बच्चों की ज़िंदगी में कितना दखल देना ठीक है? || आचार्य प्रशांत (2024)

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  • Опубліковано 11 лют 2025
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    वीडियो जानकारी: 05.04.24, बोध प्रत्यूषा, ग्रेटर नॉएडा
    विवरण:
    इस वीडियो में आचार्य जी ने एक मां के अनुभवों पर चर्चा की है, जो अपने 19 वर्षीय बेटे के साथ उसकी कॉलेज की जिंदगी में आने वाली चुनौतियों का सामना कर रही हैं। मां ने बताया कि उनका बेटा कोविड के कारण लंबे समय तक घर पर रहा और अब जब वह हॉस्टल में गया है, तो उसे एंजाइटी और डिप्रेशन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
    मां ने अपने बेटे के वजन और उसकी मानसिक स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की, क्योंकि वह अपने वजन को लेकर परेशान है और सिगरेट पीने लगा है। आचार्य जी ने इस पर विचार करते हुए कहा कि यह सामान्य है कि युवा लोग हॉस्टल जीवन में कुछ बदलावों का सामना करते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि मां को अपने बेटे की स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए और उसे अपने अनुभवों से सीखने का मौका देना चाहिए।
    आचार्य जी ने यह भी कहा कि मां को अपने जीवन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और अपने लिए नए अवसरों की खोज करनी चाहिए। उन्होंने यह बताया कि बच्चों के बड़े होने पर मांओं को एक नया जीवन शुरू करने का अवसर मिलता है।
    प्रसंग:
    ~ बच्चों की ज़िंदगी में कितना दखल देना ठीक है?
    ~ बच्चा बिगड़ न जाए इसलिए ध्यान रखती हूँ, लेकिन उसे अच्छा नहीं लगता क्या करूँ?
    ~ बेटा बात नहीं मानता है, कैसे समझाऊँ?
    ~ जवानी में बच्चे को वर्जित काम करने से कैसे रोकें?
    ~ हॉस्टल गए बच्चों की कितनी खबर लेनी चाहिए?
    संगीत: मिलिंद दाते
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    #acharyaprashant

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