जय महालक्ष्मी कथा | वैष्णो देवी और भैरव (भाग - 2)

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  • Опубліковано 21 вер 2024
  • • बजरंग बाण | पाठ करै बज...
    बजरंग बाण | पाठ करै बजरंग बाण की हनुमत रक्षा करै प्राण की | जय श्री हनुमान | तिलक प्रस्तुति 🙏 भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन दो भगवान!
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    Watch the Story Of "Vaishno Devee aur bhairav (bhaag - 2)" now!
    राजा रत्नाकर अपना राज पाठ छोड़ने की बात करते हैं तो राज सभा में सभी मंत्री वैष्णवी को राज सिंहासन पर बैठने के लिए कहते हैं लेकिन वैष्णवी मना कर देती है और वन में जाकर तप करने जाने की बात करती हैं। भैरव को जब यह बात पता चलती है की राजा रत्नाकर ने राज पाठ छोड़ दिया है और वैष्णवी और अपने पत्नी को लेकर वन जा रहा है तो वह अपनी सेना के साथ उन्हें पकड़ने के लिए आता है। भैरव अपनी सेना को आगे भेजता है तो राजा रत्नाकर और उनकी पत्नी अपने अंदर से जल प्रलय को निकलते हैं जिसमें वो असुर बह जाते हैं। माता वैष्णो असुर राज भैरव को ज़ंजीरों में बांध कर जल में डूबा देती हैं। वैष्णवी वन में तप करने चली जाती हैं। भैरव की माता देवी लक्ष्मी से अपने पुत्र को मुक्त करने के लिए प्रार्थना करती हैं जिस पर माता भैरव को मुक्त कर देती हैं।
    भैरव जल से निकलने के बाद सभी धर्म के काम करने वाले लोगों पर अत्याचार करता है। सभी ऋषि मुनि माता वैष्णवी के पास आते हैं और उनसे रक्षा कई गुहार लगते हैं। भैरव वैष्णो को ढूँढते हुए वन में आगे बढ़ता है। माता वैष्णो उसे रस्ते में आकर चेतावनी देने आती हैं की वह अगर नहीं मना तो उसका अंत निश्चित हैं। भैरव वैष्णो की बात नहीं मानता और आगे बढ़ता है। वैष्णो अपने स्थान को छोड़कर त्रिकुट पर्वत की गुफा में चली जाती हैं।
    भैरव का गुप्तचर वैष्णो का पता लगा लेता है और भैरव को बता देता है। भैरव वैष्णवी को ढूँढने के लिए निकल पड़ता है। भैरव को माता अपने दूसरे रूप में दिखायी देती हैं,। जैसे ही भैरव माता को हाथ लगता है तो वह अचेत हो जाता है। वैष्णवी भैरव का वध करने के लिए उसे दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए उसे अपने पीछे आने देती हैं और उसे पर्वत के ऊपर ले जाकर उसका सर धड़ से अलग कर देती हैं। भैरव का सर दूर जाकर गिरता है, भैरव वैष्णवी को पहचान जाता है और उनसे क्षमा माँगता है। माता उसे माफ़ कर देती हैं और उसे कहती हैं की मेरे दर्शन करने के लिए आने वाले सभी भक्त तुम्हारे धड़ पर पैर रख कर आएँगे। और मेरे दर्शन पाने के बाद तुम्हारे दर्शन करने अनिवार्य हो जाएँगे। वैष्णो माता ने एक बार श्रीधर पंडित और उसकी पत्नी अनुराधा को उद्धार करने का माध्यम बनाया। श्रीधर के पास कोई संतान नहीं थी लेकिन वो इसकी चिंता नहीं करते थे बल्कि वो राज्य में फैली चेचक की बीमारी की चिंता से माता वैष्णो से प्रार्थना करते थे।
    श्रीधर की माता अनुराधा को संतान ना होने कंक बात पर कोसती थी जिस से दुःखी होकर वह एक रात अपने प्रण देने के लिए कुएँ की ओर बढ़ी तो वहाँ एक कन्या उसे रोक देती है। वह कन्या अनुराधा को बताती है की वह बाँझ नहीं है और वह अवश्य ही संतान को जनम देगी। श्रीधर वहाँ आता है तो वह कन्या वहाँ से चली जाती है। अनुराधा कन्या की बात श्रीधर को बताती है तो वह प्रसन्न हो जाता है और अपने राज्य में ख़ुशी मीन लड्डू बाँटता है। लोग श्रीधर का मज़ाक़ उड़ाते हैं। श्रीधर माता से प्रार्थना करता है और पूछता है की उनके संतान कब होगी तो माता उसे दर्शन देती है और उसे पाने साथ लेकर पर्वत पर अपनी गुफा के पास ले आती हैं। श्रीधर और अनुराधा गुफा में अंदर जाते है और माता की की पिंडियों के दर्शन करते हैं उसे देवी माता लक्ष्मी, माता काली और माता सरस्वती अपने असली रूप के दर्शन देती हैं। तीनों माता एक कन्या का रूप ले लेती हैं और वैष्णो रूप में दोनों को दर्शन देती हैं। माता वैष्णो के बारे में श्रीधर और अनुराधा दोनों नगर के लोगों को बताते हैं सभी माता के दर्शन पाने के लिए निकल पड़ते हैं। माता के आशीर्वाद से सभी लोग अपने दुःख और कष्ट माता के दरबार में जाकर समाप्त हो जाते हैं।
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    Jai Maha Lakshmi presented Tirupati, Balaji and Padmavati for the first time on the small screen. It created a mass frenzy all over India, particularly in southern region where Tirupati Balaji is the most worshipped and revered deity. “JAI MAHA LAKSHMI“ began the chapters of Tirupati Balaji from its genesis. Bhrigu Rishi is assigned the task of finding who is the supreme, having all the three virtues (Trigun) among the Trinity (Brahma, Vishnu and Mahesh). After a lot of search and disappointments, Bhrigu Rishi is convinced that Vishnu is the Supreme and is touched by the Lord’s concern even after insulting him by a purposely designed kick in the Lord’s chest. Lakshmi asks the Lord to punish the Sage. “I cannot harm one who is my guest.” Said the Lord. Considering this an affront to Her dignity, Lakshmi disappears from Ksheer Sagar and descends on today’s Kolhapur as Karveer Maa Lakshmi.
    Later, Lakshmi is pleaded and pleased and She reappears as Padmavati and joins Her husband, who are worshipped and revered as Tirupati Balaji over the years to present.
    In association with Divo - our UA-cam Partner
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