मत्थेण वंदामी मा.सा. इस स्वाध्याय में 37 मिनट 11 सेकंड के आगे प्रियाजी के प्रश्नका उत्तर देते वक्त आपने जो पाइप लाइन वाली बात कही है की जिसका जिस समय जिस कल में जैसा होना है वह वैसा होता है यह त्रैकालिक सत्य है। जब इस बात पर चिंतन हुआ तो यह बात सही प्रतीत हुई । कुछ समय के लिए जब इस बात पर प्रयोग किया तो निर्भारता महसूस हुई । क्योंकि इस देह के प्रत्येक पुद्गलका एवं आत्माकेभावोंका उदय और अस्त सब कुछ केवली भगवानके केवल ज्ञान में दिख रहा है उसके अनुसार हो रहा है। परंतु इस पर चर्चा करते वक्त एक प्रश्न उठा की क्या यह नियतिवाद तो नहीं होगा ना ??? जैसे गौशाला और कपासके बीजों का उदाहरण आता है। या फिर इस सत्य को स्वीकारकर जो भी, जिसका भी, जैसा भी जब भी जहां भी हो रहा है उसे वैसे स्वीकार करना और उसमें परिवर्तन की चेष्टा नही करना क्या यही पुरुषार्थ हमें करना होगा क्या ??? समझानेकी महत कृपा करें । धन्यवाद । प्रीतम छाजेड़ पुणे
Respectedsadhvi yugalJeeNidhikripaJee urimlasadhviJee kovandanaNaman 🙏🙏🙏
🙏🙏🙏
Gyan vardhak
🙏 live mei kaise jud saktey hein?
मत्थेण वंदामी मा.सा.
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कैसे ?
Live me kaise jud sakte hai
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मत्थेण वंदामी मा.सा.
इस स्वाध्याय में 37 मिनट 11 सेकंड के आगे
प्रियाजी के प्रश्नका उत्तर देते वक्त आपने जो पाइप लाइन वाली बात कही है की
जिसका जिस समय जिस कल में जैसा होना है वह वैसा होता है यह त्रैकालिक सत्य है।
जब इस बात पर चिंतन हुआ तो यह बात सही प्रतीत हुई ।
कुछ समय के लिए जब इस बात पर प्रयोग किया तो निर्भारता महसूस हुई ।
क्योंकि इस देह के प्रत्येक पुद्गलका एवं आत्माकेभावोंका उदय और अस्त सब कुछ केवली भगवानके केवल ज्ञान में दिख रहा है उसके अनुसार हो रहा है।
परंतु इस पर चर्चा करते वक्त एक प्रश्न उठा की क्या यह नियतिवाद तो नहीं होगा ना ???
जैसे गौशाला और कपासके बीजों का उदाहरण आता है।
या फिर इस सत्य को स्वीकारकर
जो भी,
जिसका भी,
जैसा भी
जब भी
जहां भी हो रहा है
उसे वैसे स्वीकार करना और उसमें परिवर्तन की चेष्टा नही करना
क्या यही पुरुषार्थ हमें करना होगा क्या ???
समझानेकी महत कृपा करें ।
धन्यवाद ।
प्रीतम छाजेड़ पुणे