biography of anandamayi maa( आनंदमयी माँ की जीवनी)

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  • Опубліковано 6 вер 2024
  • आनंदमयी मां भारत की एक अति प्रसिद्ध संत रही जो अनेक महान सन्तों द्वारा वन्दनीय थीं। माँ का जन्म 30 अप्रैल 1896 में तत्कालीन भारत के ब्रह्मन बारिया जिले के के खेऊरा ग्राम में हुआ आजकल वह बांग्लादेश के हिस्सा है। पिता श्री बिपिन बिहारी भट्टा चार्य व माता मोक्षदा सुंदरी उन्हें बचपन में निर्मला नाम से पुकारते थे। उनके पिताजी विष्णु उपासक थे ,व भजन में प्रवीण थे लौकिक धन नहीं था। निर्मला दो वर्ष ग्रामीण विद्यालय में अध्ययन किया प्रतिभा की धनी बचपन से लगीं। यथा वे एकाकी व अंतर्मुख रहती, 13 वर्ष की आयु में आपका विवाह तब की परंपरा अनुसार विक्रम पुर के रमानी मोहन चक्रवर्ती से कर दिया गया। वे तब से 5 वर्ष अपने चचेरे भाई के यहां रही जंहा वे दिव्य ध्यान में समय बिताती रही। बिना सिखाये ही वैदिक अचारों से देव पूजन करती कुछ ऐसा भी रहा कि वह भीतर ही भीतर दिव्य देवों से वार्ता किया करती। सर्वप्रथम उनके एक पड़ोसी सज्जन ने उन्हें ऐसा देख माँ कहना प्रारंभ किया। 17 वर्ष की आयु में वे ओष्ठ ग्राम में 1918 में पति देव संग रहने गई जंहा से वे बाजितपुर चले गए जंहा 1924 तक रही।
    वैवाहिक जीवन में वे जबभी स्पर्श आदि से कुछ विवाहोचित कर्म करने की सोचते तो माँ का शरीर मृत समान हो जाता। संयम में अदभुत सामर्थ्य है। जिसके जीवन में संयम है, जिसके जीवन में ईश्वरोपासना है। वह सहज ही में महान हो जाता है। आनंदमयी माँ का जब विवाह हुआ तब उनका व्यक्तित्व अत्यंत आभासंपन्न थी। शादी के बाद उनके पति उन्हें संसार-व्यवहार में ले जाने का प्रयास करते रहते थे किंतु आनंदमयी माँ उन्हें संयम और सत्संग की महिमा सुनाकर, उनकी थोड़ी सेवा करके, विकारों से उनका मन हटा देती थीं। इस प्रकार कई दिन बीते, हफ्ते बीते, कई महीने बीत गये लेकिन आनंदमयी माँ ने अपने पति को विकारों में गिरने नहीं दिया। आखिरकार कई महीनों के पश्चात् एक दिन उनके पति ने कहाः “तुमने मुझसे शादी की है फिर भी क्यों मुझे इतना दूर दूर रखती हो?”
    तब आनंदमयी माँ ने जवाब दियाः “शादी तो जरूर की है लेकिन शादी का वास्तविक मतलब तो इस प्रकार हैः शाद अर्थात् खुशी। वास्तविक खुशी प्राप्त करने के लिए पति-पत्नी एक दूसरे के सहायक बनें न कि शोषक। काम-विकार में गिरना यह कोई शादी का फल नहीं है।” इस प्रकार अनेक युक्तियों और अत्यंत विनम्रता से उन्होंने अपने पति को समझा दिया। वे संसार के कीचड़ में न गिरते हुए भी अपने पति की बहुत अच्छी तरह से सेवा करती थीं। पति नौकरी करके घर आते तो गर्म-गर्म भोजन बनाकर खिलातीं।
    वे घर भी ध्यानाभ्यास किया करती थीं। कभी-कभी स्टोव पर दाल चढ़ाकर, छत पर खुले आकाश में चंद्रमा की ओर त्राटक करते-करते ध्यानस्थ हो जातीं। इतनी ध्यानमग्न हो जातीं कि स्टोव पर रखी हुई दाल जलकर कोयला हो जाती। घर के लोग डाँटते तो चुपचाप अपनी भूल स्वीकार कर लेतीं लेकिन अन्दर से तो समझती कि ‘मैं कोई गलत मार्ग पर तो नहीं जा रही हूँ…’ इस प्रकार उनके ध्यान-भजन का क्रम चालू ही रहा। घर में रहते हुए ही उनके पास एकाग्रता का कुछ सामर्थ्य आ गया। एक रात्रि को वे उठीं और अपने पति को भी उठाया। फिर स्वयं महाकाली का चिंतन करके अपने पति को आदेश दियाः “महाकाली की पूजा करो।” उनके पति ने उनका पूजन कर दिया। आनंदमयी माँ में उन्हें महाकाली के दर्शन होने लगे। उन्होंने आनंदमयी माँ को प्रणाम किया।
    तब आनंदमयी माँ बोलीं- अब महाकाली को तो माँ की नजर से ही देखना है न?”
    पतिः “यह क्या हो गया।”
    आनंदमयी माँ- “तुम्हारा कल्याण हो गया।”
    कहते हैं कि उन्होंने अपने पति को दीक्षा दे दी और साधु बनाकर उत्तरकाशी के आश्रम में भेज दिया।
    1922 में अक्टूबर मास की शरद पूर्णिमा को चन्द्र से त्राटक करते हुए गहन ध्यान में लीन हो गई व परम सत्य से एकाकार हो गई उस समय शरीर की आयु 26 वर्ष थी।
    इसके बाद वे ध्यान व कीर्तन मैं रच बस गई अनेक शिष्य भी हो गए। पतिदेव ढाका के नवाब के सचिव बन गए तो वे सभंग चले गए।
    1929 में रमानी के कालीमंदिर परिसर में पहला आश्रम बना एक बार वे 1वर्ष से अधिक समय मौन में चली गई समाधि व मौन बस। पतिदेव उनमें माता का भाव रखते व भोलेनाथ नाम से शिष्य हो गए।
    बाद में वे भारत भर में विचरण करती रही हरि बाबा उड़िया बाबा अखंडानंद सरस्वती आदि मित्र सन्त थे परमहंस योगानंद व स्वामी शिवानंद सब उन्हें आत्म प्रकाश से सुसज्ज अत्यंत विकसित पुष्प कहते पर वे सभी सन्तों को व सब से पिताजी कहती थी चाहे 25 वर्ष के साधु क्यों न हो
    माँ आनंदमयी को संतों से बड़ा प्रेम था। वे भले प्रधानमंत्री से पूजित होती थीं किंतु स्वयं संतों को पूजकर आनंदित होती थीं। श्री अखण्डानंदजी महाराज सत्संग करते तो वे उनके चरणों में बैठकर सत्संग सुनती। एक बार सत्संग की पूर्णाहूति पर माँ आनंदमयी सिर पर थाल लेकर गयीं। उस थाल में चाँदी का शिवलिंग था। वह थाल अखण्डानंदजी को देते हुए बोलीं-
    “बाबाजी ! आपने कथा सुनायी है, दक्षिणा ले लीजिए।”
    माँ- “बाबाजी और भी दक्षिणा ले लो।”
    अखण्डानंदजीः “माँ ! और क्या दे रही हो?”
    माँ- “बाबाजी ! दक्षिणा में मुझे ले लो न !”
    अखण्डानंदजी ने हाथ पकड़ लिया एवं कहाः
    “ऐसी माँ को कौन छोड़े? दक्षिणा में आ गयी मेरी माँ।” यह स्वामी अखंडानंद जी का एक प्रसंग है यथा उनके अन्य स्थानों पर आश्रम बन गए देश विदेश के विद्वान भक्त उनसे प्रभावित रहे। यथा देश की स्वतंत्रता के बाद वे और प्रसिद्ध हो गई 1982 में कनखल आश्रम हरिद्वार में वे ब्रह्म लीन हो गई

КОМЕНТАРІ • 27

  • @sopneswarbaidya5545
    @sopneswarbaidya5545 День тому

    Radhe shyam radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe

  • @paranm.shunyataa
    @paranm.shunyataa Рік тому +1

    नमः शिवाय धन्यवाद जय मा आनंद मई मा

  • @sabitamohanty1392
    @sabitamohanty1392 2 роки тому +1

    MAA Teri charono me koti koti pranam 🙏🏻🌹🌹🌹🌹❤️❤️🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

  • @divyaalok5538
    @divyaalok5538 11 місяців тому +1

    जय मां

  • @sukalyanraychaudhury9422
    @sukalyanraychaudhury9422 3 місяці тому

    ❤❤ Joy Maa ❤❤

  • @arvindbhatt818
    @arvindbhatt818 Рік тому +1

    🌷🙏ॐमाँ 🙏🌷

  • @neerumathurbhajans
    @neerumathurbhajans 9 місяців тому

    🙏🙏

  • @vikasgupta1828
    @vikasgupta1828 10 місяців тому +1

    Thanks

  • @dilurai9242
    @dilurai9242 2 роки тому +1

    हे भगवान🤚

  • @akhileshchand8387
    @akhileshchand8387 2 роки тому +1

    Jai maa anand mai

  • @urmidharachatterjee5307
    @urmidharachatterjee5307 2 роки тому +1

    🙏

  • @kavitaasthana2578
    @kavitaasthana2578 2 роки тому +1

    Jaijaimaananandanijaijainanadanijaijaimaa
    Kilimsunderinandanimaaakilimsundernanadanima
    Kilimsunderinandanimaashreemshreemshreem
    RadhahanumanRADHAHANUMANRADHAHANUMANHANUMANRADHAHANUMA RADHARADHA
    OMOMOMOMOMOMOMO OMOMOMOMOMOM
    SHATSHATNAMANKOTIKOTIPRANAM🙏⛳🙏⛳⛳⛳🙏⛳🙏⛳⛳🙏⛳🌲⛳🙏🙏⛳🌲🌲⛳🙏💯💯🙏🙏🙏🙏🙏🙏⛳💯💯🙏🙏💯🙏⛳🌲🎄☘🌾🌲🙏💯👌🦣👳‍♂️👐🤩🤩👵😛🌺🌹🪴🎅🏜⚘

  • @pbasheer3198
    @pbasheer3198 10 місяців тому

    Anandamayi matha charanam ko pranam🙏💐

  • @a.v5197
    @a.v5197 2 роки тому +1

    Jai Jai Ma🌹🌺🌹

  • @padminibehera756
    @padminibehera756 2 роки тому +2

    maa pranam

  • @annaferrari302
    @annaferrari302 3 роки тому +1

    Pranaam Maa...Jai Jai Maa Anandamaiy

  • @navinkuckian1926
    @navinkuckian1926 2 роки тому +1

    🙏🕉️🙏🇮🇳🙏🇮🇳🙏🇮🇳🙏🇮🇳🙏🇮🇳🙏🕉️🙏

  • @goa7516
    @goa7516 3 роки тому +1

    🙏🙏🙏 .

  • @goa7516
    @goa7516 3 роки тому +1

    Maa bless me and my family 🙏 .

  • @subodhkumarsk9267
    @subodhkumarsk9267 3 роки тому +1

    Hare Krishna hare Rama bhakt Subodh Kumar SK village khanpur Meerut up India Gurjar community

  • @annaferrari302
    @annaferrari302 3 роки тому +1

    Ti Amo Madre Kali

  • @westbengalvloggermanashi3792
    @westbengalvloggermanashi3792 3 роки тому +1

    Jay maa

  • @user-gc6pg5dm5y
    @user-gc6pg5dm5y 3 роки тому +1

    🕉️👍🙏❤️🌹🥀💐❤️🙏

  • @neetamandlik8981
    @neetamandlik8981 2 роки тому

    I am from maharathra i am no about aai ma information I am not understand english language tys for information

  • @neetamandlik8981
    @neetamandlik8981 2 роки тому

    Are there marathi language literature please information

  • @vinomoopanar3108
    @vinomoopanar3108 2 роки тому

    🙏🕉️Hari om, JAI MAA, PLEASE translate to English. 🙏🌹