WO SHEHRE MUHABBAT....HAIDAR ASHRAFI MODASA

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  • Опубліковано 18 чер 2024
  • वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं
    वहीं घर बनाने को दिल चाहता है
    वो सोने से कंकर, वो चाँदी सी मिट्टी
    नज़र में बसाने को दिल चाहता है
    वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं
    वहीं घर बनाने को दिल चाहता है
    जो पूछा नबी ने कि कुछ घर भी छोड़ा
    तो सिद्दीक़-ए-अकबर के होंटों पे आया
    वहाँ माल-ओ-दौलत की क्या है हक़ीक़त
    जहाँ जाँ लुटाने को दिल चाहता है
    वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं
    वहीं घर बनाने को दिल चाहता है
    जिहाद-ए-मोहब्बत की आवाज़ गूँजी
    कहा हन्ज़ला ने ये दुल्हन से अपनी
    इजाज़त अगर हो तो जाम-ए-शहादत
    लबों से लगाने को दिल चाहता है
    वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं
    वहीं घर बनाने को दिल चाहता है
    सितारों से ये चाँद कहता है हर-दम
    तुम्हें क्या बताऊँ वो टुकड़ों का 'आलम
    इशारे में आक़ा के इतना मज़ा था
    कि फिर टूट जाने को दिल चाहता है
    वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं
    वहीं घर बनाने को दिल चाहता है
    वो नन्हा सा असग़र, वो एड़ी रगड़ कर
    यही कह रहा था वो ख़ैमे में रो कर
    ऐ बाबा ! मैं पानी का प्यासा नहीं हूँ
    मेरा सर कटाने को दिल चाहता है
    वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं
    वहीं घर बनाने को दिल चाहता है
    जो देखा है रू-ए-जमाल-ए-रिसालत
    तो, ताहिर ! 'उमर मुस्तफ़ा से ये बोले
    बड़ी आप से दुश्मनी थी मगर अब
    ग़ुलामी में आने को दिल चाहता है
    वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं
    वहीं घर बनाने को दिल चाहता है

КОМЕНТАРІ • 3

  • @sohilmansuri4221
    @sohilmansuri4221 Місяць тому +4

    सुब्हानअल्लाह
    बहुत बेहतरीन नात ऐ पाक
    साथ में बेहतरीन आवाज़

  • @khanproduction0786
    @khanproduction0786 Місяць тому +3

    Subhan Allah

  • @khanproduction0786
    @khanproduction0786 Місяць тому +3

    Masha Allah