ज्ञान विराग जोग विज्ञाना। ए सब पुरुष सुनहु हरि जाना। पुरुष प्रताप प्रबल सब भाँती। अबला अवल सहज जड़ जाती । आत्मा आधार शरीर से बाहर तो बल वैराग्य ज्ञान योग या विज्ञान संभव है। सहज में जड़ अधम मुर्दा समाप्त। भक्ति भी विना परम आत्मा के संभव नहीं है। ए विचार किसके द्वारा उत्पन्न होते हैं ।
सबके सब उपदेश देने मे लगे हैं ।
विना आत्मा के उपदेश।
विना आत्मा आधार के न शास्त्र और न ही सस्त्र को उठाया जा सकता।
दुनिया का कोई पुरुष विना आधार प्राण के अपने हुनर को तो दिखाए।
सब परम आत्मा से संभव होता है।
जो कुछ हो रहा है किसके द्वारा जीव प्राणी का आधार आत्मा प्राण नहीं तो और कौन।
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ज्ञान विराग जोग विज्ञाना।
ए सब पुरुष सुनहु हरि जाना।
पुरुष प्रताप प्रबल सब भाँती।
अबला अवल सहज जड़ जाती ।
आत्मा आधार शरीर से बाहर तो
बल वैराग्य ज्ञान योग या विज्ञान संभव है।
सहज में जड़ अधम मुर्दा समाप्त।
भक्ति भी विना परम आत्मा के संभव नहीं है।
ए विचार किसके द्वारा उत्पन्न होते हैं ।