आदरणीय संजय दास महाराज जी। अपने शब्द सुनाया जिसका ज्ञान हुआ था।छोड़ चले राजधानी। इस शब्द में अपने प्रहलाद भगत का दृष्टांत दिया। जो आपने दृष्टांत दिया। क्या वह दृष्टांत सत्य है। जब कुम्हारी ने बिल्ली के बच्चों वाला मटका उठाकर के आवे में रखा। क्या उसने वह बिल्ली के बच्चों वाला मटका दिखाई दिया तो होगा। फिर उसने वह मटका आवे मैं क्यों रखा। क्या वह कुम्हारी अंधी थी। और फिर जो आवा 6 महीने में पकने वाला था वह तीन रोज में पक गया। क्या यह भी सच्चाई है। और फिर जो होलिका लेकर के अग्नि में बैठी प्रहलाद को उसमें भी कहा गया है। होलिका मर गई। प्रहलाद बच गया। अग्नि का तो धर्म नहीं है।पक्ष पात करना। अग्नि ने भी पक्षपात कर किया फिर कहते हैं पाखंडी संत कहते हैं।होलिका को अग्नि कवच मिला हुआ था। इसलिए वह बच गई। हवा बहुत तेज चली। कवच उतर के। प्रहलाद के ऊपर पड़ गया। हमारा प्रश्न आपसे है। फिर होली का क्यों मरी। हमारे प्रश्नों के ऊपर ध्यान दिया जाए। एक बार उत्तर देने की कृपा आपका बहुत बहुत धन्यवाद। सत साहेब । संत भारती दास गांव कटवाड़ा जिला रोहतक मोबाइल नंबर 9050 563815
J ho guru ravidas ji maharaj ki
सतनाम जी
Sat Saheb ji 🙏
Sat saheb g
राधा स्वामी जी
Good
Satnam sahiv
Aanad aa gya Maharaj ji
आदरणीय संजय दास महाराज जी। अपने शब्द सुनाया जिसका ज्ञान हुआ था।छोड़ चले राजधानी। इस शब्द में अपने प्रहलाद भगत का दृष्टांत दिया। जो आपने दृष्टांत दिया। क्या वह दृष्टांत सत्य है। जब कुम्हारी ने बिल्ली के बच्चों वाला मटका उठाकर के आवे में रखा। क्या उसने वह बिल्ली के बच्चों वाला मटका दिखाई दिया तो होगा। फिर उसने वह मटका आवे मैं क्यों रखा। क्या वह कुम्हारी अंधी थी। और फिर जो आवा 6 महीने में पकने वाला था वह तीन रोज में पक गया। क्या यह भी सच्चाई है। और फिर जो होलिका लेकर के अग्नि में बैठी प्रहलाद को उसमें भी कहा गया है। होलिका मर गई। प्रहलाद बच गया। अग्नि का तो धर्म नहीं है।पक्ष पात करना। अग्नि ने भी पक्षपात कर किया फिर कहते हैं पाखंडी संत कहते हैं।होलिका को अग्नि कवच मिला हुआ था। इसलिए वह बच गई। हवा बहुत तेज चली। कवच उतर के। प्रहलाद के ऊपर पड़ गया। हमारा प्रश्न आपसे है। फिर होली का क्यों मरी। हमारे प्रश्नों के ऊपर ध्यान दिया जाए। एक बार उत्तर देने की कृपा आपका बहुत बहुत धन्यवाद। सत साहेब । संत भारती दास गांव कटवाड़ा जिला रोहतक मोबाइल नंबर 9050 563815
Jai gurudev ji
Guru ji ghun aur ghone baali suni hai humne aap ki sapnam
सत साहेब जी
Op po
Satnam shree waheguru ji
Good
Good