जीवन के अनसुलझे प्रश्न - 2 आत्म कल्याण के तीन सोपान - सरलता, सजगता, संवेदनशीलता

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  • Опубліковано 16 лис 2024
  • Jeevan ke ansuljhe prashn - जीवन के अनसुलझे प्रश्न
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    हम अपने जीवन को अच्छा बनाना तो चाहते हैं पर उसके लिए सजग नहीं है ! यह सजगता बहुत ही आवश्यक है जो कि आजकल कम हो गयी है, अपने पांचों इन्द्रियों के विषयों के लिए हम बहुत सजग हैं... पर समझिये कि अपने राग द्वेष और अपने पराये से ऊपर उठकर हम कुछ देख पाएं ,ऐसी सजगता ही जीवन को अच्छा बना सकेगी ! मुनिश्री क्षमासागर जी कहते हैं कि मात्र धार्मिक क्रियाएं दोहराना ही जीवन को अच्छा न बना पाएगा, हमें शरीर से धर्म करने के साथ साथ अंदर से धर्म को आत्मसात करना पड़ेगा, अपने आचरण में भी लाना पड़ेगा, इसलिए अपना मूल्यांकन करें और सुधार करते रहें तभी यह धर्म कल्याण कारक हो सकेगा ।
    We want to make #ourlife better but are not aware of it. This #awareness is very necessary which has reduced nowadays, we are very aware of the #objects of our five #senses...But understand that we can see something by rising above our #attachment, #hatred and our #alien, only such #awareness will be able to make life good! Munishree Kshamasagar ji says that mere #repetition of #religious actions will not make #life good, we have to #imbibe #religion from within, along with doing religion from the #body, we will also have to bring it into our #conduct, so evaluate yourself and keep improving only then. This religion can be a #welfare #factor.
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