श्रीमद्भगवद गीता अध्याय 8 का श्लोक 3 में गीता ज्ञान दाता ब्रह्म भगवान ने कहा है कि वह परम अक्षर ‘ब्रह्म‘ है जो जीवात्मा के साथ सदा रहने वाला है। वह परम अक्षर ब्रह्म गीता ज्ञान दाता से अन्य है, वह कबीर परमात्मा हैं।
परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है। - पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7
♦️परमात्मा कबीर जी समझाते हैं कि हे भोले प्राणी! गरूड़ पुराण का पाठ उसे मृत्यु से पहले सुनाना चाहिए था ताकि वह परमात्मा के विधान को समझकर पाप कर्मों से बचता। पूर्ण गुरू से दीक्षा लेकर अपना मोक्ष करता। जिस कारण से वह न प्रेत बनता, न पितर बनता, न पशु-पक्षी आदि-आदि के शरीरों में कष्ट उठाता। मृत्यु के पश्चात् गरूड़ पुराण के पाठ का कोई लाभ नहीं मिलता।♦️गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में भी प्रमाण है की जो पितरों की पूजा करता है वो पितरों को प्राप्त होता है जो भूत पूजते हैं वो भूत बनते हैं♦️जीवित बाप के लठ्ठम लठ्ठा, मूवे गंग पहुचैया। जब आवे आसोज का महीना, कौवा बाप बनईयां। जीवित बाप के साथ तो लड़ाई रखते हैं और उनके मरने के उपरांत उनके श्राद्ध निकालते हैं।
गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि जो शास्त्र विधि को त्यागकर मनमाना आचरण व भक्ति साधना करता है उसको न कोई सुख होता है न ही सिद्धी प्राप्त होती है और ना ही उसकी गति होती है अर्थात् व्यर्थ साधना है। ऐसे ही छठ पूजा की परंपरा है।
धना भारती जी का भजन
जय नाथ री सा 🙏🙏
बहुत-बहुत ही सुन्दर 🙏🙏
Very nice
❤❤❤❤❤🎉🎉
जय दानगिरी महाराज जय हो
जुडाल दिनेश
Kalu Bhai
Jai ho sa
जोगभारती आप ने झरडेशवर महादेव री अपलोड करु सा
कॉपीराईट लगेगी अपलोड किया तो
@@SARPANCH_GUJARAT Very Nice Thanks.
हर हर महादेव
જય દાન ગીરિ જય હો
जय दानगिरि जी महाराज
❤
Very good...
श्रीमद्भगवद गीता अध्याय 8 का श्लोक 3 में
गीता ज्ञान दाता ब्रह्म भगवान ने कहा है कि वह परम अक्षर ‘ब्रह्म‘ है जो जीवात्मा के साथ सदा रहने वाला है।
वह परम अक्षर ब्रह्म गीता ज्ञान दाता से अन्य है, वह कबीर परमात्मा हैं।
❤❤❤
Ab clear dikh rha hai
परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है।
- पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7
♦️परमात्मा कबीर जी समझाते हैं कि हे भोले प्राणी! गरूड़ पुराण का पाठ उसे मृत्यु से पहले सुनाना चाहिए था ताकि वह परमात्मा के विधान को समझकर पाप कर्मों से बचता। पूर्ण गुरू से दीक्षा लेकर अपना मोक्ष करता। जिस कारण से वह न प्रेत बनता, न पितर बनता, न पशु-पक्षी आदि-आदि के शरीरों में
कष्ट उठाता। मृत्यु के पश्चात् गरूड़ पुराण के पाठ का कोई लाभ नहीं मिलता।♦️गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में भी प्रमाण है की जो पितरों की पूजा करता है वो पितरों को प्राप्त होता है जो भूत पूजते हैं वो भूत बनते हैं♦️जीवित बाप के लठ्ठम लठ्ठा, मूवे गंग पहुचैया।
जब आवे आसोज का महीना, कौवा बाप बनईयां।
जीवित बाप के साथ तो लड़ाई रखते हैं और उनके मरने के उपरांत उनके श्राद्ध निकालते हैं।
पी
गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि जो शास्त्र विधि को त्यागकर मनमाना आचरण व भक्ति साधना करता है उसको न कोई सुख होता है न ही सिद्धी प्राप्त होती है और ना ही उसकी गति होती है अर्थात् व्यर्थ साधना है। ऐसे ही छठ पूजा की परंपरा है।
क्या हूंकि
Jai Ho
jay gurudev ri
Nice
अब
😢थ
Jaygarudevkijaymalakomankobhajanwalidoribhagtikimemahadbharijaypirsivsjnthinathjikijayjaynaganarayjayganesh
Jai ho
Shrkarnebothtexlagayhamnebhidekhamagarhartexgariboparaadarithhyaagarkoitexlagashketoshriphdadagariparlagadohamunkeshmarthnhyjaybhawanijayganesh