राधास्वामी के प्रवर्तक श्री शिव दयाल जी भूत योनि को प्राप्त हुए। क्योंकि उनकी साधना शास्त्र विरुद्ध थी। पुस्तक - "जीवन चरित्र स्वामी जी महाराज" में प्रमाण हैं।
#Lord is Kabir ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17,18 में प्रमाण है कि कबीर साहेब शिशु रूप धारण करके लीला करते हुए बड़े होते हैं तथा कविताओं, लोकोक्तियों द्वारा तत्वज्ञान वर्णन क रने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करते हैं। वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर) ही है।
राधा स्वामी पंथ के प्रवर्तक शिवदयाल जी की जीवनी में लिखा है की शिवदयाल जी अपनी शिष्या बुक्की के शरीर में प्रवेश करके हुक्का पीते थे।जब गुरु की ही मुक्ति नहीं हुई तो दूसरों की कैसे होगी।राधास्वामी पंथ में 5 नाम देतेहैं,मोक्ष मन्त्र इनके पास नहीं हैं। इनका ज्ञान बिल्कुल शास्त्रविरुद्ध है।
#RealityOfRadhasoami श्री शिवदयाल सिंह जी ने 17 वर्ष तक कोठे अर्थात बंद स्थान पर बैठकर हठ योग किया इनकी किसी भी प्रमाणित संत की साधना से मेल खाती जिनको परमात्मा मिले जैसे.. नानक जी, दादू दास जी ,गरीबदास जी , धर्मदास जी
राधास्वामी पंथ काल भगवान का चलाया हुआ है जब यह पंथ काल भगवान ने चलाया है तो स्वभाविक है इनके नाम भी काल भगवान के ही हैं? प्रमाण के लिए तुलसीदास हाथरस वाले ने अपने पुस्तक घट रामायण में लिखा है के पांचों नाम काल के जानो,राधास्वामी पंथ के सभी धर्म गुरु अपने अनुयायियों को भरमित कर रहे हैं कि हम सतलोक की भक्ति कराते हैं जब इनको सतनाम का ही नहीं पता सतलोक में कैसे जाएंगे? इनका कहना है की सतलोक में आत्मा परमात्मा में ऐसे मिल जाती हैं जैसे बूंद समुंदर में अब समझदार आदमी खुद अंदाजा लगा सकता है डूब के मरना मुक्ति कहां हुई ?सतलोक की भक्ति सद्गुरु ही दे सकता है और सद्गुरु धरती पर एक समय में एक ही होता है इस समय बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज सद्गुरु है जो सतलोक की भक्ति बताते हैं तथा पूर्ण मोक्ष प्राप्त करने की विधि बताते हैं जिस भी भाई बहन को पूर्ण मोक्ष चाहिए उनसे प्रार्थना है कि वो बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेकर पूर्ण मोक्ष प्राप्त करें नकली धर्म गुरुओं के चक्कर में फंसकर अपना अनमोल जीवन बर्बाद ना करें ?अधिक जानकारी के लिए पढ़े पुस्तक "जीने की राह"
राधास्वामी के पर्वतक शिवदयाल जी ने जो भक्ति साधना विधी कि । उसके बावजूद वह भुत बने और अपनी शिष्या बुक्कि मे प्रवेश होकर हुक्का पिते थे । बुद्धिमान समाज जरा विचार करिए कि जिस साधना को आजिवन किया उसके बावजूद उनकी ये दशा हुई ।
श्री शिव दयाल सिंह जी ने 17 वर्ष तक कोठे में अर्थात् बन्द स्थान पर बैठ कर हठ योग किया। इनकी किसी भी प्रमाणित संत की साधना से मेल नहीं खाती जिनको परमात्मा मिले... जैसे- नानक जी, धर्मदास जी, दादू दास जी, गरीब दास जी आदि। साधना टी वी पर 7:30 अनमोल ज्ञान देखें।
आप भी जानिए 👇👇 राधा स्वामी पंथ के प्रवर्तक शिवदयाल जी की जीवनी में लिखा है की शिवदयाल जी अपनी शिष्या बुक्की के शरीर में प्रवेश करके हुक्का पीते थे।जब गुरु की ही मुक्ति नहीं हुई तो दूसरों की कैसे होगी।राधास्वामी पंथ में 5 नाम देतेहैं,मोक्ष मन्त्र इनके पास नहीं हैं। इनका ज्ञान बिल्कुल शास्त्रविरुद्ध है।
Shri Shiv Dayal Singh Ji did Hatha Yoga by sitting in a closet for 17 years. They do not match the practice of any certified saint who has got divine… like Nanak ji, Dharmadas ji, Dadu das ji, Garib das ji etc.
राधास्वामी पंथ शहर आगरा पन्नी गली निवासी श्री शिव दयाल सिंह जी से चला है। राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक श्री शिव दयाल जी का कोई गुरु जी नहीं था। प्रमाण :- पुस्तक ’’जीवन चरित्र स्वामी जी महाराज’’ पृष्ठ 28 🎡श्री शिव दयाल सिंह जी ने 17 वर्ष तक कोठे में कोठा अर्थात् बन्द स्थान पर बैठ कर हठ योग किया। जो किसी भी संत की साधना से मेल नहीं खाता। 🎡सन् 1856 में बाबा जयमल सिंह जी ने श्री शिवदयाल जी से उपदेश (नाम प्राप्त) किया। इससे सिद्ध यह हुआ कि जिस समय बाबा जयमल सिंह जी को श्री शिवदयाल सिंह जी (राधास्वामी) ने नाम दान किया। उस समय तक तो श्री शिवदयाल जी साधक थे। पूरे संत नहीं हुए थे, अधूरे थे। 🎡श्री जयमल सिंह जी सेना से निवत हुए सन् 1889 में अर्थात् श्री शिवदयाल सिंह जी (राधा स्वामी) की मत्यु के 11 वर्ष पश्चात् सेवा निवत होकर 1889 में ब्यास नदी के किनारे डेरे की स्थापना करके स्वयंभू संत बनकर नाम दान करने लगे। 🎡श्री शिवदयाल जी (राधास्वामी) के कोई गुरु नहीं थे। श्री जयमल सिंह जी (डेरा ब्यास) ने जिस समय दीक्षा प्राप्त की सन् 1856 में उस समय श्री शिवयाल सिंह जी साधक थे। श्री शिवदयाल जी संत 1861 में बने तब उन्होंने सत्संग प्रारम्भ किया था। 🎡श्री शाहमस्ताना जी का भी पुनर्जन्म हुआ है तो मोक्ष नहीं हुआ। यह कहें कि हंसों को तारने के लिए आए हैं। वह भी उचित नहीं। क्योंकि इनकी साधना शास्त्राविरूद्ध है। 🎡राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक बताते हैं कि परमात्मा निराकार है जबकि सारवचन वार्तिक पृष्ठ 8 वचन 12 में लिखा है कि आत्माएं सतलोक में सतपुरुष (परमात्मा) का दर्शन करती हैं तो फिर परमात्मा निराकार कैसे हुए। 🎡राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक बताते हैं कि परमात्मा निराकार है उसका प्रकाश देखा जा सकता है। पर वेदों में साफ़ साफ़ लिखा है कि परमात्मा साकार (नर आकार ) है। 🎡राधा स्वामी पंथ के प्रवर्तक शिवदयाल जी की जीवनी में लिखा है की शिवदयाल जी अपनी शिष्या बुक्की के शरीर में प्रवेश करके हुक्का पीते थे। मतलब साफ़ है वो प्रेत वश ऐसा करते थे उनकी मुक्ति नहीं हुई। जब गुरु की ही मुक्ति नहीं हुई तो शिष्यों की कैसे होगी। 🎡परमेश्वर कबीर जी की वाणी है कि - सोई गुरु पूरा कहावै, दोय अख्खर का भेद बतावै। लेकिन राधास्वामी पंथ में तो 5 नाम देते हैं। राधास्वामी पंथ का ज्ञान बिल्कुल शास्त्र विरुद्ध है। 🎡कबीर परमेश्वर कहते हैं- अमल आहारी आत्मा कबहु न उतरे पार। और शिवदयाल जी हुक्का पीते थे।
आप भी जानिए 👇👇 श्री जयमल सिंह जी सेना से रिटायर हुए सन् 1889 में अर्थात् श्री शिवदयाल सिंह जी (राधा स्वामी) की मत्यु के 11 वर्ष पश्चात् सेवा निव्रत होकर 1889 में ब्यास नदी के किनारे डेरे की स्थापना करके स्वयंभू संत बनकर नाम दान करने लगे।
राधास्वामी पंथ शहर आगरा पन्नी गली निवासी श्री शिव दयाल सिंह जी से चला है। राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक श्री शिव दयाल जी का कोई गुरु जी नहीं था। प्रमाण :- पुस्तक ’’जीवन चरित्र स्वामी जी महाराज’’ पृष्ठ 28
जीव हत्या करना महापाप होती है हमें कभी भी किसी भी बेजुबान जानवर को नहीं मारना चाहिए क्योंकि वह भी किसी का बेटा या बेटी है जैसे हमारे बच्चे होते हैं ठीक इसी प्रकार उन बेजुबान जानवरों के भी बच्चे होते हैं
Radhaswami Panth is from the city of Agra Panni Gali, Shri Shiva Dayal Singh. The originator of the Radhaswami Panth, Shiva Dayal Ji, had no guru. Evidence: - Book "Jeevan Charitra Swami Ji Maharaj" Page 28
श्री जयमल सिंह जी सेना से रिटायर हुए सन् 1889 में अर्थात् श्री शिवदयाल सिंह जी (राधा स्वामी) की मत्यु के 11 वर्ष पश्चात् सेवा निव्रत होकर 1889 में ब्यास नदी के किनारे डेरे की स्थापना करके स्वयंभू संत बनकर नाम दान करने लगे।
श्री शिवदयाल जी (राधास्वामी) के कोई गुरु नहीं थे। श्री जयमल सिंह जी (डेरा ब्यास) ने जिस समय दीक्षा प्राप्त की सन् 1856 में उस समय श्री शिवयाल सिंह जी साधक थे। शिवदयाल जी संत 1861 में बने तब उन्होंने सत्संग प्रारम्भ किया था।
कबीर, संत मिलन कूं चालिए, तज माया अभिमान। जो-जो कदम आगे रखे, वो ही यज्ञ समान।। कबीर, दर्शन साधु का, परमात्मा आवै याद। लेखे में वोहे घड़ी, बाकी के दिन बाद।। कबीर, दर्शन साधु का, मुख पर बसै सुहाग। दर्श उन्हीं को होत हैं, जिनके पूर्ण भाग।।
राधा स्वामी पंथ श्री शिवदयाल जी का चलाया हुआ नहीं है :- वचन आखिरी संख्या 14 में स्पष्ट है कि स्वामी जी महाराज ने कहा है कि मेरा मत तो सतनाम और अनामी का है। राधा स्वामी पंथ सालगराम जी का चलाया हुआ है। श्री शिवदयाल ने स्पष्ट संकेत किया है।
#RealityOfRadhasoami राधा स्वामी वाले जितने भी पंथ हैं वह काल का ही नाम देते हैं पांचों नाम काल के देते हैं तुल्सी साहेब हाथरस वाले ने लिखा है कि पांचों नाम काल जानो तब दानी मन संका अआनो यह पांचों नाम काल के देते इससे मोक्ष संभव नहीं अधिकजानकारी के ज्ञान गंगा पुस्तक पढ़े
Kbir saheb ji kahte hai kitab padne se aaj tak koi sant nhi bana ye sb pakhndi guru hote hai Jo kitab padhkr satsang krte hai or sunlo ye radhaswami Nam hai or tha or aage be rhega 👆
Kabir is Almighty god. पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब है हमारे सभी सब ग्रंथों में प्रमाण हैं पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब जीव को सुख और मोक्ष दे सकते हैं देखिए सत्संग 7:30 बजे साधना टीवी चैनल सभी प्रमाण सहित।
राधा स्वामी पंथ शास्त्र विरूद्ध साधना करवाते हैं । मोक्ष नहीं हो सकता? मोक्ष तो सिर्फ संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दिक्षा लेकर सत भक्ति से ही मोक्ष प्राप्त होगा।
What the hell is this Radha Soami is a fake and unauthorised pant he was not having any Guruji any give the lecture that without Guruji we can not get success for complete salvation and Mr Shiv Dayal who was the head of Radha Soami Panth he was not having any Guruji annually providing the dialogues to us for the hell is going
आप भी जानिए 👇👇 राधास्वामी पंथ शहर आगरा पन्नी गली निवासी श्री शिव दयाल सिंह जी से चला है। राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक श्री शिव दयाल जी का कोई गुरु जी नहीं था। प्रमाण :- पुस्तक ’’जीवन चरित्र स्वामी जी महाराज’’ पृष्ठ 28
बहुत सुंदर 👌
संत रामपाल जी महाराज जीने तत्वज्ञान का बहुत अच्छा विश्लेषण किया है राधास्वामी पंथ के अज्ञान का पर्दाफाश किया है
Satgurudev ji ki jai ho.
#RealityOfRadhasoami के कोई गुरू नहीं थे गुरू बिन वेद पढे जो प्राणी समझ न सार रहे आज्ञानी
Nice satsang
कबीर परमेश्वर कहते हैं :- अमल आहारी आत्मा कबहु न उतरे पार। और शिवदयाल जी हुक्का पीते थे।
🌹🌹👌🏻👌🏻जगतगुरु तत् वदर्शीसंत रामपाल जी महाराज की जय🌹🌹🌹👌🏻👌🏻
कबीर झुठे गुरू के आसरे कदे ना ऊधरे जीव साँचा पुरूष कबीर है आदि परम गुरू पीव
Sat saheb ji guru rampalji maharaja ki jai ho
🌹🌹👌🏻बहुत अच्छा सत्संग 👌🏻🌹🌹☀️🌹संत रामपाल जी महाराज की भक्ति से में मुख्य प्राप्त होता है☀️🌹🙏🏻💥
Very true
राधास्वामी के प्रवर्तक श्री शिव दयाल जी भूत योनि को प्राप्त हुए। क्योंकि उनकी साधना शास्त्र विरुद्ध थी। पुस्तक - "जीवन चरित्र स्वामी जी महाराज" में प्रमाण हैं।
नो मण सूत उलझीया ॠसी रहे झक मार सतगुरु ऐसा सुलझा दे उलझे ना दूजी बार
संत जी द्वारा प्रमाणित देखने से अच्छा लगा है राधास्वामी के बारे में ।
Very nice satsang and true
Guru guru me bhed hai guru guru me bhav ,soi guru saraahiye jo shabd lakhavai dav.
sat sahib sb nu
Sat saheb ji
#Lord is Kabir
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17,18 में प्रमाण है कि कबीर साहेब शिशु रूप धारण करके लीला करते हुए बड़े होते हैं तथा कविताओं, लोकोक्तियों द्वारा तत्वज्ञान वर्णन क
रने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करते हैं। वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर) ही है।
Good
True spiritual knowledge by jagatguru Rampal Ji Maharaj
Isase achha vishaleshan to koi kar bhi nahi sakta Jo samajhdaar bhagat hai vah to samajh jayega aur moorkh kabhi nahi sat saheb ji jaiho bandichhod ki
अद्भुत अद्वितीय ज्ञान ।
कबीर झुठे गुरू काल है गुरू का धर्या सरुप ले डुबे मझधार मै फिर जावे हाथ से छुट
Very nice
राधा स्वामी पंथ के प्रवर्तक शिवदयाल जी की जीवनी में लिखा है की शिवदयाल जी अपनी शिष्या बुक्की के शरीर में प्रवेश करके हुक्का पीते थे।जब गुरु की ही मुक्ति नहीं हुई तो दूसरों की कैसे होगी।राधास्वामी पंथ में 5 नाम देतेहैं,मोक्ष मन्त्र इनके पास नहीं हैं। इनका ज्ञान बिल्कुल शास्त्रविरुद्ध है।
#RealityOfRadhasoami
श्री शिवदयाल सिंह जी ने 17 वर्ष तक कोठे अर्थात बंद स्थान पर बैठकर हठ योग किया इनकी किसी भी प्रमाणित संत की साधना से मेल खाती जिनको परमात्मा मिले जैसे.. नानक जी, दादू दास जी ,गरीबदास जी , धर्मदास जी
Bandi chhod jagat guru Rampal Ji Maharaj ki Jai Hho Sat Saheb All of you to🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹❤
सत भक्ति शास्त्र अनुकूल साधना अवश्य देखिए
चिंता खा गई जगत को चिंता जग की पीड। जो चिंता को मेट दे उसका नाम कबीर ।।
राधास्वामी पंथ काल भगवान का चलाया हुआ है जब यह पंथ काल भगवान ने चलाया है तो स्वभाविक है इनके नाम भी काल भगवान के ही हैं? प्रमाण के लिए तुलसीदास हाथरस वाले ने अपने पुस्तक घट रामायण में लिखा है के पांचों नाम काल के जानो,राधास्वामी पंथ के सभी धर्म गुरु अपने अनुयायियों को भरमित कर रहे हैं कि हम सतलोक की भक्ति कराते हैं जब इनको सतनाम का ही नहीं पता सतलोक में कैसे जाएंगे? इनका कहना है की सतलोक में आत्मा परमात्मा में ऐसे मिल जाती हैं जैसे बूंद समुंदर में अब समझदार आदमी खुद अंदाजा लगा सकता है डूब के मरना मुक्ति कहां हुई ?सतलोक की भक्ति सद्गुरु ही दे सकता है और सद्गुरु धरती पर एक समय में एक ही होता है इस समय बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज सद्गुरु है जो सतलोक की भक्ति बताते हैं तथा पूर्ण मोक्ष प्राप्त करने की विधि बताते हैं जिस भी भाई बहन को पूर्ण मोक्ष चाहिए उनसे प्रार्थना है कि वो बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेकर पूर्ण मोक्ष प्राप्त करें नकली धर्म गुरुओं के चक्कर में फंसकर अपना अनमोल जीवन बर्बाद ना करें ?अधिक जानकारी के लिए पढ़े पुस्तक "जीने की राह"
Mukti panch shaba
D nal khera hodi ha
I sheva
Jhera gupt hai a
Une mukti deni hai
राधास्वामी के पर्वतक शिवदयाल जी ने जो भक्ति साधना विधी कि । उसके बावजूद वह भुत बने और अपनी शिष्या बुक्कि मे प्रवेश होकर हुक्का पिते थे । बुद्धिमान समाज जरा विचार करिए कि जिस साधना को आजिवन किया उसके बावजूद उनकी ये दशा हुई ।
श्री शिव दयाल सिंह जी ने 17 वर्ष तक कोठे में अर्थात् बन्द स्थान पर बैठ कर हठ योग किया। इनकी किसी भी प्रमाणित संत की साधना से मेल नहीं खाती जिनको परमात्मा मिले... जैसे- नानक जी, धर्मदास जी, दादू दास जी, गरीब दास जी आदि। साधना टी वी पर 7:30 अनमोल ज्ञान देखें।
आप भी जानिए
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राधा स्वामी पंथ के प्रवर्तक शिवदयाल जी की जीवनी में लिखा है की शिवदयाल जी अपनी शिष्या बुक्की के शरीर में प्रवेश करके हुक्का पीते थे।जब गुरु की ही मुक्ति नहीं हुई तो दूसरों की कैसे होगी।राधास्वामी पंथ में 5 नाम देतेहैं,मोक्ष मन्त्र इनके पास नहीं हैं। इनका ज्ञान बिल्कुल शास्त्रविरुद्ध है।
Shri Shiv Dayal Singh Ji did Hatha Yoga by sitting in a closet for 17 years. They do not match the practice of any certified saint who has got divine… like Nanak ji, Dharmadas ji, Dadu das ji, Garib das ji etc.
राधास्वामी पंथ शहर आगरा पन्नी गली निवासी श्री शिव दयाल सिंह जी से चला है। राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक श्री शिव दयाल जी का कोई गुरु जी नहीं था।
प्रमाण :- पुस्तक ’’जीवन चरित्र स्वामी जी महाराज’’ पृष्ठ 28
🎡श्री शिव दयाल सिंह जी ने 17 वर्ष तक कोठे में कोठा अर्थात् बन्द स्थान पर बैठ कर हठ योग किया। जो किसी भी संत की साधना से मेल नहीं खाता।
🎡सन् 1856 में बाबा जयमल सिंह जी ने श्री शिवदयाल जी से उपदेश (नाम प्राप्त) किया। इससे सिद्ध यह हुआ कि जिस समय बाबा जयमल सिंह जी को श्री शिवदयाल सिंह जी (राधास्वामी) ने नाम दान किया। उस समय तक तो श्री शिवदयाल जी साधक थे। पूरे संत नहीं हुए थे, अधूरे थे।
🎡श्री जयमल सिंह जी सेना से निवत हुए सन् 1889 में अर्थात् श्री शिवदयाल सिंह जी (राधा स्वामी) की मत्यु के 11 वर्ष पश्चात् सेवा निवत होकर 1889 में ब्यास नदी के किनारे डेरे की स्थापना करके स्वयंभू संत बनकर नाम दान करने लगे।
🎡श्री शिवदयाल जी (राधास्वामी) के कोई गुरु नहीं थे। श्री जयमल सिंह जी (डेरा ब्यास) ने जिस समय दीक्षा प्राप्त की सन् 1856 में उस समय श्री शिवयाल सिंह जी साधक थे। श्री
शिवदयाल जी संत 1861 में बने तब उन्होंने सत्संग प्रारम्भ किया था।
🎡श्री शाहमस्ताना जी का भी पुनर्जन्म हुआ है तो मोक्ष नहीं
हुआ। यह कहें कि हंसों को तारने के लिए आए हैं। वह भी उचित नहीं। क्योंकि इनकी साधना शास्त्राविरूद्ध है।
🎡राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक बताते हैं कि परमात्मा निराकार है जबकि सारवचन वार्तिक पृष्ठ 8 वचन 12 में लिखा है कि आत्माएं सतलोक में सतपुरुष (परमात्मा) का दर्शन करती हैं तो फिर परमात्मा निराकार कैसे हुए।
🎡राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक बताते हैं कि परमात्मा निराकार है उसका प्रकाश देखा जा सकता है।
पर वेदों में साफ़ साफ़ लिखा है कि परमात्मा साकार (नर आकार ) है।
🎡राधा स्वामी पंथ के प्रवर्तक शिवदयाल जी की जीवनी में लिखा है की शिवदयाल जी अपनी शिष्या बुक्की के शरीर में प्रवेश करके हुक्का पीते थे।
मतलब साफ़ है वो प्रेत वश ऐसा करते थे उनकी मुक्ति नहीं हुई।
जब गुरु की ही मुक्ति नहीं हुई तो शिष्यों की कैसे होगी।
🎡परमेश्वर कबीर जी की वाणी है कि -
सोई गुरु पूरा कहावै, दोय अख्खर का भेद बतावै।
लेकिन राधास्वामी पंथ में तो 5 नाम देते हैं।
राधास्वामी पंथ का ज्ञान बिल्कुल शास्त्र विरुद्ध है।
🎡कबीर परमेश्वर कहते हैं-
अमल आहारी आत्मा कबहु न उतरे पार।
और शिवदयाल जी हुक्का पीते थे।
आप भी जानिए
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श्री जयमल सिंह जी सेना से रिटायर हुए सन् 1889 में अर्थात् श्री शिवदयाल सिंह जी (राधा स्वामी) की मत्यु के 11 वर्ष पश्चात् सेवा निव्रत होकर 1889 में ब्यास नदी के किनारे डेरे की स्थापना करके स्वयंभू संत बनकर नाम दान करने लगे।
राधास्वामी पंथ शहर आगरा पन्नी गली निवासी श्री शिव दयाल सिंह जी से चला है। राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक श्री शिव दयाल जी का कोई गुरु जी नहीं था।
प्रमाण :- पुस्तक ’’जीवन चरित्र स्वामी जी महाराज’’ पृष्ठ 28
Shiv Dayal was not having any Guruji so this is fake. Without Guruji we can't get complete salvation and without Guruji we can't get supreme God
जीव हत्या करना महापाप होती है
हमें कभी भी किसी भी बेजुबान जानवर को नहीं मारना चाहिए क्योंकि वह भी किसी का बेटा या बेटी है
जैसे हमारे बच्चे होते हैं ठीक इसी प्रकार उन बेजुबान जानवरों के भी बच्चे होते हैं
Radhaswami satsng moksh nhi krva skta.....sirf parmatma satguru Rampal ji Maharaj ki bhagtii hi .....purn mhuktiii ho skte hai....kirpa apna manush jeevn vryth naa kre ... satsaheb
Really videos
सत साहेब
बोलो सतगुरु देव की जय
शिवदयाल जी का कोई गुरु भी नहीं था
वेदो से शास्त्रों से अनुकूल भक्ति बताते हैं संत रामपाल जी महाराज अवश्य जानने के लिए 7:30 से 8:30 साधना चैनल रात्रि देखिए
Radhaswami Panth is from the city of Agra Panni Gali, Shri Shiva Dayal Singh. The originator of the Radhaswami Panth, Shiva Dayal Ji, had no guru.
Evidence: - Book "Jeevan Charitra Swami Ji Maharaj" Page 28
राधास्वामी पंथ की साधना शास्त्रविरुद्ध है।
श्री जयमल सिंह जी सेना से रिटायर हुए सन् 1889 में अर्थात् श्री शिवदयाल सिंह जी (राधा स्वामी) की मत्यु के 11 वर्ष पश्चात् सेवा निव्रत होकर 1889 में ब्यास नदी के किनारे डेरे की स्थापना करके स्वयंभू संत बनकर नाम दान करने लगे।
Shiv dayal had not any Guru & without Guru moksha is not possible
Radha swami ka panth se koi labh nhi h kyoki ye hmare shashtron ke viruddh h
जन्म मरण के चक्र से छूटने के लिए सतभक्ति ज़रूरी है।
सच्ची भक्ति अपनाएं, मोक्ष कराएं।
Bhjan Karo us rab ka Jo Malik h hm sabka Kabir Saheb ji
राधास्वामी के पास सद भक्ति नहीं है
राधास्वामी पंथ काल प्रेरित पंथ है जो नरक मे जीवो को डालने का काम कर रहें हैं!
राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक शराब पीते थे क्या वे पार होंगे?
कबीर परमेश्वर कहते हैं-
अमल आहारी आत्मा कबहु न उतरे पार।
और शिवदयाल जी हुक्का पीते थे।
श्री शिवदयाल जी (राधास्वामी) के कोई गुरु नहीं थे। श्री जयमल सिंह जी (डेरा ब्यास) ने जिस समय दीक्षा प्राप्त की सन् 1856 में उस समय श्री शिवयाल सिंह जी साधक थे। शिवदयाल जी संत 1861 में बने तब उन्होंने सत्संग प्रारम्भ किया था।
कबीर, संत मिलन कूं चालिए, तज माया अभिमान। जो-जो कदम आगे रखे, वो ही यज्ञ समान।।
कबीर, दर्शन साधु का, परमात्मा आवै याद।
लेखे में वोहे घड़ी, बाकी के दिन बाद।।
कबीर, दर्शन साधु का, मुख पर बसै सुहाग।
दर्श उन्हीं को होत हैं, जिनके पूर्ण भाग।।
दूसरे की बुराई krne वाला ghatia इंसान होता है गुरु nhi
राधा स्वामी पंथ श्री शिवदयाल जी का चलाया हुआ नहीं है :-
वचन आखिरी संख्या 14 में स्पष्ट है कि स्वामी जी महाराज ने कहा है कि मेरा मत तो सतनाम और अनामी का है। राधा स्वामी पंथ सालगराम जी का चलाया हुआ है। श्री शिवदयाल ने स्पष्ट संकेत किया है।
#RealityOfRadhasoami
राधा स्वामी वाले जितने भी पंथ हैं वह काल का ही नाम देते हैं पांचों नाम काल के देते हैं तुल्सी साहेब हाथरस वाले ने लिखा है कि पांचों नाम काल जानो तब दानी मन संका अआनो यह पांचों नाम काल के देते इससे मोक्ष संभव नहीं अधिकजानकारी के ज्ञान गंगा पुस्तक पढ़े
संत रामपाल जी महाराज जी शास्त्रानुसार ही बताते
Nice satsang ❤❤❤❤❤❤
Kbir saheb ji kahte hai kitab padne se aaj tak koi sant nhi bana ye sb pakhndi guru hote hai Jo kitab padhkr satsang krte hai or sunlo ye radhaswami Nam hai or tha or aage be rhega 👆
Radhaswami wale ka gyan lokved h
Kabir is Almighty god. पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब है हमारे सभी सब ग्रंथों में प्रमाण हैं पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब जीव को सुख और मोक्ष दे सकते हैं देखिए सत्संग 7:30 बजे साधना टीवी चैनल सभी प्रमाण सहित।
Kabir is supreme god
Sant sahib ji--- jitna time apne rs ki nida karne mein waste kia hai utna time app rs se Naam leker bhakti karte to app sachkhand pahunch jate.
राधा स्वामी पंथ शास्त्र विरूद्ध साधना करवाते हैं । मोक्ष नहीं हो सकता? मोक्ष तो सिर्फ संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दिक्षा लेकर सत भक्ति से ही मोक्ष प्राप्त होगा।
सत्संग उसको जानिए जीठहे एको नाम बखानिए ,किसी की निंदा करना सत्संग से लाखो कोस दूर है
Rampal ji mere bhagwan h
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज कि जय हो।
Kabir is god
What the hell is this Radha Soami is a fake and unauthorised pant he was not having any Guruji any give the lecture that without Guruji we can not get success for complete salvation and Mr Shiv Dayal who was the head of Radha Soami Panth he was not having any Guruji annually providing the dialogues to us for the hell is going
Hey malik
आप भी जानिए
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राधास्वामी पंथ शहर आगरा पन्नी गली निवासी श्री शिव दयाल सिंह जी से चला है। राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक श्री शिव दयाल जी का कोई गुरु जी नहीं था।
प्रमाण :- पुस्तक ’’जीवन चरित्र स्वामी जी महाराज’’ पृष्ठ 28
Kabir is supream god
एक लुटेरा दूसरे लुटेरे को चोर कर रहा है 😅
Jai bandichod
sat saheb ji
Very nice