।।संतो की वाणी।।:+:परम राम नाम, सतनाम कबीर, जपो रे हंसा अखण्ड सारशबद कबीर।।00।।अब्बल संत कबीर है, दूजे रामानंद। ता से भगति प्रगट भई, सात द्वीप नौ खण्ड।।बहुत जीव अटके रहे, बिन सतगुरु भव माहि। दादु नाम कबीर बिन, छूटै एकौ नाहि।।01।।दादु बैठि जहाज पर, गये समुद्रहि तीर। जल मे मछली जो रहै, कहे कबीर कबीर।।अनन्त कोटि ब्रम्हांडो मे, बंदी छोड कहाय। सो तो पुरुष कबीर है ,जननी जना ना माय।।02।।प्राकृतिक शब्द और सोच तो और दूरियां बढाते है। किन्तू सत साहेब कबीर जी का सारशबद अखण्ड, सब दूरियो का अस्तित्व ही माटा देते है।।दिव्य प्रकाश युक्त पूर्ण सतगुरु से ही अखंड सारशबद चित्त मे पाऐ। परमात्माराम मिलान वाला संत ही, समुचित मार्ग दिखाऐ।।03।।समय के सतधामी पूर्ण संत ही जीवित ही परमपिता से मेल मिलाप कराते है। अंत मे हंसा अपने सतगुरु धाम इष्ट को सीधा ही पा जाते है।।जब प्रकृति ही नही थी, धरती थी ना नीर। उत्पत्ति प्रलय भी नही था, तब की कहे कबीर।।04।।सांस अंत तक का सुमिरण, सारशबद अखण्ड का दिन रात। मुझे तो आनंद ही आनंद है, हो रही परमानंदी बरसात।।साँई अरुण जी महाराज को नमन है बारम्वार। सारशब्दी सतगुरु विदेही कबीर जी से मिलाय कर, करा दिया मुझे भवसागर के उस पार।।05।।,,साँई अरुण जी
परम पूज्य गुरु माता श्रीमती तीजन बाई जी 💐👏❤️
जय श्री कृष्ण 🌿🌺💫🙏
भगवान आपको दीर्घ आयु बानाये एवं स्वास्थ्य हमेशा ठीक रहे दीदी जी
Teejan didi ki jay ho
।।संतो की वाणी।।:+:परम राम नाम, सतनाम कबीर, जपो रे हंसा अखण्ड सारशबद कबीर।।00।।अब्बल संत कबीर है, दूजे रामानंद। ता से भगति प्रगट भई, सात द्वीप नौ खण्ड।।बहुत जीव अटके रहे, बिन सतगुरु भव माहि। दादु नाम कबीर बिन, छूटै एकौ नाहि।।01।।दादु बैठि जहाज पर, गये समुद्रहि तीर। जल मे मछली जो रहै, कहे कबीर कबीर।।अनन्त कोटि ब्रम्हांडो मे, बंदी छोड कहाय। सो तो पुरुष कबीर है ,जननी जना ना माय।।02।।प्राकृतिक शब्द और सोच तो और दूरियां बढाते है। किन्तू सत साहेब कबीर जी का सारशबद अखण्ड, सब दूरियो का अस्तित्व ही माटा देते है।।दिव्य प्रकाश युक्त पूर्ण सतगुरु से ही अखंड सारशबद चित्त मे पाऐ। परमात्माराम मिलान वाला संत ही, समुचित मार्ग दिखाऐ।।03।।समय के सतधामी पूर्ण संत ही जीवित ही परमपिता से मेल मिलाप कराते है। अंत मे हंसा अपने सतगुरु धाम इष्ट को सीधा ही पा जाते है।।जब प्रकृति ही नही थी, धरती थी ना नीर। उत्पत्ति प्रलय भी नही था, तब की कहे कबीर।।04।।सांस अंत तक का सुमिरण, सारशबद अखण्ड का दिन रात। मुझे तो आनंद ही आनंद है, हो रही परमानंदी बरसात।।साँई अरुण जी महाराज को नमन है बारम्वार। सारशब्दी सतगुरु विदेही कबीर जी से मिलाय कर, करा दिया मुझे भवसागर के उस पार।।05।।,,साँई अरुण जी
A
❤ can be my
Lllllllllllllllllllllllllllllllllll ll। N। N। N n n। N n। N knn। N। लाल लालk
Dhaneswarsahu❤😅😢