क्या ‘ब्रह्म’ हमारे मन की दशा है? || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव (2022)
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- Опубліковано 28 вер 2024
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वीडियो जानकारी: 25.03.22, वेदांत महोत्सव, ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
संगीत: मिलिंद दाते
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आचार्य जी की सीख :
• अहंकार विस्तार है
• आत्मा गहराई है
बिल्कुल सही बात है...🙏🌹🙏
जहां तक की मुझे याद है में हमेशा पता नहीं कहां खोया रहता था जैसे कुछ खो गया है मेरा आपको सुनने के बाद जो आनंद मिला उसे कैसे बयान करूं समझ नहीं पा रहा हूं। बस ये मान लीजिए की यदि आप और आपका ऐप नहीं होते तो मेरा फोन महत्वहीन था। धन्यवाद आचार्य जी☺️🙏
सादर प्रणाम आचार्य जी 🙏
Pranam Acharya jii
🌹🙏
True 🙏
हम् कैसे परम् अान्नदको प्राप्त करे
Pranam आचार्य जी 🌹❤️
🙏🏿🙏🏿🙏🏿pranaam acharyji
Sachi bat ka ahsas aj hua
Kya iske bad bhi puja path ki jrurat hoti hai yadi nehin to age badne ke liye kiska Sahara lain
सच्चिदानंद जिसके अनुभव में है वह तो इसकी चर्चा करते हैं नहीं और लोग अनुमान ज्ञान का सहारा लेकर पता नहीं इसकी क्या क्या व्याख्या करते रहते हैं,
यह एक समयअतीत शब्दातीत चेतन की सिर्फ होने मात्र की आनंद स्वरूप स्थिति है, वहां किसी भी स्वरूप में "मैं" उपस्थित नहीं है क्योंकि वहां पर किसी भी प्रकार के "मैं" "तू" और "वह" का अस्तित्व नहीं है, और वह आनंद ऐसा है जो इस जगत के व्यवहार की घटने वाली सुख पूर्ण घटनाओं मे अनुभव नहीं होता... इसलिए लोगों के मुंह पर जो हास्य दिखता है उस हास्य के साथ इस आनंद की तुलना नहीं हो सकती, क्योंकि वह एक ऐसा आनंद पूर्ण हास्य है जिसको हंसने वाला कोई नहीं है, कोई मुंह नहीं है वहां ,
आचार्य जी को अपने वास्तविक स्वरूप में होने का अनुभव नहीं है इसीलिए वह ऐसी व्याख्या कर रहे हैं...🙏🌹🙏
Ye question puchhne wale achanak angrej kyon ban jate hai.
😂😂😂😂😂😂😂
🌄🙏
मेरा दावा है आचार्यजी ,, कि आप आज हमारे लिए बुद्ध हैं...
बस
मुझे और कुछ नहीं पता 🙏
धर्म में व्याप्त शब्दों के सही अर्थ जानने के लिए सबसे अच्छी वीडियो। पता नहीं सच्चिदानंद और ब्रम्ह को लेकर क्या क्या फैल रखा है धार्मिक लोगों के बीच मे कि हसते रहना सच्चिदानंद है वगैरह। आचार्य जी अपना पूरा जोर लगा देते है कठिन से कठिन सवाल का तर्कसंगत उत्तर देने के लिए। हर वीडियो जैसे कहता है की जिंदगी से भीड़ जाओ और अपने बंधनों को काटो।
मन की दशा नहीं केंद्र का बदलना ब्रह्म है।
मन की अंतिम अवस्था सच्चिदानंद हैं।
अहंकार को विस्तार चाहिए और आत्म गहराई का नाम है।
जय श्री कृष्ग शत् शत् नमन गुरूदेव
आचार्य जी के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम है मेरा 🙏🙏🙏🙏🙏
The questioner is truly seeker
अहंकार ... Quantity . आत्मा ... Quality , गहराई ... गहरी पैठ ... धन्यवाद ... 🙏 🙏 ... !
सद्चित ही आपका ब्रह्म से एकाकार कराती है
आनंद उसके बाद की अवस्था है जो कि शांति और सुख से अलग है।
सच्चिदानंद जिसके अनुभव में है वह तो इसकी चर्चा करते हैं नहीं और लोग अनुमान ज्ञान का सहारा लेकर पता नहीं इसकी क्या क्या व्याख्या करते रहते हैं,
यह एक समयअतीत शब्दातीत चेतन की सिर्फ होने मात्र की आनंद स्वरूप स्थिति है, वहां किसी भी स्वरूप में "मैं" उपस्थित नहीं है क्योंकि वहां पर किसी भी प्रकार के "मैं" "तू" और "वह" का अस्तित्व नहीं है, और वह आनंद ऐसा है जो इस जगत के व्यवहार की घटने वाली सुख पूर्ण घटनाओं मे अनुभव नहीं होता... इसलिए लोगों के मुंह पर हास्य आने की जो घटनाएं है उस हास्य के साथ आनंद की तुलना नहीं हो सकती... क्योंकि वह एक ऐसा आनंद पूर्ण हास्य है जिसको हंसने वाला कोई नहीं है कोई मुंह नहीं है वहां ,
आचार्य जी को अपने वास्तविक स्वरूप में होने का अनुभव नहीं है इसीलिए वह ऐसी व्याख्या कर रहे हैं...🙏🌹🙏
Sahi baat hai sab log Pooja path kerky pareshan ho rahy per man ki saanti ni milti sangharsh he jeevan hai isasay koi Bach ni saka sabko face kerna hai
Wahwah AhaAha wonderful Chamatkaric VISHMAYPURNA wonderful UNDERSTANDING ACHARAJI thanksgretitude dhanyabad dhanyabadDhanyabadDhanyabad
सच्चिदानंद जिसके अनुभव में है वह तो इसकी चर्चा करते हैं नहीं और लोग अनुमान ज्ञान का सहारा लेकर पता नहीं इसकी क्या क्या व्याख्या करते रहते हैं,
यह एक समयअतीत शब्दातीत चेतन की सिर्फ होने मात्र की आनंद स्वरूप स्थिति है, वहां किसी भी स्वरूप में "मैं" उपस्थित नहीं है क्योंकि वहां पर किसी भी प्रकार के "मैं" "तू" और "वह" का अस्तित्व नहीं है, और वह आनंद ऐसा है जो इस जगत के व्यवहार की घटने वाली सुख पूर्ण घटनाओं मे अनुभव नहीं होता... इसलिए लोगों के मुंह पर जो हास्य दिखता है उस हास्य के साथ इस आनंद की तुलना नहीं हो सकती, क्योंकि वह एक ऐसा आनंद पूर्ण हास्य है जिसको हंसने वाला कोई नहीं है, कोई मुंह नहीं है वहां ,
आचार्य जी को अपने वास्तविक स्वरूप में होने का अनुभव नहीं है इसीलिए वह ऐसी व्याख्या कर रहे हैं...🙏🌹🙏
🙏
Pranam Acharyaji apko sunana mera param bhagya hai atmashanti milati hai koti koti naman
" Jeevan me joojhogey nahi, Khali Kitab padhogey to aise hi baudhik Sawal pareshan Kartey rahengey ! " - AP ji
Awesome
हिंदी बोलो भाई।
प्रणाम आचार्य।
बहुत उचित व्याख्यान । सच्चिदानंद का ये व्याख्यान पहले पता नहीं था । 🙏👍
Sachi khushi andar se aati hai dill se aur muskurahat mai chalaki ho skti ho skti hai pr khush rehne se chehra btta deta hai
Radhey radhey
Naman Acharya ji koti koti pranam 🙏♥️
Lord Krishna said in bhagvat geeta iam a mind as in every one every living thing
Happiness is original quality of soul but mind maan covered with maya. Like sun surya covered with badal
Pranam Guruvar!
Yes bhi
Dhanyawad acharya ji
Naman
ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ। 🙏
धन्यवाद आचार्य जी
Pranam !
❤❤❤
Waah dhanyawad acharya ji
सच्चिदानंद जिसके अनुभव में है वह तो इसकी चर्चा करते हैं नहीं और लोग अनुमान ज्ञान का सहारा लेकर पता नहीं इसकी क्या क्या व्याख्या करते रहते हैं,
यह एक समयअतीत शब्दातीत चेतन की सिर्फ होने मात्र की आनंद स्वरूप स्थिति है, वहां किसी भी स्वरूप में "मैं" उपस्थित नहीं है क्योंकि वहां पर किसी भी प्रकार के "मैं" "तू" और "वह" का अस्तित्व नहीं है, और वह आनंद ऐसा है जो इस जगत के व्यवहार की घटने वाली सुख पूर्ण घटनाओं मे अनुभव नहीं होता... इसलिए लोगों के मुंह पर जो हास्य दिखता है उस हास्य के साथ इस आनंद की तुलना नहीं हो सकती, क्योंकि वह एक ऐसा आनंद पूर्ण हास्य है जिसको हंसने वाला कोई नहीं है, कोई मुंह नहीं है वहां ,
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🕉️🙏
This valuable knowledge discussion about bramha is Not able to cure my hunger .
सच्चिदानंद जिसके अनुभव में है वह तो इसकी चर्चा करते हैं नहीं और लोग अनुमान ज्ञान का सहारा लेकर पता नहीं इसकी क्या क्या व्याख्या करते रहते हैं,
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आचार्य जी को अपने वास्तविक स्वरूप में होने का अनुभव नहीं है इसीलिए वह ऐसी व्याख्या कर रहे हैं...🙏🌹🙏
सिर्फ आपका खुद का अनुभव आपकी भूख को शांत कर सकता है
Ye video main channel pe kyu uploaded nahi hai?
मेरा भी यही सवाल है ..
Jay guru dev 🙏🙏🙏🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌹🌹🌹🌹🌹❤❤❤❤❤
😂
🙏🌹🙏
🙏
🙏🙏🙏
❤️❤️❤️
🙏🌷
प्रणाम आचार्य जी 💐💐💐
💜
कोटि कोटि प्रणाम आचार्य जी।
आचार्य जी प्रणाम 🙏🙏🙏🌹🌹
प्रणाम आचार्य जी🙏🙏💐💐❤❤
🙏💓☀️🌍💐💐💐
🙇💓