सर्व व्यापी, सर्व पूजनीय,परम पिता परमात्मा सतनाम सतगुरु बंदी छोड़ कबीर साहेब को साहिब बंदगी साहिब,❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉 Shri गुरु विराग दास जी महाराज
सत्य साहेब बन्द गी सत्य साहेब गुरु जी के चरणों में कोटि कोटि नमन आपने सतसंग में परमातमा का इतना दिबये भेद बताये हैं जिसका कोई शब्दों में बखान नही किया जा सकता है सत्य साहेब बन्द गी सत्य साहेब गुरु जी
गगन मंडल से ऊतरे सद्गुरु सत्य कबीर. जलहि माय पौढ़न किये सब पीरन के पीर .संत श्रीसाहिव बिराग दास महाराज को बहुत बहुत नमन एवं नमस्कार करता हूँ साहिब निर्बंदगी धन्यवाद🙏🙏
नई नई खोज करना और उन्हें तैयार करना भगवान का कान है भगवान छोटा मोटा कलाकार नही बल्कि बड़ा कलाकार है। जो व्यक्ति जितना वैज्ञानिक खोजी सोच रखता है वह सफल हो सकता है
सभी धर्मों के अनुसार ब्रह्मांड की रचना का अद्भुत और अविश्वसनीय, कैसे ग्रह अपनी कक्षा में पूरी तरह से घूमते हैं? सूर्य एक गर्म चलती गेंद कैसे है और चंद्रमा इतना ठंडा कैसे है? आकाश, पृथ्वी, जल, वायु और सबसे बढ़कर मनुष्यों / जीवित प्राणियों को किसने बनाया? क्या कोई परम बुद्धिमान प्राणी है? निश्चित रूप से, ब्रह्मांड संयोग से नहीं बना था। निश्चित रूप से कुछ दिव्य शक्ति है, कुछ परम शक्तिशाली व्यक्ति हैं जिन्होंने सब कुछ बनाया है। ब्रह्मांड (सृष्टि रचना) के बारे में रहस्य जो आज तक छिपा हुआ था, अब सामने आया है। युगों (युगों) से यह मानव जाति का अपमान है कि यह सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान (तत्वज्ञान) छिपा हुआ है। अब तक भक्त समाज ब्रह्मांड के निर्माण की सच्ची कहानी से अनभिज्ञ था। जबकि, हर पवित्र शास्त्र इस बात के पर्याप्त प्रमाण प्रदान करता है कि ब्रह्मांड कैसे शुरू हुआ?
Jab Duniya Mein Kuchh Bhi Nahin tha Aakash Patal Sab Kuchh Bhi Nahin taji Baat Main Bhi Nahin Thi sirf Parmatma ka Anand Lok Mein Usi anami Purush Parmatma Ne Sabhi Logon ki Rachna ki koi Satguru Bankar satlok Mein Aaya Usi Ne Sara Khel Racha hai Usi ke jivatma I Atma hai Mere Anubhav ke Aadhar per sirf Parmatma ka aur kuchh nahin tha Jab ji Baat Main Bhi Nahin Thi Yahi Satya hai
Satsaheb guru ji 🙏🙏 प्रभु के देश में शरीर नहीं था और प्रभु के देश से अलग कोई देश नहीं था प्रकृति, आकाश, धरती जल, अग्नि और पवन भी नहीं थे तो शरीर कहाँ से पकड़ लिया? पांच तत्व के बिना तो शरीर पकड़ना संभव ही नहीं है। बात समझ में नहीं आई कृपया समझाइए।
*PRANAMJI.. Namaskar...... Shri KABIR SAHEB.. Farmate he... ❤ Ek-1 PALAK se GANG so Nikasi ho gaya CHAUDISH PANI .., ... KABIR saheb ki BRAHMVANI.. TATVA GYAN..RAHASYA.. MARM = BHAVARTH= TARTAMYA= CENTRAL IDEA..SAAR... Samajne Keliye... Sab Dharmo ka GYAN Jaruri he.... AFTER ALL.. PARMATMA 1-EK hi he to... Shashtronme Bahut sari Baten.. ALANKARIK BHASHA me Batai he .. isiliye...kai ...Gyani Apne-Apne Hisabse.. Sarvopari Sabit Karna chahte he...... It is Human Tendency.. ❤So Teta hi Boliya jo Gaya jahan Lo chal Apne-Apne Mukh se Bayan kari Manzil ❤... ❤Jiv janamta-Marta..Ghatata+ Badhata..BHOKTA he.... ❤ Aatma..Na Janamti na marati na Ghatati na badhati... DRASHTA he.. ❤ Jiv GARBH me..Aata he... ❤ Aatma (SURTA -KHUSHBU-) PRAGAT Hoti he- PRAVESH-karti he. ❤.** PARMATMA.. Kaliyug.me Aanevala he isiliye kaliyug ki MAHIMA Vishesh he Baki is Kaliyug=SANSAR me he kya..? Abhi tak jo AVTAR aye vo sab KALA-AVTAR- Anshavtar the... ❤jo Kuchh bhi ...he.. PARMATMA Apna. NAAM-DHAM -THAM-LILA- RUP Swarup.... paramdham ka. JARRE - JARRE ka Varnan- GYAN VIGYAN.. Jahir karega..... ❤❤❤ Aap Sab VAKTA- SHROTA GURUJAN - ACHARYA..ji ke charno me koti koti pranam ji.... ❤❤ ... *Kshar Akshar ke Par he shri AKSHRATIT ANUP ,NIRAKH HANS KETUL kare Darshe Jugalswarup.. * Kshar Brahmand.( KALMAYA). 14 LOK... * AKSHAR Brahmand ( Yogmaya) AVINASHI SARJANHAR AKSHAR BHAGVAN ( Man- chit -budhh -& Ahankar = Avyakrit -Sablik -keval & Sat Swarup).. **❤ AKSHRATIT=SACHIDANAND=PARMATMA ( PURUSHOTTAM)= THE SUPREME TRUTH GOD . PARAMDHAM me..= ANAADI= Sanatan.=SAT+ Chid +Anand Swaroop >>>VIDYAMAN he.. ❤.. shlok he.... * Chidadityam Kishorangam paredhamni Birajitam SWARUPAM Sachidanandam NIRVIKARAM SANATANM sarva shashtron sarohm sarva shashtron Sunischitam ❤... +* Sat Chid Anand or chotho kayho ANANT ADWAIT LAXAN 5 Panchva kaho-Viveki Sant** ❤ SHAKTI- power ke RUP me.. Kanoon ke Rup me Kan Kan me he NIRAKAR he... BAKI khud... ANAND SWARUP= NIRVIKAR CHANGELSS- SAXIRUP -SHINING BODY- DARSHNIY -YUGALKISHOR YUGALSWARUP -.apni Aatma oke Sath .. PARAMDHAM me rehte he. ❤ Parmatma Apni ATMAO se kabhi Alag nahi rehte isiliye ATMA SO PARMATMA KAHA JATA HE.. ❤❤ Ref Religious books.. 1.. Shri KULJAM SWARUP SAHEB.. 2.. SHRI VITAK SAHEB ( the history of NIJANAND SAMPRADAY) = SHRI krishna Pranami Dharm ka STUDY KARNA JARURI HE.. ❤❤ PRANAMJI...
सभी संतो ने आत्मा को अलग अलग जगा पे दिखाया एक जवाब नहीं मिलता तो संशय होता है कोई हृदया कमल कोई दशम द्वार कोई मूलाधार कोई आज्ञाचक्रमें कोई सवाधिषठान में दिखाते है कोई सवाल करता है तो कहते है अनेक दिपक है जो जहां पहुंचा वहां बताया कया आपने पहचाना मृगमरीचिका का जल पीया
अदली आरती अदल पठाऊ, जुगन जुगन का लेख्या लाऊ। जा दिन ना थे पिंड नही प्राणा, नही पाणी पवन जमी आसमाना। कच्छ, मच्छ, कुरंभ ना काया। चंद सूरज नहीं दीप बनाया। शेष महेश गणेश न ब्रह्मा, नारद शारद ना विश्वकर्मा। सिद्ध चौरासी ना तेहतिसो। नौ औतार नहीं चौबीसों। पांच तत्व नाही गुण तीना। नाद बिंद नाही घट सीना। चित्र गुप्त नही कृतम बाजी, धर्मराय नहीं पंडित काजी। धुन धुन कार अनंत जुग बीते, जा दिन कागज़ कहो कोण चीते। जा दिन थे हम तखत खवासा, तन के पाजी सेवक दासा। परम अक्षर ब्रह्म की वाणी हैं। तब जीवात्मा परमात्मा के अंदर ही समाई थी। परमात्मा मा ने। अपनी शब्द शक्ति से जीव उत्पन्न किए। और शब्द शक्ति से ही ब्रह्माण्ड की रचना की।
@@BebabaiPatil-j1v एकदम गलत। जीवात्मा और पंचभूत अनादि है। अर्थात जड़ और चेतन। आपके अनुसार तो फिर परमात्मा पर कोई दूसरा परमात्मा उसके ऊपर और तीसरा। कहा तक जाओगे। कबीर के पारख सिद्धांत को गहराई से समझिए सब कुछ समझ जाओगे।
सभी संत कहते है पांच तत्व आकाश आकाश से शब्द आया वास्तव में आकाश तो है ही नहीं सिर्फ और सिर्फ दिखावा है मृग मरीचिका की तरह इंसान ने अक्षर और शब्द और ईश्वर बनाया जय विज्ञान ये सब रोटी के लिये है
अरे जीव का पैदा नहीं हुआ था जैसे, पुत्र। पुत्री सब माता-पिता के अन्दर से ही पैदा होते हैं जब पुत्र नहीं पैदा हुआ था तो तब माता-पिता अकेले थे पुत्र नहीं था।या जीव नहीं था तब भगवान अकेले थे जीव नहीं था या पुत्र नहीं था फिर बाद में पुत्र पैदा किया या जीव पैदा किया एक बात है 626
इस बात को मूर्खाधिराज कदापि नही समझ,जान सकते। ब्रह्भ ज्ञानी हि जानते और जनाते हैं। यह जीव ईश्वर अंश जीव अविनाशी है ।यह जीव अपने अंशी परमात्मा में निराकार,ज्योति स्वरूप में था।
गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में कहा है कि उस तत्वज्ञान यानी सूक्ष्मवेद के ज्ञान को तू तत्त्वदर्शी संतों के पास जाकर प्राप्त कर समझ। तो उस तत्वज्ञान अर्थात "सूक्ष्मवेद" के ज्ञान को जानने के लिए देखिए Sant Rampal Ji Maharaj UA-cam Channel
जब आप को सभ कुछ मिल रहा है तो कियूं इस प्रपंच मैं पड़े हो मोह माया ही जीना सिखाता है वरना इंसान मांग मांग कर ही खाता रहता इक्ट्ठा करता रहता है उसे पता है कि मैं साथ कुछ भी लेकर नही जाऊंगा फिर भी लालच वश सच झूठ का धन इक्ट्ठा करता रहता है उसे मोह है की मेरी ओलाद को कभी कष्ट न हो मजदूरी करनी पड़े पूरा दिन तब पता चलेगा
ईश्वर का अपना मन नहीं होता। वो तो अर्धनारीश्वर हैं। अपने आप में लिप्त। उनके उत्सर्ग से कई पुत्र पुत्रो हुए आत्मीय रूप में। इसी प्रकार कई उत्सर्ग भी उत्पन हुए जिससे कई ब्रह्मांड बन गए । उसके बाद प्रकृति बन गई। प्रकृति से पन तत्व बन गए । उसके बाद परमात्मा से उत्पन आत्माओं ने शरीर पकड़ लिया। कहने के लिए तो बहुत कुछ है। पर कितना लिखता जाऊं।
Hari Om tatsat, brahm satyam jagat mithya, go gochar jah lagman jai, so sab maya jano bhai, aadi purush aur maya ka varnan( bhagwat puran 11 skandh) aur puranjnopakhyan (bhagwat puran) eko ayam bahusyami (brahaddarankopnishad) adan ki bagiya ka budhi wala phal kha lene ke karan parmatma ke dwara iss prithvi lok me panch tatvo ki sharir me aana pada..
लोग सारे जीवन शास्त्रों में ही सर खपाते रहेंगे। चाहे शास्त्र कबीर नानक देव रैदास मीराबाई जीसस कृष्ण के शास्त्र हों इनसे कोई फर्क नहीं पड़ता। वे कभी ज्ञान को उपलब्ध नही हो सकते
ईश्वर का अपना मन नहीं होता। वो तो अर्धनारीश्वर हैं। अपने आप में लिप्त। उनके उत्सर्ग से कई पुत्र पुत्रो हुए आत्मीय रूप में। इसी प्रकार कई उत्सर्ग भी उत्पन हुए जिससे कई ब्रह्मांड बन गए । उसके बाद प्रकृति बन गई। प्रकृति से पांच तत्व बन गए । उसके बाद परमात्मा से उत्पन आत्माओं ने शरीर पकड़ लिया। कहने के लिए तो बहुत कुछ है। पर कितना लिखता जाऊं। आपकी रुचि तो अप्सराओं से है। अपने परम पिता से कितनी दूर चले गए। कोई व्यक्ति अपने माता पिता को भूलता भी है क्या। वे अब उदंड पुत्रों को सजा देने के लिए महा विनाश करने जा रहे हैं। क्या आप दंडित होना चाहेंगे या माफी मांग कर राजयोगी बनना चाहेंगे।
भगवान महा वैज्ञानिक है नए नए तरह के प्रयोग करता रहता है और करता रहेगा इसलिए पांच तत्वों का यह प्रयोग जो हम अपने आप को मनुष्य कहते हैं इस पर प्रयोग किया है
Sant virag das maharaj ji jab dharti Aakas Pawan Pani Agni Nahi tha to kis tatwa se jiw ka nirman huwa tha Saheb ji ise spast nahi kr rahe hai Spast karne ka kast karege
Satguru satguru Kabir ka naam lekar kyon duniya Ko bhramit kar rahe ho agar Dharti Aasman nahin the pata nahin tha vayu nahin tha to jio ki avashyakta padi Srishti ki rachane ki Parmatma ko aisi kya majburi Hui
भ्रम ज्ञानी बनो तो आपकी तिसरी आंख खुल जाएगी और सारा ज्ञान दिख जाएगा भ्रम ज्ञानी यानी शास्त्रों को छोड़ खुद को ज्ञान प्राप्त कर लेता है वो भ्रम ज्ञानी कहलाता है वेद पुराण से तीसरी आंख नहीं खुल सकती है खुद ज्ञान की खोज कर लें तो तिसरी आंख खुल जाएगी
Aatma ,parmatma kahi nahi hai. Ye sharir 5 tatvon se bani hai. Isaka ek nishcit samay hota hai. Iske baad fir inhi mei vilin ho jata hai. Aatma ,parmatma dhongiyon ki dhen hai.
jab kuchh nahi tha to parmatma kaha se aa gaya aapka bani galat hi 1-aap kon ho 2-nij nam kya hi 3-aapka ghar kaha hi 4-aapka mat pita kon hi 5-aap ka givan sathi kon hi ye sabal ka jabab hame batay haheb bandagi
सर्व व्यापी, सर्व पूजनीय,परम पिता परमात्मा सतनाम सतगुरु बंदी छोड़ कबीर साहेब को साहिब बंदगी साहिब,❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉 Shri गुरु विराग दास जी महाराज
सत्य साहेब बन्द गी सत्य साहेब गुरु जी के चरणों में कोटि कोटि नमन आपने सतसंग में परमातमा का इतना दिबये भेद बताये हैं जिसका कोई शब्दों में बखान नही किया जा सकता है सत्य साहेब बन्द गी सत्य साहेब गुरु जी
गगन मंडल से ऊतरे सद्गुरु सत्य कबीर. जलहि माय पौढ़न किये सब पीरन के पीर .संत श्रीसाहिव बिराग दास महाराज को बहुत बहुत नमन एवं नमस्कार करता हूँ साहिब निर्बंदगी धन्यवाद🙏🙏
*"आप भूलायो तूं आप में बंध्यो तूं आप में ही आप। जिस साहेब (परमात्मा) को तूं ढूंढ़ता फिरे, सो तो तूं ही है आपो ही आप ।।"*
@@PrithviRajPrithviRajGaur चरन दास भक्ती सागर से वोलरहे.हो
Zo k k ooo no. Nnnmo ,l,l, . Ok,
मां बाप और अपने से कमजोर किसी भी प्राणी का दिल दुखाने से बड़ा कोई अपराध नहीं है इस पूरे जगत में
Aa aa
सत पुरूष कबीर साहेब की जय हो
परमत्मा के बिना पदार्थ का कोई मोल नहीं है। पदार्थ पर परमत्मा की कलाकारी के कारण ही पांच महाभुतों का मूल्य है
Aatma ko jagane wala pravachan mughe toh bahut hi achha laga aapka koti koti dhanewad Charan saprsh
साहेब बंदगी साहेब गुरु देव जी को दंडवत प्रणाम जी राकेश दास जयपुर राजस्थान 🌹🌹
Saheb ji Sahib bandagi l aapane Aaj aur ant ke bare mein bataya bahut bahut dhanyvad l
Satgurudev ji maharaj ki jay ho
सदगुरू भगवान कबीर साहिब की जय ❤❤❤❤ से
Sir no. Sabhi jeev ki uttpati jal se hui he. 👍🙏
नई नई खोज करना और उन्हें तैयार करना भगवान का कान है भगवान छोटा मोटा कलाकार नही बल्कि बड़ा कलाकार है। जो व्यक्ति जितना वैज्ञानिक खोजी सोच रखता है वह सफल हो सकता है
सभी धर्मों के अनुसार ब्रह्मांड की रचना का
अद्भुत और अविश्वसनीय, कैसे ग्रह अपनी कक्षा में पूरी तरह से घूमते हैं? सूर्य एक गर्म चलती गेंद कैसे है और चंद्रमा इतना ठंडा कैसे है? आकाश, पृथ्वी, जल, वायु और सबसे बढ़कर मनुष्यों / जीवित प्राणियों को किसने बनाया? क्या कोई परम बुद्धिमान प्राणी है? निश्चित रूप से, ब्रह्मांड संयोग से नहीं बना था। निश्चित रूप से कुछ दिव्य शक्ति है, कुछ परम शक्तिशाली व्यक्ति हैं जिन्होंने सब कुछ बनाया है। ब्रह्मांड (सृष्टि रचना) के बारे में रहस्य जो आज तक छिपा हुआ था, अब सामने आया है। युगों (युगों) से यह मानव जाति का अपमान है कि यह सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान (तत्वज्ञान) छिपा हुआ है। अब तक भक्त समाज ब्रह्मांड के निर्माण की सच्ची कहानी से अनभिज्ञ था। जबकि, हर पवित्र शास्त्र इस बात के पर्याप्त प्रमाण प्रदान करता है कि ब्रह्मांड कैसे शुरू हुआ?
परमात्मा महा शून्य है तो फिर ये गीता कुरान पुराण बाइबल कहां से आए बताने की कृपा करें
Saheb bandagi saheb ji 🙏🙏
कबीर साहब कहते हैं कि
और कहें कागज़ की लेखी
मैं कहता आंखन की देखी
जब। तक मौत है तब तक स्वर्ग है जिस दिन मौत नही उस दिन ना स्वर्ग ना नरक।
Jab Duniya Mein Kuchh Bhi Nahin tha Aakash Patal Sab Kuchh Bhi Nahin taji Baat Main Bhi Nahin Thi sirf Parmatma ka Anand Lok Mein Usi anami Purush Parmatma Ne Sabhi Logon ki Rachna ki koi Satguru Bankar satlok Mein Aaya Usi Ne Sara Khel Racha hai Usi ke jivatma I Atma hai Mere Anubhav ke Aadhar per sirf Parmatma ka aur kuchh nahin tha Jab ji Baat Main Bhi Nahin Thi Yahi Satya hai
Bhagwan Singh नीतूसिंह सत साहिब सत गुरु पर मौजूद❤❤🎉❤
Satsaheb guru ji 🙏🙏 प्रभु के देश में शरीर नहीं था और प्रभु के देश से अलग कोई देश नहीं था प्रकृति, आकाश, धरती जल, अग्नि और पवन भी नहीं थे तो शरीर कहाँ से पकड़ लिया? पांच तत्व के बिना तो शरीर पकड़ना संभव ही नहीं है। बात समझ में नहीं आई कृपया समझाइए।
😊
*PRANAMJI.. Namaskar......
Shri KABIR SAHEB.. Farmate he...
❤ Ek-1 PALAK se GANG so Nikasi ho gaya CHAUDISH PANI ..,
... KABIR saheb ki BRAHMVANI..
TATVA GYAN..RAHASYA.. MARM
= BHAVARTH= TARTAMYA= CENTRAL IDEA..SAAR... Samajne
Keliye... Sab Dharmo ka GYAN Jaruri he.... AFTER ALL.. PARMATMA 1-EK
hi he to... Shashtronme Bahut sari
Baten.. ALANKARIK BHASHA me
Batai he .. isiliye...kai ...Gyani Apne-Apne Hisabse.. Sarvopari
Sabit Karna chahte he......
It is Human Tendency..
❤So Teta hi Boliya jo Gaya jahan Lo chal Apne-Apne Mukh se Bayan kari Manzil ❤...
❤Jiv janamta-Marta..Ghatata+ Badhata..BHOKTA he....
❤ Aatma..Na Janamti na marati na Ghatati na badhati... DRASHTA he..
❤ Jiv GARBH me..Aata he...
❤ Aatma (SURTA -KHUSHBU-)
PRAGAT Hoti he- PRAVESH-karti he.
❤.** PARMATMA.. Kaliyug.me
Aanevala he isiliye kaliyug ki MAHIMA Vishesh he Baki is Kaliyug=SANSAR me he kya..?
Abhi tak jo AVTAR aye vo sab KALA-AVTAR- Anshavtar the...
❤jo Kuchh bhi ...he.. PARMATMA
Apna. NAAM-DHAM -THAM-LILA-
RUP Swarup.... paramdham ka.
JARRE - JARRE ka Varnan- GYAN VIGYAN.. Jahir karega.....
❤❤❤ Aap Sab VAKTA- SHROTA
GURUJAN - ACHARYA..ji ke charno me koti koti pranam ji....
❤❤ ...
*Kshar Akshar ke Par he shri AKSHRATIT ANUP ,NIRAKH HANS KETUL kare Darshe Jugalswarup..
* Kshar Brahmand.( KALMAYA). 14 LOK...
* AKSHAR Brahmand ( Yogmaya)
AVINASHI SARJANHAR AKSHAR BHAGVAN ( Man- chit -budhh -& Ahankar = Avyakrit -Sablik -keval &
Sat Swarup)..
**❤ AKSHRATIT=SACHIDANAND=PARMATMA ( PURUSHOTTAM)=
THE SUPREME TRUTH GOD .
PARAMDHAM me..= ANAADI=
Sanatan.=SAT+ Chid +Anand Swaroop >>>VIDYAMAN he..
❤.. shlok he....
* Chidadityam Kishorangam paredhamni Birajitam SWARUPAM Sachidanandam NIRVIKARAM SANATANM sarva shashtron sarohm sarva shashtron Sunischitam ❤...
+* Sat Chid Anand or chotho kayho ANANT ADWAIT LAXAN 5 Panchva kaho-Viveki Sant**
❤ SHAKTI- power ke RUP me..
Kanoon ke Rup me Kan Kan me he
NIRAKAR he... BAKI khud...
ANAND SWARUP= NIRVIKAR CHANGELSS- SAXIRUP -SHINING BODY- DARSHNIY -YUGALKISHOR YUGALSWARUP -.apni Aatma oke
Sath .. PARAMDHAM me rehte he.
❤ Parmatma Apni ATMAO se kabhi Alag nahi rehte isiliye ATMA SO PARMATMA KAHA JATA HE..
❤❤ Ref Religious books..
1.. Shri KULJAM SWARUP SAHEB..
2.. SHRI VITAK SAHEB ( the history of NIJANAND SAMPRADAY)
= SHRI krishna Pranami Dharm
ka STUDY KARNA JARURI HE..
❤❤ PRANAMJI...
बिल्कुल सटीक प्रश्न किया है। नाम कबीर का और समझ वेदांत की। बकवास विश्लेषण किया है।
साहेब बंदगी साहेब 🌺🌺🌺🌺🌺🙇🙇🙇🙇🙏🙏🙏
Saheb bandagi saheb bandagi saheb bandagi 🙏🙏🙏
मौत अपनी सच्ची मित्र है मौत के कारण तो लोग स्वर्ग पहुंच पाए एक भी नरक नहीं गया।
Sabeb bandagi 🙏🙏🙏🙏🙏
Sant Rampal Ji Maharaj ki Srishti Rachna sahi hai
Saheb bandgi
Satya Naam❤❤❤❤❤
सभी संतो ने आत्मा को अलग अलग जगा पे दिखाया
एक जवाब नहीं मिलता तो संशय होता है कोई हृदया कमल कोई दशम द्वार कोई मूलाधार कोई आज्ञाचक्रमें कोई सवाधिषठान में दिखाते है कोई सवाल करता है तो कहते है अनेक दिपक है जो जहां पहुंचा वहां बताया कया आपने पहचाना मृगमरीचिका का जल पीया
Sat, sahib, sahib, bandage, guru, ji
कबीर जीसस नानक कृष्ण आदि आदि महात्माओं की नकल करने वाले कभी भी आत्मज्ञान को उपलब्ध नही हो सकते
अदली आरती अदल पठाऊ, जुगन जुगन का लेख्या लाऊ। जा दिन ना थे पिंड नही प्राणा, नही पाणी पवन जमी आसमाना। कच्छ, मच्छ, कुरंभ ना काया। चंद सूरज नहीं दीप बनाया। शेष महेश गणेश न ब्रह्मा, नारद शारद ना विश्वकर्मा। सिद्ध चौरासी ना तेहतिसो। नौ औतार नहीं चौबीसों। पांच तत्व नाही गुण तीना। नाद बिंद नाही घट सीना। चित्र गुप्त नही कृतम बाजी, धर्मराय नहीं पंडित काजी। धुन धुन कार अनंत जुग बीते, जा दिन कागज़ कहो कोण चीते। जा दिन थे हम तखत खवासा, तन के पाजी सेवक दासा। परम अक्षर ब्रह्म की वाणी हैं। तब जीवात्मा परमात्मा के अंदर ही समाई थी। परमात्मा मा ने। अपनी शब्द शक्ति से जीव उत्पन्न किए। और शब्द शक्ति से ही ब्रह्माण्ड की रचना की।
@@BebabaiPatil-j1v एकदम गलत। जीवात्मा और पंचभूत अनादि है। अर्थात जड़ और चेतन। आपके अनुसार तो फिर परमात्मा पर कोई दूसरा परमात्मा उसके ऊपर और तीसरा। कहा तक जाओगे। कबीर के पारख सिद्धांत को गहराई से समझिए सब कुछ समझ जाओगे।
Satshaib ji
Appe apnhe app ko sajiiaa he Parmatma ne.Oh appe sbh kujh hei ....ih jeev jantu sbh apnhe apnhe Ka da kiaa paa Rahe hei ..koii dukhi bahut hei. Koii Sukhi bahut hei.Svh krma da kheil hei..
सभी संत कहते है पांच तत्व आकाश आकाश से शब्द आया
वास्तव में आकाश तो है ही नहीं
सिर्फ और सिर्फ दिखावा है मृग मरीचिका की तरह
इंसान ने अक्षर और शब्द और ईश्वर बनाया
जय विज्ञान ये सब रोटी के लिये है
आम जन केलिए सच केलिए साथ दो जनहित मे जय भीम जय भारत जय संविधान
Sat, sahib, sahib, guru, ji
जय गुरुदेव
कयाआप वहा आते जाते होगे आप जिते जी पहुच गये होगे वहा की रास लीला केसे हो रही हॅ वहा का वरणन बतावो
सतलोक या अमर लोक हैं कहां कृपया स्पष्ट बताएं।
राधा स्वामी जी
अरे जीव का पैदा नहीं हुआ था जैसे, पुत्र। पुत्री सब माता-पिता के अन्दर से ही पैदा होते हैं जब पुत्र नहीं पैदा हुआ था तो तब माता-पिता अकेले थे पुत्र नहीं था।या जीव नहीं था तब भगवान अकेले थे जीव नहीं था या पुत्र नहीं था फिर बाद में पुत्र पैदा किया या जीव पैदा किया एक बात है 626
Jay Shri Saint Rampalji Maharaj ❤
सत साहेब गुरु जी
❤ sat saheb ji
Sahib, bandage, sahib, bandage, guruji
जब एक आत्मा ने यह सोचा कि मुझे अपने पिताजी जैसा देश बनाना है साड़ी आत्मा कहां से आई सिर्फ ब्राह्मण रहता इतनी जीवधारी आत्मा कैसे आ गई
Right
इस बात को मूर्खाधिराज कदापि नही समझ,जान सकते।
ब्रह्भ ज्ञानी हि जानते और जनाते हैं।
यह जीव ईश्वर अंश जीव अविनाशी है ।यह जीव अपने अंशी परमात्मा में निराकार,ज्योति स्वरूप में था।
Sahib, bandage, sahib, guru, ji
गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में कहा है कि उस तत्वज्ञान यानी सूक्ष्मवेद के ज्ञान को तू तत्त्वदर्शी संतों के पास जाकर प्राप्त कर समझ।
तो उस तत्वज्ञान अर्थात "सूक्ष्मवेद" के ज्ञान को जानने के लिए देखिए Sant Rampal Ji Maharaj UA-cam Channel
Right
जब आप को सभ कुछ मिल रहा है तो कियूं इस प्रपंच मैं पड़े हो मोह माया ही जीना सिखाता है वरना इंसान मांग मांग कर ही खाता रहता इक्ट्ठा करता रहता है उसे पता है कि मैं साथ कुछ भी लेकर नही जाऊंगा फिर भी लालच वश सच झूठ का धन इक्ट्ठा करता रहता है उसे मोह है की मेरी ओलाद को कभी कष्ट न हो मजदूरी करनी पड़े पूरा दिन तब पता चलेगा
सत था
स्थुल सूक्ष्म कारण महा कारण केवल हंस
भगवान एक खोज है परम खोज मनुष्य की।
जल और पानी दो चीज है क्या। जैसा कि महात्मा जी ने विडियो के 8:30 मिनट में कहा है
Zal or Pani done me Kay bhed he
Sat, sat,, naman
Sahebbandgisaheb
ईश्वर का अपना मन नहीं होता। वो तो अर्धनारीश्वर हैं। अपने आप में लिप्त। उनके उत्सर्ग से कई पुत्र पुत्रो हुए आत्मीय रूप में। इसी प्रकार कई उत्सर्ग भी उत्पन हुए जिससे कई ब्रह्मांड बन गए । उसके बाद प्रकृति बन गई। प्रकृति से पन तत्व बन गए । उसके बाद परमात्मा से उत्पन आत्माओं ने शरीर पकड़ लिया। कहने के लिए तो बहुत कुछ है। पर कितना लिखता जाऊं।
ईस बरम से बडे भरम ओर भी हॅ
जब फसल बोई जाती हे तब बीज कहा से आता हे
गुढ बात हॅ
Hari Om tatsat, brahm satyam jagat mithya, go gochar jah lagman jai, so sab maya jano bhai, aadi purush aur maya ka varnan( bhagwat puran 11 skandh) aur puranjnopakhyan (bhagwat puran) eko ayam bahusyami (brahaddarankopnishad) adan ki bagiya ka budhi wala phal kha lene ke karan parmatma ke dwara iss prithvi lok me panch tatvo ki sharir me aana pada..
Kay sataya guru. Kaha. Hai
कयो नही बता सकतेजय गुरू देव किरपा से बता सकता हु
लोग सारे जीवन शास्त्रों में ही सर खपाते रहेंगे। चाहे शास्त्र कबीर नानक देव रैदास मीराबाई जीसस कृष्ण के शास्त्र हों इनसे कोई फर्क नहीं पड़ता। वे कभी ज्ञान को उपलब्ध नही हो सकते
Kya is jivan ka uddeshy Keval Maran ya FIR Mukti pana hi hai
Sad Guru pase mastak muko khabar padase
Guruji yah Jo hamen jivan mila hai iska Mul uddeshy kya hai
Aatama Kay. Hai Eska prman kah hai
Jiska rup rang, h nhi uska nam kha se a gya
Jab jab yah Desh gulam tha ab Tak kisi Ishwar ne azadi kyon nahin dilwai
Bandagi saheb
Parmatma kuch, kyu nhi bolta aap bole ja rhe, 😊
ईश्वर का अपना मन नहीं होता। वो तो अर्धनारीश्वर हैं। अपने आप में लिप्त। उनके उत्सर्ग से कई पुत्र पुत्रो हुए आत्मीय रूप में। इसी प्रकार कई उत्सर्ग भी उत्पन हुए जिससे कई ब्रह्मांड बन गए । उसके बाद प्रकृति बन गई। प्रकृति से पांच तत्व बन गए । उसके बाद परमात्मा से उत्पन आत्माओं ने शरीर पकड़ लिया। कहने के लिए तो बहुत कुछ है। पर कितना लिखता जाऊं। आपकी रुचि तो अप्सराओं से है। अपने परम पिता से कितनी दूर चले गए। कोई व्यक्ति अपने माता पिता को भूलता भी है क्या। वे अब उदंड पुत्रों को सजा देने के लिए महा विनाश करने जा रहे हैं। क्या आप दंडित होना चाहेंगे या माफी मांग कर राजयोगी बनना चाहेंगे।
भगवान महा वैज्ञानिक है नए नए तरह के प्रयोग करता रहता है और करता रहेगा इसलिए पांच तत्वों का यह प्रयोग जो हम अपने आप को मनुष्य कहते हैं इस पर प्रयोग किया है
यह सारे जी मुझ में समाए हुए थे यह धरती आकाश पूरी ब्रह्मांड
Satpurush videh roop tha
Amar. Das. Kaha. Hai
Sant virag das maharaj ji jab dharti
Aakas
Pawan
Pani
Agni
Nahi tha to kis tatwa se jiw ka nirman huwa tha
Saheb ji ise spast nahi kr rahe hai
Spast karne ka kast karege
Electric saman nahi tha tab Bijli kaha thi
Man ki khoj hi science hai
Satguru satguru Kabir ka naam lekar kyon duniya Ko bhramit kar rahe ho agar Dharti Aasman nahin the pata nahin tha vayu nahin tha to jio ki avashyakta padi Srishti ki rachane ki Parmatma ko aisi kya majburi Hui
भ्रम ज्ञानी बनो तो आपकी तिसरी आंख खुल जाएगी और सारा ज्ञान दिख जाएगा भ्रम ज्ञानी यानी शास्त्रों को छोड़ खुद को ज्ञान प्राप्त कर लेता है वो भ्रम ज्ञानी कहलाता है वेद पुराण से तीसरी आंख नहीं खुल सकती है खुद ज्ञान की खोज कर लें तो तिसरी आंख खुल जाएगी
Eicha Karn chal kar Aya echa to waha per bhi thi
Amar.das.to.bram.aya.th.to.arbo.geev.kaha.sa.aaya
Aatma ,parmatma kahi nahi hai. Ye sharir 5 tatvon se bani hai. Isaka ek nishcit samay hota hai. Iske baad fir inhi mei vilin ho jata hai. Aatma ,parmatma dhongiyon ki dhen hai.
Ravidas maharaj ji ne pahele he bata Diya tha
Wo Kabir sahib se pahle janme the or Kabir ke baad me gaye
अपने दूसरे की कल्पना करना कहां तक उचित है।
Jay Bandi chhod ke
Amar das kaha hai
Ye dunia brahm hai, yani vahm
jab kuchh nahi tha to parmatma kaha se aa gaya
aapka bani galat hi
1-aap kon ho
2-nij nam kya hi
3-aapka ghar kaha hi
4-aapka mat pita kon hi
5-aap ka givan sathi kon hi
ye sabal ka jabab hame batay
haheb bandagi
Kabeer Beejak padiye
giyan svyam aajyega
@@damodarchoudhary4210 mere Gurudev sabkuchh bata dey hi
bed hamara bhed hi.ham bedan ki nahi or jish bhed se mai milu so to
bed me nahi
वही घिसी पिटी बात को रिपीट करते करते वीडियो खत्म हो गया😂😂😂
Ye bahut gahri bat hai ise bhi nahi pata bahka raha hai ye bahut aage ki bat hai
Apna aapa hi hai or kuchh nhi savm savm ke dipak ho
Jab pani, nhi tha hawa nhi, thi parmatmata, jal kuda kar rha, tha
Ajnichjatikajankarihe.keisehuanehitunedusrikoupadeskyudeteho.tumpanditbanemesabgadbadihogiahe.
Ek bat ko bar bar bol rahe ho aage badho