Bhagvat Prapti Demystified: Bridging the Gap Between Man and Aatma : Chitta Shudhi Kaise Ho?

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  • Опубліковано 1 жов 2024
  • श्री राधे राधे !! आत्मा क्या है , मन क्या है ? चित्त अशुद्ध क्यों हो जाता है ? निष्काम कर्मयोग क्या है ?
    अगर आपके मन में भी ऐसे प्रश्न हैं तो ये वीडियो जरूर देखें । 🌹
    प्रमाण सहित चित्त शुद्धि और ईश्वर तक पहुँचने का रास्ता एक सिद्ध संत श्री स्वामी देवादास जी महाराज जी द्वारा बताया गया है, साथ ही जानिये की कैसे पता करें की पिछले जन्म के पाप क्या अभी भी आपका पीछा कर रहे हैं इस वीडियो में 🌹 !!
    • Bhagvat Prapti Demysti...
    आत्मा क्या है , मन क्या है ? चित्त अशुद्ध क्यों हो जाता है ? निष्काम कर्मयोग क्या है ? सरल शब्दों में जानिये
    आत्मा का स्वरूप प्रकट क्यों नहीं होता ?
    चित्त अशुद्ध होने से आत्मा का स्वरूप नहीं प्रकट होता है।
    चित्त अशुद्ध क्यों हो जाता है ?
    अनात्मा वाली वस्तुओं का चिंतन करने से चित्त अशुद्ध हो जाता है !
    चित्त शुद्ध कैसे हो ?
    अगर आप आत्मा , परमात्मा और महात्मा का चिंतन करें तो आपका चित्त शुद्ध हो जायेगा
    चित्त शुद्ध कैसे हो ?
    भगवान कि विभूतियों का चिंतन करने से भी चित्त शुद्ध हो जाता है
    अनात्मा कि बातें क्या होती हैं ?
    संत की जाति देखना अनात्मा कि बात है , ऊँची जाति और नीची जाति कि बात करना भी अनात्मा कि बात करना ही है।
    भगवत-साक्षात्कार क्या है ?
    स्वप्न में भगवान का दर्शन हो जाना , ध्यान में भगवान का दिखलाई पड़ जाना , प्रभु का प्रकट हो जाना भगवत-साक्षात्कार है !!
    भगवत प्राप्ति क्या है ?
    जब हमारे साथ ठाकुर जी खेलें , जो वो चाहें वो हम करें , हम भगवान की सेवा करें , इसे भगवान की प्राप्ति कहा जायेगा !
    चित्त शुद्ध कैसे हो ? ( गीता जी के अनुसार )
    न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते।
    तत्स्वयं योगसंसिद्धः कालेनात्मनि विन्दति।।4.38।।
    इस मनुष्यलोकमें ज्ञानके समान पवित्र करनेवाला निःसन्देह दूसरा कोई साधन नहीं है। जिसका योग भली-भाँति सिद्ध हो गया है, वह (कर्मयोगी) उस तत्त्वज्ञानको अवश्य ही स्वयं अपने-आपमें पा लेता है।
    निष्काम कर्मयोग क्या है ?
    अपने स्वार्थ का त्याग करके कुछ परमार्थ करना निष्काम कर्म योग है।
    निष्काम कर्म योग की अद्भुत महिमा
    निष्काम कर्म योग का फल है चित्त शुद्ध हो जाना और चित्त शुद्ध हो जाने का फल है आत्म ज्ञान उत्पन्न हो जाना और आत्म ज्ञान उत्पन्न हो जाने से आत्म साक्षात्कार हो जाता है।
    हम कैसे समझें की हमारा चित्त शुद्ध हो गया है ?
    जब हमारी भगवान में आसक्ति होने लग जाये और भोगों को भोगने से हमारा मन भागने लगे और जो कर्म हम अपने स्वार्थ के लिये करते हैं उनसे भी विरक्ति होने लगे तब समझने लगिये की चित्त शुद्ध होने लगा है !!
    हमारे चित्त में अनंत जन्मों के भोगे हुए कर्मों का असर रास रूप में सदा रहता है , उसको शुद्ध करने में भक्ति मार्ग बहुत लाभदायक है। निष्काम कर्म योग करते करते ठाकुर जी हमसे प्रसन्न हो जाते हैं और चितचोर बन हमारे चित्त को ही हर लेते हैं !!
    आत्म साक्षात्कार , भगवत साक्षात्कार और भगवान की प्राप्ति
    Embark on a spiritual journey with our video on "Aatma Sakshaatkar - Bhagvat Sakshaatkar and Bhagvat Prapti."
    Explore the profound insights into the soul and the divine path towards attaining the Bhagvat. Delve into the distinctions between the mind (man) and the soul (aatma), and discover the transformative practice of "chitta shuddhi" for inner purity. Join us on this enlightening exploration!
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