CVR technique me sub soil ka colloidal form use hota hai. agar aap usme fitkari dalenge to mitti k fine particles bhi niche beth jayenge. aur solution utna effective nhi reh jaega
Bhai RAHULBHAI Jase khedut ka masiya he me 2 varse RAHULBHAI januse ani time mobial karo 3/4 kalak isak Ripal ave se koi bhi probal ho tarat free solusan
*खेती व्यवस्था में आर पी एस 76 का इस्तेमाल क्यों जरुरी है* ? *वनस्पति के भोजन की व्यवस्था क्या है* वनस्पति के सम्पूर्ण भोजन की व्यवस्था प्रकृति ने बनाई है, इस बात को सारी दुनिया के वैज्ञानिक मानते हैं, उनका रिसर्च कहता है कि, किसी भी वनस्पति को 96.2 प्रतिशत भोजन सूर्यप्रकाश, हवा तथा पानी से मिलता है, बचे हुए 3.8 प्रतिशत भोजन की व्यवस्था मिट्टी से पूरी होती है, जिसे हम मिट्टी कहते हैं, वास्तव में वो सभी प्रकार के खनिज हैं, जिनकी हमारी वनस्पति को आवश्यकता है, जैसे मुख्य अन्न द्रव्य में नत्र,स्फुरद,पोटाश,दुय्यम अन्न द्रव्य में कैल्शियम,मेग्नेशियम,सल्फर,तथा सूक्ष्म अन्य द्रव्य में बोरोन,क्लोरीन,कॉपर,आयरन,मैगनीज,बेनेडियम,झिंक, वनस्पति को कम-ज्यादा प्रमाण में लगने वाले ये सभी घटक खनिज के स्वरूप में मिट्टी में हैं, आवश्यकतानुसार वनस्पति को मिलते हैं, इसके अलावा 3 घटक हैं, कार्बन, हाईड्रोजन तथा आक्सीजन ये घटक पानी तथा हवा से उपलब्ध होते हैं. *वनस्पति को भोजन के उपलब्धिकरण की प्रक्रिया क्या है।* एक ग्राम मिट्टी में १० करोड़ सूक्ष्म जीवाणु होते हैं, इनका भोजन वो खनिज हैं, जिसे हम मिट्टी कहते हैं, ये खनिज जीवाणुओं का भोजन हैं, उनके खाने से खनिज का रूप परिवर्तन होता है, फिर उसे दूसरे जीवाणु खाते हैं, इस प्रकार मिट्टी के खनिज जीवाणुओं के भोजन से वनस्पति का भोजन बन जाते हैं, ये वनस्पति को भोजन देने की प्राकृतिक व्यवस्था थी, वनस्पति को आवश्यकता से अधिक भोजन मिलता था, इसलिए वनस्पति बलवान तथा निरोगी रहती थी, बलवान वनस्पति किटकों को प्रतिकार करती थी, इसलिए जहरीली दवाओं का छिड़काव भी नहीं करना पड़ता था। *आर पी एस 76 जीवाणुओं की संख्या तेजी से बढ़ाता है* गोबर खाद सड़ने के बाद उसमें से जो कार्बन मिलता था, वह जीवाणुओं का भोजन हैं, फसलों के अवशेष जो मिट्टी में सड़ते हैं, उसमें से निकलने वाला कार्बन जीवाणुओं का भोजन है, अब गोबर खाद सभी किसान भाइयों को उपलब्ध नहीं है, स्वच्छ खेती पद्धति के कारण फसलों के अवशेष भी कम हो गए, इसलिए भी जीवाणुओं की संख्या बढ़ने की गति रुक गई. *आर पी एस 76 में जीवाणुओं का भोजन बहुतायत मात्रा में है* इसलिए जब खेत में *आर पी एस 76* दिया जाता है, जीवाणुओं की संख्या तेजी से बढ़ने लगती है, जीवाणुओं की संख्या ज्यादा मतलब फसलों को ज्यादा भोजन। *सभी किसान भाइयों से हाथ 🙏जोड़कर विनम्र निवेदन है कि एक कदम जहर मुक्त खेती की ओर जरूर बढ़ाएं* 🙏 प्रकृति की बहुमूल्य भोजन व्यवस्था में केंचुओं का रोल अहम् था। उपजाऊ मिट्टी में जितना सहभाग जीवाणुओं का है, उससे ज्यादा महत्व केंचुओं का है, रासायनिक खाद के कारण मिट्टी में गर्मी निर्माण होने के कारण केंचुए नीचे-नीचे चले गए, *आर पी एस 76* मिट्टी में ऐसे वातावरण का निर्माण करता है जिसके इस्तेमाल से केंचुए ऊपर आकर खाद बनाने लगते हैं, एक एकड़ क्षेत्र में साल भर खेती होने वाली मिट्टी में 120 टन तक केंचुआ खाद हर साल बनता है, किसान भाइयों अगर 120 टन केंचुआ खाद हर साल आपके एक एकड़ क्षेत्र में बनने लगे तब आपको बाहर से एक रुपये कीमत का खाद डालने की आवश्यकता नहीं है, परन्तु जब तक मिट्टी में निर्माण हुई खराबी दूर नहीं होगी, केंचुए से मिलने वाला बहुमूल्य खाद हमें नहीं मिल सकता। *भूमि, कृषि और कृषक को बचाना है, तो आर पी एस 76 लगाना है* जागो किसान जागो, धन्वंतरि के *आर पी एस 76* को अपनाओ,जैविक कार्बन एवं अन्य पोषक तत्वों को बढ़ाओ। सुशील कुमार 9837334820
राहुल भाई इस विडियो में सबसे ख़तरनाक जानकारी दी है आप ने मैंने आप की ये पहली विडियो देखी है किसी किसान भाई ने समुह में डाली थी
मनोज कुमार
रेवाड़ी
Jaye jvan Jaye Kishan
Rahul bhai aap fasal wise package of practice taiyar kar de vah kisanon ke liye bahut faydemand rahega
Salute to the soldier he should be awarded for it by following him
Gjb
सर नमस्कार बहुत बडीया जाणकारी दी
THANKYOU
Aap ki jankari jamini hai jo asani se samajh me aa jati hai aur chote kisan ke liye prayog sambho hai. Jawan aap practi kal ho. Dhanyabad.
VERY NICE INFROMESAN
👌👍
THANKYOU
Good job
Gehu me detailed video banaye.
राहुल भया जय माताजि
Very very nice
Ram Ram ji
CVR technique me sub soil ka colloidal form use hota hai. agar aap usme fitkari dalenge to mitti k fine particles bhi niche beth jayenge. aur solution utna effective nhi reh jaega
V sabji mein spry ke kya fayde Hain CVR taknik
Sir ji mera pass polyhouse me rose hai uske liye fertilizer bataye kya Dale
Abhi kharcha bahut ho raha hai Rahul bhaiya
Bhai sab ram ram aap dhan ki kheti PR bhathi khad aur mitti ki spray ke bare me btaye.ki kaise dhan ki kheti kare
Rahul bhaiya namaskar
🙏👏👏👏👏👏
Sir lease par kuch ekar land mil jayega apke paas our kya rate ko
Sir namaste
Sir mere plot me neemetod ka prcop jya hogya he kya karu thoda margdrsan dijiye 🙏
Environment me bhi faslo ka utpadan badta h
😮
अदरक का बीज कहा से मिलगा
Sir hum na palbhar ka khate karta ho sir ji
फल मक्खी का उपाय।pheromone trap lagane k baad v phal makhi sare fruits kharab kr deti
Bhai aap muje Kiya gahid lahin de sagte ho
Fhuoji sav hame bhi btai
भाई जी अप की जान नकरी बहुत अच्छी हो ती है
VAY UPKI FON NOBAR DIJIA
RAHUL DADA UPKI FON NOBAR DIJIA
Bhai RAHULBHAI Jase khedut ka masiya he
me 2 varse RAHULBHAI januse
ani time mobial karo 3/4 kalak isak Ripal ave se koi bhi probal ho tarat free solusan
❤❤❤
किया गजब का रास्ता आपने बताया है सर आप अपना mo no दीजिएगा सर हम बिहार से है
Phosphoric acid kha milega koi contact number
*खेती व्यवस्था में आर पी एस 76 का इस्तेमाल क्यों जरुरी है* ?
*वनस्पति के भोजन की व्यवस्था क्या है*
वनस्पति के सम्पूर्ण भोजन की व्यवस्था प्रकृति ने बनाई है, इस बात को सारी दुनिया के वैज्ञानिक मानते हैं, उनका रिसर्च कहता है कि, किसी भी वनस्पति को 96.2 प्रतिशत भोजन सूर्यप्रकाश, हवा तथा पानी से मिलता है, बचे हुए 3.8 प्रतिशत भोजन की व्यवस्था मिट्टी से पूरी होती है, जिसे हम मिट्टी कहते हैं, वास्तव में वो सभी प्रकार के खनिज हैं, जिनकी हमारी वनस्पति को आवश्यकता है, जैसे मुख्य अन्न द्रव्य में नत्र,स्फुरद,पोटाश,दुय्यम अन्न द्रव्य में कैल्शियम,मेग्नेशियम,सल्फर,तथा सूक्ष्म अन्य द्रव्य में बोरोन,क्लोरीन,कॉपर,आयरन,मैगनीज,बेनेडियम,झिंक, वनस्पति को कम-ज्यादा प्रमाण में लगने वाले ये सभी घटक खनिज के स्वरूप में मिट्टी में हैं, आवश्यकतानुसार वनस्पति को मिलते हैं, इसके अलावा 3 घटक हैं, कार्बन, हाईड्रोजन तथा आक्सीजन ये घटक पानी तथा हवा से उपलब्ध होते हैं.
*वनस्पति को भोजन के उपलब्धिकरण की प्रक्रिया क्या है।*
एक ग्राम मिट्टी में १० करोड़ सूक्ष्म जीवाणु होते हैं, इनका भोजन वो खनिज हैं, जिसे हम मिट्टी कहते हैं, ये खनिज जीवाणुओं का भोजन हैं, उनके खाने से खनिज का रूप परिवर्तन होता है, फिर उसे दूसरे जीवाणु खाते हैं, इस प्रकार मिट्टी के खनिज जीवाणुओं के भोजन से वनस्पति का भोजन बन जाते हैं, ये वनस्पति को भोजन देने की प्राकृतिक व्यवस्था थी, वनस्पति को आवश्यकता से अधिक भोजन मिलता था, इसलिए वनस्पति बलवान तथा निरोगी रहती थी, बलवान वनस्पति किटकों को प्रतिकार करती थी, इसलिए जहरीली दवाओं का छिड़काव भी नहीं करना पड़ता था।
*आर पी एस 76 जीवाणुओं की संख्या तेजी से बढ़ाता है*
गोबर खाद सड़ने के बाद उसमें से जो कार्बन मिलता था, वह जीवाणुओं का भोजन हैं, फसलों के अवशेष जो मिट्टी में सड़ते हैं, उसमें से निकलने वाला कार्बन जीवाणुओं का भोजन है, अब गोबर खाद सभी किसान भाइयों को उपलब्ध नहीं है, स्वच्छ खेती पद्धति के कारण फसलों के अवशेष भी कम हो गए, इसलिए भी जीवाणुओं की संख्या बढ़ने की गति रुक गई.
*आर पी एस 76 में जीवाणुओं का भोजन बहुतायत मात्रा में है* इसलिए जब खेत में *आर पी एस 76* दिया जाता है, जीवाणुओं की संख्या तेजी से बढ़ने लगती है, जीवाणुओं की संख्या ज्यादा मतलब फसलों को ज्यादा भोजन।
*सभी किसान भाइयों से हाथ 🙏जोड़कर विनम्र निवेदन है कि एक कदम जहर मुक्त खेती की ओर जरूर बढ़ाएं* 🙏
प्रकृति की बहुमूल्य भोजन व्यवस्था में केंचुओं का रोल अहम् था।
उपजाऊ मिट्टी में जितना सहभाग जीवाणुओं का है, उससे ज्यादा महत्व केंचुओं का है, रासायनिक खाद के कारण मिट्टी में गर्मी निर्माण होने के कारण केंचुए नीचे-नीचे चले गए, *आर पी एस 76* मिट्टी में ऐसे वातावरण का निर्माण करता है जिसके इस्तेमाल से केंचुए ऊपर आकर खाद बनाने लगते हैं, एक एकड़ क्षेत्र में साल भर खेती होने वाली मिट्टी में 120 टन तक केंचुआ खाद हर साल बनता है, किसान भाइयों अगर 120 टन केंचुआ खाद हर साल आपके एक एकड़ क्षेत्र में बनने लगे तब आपको बाहर से एक रुपये कीमत का खाद डालने की आवश्यकता नहीं है, परन्तु जब तक मिट्टी में निर्माण हुई खराबी दूर नहीं होगी, केंचुए से मिलने वाला बहुमूल्य खाद हमें नहीं मिल सकता।
*भूमि, कृषि और कृषक को बचाना है, तो आर पी एस 76 लगाना है*
जागो किसान जागो, धन्वंतरि के *आर पी एस 76* को अपनाओ,जैविक कार्बन एवं अन्य पोषक तत्वों को बढ़ाओ।
सुशील कुमार
9837334820
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