अनिरुद्ध आचार्य जी को पांचवें वेद की जानकारी नहीं है यह कहा के आध्यात्मिक गुरु हैं यह तो जनता को ले डूबेंगे इस पूरे विश्व में केवल पूर्ण गुरु संत रामपाल जी महाराज जी है जो सभी धर्म ग्रंथों से प्रमाणित ज्ञान बताते हैं जिनसे हमरी मोक्ष होंगे और परम सुख शांति को प्राप्त हो सकते हैं जी ❤❤❤❤
ये अनिरुद्ध आचार्य महाराज जी के शिष्य नहीं है ये श्री निजानंद संप्रदाय के सुंदरसाथ है और ये श्री महामति प्राणनाथ जी की वाणी है प्रेम प्रणाम सुंदर साथ जी🙏
9 सूक्त 96 मंत्र 18ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 19ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 20अथर्ववेद काण्ड नं. 4 अनुवाक न. 1, मन्त्र नं. 7 प्रमाण - 1. पवित्र यजुर्वेद अध्याय 29 मंत्र 25
ये जो प्रस्न पुछराहेहै वो निजनन्द सम्प्रदायका है वो तारतम सागर ग्रन्थ से प्रस्न पुछरहाहै.सन्तरम्पल ने कहाँ कहाहै पचचिस पक्ष्य परमधाम. मुलमिलावका बर्णन??? स्वामी प्रणानाथ सतगुरु देबचन्द्र ने निजानाम तर्तम का ज्ञान प्या है स्वोयम परब्राम्ह से.... कुलजाम स्वोरुप तारतम सागर मे है 5 वा बेद का प्रमाण 🙏🙏
संत रामपाल जी महाराज जी ने सभी धर्म के शास्त्रों से प्रमाणित कर दिया की कई रही सुप्रीम पावर है सुप्रीम गोद है सुप्रीम अल्लाह है सुप्रीम वाहेगुरु है सुप्रीम परमेश्वर हां
पेहेले आप पेहेचानो रे साधो, पेहेले आप पेहेचानो। बिना आप चीन्हें पारब्रह्म को, कौन कहे मैं जानो।।१।। श्री महामति जी के धाम हृदय में विराजमान होकर अक्षरातीत परब्रह्म उनके श्री मुख से कहलवा रहे हैं कि हे सन्तजनों! परब्रह्म की कृपा की छत्रछाया में अपने निज स्वरुप की पहचान करो कि मैं कौन हूँ? इन्द्रिय, अन्तःकरण, जीव, ईश्वरी सृष्टि और ब्रह्मसृष्टि में मेरा निज स्वरूप क्या है? इसे जाने बिना यदि कोई यह कहता है कि मैंने सच्चिदानन्द परब्रह्म को जान लिया है तो वह भ्रम का शिकार है। भावार्थ- निज स्वरूप तथा परब्रह्म को जानने के सम्बन्ध में दो प्रकार की विचारधाराएं प्रचलित हैं। एक वर्ग कहता है कि पहले आत्म तत्व का ज्ञान होगा, तत्पश्चात् ही परब्रह्म को जाना जा सकेगा। दूसरा वर्ग कहता है कि पहले परब्रह्म का साक्षात्कार होगा, उसके पश्चात् उनकी कृपा दृष्टि से ही निज स्वरूप का बोध होगा। कठोर से कठोर साधना करने के पश्चात् भी श्री देवचन्द्र जी अपने निज स्वरूप को तब तक नहीं जान पाये, जब तक स्वयं अक्षरातीत ने उन्हें पहचान नहीं दी। वस्तुतः परब्रह्म की कृपा के बिना न तो निज स्वरूप को जाना जा सकता है और न परमात्मा स्वरूप को। कठोपनिषद का कथन है- φ‘‘यम एव एषः वृणुते तेन लभ्यः’’ψ अर्थात् परमात्मा जिसका वरण करता है वही उसको यथार्थ रूप से जान पाता है। यह कीर्तन भी वेदान्त के विद्वानों को प्रबोधित करने के लिये उतरा है। इसमें यह बताया गया है कि परब्रह्म की कृपा के प्रकाश में ही अपने निज स्वरूप तथा परब्रह्म के स्वरूप का साक्षात्कार होता है। प्रेम प्रणाम सुंदर साथ जी 🙏
यस्मा त्क्षरमती तो ऽहमक्षरा दपि चो त्तम: । अतो ऽस्मि लो के वेदे च प्रथि त: पुरुषो त्तम: ॥ 8. 18 Translation:- चूँकि मैं क्षर तथा अक्षर दो नों के परे हूँ और चूँकि मैं सर्वश्रेष्ठ हूँ, अतएव मैं इस जगत् में तथा वेदों में परम पुरुष के रूप में वि ख्या त हूँ |
सत् साहेबजी भगतजी 🙏 आपने सत्य कहा भगतभाई,नकलीयों की दाल नहीं गलेगी अब, सही बात है जी, परमात्मा सत्य ज्ञान देने आ गए हैं?? मगर कहा?कब आ गए भाई?? कबीर परमेश्वर जी सतलोक से तत्वदर्शी संतजी को दुनिया के कल्याण हेतु भेजा था, उस संत को ही अपने ही नकली भेष छुपे भगतों ने षड़यंत्र रचा कर जेल में बंद करवाया और उम्रकैद कि शिक्षा सुनवा दी , और साल में 6 बार देशी घी से बनाया पकवानों को चकने के लिए नकली आश्रमों में जाकर मौजूदा संतजी को जेल में बंद करने की उत्सव मनाते हैं और दुनियावालों और सभी पंथों को चुनौती देने में माहिर हो गये भगत, अब सत्य ज्ञान देने परमात्मा नहीं आएंगे भगत जी ए भी काम आप भगतभाई --बहनों को ही करना है जी, क्योंकि आप जैसे भगतभाई --बहनों को पूरी ज्ञान दे कर संत रामपालजी महाराजजी जेल में उम्रकैद कि शिक्षा काटने गए हैं, पूरे विश्व में आपलोगों जैसे तत्वज्ञान किसी के पास है भी नहीं, तीनों लोकों में ढुंढने से भी आप भगतभाई --बहनों जैसे तत्वज्ञानी भगत मिलेंगे नाही,ए हमारी सौभाग्य है कि आप जैसे तत्वज्ञानी भगतों की दर्शन होते हैं भगत,ओ संत रामपालजी महाराजजी कितना भाग्यशाली होंगे आप जैसे तत्वज्ञान के भगतभाई --बहनों को पाकर,
ए माया छे अति बलवंती, उपनी छे मूल धणी थकी। मुनिजन ने मनाव्या हार, सिव ब्रह्मादिक न लहे पार।।४।। इस माया की शक्ति बहुत अधिक है। यह मूलतः धाम धनी के आदेश से ही उत्पन्न हुई है। बड़े- बड़े मुनियों ने भी इससे हार मान ली। शिव जी तथा ब्रह्मा आदि देवता भी इस की शक्ति का पार नहीं पा सके हैं। भावार्थ- इस चौपाई के दूसरे चरण का अभिप्राय कदापि यह नहीं मान लेना चाहिए कि वह परमधाम में है और वहीं से प्रकट हुई है। परमधाम में कोई भी नयी वस्तु नहीं बन सकती है। वस्तुतः माया का मूल स्थान अव्याकृत का महाकारण (सुमंगला-पुरूष) है,जो सबलिक का स्थूल कहलाता है। इस सम्बन्ध में कीरंतन ६५/२० में कहा गया है- φप्रकृती पैदा करे, ऐसे कई इंड आलम। ए ठौर माया ब्रह्म सबलिक, त्रिगुन की परआतम।।ψ 'सुमंगला-पुरूष' चिदानन्द लहरी का व्यक्त स्वरूप है। सबलिक का चित्त तथा केवल का आनन्द स्वरूप मिलकर 'चिदानन्द लहरी' कहलाता है। सुमंगला पुरूष (अव्याकृत का महाकारण) ही स्थूल में रोधिनी शक्ति एवं प्रणव (ओ३म्) है। जिससे मोहसागर की उत्पत्ति होती हैं। अव्याकृत को सत् माया, सबलिक को चित् माया, तथा केवल ब्रह्म को आनन्द योगमाया कहा जाता है। इसी प्रकार सत्स्वरूप को अक्षर ब्रह्म मूल माया या मूल प्रकृति भी कहा जाता है। मोह सागर से कालमाया के जिस ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति होती है, उस का मूल योगमाया का ब्रह्माण्ड है। अक्षरातीत के सत अंग अक्षर ब्रह्म के मन में सृष्टि रचना का जो संकल्प होता है, वह सत्स्वरूप, केवल से होते हुए सबलिक एवं अव्याकृत में आता है, जिससे यह मोह सागर का ब्रह्माण्ड दृष्टिगोचर होने लगता है। इसे ही φ'अर्स से आवे हुकम, तिन हुकमें चले कई हुकम' (सनंध २१/१४)ψ कहा गया है। φइत अछर को विलस्यो मन, पाँच तत्व चैदे भवन। यामें महाविष्णु मन मन थें त्रैगुन, ताथें थिर चर सब उत्पन्न।। 🙏🌹🙏
पांच वा वेद श्री कुलजम स्वरूप को लिखने वाले श्री विजयाभिनंद बुध्द निष्कलंक अवतार महामति श्री प्राणनाथ जी जो मंदिर अभी पन्ना में है और कहीं नहीं है उसकी जानकारी कबीर वाणी में नहीं है और ना रामपाल को उसकी जानकारी है उसकी बातो में न आऔ
सूक्ष्म नहीं पागलों स्वसंम वेद जो कुलजम स्वरूप है वह श्री प्राणनाथ जी ने प्रगट किया जों कबीर जी का नहीं ना रामपाल दादा को उसके विषय में कोई जानकारी नहीं है
अनिरुद्ध आचार्य जी को अध्यात्म ज्ञान,सुक्ष्म वेद का ज्ञान और शास्त्र ज्ञान जीरो है। इनको सिर्फ बनावटी मीठी बातों का कभी खत्म न होने वाला बनावटी बकवास मात्र है ।जिसको सुनकर लोग खुश तो होते हैं लेकिन उनको अध्यात्म तत्व ज्ञान पूर्ण परमात्मा की सत्य भक्ति कभी नहीं हो सकता। अनिरुद्ध आचार्य मानव समाज को अंधकार की और धकेल रहे हैं। इनको मोक्ष मार्ग की कोई ज्ञान है ही नहीं। पूरे विश्व में शास्त्र प्रमाणित ज्ञान सुक्ष्म वेद का ज्ञान पूर्ण मोक्ष मार्ग केवल जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के पास है। जो कुछ दिन संत रामपाल जी महाराज जी का सत्संग सुनेगा वही समझेगा कि वास्तव में तत्व ज्ञान होता क्या है।
रामायण में वर्णित है कि नेति नेति जेहि वेद निरूपा,निजानंद निरूपाधि अनूपा।। रामचरितमानस बालकाण्ड दो,144 /यानि जिसको निजानंद कहते हैं, आनंद का सागर कहते हैं सभी उपाधियां जहां से लोट आती है जिसकी कोई उपमा नहीं दी सकतीं, वही परमात्मा है।
इस पाखंडी के चक्कर में भाइयों ना पडो यह पाखंडी वालों मानव जीवन को खराबकर देंगे यह मानव जीवन दोबारा मिलने वाला नहीं है अब से अपने जीवन को बर्बाद होने से बचा लो इस समय आप लोगों को बहुत अच्छा सा मौका है विश्व गुरु इस पृथ्वी पर आया हुआ है
श्री विजयाभिनंद बुध्द निष्कलंक अवतार के पांच वे वेद कुलजम स्वरूप को पढ़कर अपनी आत्मा को निराकार मंडल से परे योगमाया मंडल से परे की पहचान कर लो इसी में सार है अनादि अक्षरातित की पहचान कर लो
जो भी वीडियो को सुन रहे हैं अनिरुद्ध आचार्य जी महाराज जी की बातों को गौर कीजिए पांचवा वेद किसको कहा जा रहा है निजानंद संप्रदाय एक बार पढ़ कर देखिए व्यक्ति को अनिरुद्ध आचार्य की बातों का गौर कीजिए बातों को समझिए
जो लोग सूक्ष्म वेद को फर्जी बताकर संसार में गलत संदेश दे रहे हैं, उनको शर्म आनी चाहिए। कालब्रह्म के दूत बनकर तैयार हुए लोग पाखंड करवाकर धनोपार्जन कर इतना पापकर्म कर रहे हैं, कि वह समय आने पर अपना मुंह दिखाने लायक भी नहीं बचेंगे। सत साहेब जी
🏇 युग परिवर्तन निकट है! इजरायल के प्रो. हरार के अनुसार 'भारत देश का एक दिव्य महापुरूष मानवतावादी विचारों से आध्यात्मिक क्रांति की जड़े मजबूत कर लेगा व सारे विश्व को उनके विचार सुनने को बाध्य होना पड़ेगा।' और वह दिव्य महापुरुष संत रामपाल जी महाराज हैं जिनके सत्य आध्यात्मिक ज्ञान के आगे सभी नतमस्तक हैं।
पांच वा वेद स्वसं वेद है यानि श्री कुलजम स्वरूप है जो श्री प्राणनाथ जी ने प्रगट किया है ये ना तो कबीर जी कि वाणी है ना रामपाल की है वह निजानंद सम्प्रदाय में है
हां तुम्हारे इस परमधाम में तुम्हारे अक्षरतीत भगवान गोपियों के साथ मौज मस्ती करते रहते हैं 😂😂 वैसे तुम कब यहां से मुक्त होकर परमधाम में गोपी का रूप लेकर अपने भगवान के साथ मौज मस्ती करने जा रहे हो
@ekBrahm-o5t काल का जाल नहीं काल का बाप है अनादि अक्षरातित ने परमधाम यानि दिव्य बृह्मपूर धाम कि पूरी ब्रह्म रूप वाणी उतरी है जों ईश्वर से परे योगमाया मंडल से परे अनादिअक्षरातित की वाणी है कबीर जी के तन में उनके सत स्वरूप आएं थे
@ekBrahm-o5t कबीर जी ने कुछ संकेत के रूप में परमधाम की बात भी कही है और कबीर जी पंथी चिंतामणि जी परकाण्ड विद्वान थे वह भी निजानंद सम्प्रदाय में एक हजार शिष्यों सहित आए थे अगर आप भी कबीर जी की वाणी पर विश्वास है तो आप भी निजानंद सम्प्रदाय में सम्पूर्ण ज्ञान मन्थन करके जाग्रत हो सकतें हैं
अनिरुद्ध आचार्य जब राम पैदा नही हुए थे राजा दशरथ का राम कौन था?जब भगवान श्रीकृष्ण पैदा नही हुए थे बासुदेव का श्रीकृष्ण कौन था?सतयुग मे किस कौन राम थे?सृष्टि का निर्माण कैसे हुआ? आत्मा को अविनाशी क्यो कहा गया है?उत्तर दीजिए।
नौ मन सूत् उलझीआ, ऋषि रहे चक मार। सतगुरु ऐसा सुलझा देगा, उलझे ना दूजी बार।। जगतगुरू संत रामपाल जी महाराज जी ने ऐसा निर्मल ज्ञान समाज में बिखेर दिया है। अगर उसके बाद भी यह मूर्ख लोग में इन अज्ञानीओ के आगे नतमस्तक होते हैं, तो इनसे बड़ा कोई महामूर्ख नहींहै।
💠परमात्मा शिशु रूप में प्रकट होकर लीला करता है। तब उनकी परवरिश कंवारी गायों के दूध से होती है। ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 यह लीला कबीर परमेश्वर ही आकर करते हैं।
कबीर जी तो एक पंच भौतिक तन का नाम है परन्तु तुम नहीं जानते उनके तन में अक्षर की आत्मा मानि जाती है परमात्मा की सत्य बातें संकेत के रूप में बताईं है कबीर जी ने बैहल की बात पुरी बताई पर उसके परे की बात नहीं कबीर पंथी चिंतामणि जी परकाण्ड विद्वान थे वह भी पांच वा वेद श्री कुलजम स्वरूप कि वाणी सुनकर श्री प्राणनाथ जी के साथ एक हजार शिष्यों सहित जाग्रत होकर श्री प्राणनाथ जी के चरणों में समर्पित हों गये थें।
अनिरुद्ध आचार्य जी को पांचवें वेद की जानकारी नहीं है यह कहा के आध्यात्मिक गुरु हैं यह तो जनता को ले डूबेंगे
इस पूरे विश्व में केवल पूर्ण गुरु संत रामपाल जी महाराज जी है जो सभी धर्म ग्रंथों से प्रमाणित ज्ञान बताते हैं जिनसे हमरी मोक्ष होंगे और परम सुख शांति को प्राप्त हो सकते हैं जी ❤❤❤❤
ये अनिरुद्ध आचार्य महाराज जी के शिष्य नहीं है ये श्री निजानंद संप्रदाय के सुंदरसाथ है और ये श्री महामति प्राणनाथ जी की वाणी है प्रेम प्रणाम सुंदर साथ जी🙏
तुम लोग धीरे धीरे मुसलमान बन जाओगे जब मुसलमान वाली किताब पढ़ोगे
प्रणाम जी सुंदर साथ जी
श्री प्राणनाथ प्यारे की जय
Sat saheb ji❤❤❤
सत साहेब जी जय हो बंदी छोड़ की आपको बहुत बहुत धन्यवाद भगतजी
Jel Bandi ki jai 😂
Great saint jagat guru sant rampal ji maharaj 🙏
9 सूक्त 96 मंत्र 18ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 19ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 20अथर्ववेद काण्ड नं. 4 अनुवाक न. 1, मन्त्र नं. 7 प्रमाण - 1. पवित्र यजुर्वेद अध्याय 29 मंत्र 25
बहुत ही अच्छा खूबसूरत ज्ञान है संत रामपाल जी महाराज का🙏🙏🙏🙏
Shri, ji, saheb, ji, meharwan❤❤❤❤❤
Pujya Niya Rajan somi ji ki jaya ❤❤❤❤🙏🙏🙏🙏
Sat saheb ji guru parmatma ki jay ho sant rampal ji ki jay 🌹
सत साहिब
Kabir Swaroop sant Rampal Ji Bhagwan ki Jay Ho
ये जो प्रस्न पुछराहेहै वो निजनन्द सम्प्रदायका है वो तारतम सागर ग्रन्थ से प्रस्न पुछरहाहै.सन्तरम्पल ने कहाँ कहाहै पचचिस पक्ष्य परमधाम. मुलमिलावका बर्णन??? स्वामी प्रणानाथ सतगुरु देबचन्द्र ने निजानाम तर्तम का ज्ञान प्या है स्वोयम परब्राम्ह से.... कुलजाम स्वोरुप तारतम सागर मे है 5 वा बेद का प्रमाण 🙏🙏
सम्झो साथिहो श्री प्राणनाथ वाणि ने हि स्वसम वेद है और उनोने निस्कलन्क बुद्ध कल्की अबतार है एबम तारतम वाणि को अध्यन करो
संत रामपाल जी महाराज जी ने सभी धर्म के शास्त्रों से प्रमाणित कर दिया की कई रही सुप्रीम पावर है सुप्रीम गोद है सुप्रीम अल्लाह है सुप्रीम वाहेगुरु है सुप्रीम परमेश्वर हां
पेहेले आप पेहेचानो रे साधो, पेहेले आप पेहेचानो।
बिना आप चीन्हें पारब्रह्म को, कौन कहे मैं जानो।।१।।
श्री महामति जी के धाम हृदय में विराजमान होकर अक्षरातीत परब्रह्म उनके श्री मुख से कहलवा रहे हैं कि हे सन्तजनों! परब्रह्म की कृपा की छत्रछाया में अपने निज स्वरुप की पहचान करो कि मैं कौन हूँ? इन्द्रिय, अन्तःकरण, जीव, ईश्वरी सृष्टि और ब्रह्मसृष्टि में मेरा निज स्वरूप क्या है? इसे जाने बिना यदि कोई यह कहता है कि मैंने सच्चिदानन्द परब्रह्म को जान लिया है तो वह भ्रम का शिकार है। भावार्थ- निज स्वरूप तथा परब्रह्म को जानने के सम्बन्ध में दो प्रकार की विचारधाराएं प्रचलित हैं। एक वर्ग कहता है कि पहले आत्म तत्व का ज्ञान होगा, तत्पश्चात् ही परब्रह्म को जाना जा सकेगा। दूसरा वर्ग कहता है कि पहले परब्रह्म का साक्षात्कार होगा, उसके पश्चात् उनकी कृपा दृष्टि से ही निज स्वरूप का बोध होगा। कठोर से कठोर साधना करने के पश्चात् भी श्री देवचन्द्र जी अपने निज स्वरूप को तब तक नहीं जान पाये, जब तक स्वयं अक्षरातीत ने उन्हें पहचान नहीं दी। वस्तुतः परब्रह्म की कृपा के बिना न तो निज स्वरूप को जाना जा सकता है और न परमात्मा स्वरूप को। कठोपनिषद का कथन है- φ‘‘यम एव एषः वृणुते तेन लभ्यः’’ψ अर्थात् परमात्मा जिसका वरण करता है वही उसको यथार्थ रूप से जान पाता है। यह कीर्तन भी वेदान्त के विद्वानों को प्रबोधित करने के लिये उतरा है। इसमें यह बताया गया है कि परब्रह्म की कृपा के प्रकाश में ही अपने निज स्वरूप तथा परब्रह्म के स्वरूप का साक्षात्कार होता है।
प्रेम प्रणाम सुंदर साथ जी 🙏
कबीर, झूंठे सुख को सुख कहे, मान रहा मन मोद।
सकल चबीना काल का कछु मुख मे कछु गोद।।
यस्मा त्क्षरमती तो ऽहमक्षरा दपि चो त्तम: । अतो ऽस्मि लो के वेदे च प्रथि त: पुरुषो त्तम: ॥ 8. 18
Translation:- चूँकि मैं क्षर तथा अक्षर दो नों के परे हूँ और चूँकि मैं सर्वश्रेष्ठ हूँ, अतएव मैं इस जगत् में तथा वेदों में परम पुरुष के रूप में वि ख्या त हूँ |
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जयहो
Jel Bandi ki jai
Prem pranam ji maharaj ji
जय हो बंदी छोड़ की
कण्ठी माला सुमरणी ,
पहेरे से क्या होय ।
बाहर ढुण्डा साधका,
अंदर राख्या खोय ।।
विचरा अनिरुद्धाचार्य जी ।।
अनिरुद्ध आचार्य जी को पांचवें वेद की जानकारी नहीं है यह कह के आध्यात्मिक गुरु हैं यह तो जनता को ले दुबे
Jel Bandi ki jai
Aur tum jo jail gaye chor ram pal ki baat man rahe 😂😂😂
Pure Vishva Mein Sant Rampal Ji Maharaj Ek Saccha Guru hai
pakhandi hai apni likhi hui bhagwat Geeta bechta hai😂😂
गीता में प्रमाण है कबीर साहेब जी भगवान है 🙏🌷🙏🌷🙏🌷🙏
थोड़े प्रमाण कोर्ट में जाकर दे ताकी रामपाल जेल से छूटे😮
नकली की दाल नहीं गलेगी अब
परमात्मा सत्य ज्ञान देने आ गए है
Sat sahib ji
@@likhmaramnaliya2081 रामपाल का कोई एक ज्ञान सही साबित कर के दिखा दो
@@deepakshukla-ek8geरामपाल जेल मे है, ये सत्य ज्ञान है
सत् साहेबजी भगतजी 🙏 आपने सत्य कहा भगतभाई,नकलीयों की दाल नहीं गलेगी अब,
सही बात है जी, परमात्मा सत्य ज्ञान देने आ गए हैं??
मगर कहा?कब आ गए भाई??
कबीर परमेश्वर जी सतलोक से तत्वदर्शी संतजी को दुनिया के कल्याण हेतु भेजा था, उस संत को ही अपने ही नकली भेष छुपे भगतों ने षड़यंत्र रचा कर जेल में बंद करवाया और उम्रकैद कि शिक्षा सुनवा दी , और
साल में 6 बार देशी घी से बनाया पकवानों को चकने के लिए नकली आश्रमों में जाकर मौजूदा संतजी को जेल में बंद करने की उत्सव मनाते हैं और दुनियावालों और सभी पंथों को चुनौती देने में माहिर हो गये भगत,
अब सत्य ज्ञान देने परमात्मा नहीं आएंगे भगत जी ए भी काम आप भगतभाई --बहनों को ही करना है जी,
क्योंकि आप जैसे भगतभाई --बहनों को पूरी ज्ञान दे कर संत रामपालजी महाराजजी जेल में उम्रकैद कि शिक्षा काटने गए हैं,
पूरे विश्व में आपलोगों जैसे तत्वज्ञान किसी के पास है भी नहीं, तीनों लोकों में ढुंढने से भी आप भगतभाई --बहनों जैसे तत्वज्ञानी भगत मिलेंगे नाही,ए हमारी
सौभाग्य है कि आप जैसे तत्वज्ञानी भगतों की दर्शन होते हैं भगत,ओ संत रामपालजी महाराजजी कितना भाग्यशाली होंगे आप जैसे तत्वज्ञान के भगतभाई --बहनों को पाकर,
ए माया छे अति बलवंती, उपनी छे मूल धणी थकी।
मुनिजन ने मनाव्या हार, सिव ब्रह्मादिक न लहे पार।।४।।
इस माया की शक्ति बहुत अधिक है। यह मूलतः धाम धनी के आदेश से ही उत्पन्न हुई है। बड़े- बड़े मुनियों ने भी इससे हार मान ली। शिव जी तथा ब्रह्मा आदि देवता भी इस की शक्ति का पार नहीं पा सके हैं। भावार्थ- इस चौपाई के दूसरे चरण का अभिप्राय कदापि यह नहीं मान लेना चाहिए कि वह परमधाम में है और वहीं से प्रकट हुई है। परमधाम में कोई भी नयी वस्तु नहीं बन सकती है। वस्तुतः माया का मूल स्थान अव्याकृत का महाकारण (सुमंगला-पुरूष) है,जो सबलिक का स्थूल कहलाता है। इस सम्बन्ध में कीरंतन ६५/२० में कहा गया है- φप्रकृती पैदा करे, ऐसे कई इंड आलम। ए ठौर माया ब्रह्म सबलिक, त्रिगुन की परआतम।।ψ 'सुमंगला-पुरूष' चिदानन्द लहरी का व्यक्त स्वरूप है। सबलिक का चित्त तथा केवल का आनन्द स्वरूप मिलकर 'चिदानन्द लहरी' कहलाता है। सुमंगला पुरूष (अव्याकृत का महाकारण) ही स्थूल में रोधिनी शक्ति एवं प्रणव (ओ३म्) है। जिससे मोहसागर की उत्पत्ति होती हैं। अव्याकृत को सत् माया, सबलिक को चित् माया, तथा केवल ब्रह्म को आनन्द योगमाया कहा जाता है। इसी प्रकार सत्स्वरूप को अक्षर ब्रह्म मूल माया या मूल प्रकृति भी कहा जाता है। मोह सागर से कालमाया के जिस ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति होती है, उस का मूल योगमाया का ब्रह्माण्ड है। अक्षरातीत के सत अंग अक्षर ब्रह्म के मन में सृष्टि रचना का जो संकल्प होता है, वह सत्स्वरूप, केवल से होते हुए सबलिक एवं अव्याकृत में आता है, जिससे यह मोह सागर का ब्रह्माण्ड दृष्टिगोचर होने लगता है। इसे ही φ'अर्स से आवे हुकम, तिन हुकमें चले कई हुकम' (सनंध २१/१४)ψ कहा गया है। φइत अछर को विलस्यो मन, पाँच तत्व चैदे भवन। यामें महाविष्णु मन मन थें त्रैगुन, ताथें थिर चर सब उत्पन्न।। 🙏🌹🙏
श्वसम वेद है निजानंद संप्रदाय से है वो ना कि कबीर पंथ से
Live चर्चा by श्री राजन स्वामी जी
😊😅2❤😊
सूक्ष्म वेद होता है सत्य बात है
Sant rampal ji maharaj jaisa aaj ke date me koi nahi hai
Hn tbhi to jail gya tha vo budhaoo rampal😂😂
अनुराधा आचार्य महाराज जी को ज्ञान नहीं है सच समझने की हिम्मत और शांति रखनी चाहिए
प्रणाम जी
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी की ज्ञान के जैसे ज्ञान आपके गुरु के पास भी नहीं है अनिरुद्ध आचार्यजी
इसी वजह से जेल मे पेला जा रहा है
वो प्रणामी संप्रदाय से हैं ना कि आपकी संप्रदाय से हैं
शिव, विष्णु और ब्रह्मा का सही ज्ञान पाने के लिए यह वीडियो बेहद जरूरी है। सत्य मार्ग पर चलें।
Sant Rampal Ji Maharaj ke Jai Ho ❤❤
Great 👍 quoting to him Jay Shri krishna pranami ji ki😊
Very nice👍
जिस दिन सतगुरू भेंटिया , वो दिन लेखे जान।
बाकी समय गँवा दिया , बिना गुरू के नाम ॥
पांच वा वेद श्री कुलजम स्वरूप को लिखने वाले श्री विजयाभिनंद बुध्द निष्कलंक अवतार महामति श्री प्राणनाथ जी जो मंदिर अभी पन्ना में है और कहीं नहीं है उसकी जानकारी कबीर वाणी में नहीं है और ना रामपाल को उसकी जानकारी है उसकी बातो में न आऔ
5va ved ohh my God God given gyan
जय हो शत्रु देव की बहुत अच्छाज्ञान
#kabirissupremegod
सुक्ष्म वेद कबीर सागर है।
स्वसं वेद तो कुलजम स्वरूप है वह श्री प्राणनाथ जी ने प्रगट किया है ये कबीर जी का नहीं ना रामपाल को उसकी कोई जानकारी है
सूक्ष्म नहीं पागलों स्वसंम वेद जो कुलजम स्वरूप है वह श्री प्राणनाथ जी ने प्रगट किया जों कबीर जी का नहीं ना रामपाल दादा को उसके विषय में कोई जानकारी नहीं है
Pranath ji se pehle to Kabir Sahib alredy bata chuke hain... 5ve ved ke bare mei
@@KamalsinghPateliya6
@@Rohit_Spiritual यह निजानंद संप्रदाय का नास्तिक व्यक्ति है , और प्राणनाथ से पहले नानक देव जी भी सूक्ष्म वेद का प्रकाश कर चुके
@@ekBrahm-o5t bilkul ji
संत साहेब 🙏🙏🙏🙏 जय हो बंदी छोड़ संत रामपाल जी भगवान कि जय
Sat saheb
Very nice
अनिरुद्ध आचार्य जी को अध्यात्म ज्ञान,सुक्ष्म वेद का ज्ञान और शास्त्र ज्ञान जीरो है। इनको सिर्फ बनावटी मीठी बातों का कभी खत्म न होने वाला बनावटी बकवास मात्र है ।जिसको सुनकर लोग खुश तो होते हैं लेकिन उनको अध्यात्म तत्व ज्ञान पूर्ण परमात्मा की सत्य भक्ति कभी नहीं हो सकता।
अनिरुद्ध आचार्य मानव समाज को अंधकार की और धकेल रहे हैं। इनको मोक्ष मार्ग की कोई ज्ञान है ही नहीं।
पूरे विश्व में शास्त्र प्रमाणित ज्ञान सुक्ष्म वेद का ज्ञान पूर्ण मोक्ष मार्ग केवल जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के पास है।
जो कुछ दिन संत रामपाल जी महाराज जी का सत्संग सुनेगा वही समझेगा कि वास्तव में तत्व ज्ञान होता क्या है।
अनिरुद्ध आचार्य जी महाराज की जय हो जय हो बहुत बढ़िया पॉइंट को पकड़ कर के बोलते हैं
गोबर पूजा का प्रमाण कहा है अनिरुद्ध महाराज जी
Dandvat pranam
पांचवां वेद
ua-cam.com/video/Kdy8A2-gQTM/v-deo.htmlsi=yWqSNA4kOVfEC0gd
Ab isme bhi 5va ved bata rhe hai kise mane bhai
Jo line Bol rahe ho usne padha Nahi hai jo padha hai usko bolo usne sirf labed padha hai
हेमंत दास जादा मत उछलो रामपाल ने सभी शब्दों को तोड मरोड़ कर पेश किया है।
रामायण में वर्णित है कि नेति नेति जेहि वेद निरूपा,निजानंद निरूपाधि अनूपा।। रामचरितमानस बालकाण्ड दो,144 /यानि जिसको निजानंद कहते हैं, आनंद का सागर कहते हैं सभी उपाधियां जहां से लोट आती है जिसकी कोई उपमा नहीं दी सकतीं, वही परमात्मा है।
Sat Saheb Ji 🙏🏻🙏🏻
Nice video
Anirudhachara vande Jagat guru
Santo ke bani anmol ese sanjh sake anbol
सूक्ष्म वेद फर्जी नहीं है फर्जी तो बाबा अनिरूद्ध है।।
🙏🙏🌺🌺🌺🙏🙏🙏
फर्जी बाबा तो अनिरुद्ध आचार्य जी महाराज है
राज श्यामा जी की जय ❤️🙏🏻
Sant rampal ji maharaj ji true knowledge
Prannath ji he paramaatma hai
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जगत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी भगवान की जय हो
इस पाखंडी के चक्कर में भाइयों ना पडो यह पाखंडी वालों मानव जीवन को खराबकर देंगे यह मानव जीवन दोबारा मिलने वाला नहीं है अब से अपने जीवन को बर्बाद होने से बचा लो इस समय आप लोगों को बहुत अच्छा सा मौका है विश्व गुरु इस पृथ्वी पर आया हुआ है
Jel Bandi ki jai
श्री विजयाभिनंद बुध्द निष्कलंक अवतार के पांच वे वेद कुलजम स्वरूप को पढ़कर अपनी आत्मा को निराकार मंडल से परे योगमाया मंडल से परे की पहचान कर लो इसी में सार है अनादि अक्षरातित की पहचान कर लो
Very nice interview
Good video भगत जी 🙏👏👏👏👏
सत साहेब जी
अब सही रास्ते पर जा रहे हैं दुनिया
ये तारतम सागर जी श्री प्राणनाथ जी द्वारा प्रकट हुई वाणीका संकलन है । इसमे श्री राजजी पश्मात्मा की असली पेहेचान है।
जो भी वीडियो को सुन रहे हैं अनिरुद्ध आचार्य जी महाराज जी की बातों को गौर कीजिए पांचवा वेद किसको कहा जा रहा है निजानंद संप्रदाय एक बार पढ़ कर देखिए व्यक्ति को अनिरुद्ध आचार्य की बातों का गौर कीजिए बातों को समझिए
जो लोग सूक्ष्म वेद को फर्जी बताकर संसार में गलत संदेश दे रहे हैं, उनको शर्म आनी चाहिए। कालब्रह्म के दूत बनकर तैयार हुए लोग पाखंड करवाकर धनोपार्जन कर इतना पापकर्म कर रहे हैं, कि वह समय आने पर अपना मुंह दिखाने लायक भी नहीं बचेंगे। सत साहेब जी
ये बताओ रामपाल के पिता कालमाया ब्रह्माण्ड और कालबृह्म कहा पर है
चू .।।अनिरूद्धा।।बूढबकहोगया।।ग्याननहीहै।।ढोगिहै।।नरकबासिहै।।कालकादूतहैं।।नरकलेजानेवालाहै।।मानीसकोढगके।।लेजायेगाजी।।
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🏇 युग परिवर्तन निकट है!
इजरायल के प्रो. हरार के अनुसार 'भारत देश का एक दिव्य महापुरूष मानवतावादी विचारों से आध्यात्मिक क्रांति की जड़े मजबूत कर लेगा व सारे विश्व को उनके विचार सुनने को बाध्य होना पड़ेगा।'
और वह दिव्य महापुरुष संत रामपाल जी महाराज हैं जिनके सत्य आध्यात्मिक ज्ञान के आगे सभी नतमस्तक हैं।
पांच वा वेद स्वसं वेद है यानि श्री कुलजम स्वरूप है जो श्री प्राणनाथ जी ने प्रगट किया है ये ना तो कबीर जी कि वाणी है ना रामपाल की है वह निजानंद सम्प्रदाय में है
हां तुम्हारे इस परमधाम में तुम्हारे अक्षरतीत भगवान गोपियों के साथ मौज मस्ती करते रहते हैं 😂😂 वैसे तुम कब यहां से मुक्त होकर परमधाम में गोपी का रूप लेकर अपने भगवान के साथ मौज मस्ती करने जा रहे हो
इन्होंने कहीं नहीं कहा मेरा पांचवें वेद है जबकि कबीर जी की वाणी पांचवा वेद है और उन्होंने खुद बोला है
निजानंद संप्रदाय पूरा काल का जाल है
@ekBrahm-o5t काल का जाल नहीं काल का बाप है अनादि अक्षरातित ने परमधाम यानि दिव्य बृह्मपूर धाम कि पूरी ब्रह्म रूप वाणी उतरी है जों ईश्वर से परे योगमाया मंडल से परे अनादिअक्षरातित की वाणी है कबीर जी के तन में उनके सत स्वरूप आएं थे
@KamalsinghPateliya6 हा हा काल का जल ही है यह तेरे अक्षरतित इसका कही वेद में वर्णन नहीं
@ekBrahm-o5t कबीर जी ने कुछ संकेत के रूप में परमधाम की बात भी कही है और कबीर जी पंथी चिंतामणि जी परकाण्ड विद्वान थे वह भी निजानंद सम्प्रदाय में एक हजार शिष्यों सहित आए थे अगर आप भी कबीर जी की वाणी पर विश्वास है तो आप भी निजानंद सम्प्रदाय में सम्पूर्ण ज्ञान मन्थन करके जाग्रत हो सकतें हैं
Bahut badiya
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नर्क के बच्चे नर्क कहां है
Jay ho bandy jhod ki ❤
संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान वेदों से प्रमाणित है 💯👌👌👌👌
Sat saheb ji sant Rampal Ji Maharaj ji ki jai ho
Sant Rampal Ji Maharaj ji ka gyan sat hai
सत साहेब जि 🙏 बन्दी छोड् जगत गुरु रामपाल महाराज जि कि जय हो 🙏❤️
सूक्ष्मवेद पांचवा वेद है उसकी जानकारी जिनको भी परमात्मा मिल उन सब ने दी है
The Kabir is suprime God
अनिरुद्ध महाराज को पूर्ण रूप से जानकारी नहीं है हद पार बेहद है बेहद पर अक्सर अक्सर पर वतन है जागिए 🙏🏻 प्रणाम
संत रामपाल जी महाराज की सत्संग जरूर सुनिए और ज्ञान गंगा पुस्तक जरूर पढ़े
रामपाल के चक्कर में ना पड़ो और पांच वे वेद श्री कुलजम स्वरूप को पढ़कर श्री प्राणनाथ जी श्री विजयाभिनंद बुध्द निष्कलंक अवतार कि पहचान कर लो
सत साहेब जी अपने चश्मा का ग्लास चेंज कर लीजिए ग्रीन ग्लास लगा लीजिए जिससे आपकी आंख स्पष्ट रूप से दर्शन को दिखाईदे
सत साहेब जी
Sahab bahut achcha video hai Parmatma
अनिरुद्ध आचार्य जब राम पैदा नही हुए थे राजा दशरथ का राम कौन था?जब भगवान श्रीकृष्ण पैदा नही हुए थे बासुदेव का श्रीकृष्ण कौन था?सतयुग मे किस कौन राम थे?सृष्टि का निर्माण कैसे हुआ? आत्मा को अविनाशी क्यो कहा गया है?उत्तर दीजिए।
नौ मन सूत् उलझीआ, ऋषि रहे चक मार।
सतगुरु ऐसा सुलझा देगा, उलझे ना दूजी बार।।
जगतगुरू संत रामपाल जी महाराज जी ने ऐसा निर्मल ज्ञान समाज में बिखेर दिया है। अगर उसके बाद भी यह मूर्ख लोग में इन अज्ञानीओ के आगे नतमस्तक होते हैं, तो इनसे बड़ा कोई महामूर्ख नहींहै।
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💠परमात्मा शिशु रूप में प्रकट होकर लीला करता है। तब उनकी परवरिश कंवारी गायों के दूध से होती है।
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9
यह लीला कबीर परमेश्वर ही आकर करते हैं।
कबीर जी तो एक पंच भौतिक तन का नाम है परन्तु तुम नहीं जानते उनके तन में अक्षर की आत्मा मानि जाती है परमात्मा की सत्य बातें संकेत के रूप में बताईं है कबीर जी ने बैहल की बात पुरी बताई पर उसके परे की बात नहीं कबीर पंथी चिंतामणि जी परकाण्ड विद्वान थे वह भी पांच वा वेद श्री कुलजम स्वरूप कि वाणी सुनकर श्री प्राणनाथ जी के साथ एक हजार शिष्यों सहित जाग्रत होकर श्री प्राणनाथ जी के चरणों में समर्पित हों गये थें।
कबीर जी तो पंच भौतिक तन का नाम है उनके मां बाप और बच्चे भी थे पर उनके तन में विराजमान आत्मा थी जो अक्षर ब्रह्म तक का ज्ञान दें गये
Teen purush,jo Geeta ji me aaya hai,vah Deh,aatma aur parmatma ke bare me hai,
No bhai 😅😅
अक्षर पुरुष एक पेड़ है निरंजन वाकी डार
तीनों देवा शाखा हैं पात रूप संसार 😊
उस अक्षर से पार अनादि अक्षरातित है उसकि पहचान कर लो सारे भ्रम दूर हो जाएंगे @@VishalVerma-d9c
संत साहेब बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान जी की जय हो जय हो बन्दी छोड की
True Guru sant rampal ji maharaj hai
Sat guru dev ji ki jay ho
Uttam purush Akshratit shriji Sahib Ji ko janne ke liye spjin ko login Karen