठ ~ दंभ ~ पाखंड ।। कब मिटेगा ।। कब कबीर पंथ से जायेगा ।। मीटेगा कब ।। भाईचारा ~ समानता ~ कब ।। दया, राखे धर्म को पा लै । अपना सा जिव सबको जाने ।। ताहीको मीले अविनासी ।। ऐ शब्द वचनों का सार्थकता कब यथार्थ कब होगा ।। ऐक बैठे सिंघासन चढ ।। दुसरा करे नीचे से जी हजुरी ।। साहेब, बंदगी, साहेब, जी,।।।। !!?+
साहिब बंदगी साहिब बहन जी बहुत बहुत अच्छा लगा आपके प्रवचन क्योंकि मैं खुश हूं परमात्मा की कबीर पंथी मुझे भक्ति कपिल शर्मा बहुत वरदान मिले और मैं आज आप जैसी बहनों पर बरसात की अपने मैं मलिक की आशीर्वाद से बहुत बहुत आपका परिचय दीजिए ताकि मसाला साहिब बंदगी बहुत बहुत परमात्मा के आशीर्वाद से वर्षा हो रही है अमृत की मैं आपसे परिचय करना चाहती हूं मलिक ने अमृतसर में वरदान दिया सभी के सुकून के लिए जो शुभ रहे हैं अटल भक्ति करते हैं उनके लिए और लीजिए
चार गुरु जग में धर्मदास बड़े अंशः । मुक्ति राज दीया बैतालिस वचन बंश । तो इसमें भी छोटे बड़े अंशः होता है । और चतरर्भुज । सहतेजी साहेब । ओर करणासागर । इनको जो वचन दिया था उसका क्या सत्याविस,,सोलह। नौ। इसका क्या । ऐ वर्णन आता है । इस सब गुर क्या छोटे अंशः थे केवल धनी धर्मदास साहेब ही बड़े अंशः है ।। साहेब सद्गुरु कबीर जी के पीछे परमात्मा फिरता था नाम लेते लेते । परमात्मा और साहेब सद्गुरु कबीर जी । ऐ अलग-अलग है । साहेब सद्गुरु कबीर जी और परमात्मा ऐ दो है ।। साहेब सद्गुरु कबीर जी तो कहते हैं कि ।। मैं था तब हरि नहीं ।। हरि हैं तों । मैं । नाही । प्रेम गली अति संकरी तामें दो न समाही ।। तो ऐ केसी बातें हैं । की साहेब कबीर जी के पीछे-पीछे हरि परमात्मा फिरता था कहत कबीर ~ कबीर ।। कुछ पल्ले न पड़ने वाली बातें हैं ।। कुछ समझ में न आने वाली बातें ऐ है। ।। क्या कोई केसे बोलते हैं अलग-अलग चर्चा करते हैं ।। कुछ समझ में आये ऐसी सीधी साफ बात कोई नहीं कहता है ।। सब साधु ~ संत ~ महंत ~ सब अपनी अपनी बातें बोलते हैं ।। कहते हैं ।। इसमें कीसकी सुने समजे ।। कीसकी न सुने न माने समजे ।। क्या करें ऐ समझ में नहीं आता है ।।। !!!?
आपको इस प्रकार से समझना चाहिए सदगुरु कबीर जब कहते हैं..... जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि है मैं नाही l सब अंधियारा मिट गया जब दीपक देखा माही ll जब मानव के अंदर अपने ही मन में स्वयं के प्रति देह का अभियान होता तब वहां हरि अर्थात आत्मज्ञान नहीं होता है उस अवस्था में मनुष्य के अंदर में सिर्फ मैं का बोध होता है तथा यह सब कुछ मेरा है सब मैंने किया है यह सभी संपत्ति मेरी है इस पर मेरा अधिकार है इस जगह पर सद्गुरु यही कहते हैं कि यहां पर अहंकार प्रबल होता है तब उस इंसान के हृदय में हरि अर्थात आत्मज्ञान का प्रकाश नहीं होता आत्मबोध नहीं होता है जब उसके अंदर आत्मज्ञान का प्रकाश हो जाता है तब वह अपने जीवन में समझ पाता है आत्मज्ञान हो गया है तब वह मन केअनुकूल सारी बुराइयों को छोड़ देता है क्योंकि अब उसे आत्मबोध हो गया है उसे हरि मिल गए हैं कबीर साहब अगली पंक्ति में कहते हैं पीछे पीछे हरि फिरे कहत कबीर कबीर आत्मबोध हो जाने कि सद्गुरु हरि विष्णु परमात्मा उसके साथ है तो भला वह किसी के साथ बुरा कैसे कर सकता आत्मज्ञान का हो जाना आत्म ज्ञान प्राप्त होना हैं l तब वह आत्मा ही प्रकाश हो अपने हृदय में प्रकाशित होती रहती है और मनुष्य को भले बुरे का ज्ञान प्रदान करती रहती है उस मनुष्य का जीवन बहुत सुंदर स्वच्छ समस्त बुराइयों से अलग हो जाता है उसी प्रकार जैसे कि कीचड़ में कमल होते हुए भी कीचड़ से कमल ऊपर उठ जाता है यही है आत्मबोध❤❤❤🎉🎉🎉
सदगुरु कबीर जी की भक्ति पा ले तो ना ।। ऐक परम्परा । रुढ़ी । जुढ ढकोचले राखे पालन करे तो क्या होगा ।। साहेब सद्गुरु कबीर जी के वाणी वचन को सार्थक यथार्थ समजे और अपने जिवन के आचरण से गुंथ ले ।। जीवन में उतारकर जिवन चर्या में । संजो ले सराबोर कर ले ।। जिवन उस वाणी वचनों मय डुबा दे ।। अपना अलग से कुछ न रहे तब ना ।। दिखावा के सिवा और कुछ नहीं दिखता है ।। नारा लगता है ।। शोर बकोर होता है ।। क्या साहेब सद्गुरु कबीर जी ने ऐसा करने को कहां है ।। ऐसा बोला है ।। जहां तहां साहेब बंदगी साहेब जी का शोर बकोर करना इसमें सब कुछ हो जायेगा ऐसा कहा जाता है ऐसा बोला है साहेब सद्गुरु कबीर जी ने ।। कब उसकी वाणी वचनों का पालन आचरण बनेगा ।। जिवन का व्यवहार बदलेगा दृष्टि बदलेगी कब। उच नीच छोटे अंशः बडे अंश अगली पंक्ति पीछली पंक्ति ऐ सब भेद कब मिटेगा कबीर पंथ से भी ऐ भेदभाव कब जायेगा ।। भीड़ भाड़ में तो सब ऐक दिखाय देता है वास्तविक ता कुछ और आम दैनिक व्यवहार जीवन में वही के वही आचरण व्यवहार लोगों के साथ ऐ दंभ ढोंग पाखंड कब जायेगा मिटेगा की ऐसे ही चलता रहेगा ।। हाथी के दांत दीखाने का और चबाने का और दुसरा ।। ऐसे कार्यक्रम में आरती पुंजा चौका में ।। अलग-अलग ग्रुप अलग अलग मंडलों अलग अलग नारा दया का करुणा प्रेम का भाईचारे का समानता का ।। व्यवहार करना वही के वही ।। दिल भितर में वही के वही ।। नारा ऐक ।। साहेब बंदगी साहेब जी ।। रहेनी अलग-अलग वही का वही था यही का यही इसमें कोइ परिवर्तन बदलाव नहीं आया है
शब्द अर्थ साहब मैं पर्मात्मा मैं ओहं मैं सोहन मैं सिर्फ मैं मैं खुद एक तरफ मैं हूँ। दूसरी तरफ संसार(माया) है। मैं हूँ तो । संसार है। यदि मैं नहीं। तव संसार भी नहीं है। मेरा होना जरूरी है। मुझ से संसार कोई छीन नहीं सकता। मैं संसार का तो ध्यान करूँ और मुझे भूला रहूँ । जब मैं ही न रहा तो संसार मेरा कहाँ रहा। मेरी भक्ति कर। मेरा ध्यान कर। मेरे नाम का ध्यान कर। मैं ही सर्वेसर्वा हूँ। (यही आत्म ज्ञान है) छज्जी
लोग मेरी भक्ति नहीं कर रहे हैं। तेरी और उनकी भक्ति कर रहे हैं। अरे जो मेरी भक्ति करेगा सिर्फ वही मुझे प्राप्त करेगा। छज्जी जो मेरे शब्दों पर ध्यान नहीं करेगा स्वप्न में भी लक्ष को प्राप्त नहीं होगा।
😮 aamin Mata ke charanon mein Sadar Sahib bandagi saheb.
❤❤❤❤saheb bandagiii saheb...
Saprem Saheb Bandagi saheb mata ji ki pawan charan Kamlo me Saprem Saheb Bandagi saheb 🙏🌹🙏❤❤👏👏
😂😂
जय श्री राधे राधे राधे
Mata saheba ki Pawan charno ko koti koti saheb bandagi
छोटे माता साहिबा आप के पावन चरण कमलों कोटी कोटी बंदगी करते हुए सादर सप्रेम साहेब बंदगी साहेब
गूरु माता के पावन चरणों में साहेब बंदगी साहेब
मेरे मालिक जी आपके पावन चरन कमल मे मेरी कोटी कोटी बार पायलगी बंदगी पंहुचे ममता मई माता साहिबा जी आपके पावन चरन कमल मे मेरी कोटी कोटी बार पायलगी बंदगी पंहुचे सप्रेम साहेब बंदगी साहेब जी 🤲🏻🤲🏻🤲🏻🤲🏻🤲🏻🤲🏻🤲🏻🤲🏻🤲🏻🤲🏻🤲🏻🤲🏻🤲🏻🤲🏻🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
Jo Sat se jod de vahi satgr hote hai. Sat jo adi sach jugaad sach, hai bhi sach, hosi bhi sach. Dhan Nirankar g
Bahut hi Sundar vichar Mata Ji ke charanon mein meri bandagi
Shaeb bandgi Shaeb 🙏
🌹🌹🌹सत्यनाम🌹🌹🌹
🪷परम पुज्यनिय ममतामयी करुणामयी गुरु माता साहिबा के श्री पावन चरण कमलों में कोटि कोटि नमन बन्दगी 🪷
🌸सप्रेम साहेब बंदगी साहेब 🌸
🌹🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🌹
कोटी कोटी साहेब बदगी
Saprem Saheb Bandagi Saheb 🙏
Jay gurudev ki saheb bandagi saheb bandagi
Sat❤❤ saheb bandagi saheb bandagi 🎉
Bahut sundar guru mata ji ko shat shat naman. Saaheb bandgi🙏
जय सिरि कबिर साहेब गुरुके चरणमे कोटि नमनं जय सच्चिदा नन्द
🙏🙏🌹🌹🌿🌿🌻🌻💐💐गुरु माता साहवा जी के पावन चरन कमलमें अनंत कोटि सप्रेम साहेब बन्दगी साहेब 🙏🙏🌹🌹🌿🌿🌻🌻💐💐
🌹🙏🏻सत्यनाम 🙏🏻🌹
सप्रेम साहेब बंदगी साहेब 🙏🏻🙏🏻
Anant barambar saprem Saheb bandagi parampujya mata saheb ji 🙏🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸
Saprem saheb bandagi saheb jii Jai hind
ममतामई माता साहिब जी आपके पावन चरण कमलों में मेरी कोटी कोटी बार पायलागी बंदगी पहुंचे सप्रेम साहेब बंदगी साहेब जी 🤲🤲🤲🤲🤲🤲🤲🤲🤲🤲🤲🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
Mata Sahiba ki Charanon Mein Sahib Bandagi Saheb🌺🌺🙏🙏
🙏 Paye Lagu Satyanam Bandgi Saheb 💐🙏
Saheb bandagi saheb
परम पुज्नीया माता साहिबा के पावन चरन में... सप्रेम साहेब बंदगी साहेब
Tera sukriya shaheb
Saprem saheb bandagi saheb
🙏🙏कोटि कोटि सप्रेम साहेब बंदगी साहेब 🙏🙏
Saheb bandagi
साहिब बंदगी साहिब जी
साहेब बंदगी साहेब बंदगी साहेब बंदगी
आमीन माता साहिबा जी चरण कमलों में कोटि कोटि सप्रेम साहेब बंदगी साहेब🌺🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹Mata saheb aapke Charan kamlo me koti koti saprem saheb bandgi saheb 🙏
Mata sahiba ke pavan charan me saheb bandgee saheb
Satsat Naman banadagi
Hajur nam sahebji
Saheb banadagi saheb ji 3
कोटी साहेब बदगी
Saheb ji Saheb bandagi ll
गुरुमाता सुलक्षणा देवी के पावन चरण कमलों में सप्रेम साहेब बंदगी साहेब
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.. By HB
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Satynam Saheb bandangi Saheb🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Saprem saheb bandagi saheb 🌹🙏🏻
Guru mata ji ko koti 2 treey bar bandgi guru mata ji
❤❤❤❤❤sat,,,, Saheb bandgi 🙏🙏🙏🙏💕💕💕💕💞❤
सतनाम कबीर साहेब पंथ हजुर मुनि नाम साहेब के पावन चरन कमलो मे गुरूदेव के पावन चरन कमलो मे कोटि कोटि नमन प्रणाम करते हुए सादर पावन वंदनीय सपेम साहेब बंदगी साहेब जी
Saprem Saheb vandgi saheb ji
Saheb bandagi saheb satynam
Gurumata sulakhchhna ke Charan me sadar pranam
गुरु माता साहेब के चरणों में त्रिवार बंदगी साहिब बंदगी🙏🙏🙏
Saprem Saheb bandgi Saheb 🌺🌺🙏🙏
🌻🌿🌷🌱🌹सप्रेम साहेब बन्दगी साहेब🌹🌱🌷🌿🌻
साहेब बंदगी साहेब 🙏💐
Very,exellent,lecture,for entire,kabirpanth,sahebbandgi,satyanam😊
Saheb, sahe b. Ji
Saheb बंदगी बहन जी🙏🙏
सप्रेम साहेब बन्दगी साहेब जी।
साहेब बंदगी साहेब जी
सप्रेम साहेब बंदगी साहेब🙏
Saprem Saheb bandagi, heera lal das
🙏 सत नाम साहेब 🙏
Saprem saheb bandagi saheb purushottam sahu madanpur
❤❤❤ सप्रेम साहेब बंदगी साहेब जी ❤❤❤
Saheb bandgi saheb ji
🙏🌹सप्रेम, साहेब बंदगी साहेब 🌹🙏
Sat saheb ji
बस ऐक ही पढ़ने में सुनने में आता है ।। जब देखो सबको देखो ।। मेरे सद्गुरु परमात्मा स्वरुप ।। मेरे मालिक ।। आपके पावन चरण कमलों में ।। कोटी कोटी बार सप्रेम साहेब बंदगी साहेब जी।। और कुछ तो पढ़ने में सुनने में दिखने में नहीं आता है ।। जहां तक देखो बस ।। कमेन्ट में बैनर पर ।। बोर्ड पर ।। मेला आरती पुंजा ।। कार्यक्रम में ।। ऐक ही आवाज गुंजती है बोलें जाते हैं। साहेब, बंदगी, साहेब जी,,पावन चरण कमलों में कोटि कोटि बार त्रिबार साहेब, बंदगी, साहेब, जी, परमात्मा स्वरुप मेरे सद्गुरु मेले मालीक सरकार हुजुर के पावन चरण कमलों में। ।। बस इतना ही और कुछ आचरण नहीं । साहेब सद्गुरु कबीर जी के वाणी ~ वचनों का कुछ भी पालन नहीं ।। जिवन मे ऐ टच भी नहीं होता ।। जिवन चरित्र में उतरे नहीं केवल शोर बकोर का नारा ।। साहेब, बंदगी, साहेब, जी,,और कुछ भी परिवर्तन ~ बदलाव ।। जिवन मे कही दिखाई नहीं देता है ।। दया ~ करुणा ~ प्रेम ~ का भाव ।। ऊच नीच का भेद वही का वही। ।। छोटे ~ बड़े का भेद वही का वही ।। अगली पंक्ति। पिछले हरोल वही के वही। ।। क्या सुधार कब सुधार होगा। ।। कब अगले ~ पिछले का भेद मिटेगा। ऐक में परमात्मा दिखाई देता है ।। और मैं वोही-दिखता है उसमें परमात्मा नहीं दिखता । ऐ जुठ ~ दंभ ~ पाखंड ।। कब मिटेगा ।। कब कबीर पंथ से जायेगा ।। मीटेगा कब ।। भाईचारा ~ समानता ~ कब ।। दया, राखे धर्म को पा लै । अपना सा जिव सबको जाने ।। ताहीको मीले अविनासी ।। ऐ शब्द वचनों का सार्थकता कब यथार्थ कब होगा ।। ऐक बैठे सिंघासन चढ ।। दुसरा करे नीचे से जी हजुरी ।। साहेब, बंदगी, साहेब, जी,।।।। !!?+
Sat sahib
Sat saheb ❤❤
સત્ય નામ સાહેબ બંદગી સાહેબ
Sant Dan kabiar ji🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
गुरुमाताजी के श्री चरणों में दास का कोटि कोटि दंडवत प्रणाम,,साहेब बंदगी साहेब ।
साहिब बंदगी साहिब बहन जी बहुत बहुत अच्छा लगा आपके प्रवचन क्योंकि मैं खुश हूं परमात्मा की कबीर पंथी मुझे भक्ति कपिल शर्मा बहुत वरदान मिले और मैं आज आप जैसी बहनों पर बरसात की अपने मैं मलिक की आशीर्वाद से बहुत बहुत आपका परिचय दीजिए ताकि मसाला
साहिब बंदगी बहुत बहुत परमात्मा के आशीर्वाद से वर्षा हो रही है अमृत की मैं आपसे परिचय करना चाहती हूं मलिक ने अमृतसर में वरदान दिया सभी के सुकून के लिए जो शुभ रहे हैं अटल भक्ति करते हैं उनके लिए और लीजिए
Sahab ke chrdo me kiti koti sahab bandgi sahab
Sahib bandagi bandagi sahib.
Saheb bandgi
Saaheb bandgi mata ki
Prem Sahib Bandagi saprem Sahib Bandagi
Very very nice didi ji
Sahab bandgi.
आमीन माता स्वरुप परम पूज्यनीय सुलक्षणा माता साहिबा जी आपके पावन चरणों में कोटि कोटि बार सप्रेम साहेब बन्दगी साहेब जी।।
संत साहेब जी
Aapka Sharan Raj Saheb bandagiAapka Sharan Raj Sahib
Anant koti saprem saheb Bandagi saheb satguru kabir ki paawan charan Kamal me, panth shri hujur 42 vansh ki charan Kamal avm sakal sant mahant jano ko anant saprem saheb Bandagi saheb 👏
चार गुरु जग में धर्मदास बड़े अंशः । मुक्ति राज दीया बैतालिस वचन बंश । तो इसमें भी छोटे बड़े अंशः होता है । और चतरर्भुज । सहतेजी साहेब । ओर करणासागर । इनको जो वचन दिया था उसका क्या सत्याविस,,सोलह। नौ। इसका क्या । ऐ वर्णन आता है । इस सब गुर क्या छोटे अंशः थे केवल धनी धर्मदास साहेब ही बड़े अंशः है ।। साहेब सद्गुरु कबीर जी के पीछे परमात्मा फिरता था नाम लेते लेते । परमात्मा और साहेब सद्गुरु कबीर जी । ऐ अलग-अलग है । साहेब सद्गुरु कबीर जी और परमात्मा ऐ दो है ।। साहेब सद्गुरु कबीर जी तो कहते हैं कि ।। मैं था तब हरि नहीं ।। हरि हैं तों । मैं । नाही । प्रेम गली अति संकरी तामें दो न समाही ।। तो ऐ केसी बातें हैं । की साहेब कबीर जी के पीछे-पीछे हरि परमात्मा फिरता था कहत कबीर ~ कबीर ।। कुछ पल्ले न पड़ने वाली बातें हैं ।। कुछ समझ में न आने वाली बातें ऐ है। ।। क्या कोई केसे बोलते हैं अलग-अलग चर्चा करते हैं ।। कुछ समझ में आये ऐसी सीधी साफ बात कोई नहीं कहता है ।। सब साधु ~ संत ~ महंत ~ सब अपनी अपनी बातें बोलते हैं ।। कहते हैं ।। इसमें कीसकी सुने समजे ।। कीसकी न सुने न माने समजे ।। क्या करें ऐ समझ में नहीं आता है ।।। !!!?
Beejak ktha suno saheb ji
आपको इस प्रकार से समझना चाहिए सदगुरु कबीर जब कहते हैं..... जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि है मैं नाही l
सब अंधियारा मिट गया जब दीपक देखा माही ll
जब मानव के अंदर अपने ही मन में स्वयं के प्रति देह का अभियान होता तब वहां हरि अर्थात आत्मज्ञान नहीं होता है उस अवस्था में मनुष्य के अंदर में सिर्फ मैं का बोध होता है तथा यह सब कुछ मेरा है सब मैंने किया है यह सभी संपत्ति मेरी है इस पर मेरा अधिकार है इस जगह पर सद्गुरु यही कहते हैं कि यहां पर अहंकार प्रबल होता है तब उस इंसान के हृदय में हरि अर्थात आत्मज्ञान का प्रकाश नहीं होता आत्मबोध नहीं होता है जब उसके अंदर आत्मज्ञान का प्रकाश हो जाता है तब वह अपने जीवन में समझ पाता है आत्मज्ञान हो गया है तब वह मन केअनुकूल सारी बुराइयों को छोड़ देता है क्योंकि अब उसे आत्मबोध हो गया है उसे हरि मिल गए हैं कबीर साहब अगली पंक्ति में कहते हैं पीछे पीछे हरि फिरे कहत कबीर कबीर आत्मबोध हो जाने कि सद्गुरु हरि विष्णु परमात्मा उसके साथ है तो भला वह किसी के साथ बुरा कैसे कर सकता आत्मज्ञान का हो जाना आत्म ज्ञान प्राप्त होना हैं l तब वह आत्मा ही प्रकाश हो अपने हृदय में प्रकाशित होती रहती है और मनुष्य को भले बुरे का ज्ञान प्रदान करती रहती है उस मनुष्य का जीवन बहुत सुंदर स्वच्छ समस्त बुराइयों से अलग हो जाता है उसी प्रकार जैसे कि कीचड़ में कमल होते हुए भी कीचड़ से कमल ऊपर उठ जाता है यही है आत्मबोध❤❤❤🎉🎉🎉
Bahut bahut 📶dhanyvad ji 🏵️👣🌺👌👌👌 ATI Sundar 🔝🔱🌈✔️Gyan Jay Ho 👏🎇📿🎟️🐚🚩🙏🙏🙏💐🌹🌷
सदगुरू कबीर साहिब ने धरमदास साहिब को कोनसा गियान दिया जिससे धरमदास साहिब का कलयाण हुआ और नाम सुमरण किया हैं।क्रपया हमें बताये त्रय वार साहिब बंदगीजी
❤❤❤❤❤
साहेब ब॑दगी
❤
P pj Kabir ji satgr the, aaj satgr mata sudhiksha g stgr hai. Jo is akhand, mandalakar se mila rhe hai. Dn nrkar g
सदगुरु कबीर जी की भक्ति पा ले तो ना ।। ऐक परम्परा । रुढ़ी । जुढ ढकोचले राखे पालन करे तो क्या होगा ।।
साहेब सद्गुरु कबीर जी के वाणी वचन को सार्थक यथार्थ समजे और अपने जिवन के आचरण से गुंथ ले ।। जीवन में उतारकर जिवन चर्या में । संजो ले सराबोर कर ले ।। जिवन उस वाणी वचनों मय डुबा दे ।। अपना अलग से कुछ न रहे तब ना ।। दिखावा के सिवा और कुछ नहीं दिखता है ।। नारा लगता है ।। शोर बकोर होता है ।। क्या साहेब सद्गुरु कबीर जी ने ऐसा करने को कहां है ।। ऐसा बोला है ।। जहां तहां साहेब बंदगी साहेब जी का शोर बकोर करना इसमें सब कुछ हो जायेगा ऐसा कहा जाता है ऐसा बोला है साहेब सद्गुरु कबीर जी ने ।। कब उसकी वाणी वचनों का पालन आचरण बनेगा ।। जिवन का व्यवहार बदलेगा दृष्टि बदलेगी कब। उच नीच छोटे अंशः बडे अंश अगली पंक्ति पीछली पंक्ति ऐ सब भेद कब मिटेगा कबीर पंथ से भी ऐ भेदभाव कब जायेगा ।। भीड़ भाड़ में तो सब ऐक दिखाय देता है वास्तविक ता कुछ और आम दैनिक व्यवहार जीवन में वही के वही आचरण व्यवहार लोगों के साथ ऐ दंभ ढोंग पाखंड कब जायेगा मिटेगा की ऐसे ही चलता रहेगा ।। हाथी के दांत दीखाने का और चबाने का और दुसरा ।। ऐसे कार्यक्रम में आरती पुंजा चौका में ।। अलग-अलग ग्रुप अलग अलग मंडलों अलग अलग नारा दया का करुणा प्रेम का भाईचारे का समानता का ।। व्यवहार करना वही के वही ।। दिल भितर में वही के वही ।। नारा ऐक ।। साहेब बंदगी साहेब जी ।। रहेनी अलग-अलग वही का वही था यही का यही इसमें कोइ परिवर्तन बदलाव नहीं आया है
Rampal.ji brvala ...H jo sb kuchh apny.aap.ko.btta raha.h or sbko fyel .Kr.raha.h
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જય ગુરુદેવ
Sahab.bandgi
बा।माता।ऋधन्यबादठीकहि।कहा।
He guru mata me aap ka satsang apne yahah Katihar me karvana chahta hu contact kese karu..
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Hindu ke Guru Muslim ke peer saat dip nau Khand mein satguru sahib Kabir ll
शब्द अर्थ
साहब मैं
पर्मात्मा मैं
ओहं मैं
सोहन मैं
सिर्फ मैं मैं खुद
एक तरफ मैं हूँ। दूसरी तरफ संसार(माया) है।
मैं हूँ तो । संसार है।
यदि मैं नहीं। तव संसार भी नहीं है।
मेरा होना जरूरी है। मुझ से संसार कोई
छीन नहीं सकता।
मैं संसार का तो ध्यान करूँ और मुझे भूला रहूँ । जब मैं ही न रहा तो संसार मेरा कहाँ रहा।
मेरी भक्ति कर। मेरा ध्यान कर। मेरे नाम का ध्यान कर। मैं ही सर्वेसर्वा हूँ।
(यही आत्म ज्ञान है) छज्जी
लोग मेरी भक्ति नहीं कर रहे हैं। तेरी और उनकी भक्ति कर रहे हैं। अरे जो मेरी भक्ति करेगा सिर्फ वही मुझे प्राप्त करेगा।
छज्जी
जो मेरे शब्दों पर ध्यान नहीं
करेगा स्वप्न में भी लक्ष को प्राप्त नहीं होगा।
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