अध्यात्म का सरल अर्थ होता है कि जब मन ,बुद्धि ,अहंकार तीनों में एकात्मकता का ऐसा भाव हो कि इस शरीर के साथ जो हो रहा है, वो भगवान ही इसको अपने लिए प्रयोग में ले रहे हैं। बस फिर न अंदर जाने की जरूरत है और न बाहर। फिर आपको शरीर की कोई फिक्र नहीं होगी। शरीर की फ़िक्र सिर्फ उसे होगी जिसने इस शरीर को खुद का समझ कर खुद के लिए प्रयोग में लेने की लालसा पाल रखी हो। अंदर और बाहर जाने की दोनों बातें बहुत ही उथली बातें हैं।🙌
Sir ap jub muskurata hai assa lgta hai apna itna deep soul ko feel krka ap na parmatma ko siv ko prapat kar liya or vo parmtatv apka bhitar sa hasta hai satya ko baar baar samjhata hua feel karka muskurata hai
आदरणीय गुरुजी सादर नमन 🙏। आप कठिन से कठिन विषयों की भी अत्यंत सरल भाषा में हमें समझा देते हैं।आपका कोटि-कोटि धन्यवाद। मेरी भी एक शंका का समाधान करें। 1- चेतना शरीर में प्रकट होती है या उत्पन्न होती है ? 2-चेतना भौतिक है अथवा अभौतिक ? 3-क्या चेतना ही जीवात्मा है ? धन्यवाद सहित। आपका ब्रह्म सिंह रोहिणी,दिल्ली
Sir ji... Dhanyawad dil se..am searching so much time before about rebirth reality .your views are so clear ..am satisfied with your efforts. Thanks and Regards.
Bahot bahot Sundar. Chaitanyaji aap jis gatise bolte hai vohi achcha lagata hai aur hame aap jo kah rahe hai us bareme sochneke liye time bhi milta hai aur sab samaz me aata hai. Aapko Dhanyawad .Koti koti pranam.
चैतन्य तो प्रकृति है। "वो" तो जड़ चेतन से परे है?" वो" सर्वव्यापक है। जिसे गीतजी में वासुदेव कहा है। शरीर के अंदर भी और बाहर भी वही है। वह सर्वव्यापक,अच्युत ,अनंत अस्नाविर है। इसलिए हम सब ही नही यह संपूर्ण दृश्य अदृश्य उसके अंदर ही है।
Spritiual life is all about to know ownself & help others to know their trueself...Moving towords सुक्ष्मता & चैतन्य..received. Many answers in singal video, with stability & clamness..😌🙏धन्यवाद🕉️
Sir बहुत बहुत धन्यवाद आपका। आज एक बात स्पष्ट हो गई कि इस खेल को समझना सबसे महत्वपूर्ण है। इच्छा रहित होने के लिए क्या उपाय है sir। मैं मन से इच्छारहित नही। हो पा रहा, वचन से तो प्रयास करता हु पर ये मन है कि काबू में ही नही आता।
(१)ब्रह्म को क्यों ऐसे जगत के रचने की इच्छा होती हैं, जिसमे दुःख ही दुःख हैं और फिर स्वयं ही उस से मुक्ति पाने के लिए श्रुति स्मृति द्वारा उपदेश दिलवाता हैं (२) यदि यह कहा जाये की जगत और उसके अंतर्गत सुख दुःख सब मिथ्या और भ्रम रुप ही हैं, केवल एक ज्ञान स्वरुप ब्रह्म ही सत्य हैं तो ब्रह्म ने इस भ्रम को क्यों फैलाया और निर्भ्रांत ब्रह्म में भ्रम कैसा? (३) अविद्या से ब्रह्म जगत की रचना करता हैं और अविद्या ब्रह्म से अभिन्न हैं फिर अविद्या और जगत से छुटकारा कैसे संभव हो सकता हैं? (४) ब्रह्म की शक्ति रुप अविद्या से जगत की उत्पत्ति हैं, इसलिए विद्या अर्थात ज्ञान द्वारा ही इससे मुक्ति हो सकती हैं, किन्तु अविद्या के अंतर्गत होने के कारण सारे साधन श्रुति और स्मृति भी अविद्या रुप ही होंगे विद्या और ज्ञान ब्रह्म से बाहर कहाँ से लाया जा सकता हैं (५) सर्वज्ञ ज्ञानस्वरुप ब्रह्म की शक्ति माया अर्थात अविद्या नहीं होनी चाहिए प्रत्युत निर्भ्रांत विद्या और सत्य ज्ञान होना चाहिए (६) और यदि उसमे संसार के रचने की इच्छा भी हो तो वह निर्भ्रांत विद्या और सत्य ज्ञान के साथ हो न की माया और अविद्या के साथ (७) मदारी पैसा कमाने अथवा अपने से बड़े आदमियों को खुश करने के प्रयोजन से शोबदे और तमाशे दिखलाता है आप्तकाम ब्रह्म को इस मायाजाल के फैलाने में प्रयोजन क्या है? (८) यदि अपनी महिमा और प्रभुता दिखलाने लिए, तो यह किसको दिखलाना? जब की एक ब्रह्म के सिवा दूसरा कोई है ही नहीं (९) यदि अपनी प्रभुता और महिमा दिखलाने के लिए जीवों को उत्पन्न करता है तो इस प्रकार की महिमा और प्रभुता दिखलाने की अभिलाषा होना ही महिमा और प्रभुता के अभाव को सिद्ध करता है (१०) यदि बिना किसी अपने विशेष प्रयोजन के ब्रह्म द्वारा संसार की रचना केवल जीवों के कल्याण अर्थात भोग और अपवर्ग के लिए स्वाभाविक मानी जाये तो यह सांख्य और योगका ही सिद्धांत आगया
I have listened to many spiritual gurus like Osho, Sadguru, Mooji. and now you. and this is endlless list. Few months, I think this is the best i reached at my destination. why its happening though I know these all are external medium to reach our innerself and teachings are same but ultimately we have to work on inner journey but thats not happening. I feel relaxed listening your lectures but i feel something is missing which i have not found yet
Prnam guruji, apne jo kha ki chetna ke bhiter srir h,ye anubhav hua to kah nahi sakta bas swas, vichar sab relax. Sabd nahi bhav likh nahi sakta. Koti Koti prnam.
प्रणाम स्वामीजी , मेरेअध्यात्ममिक यात्रा में, मै मन की ईसी स्थिर अवस्था से में निचे आ चुकी हू ऐसा 3.4 बार हुआ, मुझे समझ नहीं आ रहा की ऐसा क्यों हो रहा है 🙏
नेपालसे हुँ , प्रणाम ! मनकि सन्तुलन बनाई रख्नेके लिए कभि कभि अाँख बन्दकर बैठताथा,लम्बि सांस लेताथा छाेड्ताथा , साेहि क्रममे एकदिन कम्पनसा हुअा , बहुत अानन्दसा महशुस हाे रहि थि मगर उठ नहि पाया , निरन्तर कम्पन हाे रहि थि, समझ नहि अाया भगवानकाे पुकार्ने लगा मै पुर्बवत अवस्था मे जाउँ , केहिक्षणवाद कम्पन बन्द हुअा,मैने उसकाे परमात्माके कृपा ठान्ली, बहुत अानन्द हुई ये क्या था मुझे पता नहिं थि,1 ,2 दिन वाद अनियन्त्रित सांस चल्ने लगि, लम्बा सांस बाहर जाता था ,भितर अाता था ए अनुभव हाेने लगा ।। अकस्मात् अाप से अाप अासन लग्ते थे , मै चाैकागया था ए क्या हुअा है ? इसि क्रममे 1दिन एक अनाैखि घट्ना हुई मै घरकि छतपर बैठा हुअा था जेष्ठ कि महिना थि, अन्दाजी 9 बजेकि समय रहि हाेगि , सुरजकि गर्मि बढ्नेवाली थि , मेरा शरिर अापसे अाप तन्का दृष्टि सुरज कि अाैर पढि, सुरजकि किरण कि मानव अाकृति साम्ने उपस्थित हुअा मै देख्ता गया,मानव अाकृति गाेल गाेल बनकर मेरि अाँखाेमे समागया , समझमे नहि अा रहा था उसकि वाद सुरजकि ताप कि अनुभव बेहद राेचक लग्ने लगि, जेष्ठ कि धुपमे भि सुरजकि धुप मार्ग महिने कि जैसि अनुभव हाेति थि, कभि रात मे ताे कभि दिनमे शरिरके बिभिन्न अंगाे मे भाइब्रेशन हाेता था , अाँख, मुँ, कान ,नाक ,शिर गुप्तांग,घाँटी अादि, शुभ हाेते हि शरिरकि भाग अापसे अाप तनक जाति है, समझ नहि अाने कि कारण अापकाे बता रहा हँु , मार्ग दर्शन करें , मै 48 साल के हुँ , अन्य शारीरिक अवस्था डाक्टर के मुताविक ठिक है ।
Hamare samne koi rota h shok me h apne ko khone ka use dar rahta ho us vakt hame pata h ki khel hame uspar karuna ati h lagta h ki ise sab bata du par fir lagta h ki isme deh bhav h or ahankar bhi ye samajh nhi sakega sunne ko taiyar n hoga aise me kya kar sakte h ham us vakt kya ham bhi shamil ho jaye usi me ya fir use samjhane ka prayas kare 🙏is sansar me mrutyu kisi ki pahle to kisi ko 80 varsh me sabki alag alag hoti rahti h ye mrutyu ka kya samay nirdharit hota h kya ki kab kis ko yaha se jana h kripaya mrutyu ke bare me bataye Nachiketa ne yam se jo prashn kiye the usko bhi clear kare 🙏 kis prakar act Karu bas yahi sochta hu Jab ham sab jante h lekin bata nhi sakte majbur hone ka aisas hota h ki batau gi to bhi n samjh payega
पूज्यनीय अपने भीतर की यात्रा को दिशा व गति बिना गुरू के कैसेमिलेगी --? ये बात तो समझ आती है कि प्रयत्न मुक्त होने पर ही साधना में गति आ सकती है --परन्तु मैने यह भी सुना है कि प्रयत्न मुक्त तो गुरु ही कर सकते हैं "किसी मेहरबां की नजर ढूंढते हैं"
Bhaj Govindam Bhaj Govindam In me, in you and in everything, none but the same Vishnu dwells. Your anger and impatience is meaningless. If you wish to attain the status of Vishnu soon, have samabhava always. Stanza attributed to medhaatithira. Do not waste your efforts to win the love of or to fight against friend and foe, children and relatives. See yourself in everyone and give up all feelings of duality completely. Stanza attributed to medhaatithira. Regularly recite from the Gita, meditate on Vishnu [thro' Vishnu sahasranama] in your heart, and chant His thousand glories. Take delight to be with the noble and the holy. Distribute your wealth in charity to the poor and the needy. Stanza attributed to sumatira. Chant Govindam, worship Govinda, worship Govinda, Oh fool ! Other than chanting the Lord's names, there is no other way to cross the life's ocean. Hari OM JAI SHREE RAM 🙏
Chaitanya yogeshji namaskar Sanjay Mehta Mene do bar 10 days ka vipasana shivir Kiya he.Par mere ko breath ko watch karna shikhna he.Mene mind ko alag alag jagah or focus karta Aya hu.Kabhi pura nose ka triangular area kabhi nak ka Agra bhag kabhi nak and uparwala hoth to kabhi uparwala hoth par kabhi chin se leke nak ka antim chor me Ek jagah pe focus nahi Kar pata hu kyunki mera face upar niche hota rahta he mere ko doubt he ke me swas ko dekhne ke bajay effort Kar raha hu .To please guide kare pahle ke mind ko Kaha focus karna he ? Bina prayatna kaise matra observe karna he For e g me Ek Bindu par focus karta he to swas as raha he ja raha he malum padta he same technique me nak par focus karta hu Swas aa raha he ja raha he par esime mere ko doubt lagata he effort Kar raha hu. Dustin bat nabhi par hath rakh ke or Bina hath rakh ke upar niche movement hota he sath me swas nak me aa raha he bahar ka raha he ye technique bhi karta hu To ye dono technique me swas ko observe Kar raha hu ke effort laga raha hu please clarify kare guide kare sanjaymehta921@gmail.com
The Chaitanya questions to itself and gets replied by itself! Got it Sir.. Pranaam! But Sir, it seems that the building block of our so called existence is IGNORANCE... If it's true; why can't we find the root cause of the Leela (circle of birth and death) instead of just enjoying it?!
Sir pranam Sir vibhinn lokon ke bare mein bataiye Pret lok Pishach lok Gandharv lok Vishnu lok Brahmloke Baikunth lok Anami lok Satnami lok Etc etc Ye sab kya hote hain, kahan hain, kaise hain??? Please reply
If a person does not able to realise the real self in his life , it is the ignorance or a wrong understanding but then only the reality that he is the consciousness will remain same. If there is non duality ,so how can the rebirth of the individual is possible even if he does not self realised . Please answer sir .Thank you
Everything is based on your understanding of your world because you are the center of your world and your world can't exist without you. Just like when you are in a dream state of mind, the dream can't happen without you
It's not your rebirth, it's chaitanya's rebirth, he is experiencing everything, you are the chaitanya but you experience yourself some other entity because of ahankar, that's why you feel hapiness and sorrow for your karma.
@@yashantrathoreBut chaitanya cannot be recreated. It is present everywhere already. Can we say it is the prakrati which changes itself one form to another..but then only it is a change not the rebirth.
@@mahimasahu8303 it is said that the rebirth take place because of your vasna of this samsara, because you want to live in this world of birth and death that's why your 5 senses your intellect and your mind, which is recognised mistakenly as yourself by you, makes you born again and again in this world, until you realise yourself as the atama, your true self, your rebirth happens because you are engaged with this bodily functions, and relationships, you can't recognise yourself correctly, you think that this body is you, because you are not fully aware of your true nature, it is like you are dreaming with your open eyes, from eternity, once you experience your true nature by meditating than you notice that everything which is bothering you is just an illusion and you understand how meaning less your life is before experience this, like clouds all thoughts and all the beliefs trapped you in between them, it is better to be said that you trapped yourself by recognise them as yourself, but when experience the truth atleast a glimpse of that than you see that like smoke spreads all around the fire, and fire seems to be disappeared but when you blow this smoke away by your consciousness you will experience this fire again, but you can't see it, don't try to see anything, because this fire is you, you can't see yourself and there is no mirror available in this universe which can reflect your image to you, but you experience the bliss which comes when you meditate and get aware about your self and everything else in your mind and body, and don't recognise yourself with them and all your thoughts and emotions will disappear and you will experience the eternal peace, and liberty from every worldly bondages, but it takes a lot of patience and understanding of every obstacles, and the true way to achieve that, a real understanding is really matters but i can't tell that here in words, you need a good understanding of spirituality, i give you a tip which helps you to understand this without any specific guru like i understand - never stick to a person as guru or take anyone's words as the eternal truth, you just listen and try to understand, and experience but become your own mentor don't let anyone lock your intellect and your understanding, "sachcha guru wahi h jo aapko aazad kare har tarah se, bandhan na de aapko, aur na aapki progress m badha bane kyoki aasman m udne se pehle zameen p girna aur uthna padta h khud apni takat se, fir hi koi udd pata h, isliye kisi ko bhi apni takat na banaye aapki takat aap khud h bss sune sabki aur fesla kare ki kya sahi hai aur kya galat, mann uljhe to kisi se puchh le, m bhi jawab de dunga jb aapko puchhne ki zarurat pade", all the best for your journey to the truth, i said journey because it's like a journey to gather all the knowledge, understand the spiritual path and apply it to yourself and then get enlightenment, but all these words are just metaphors, they can't describe the truth, you have to experience the truth, hope I able to make you understand what I mean 🙏🙏🙏
Ap Atma apne sarir ke vitar mastak ke bich jise vrukuti kahate hain ohna baithe hai. Apka sair Atma ke vitar nhi hai. Sarir panch tattoo se bani hai jo ki bi na si hai. Parantu AP Atma anadi abinasi swatantrata chaityna satta hai. Ap Atma actor hai, act kare ne ke liye sarir ma ki garva se dharan kar bahar ate hain tab ap Atma ka khel suru hota hai.
🙏 मैंने अध्यात्म पर लाखों वीडियो देखे परंतु आपके जैसा नहीं। इसी प्रकार के वीडियो की मुझे कई वर्षो से तलाश थी 🙏
🙏 चैतन्य जी 🙏 आप मेरे गुरुदेव जैसे ही बताते है
अध्यात्म का सरल अर्थ होता है कि जब मन ,बुद्धि ,अहंकार तीनों में एकात्मकता का ऐसा भाव हो कि इस शरीर के साथ जो हो रहा है, वो भगवान ही इसको अपने लिए प्रयोग में ले रहे हैं। बस फिर न अंदर जाने की जरूरत है और न बाहर। फिर आपको शरीर की कोई फिक्र नहीं होगी। शरीर की फ़िक्र सिर्फ उसे होगी जिसने इस शरीर को खुद का समझ कर खुद के लिए प्रयोग में लेने की लालसा पाल रखी हो। अंदर और बाहर जाने की दोनों बातें बहुत ही उथली बातें हैं।🙌
बहुत सुंदर बताया मेरे गुरुदेव जैसे चैतन्य को धन्यवाद 🙏🙏
Aap dhime bolte hai toh acche se samj aata hai pyaar se samja te hai aap ko pyaar bhara namaskaar....❤🙏🙏
Guru ji apko first time suna bad accha laga aur m अद्वैत को करीब से शायद जान पाया धन्यवाद गुरूजी आपकी अच्छी पहल है सवालो के जबावा देना
Om Namah Shivay prabhu 🌸
Beyond s words, deep gratitude &Naman Sir🙏🙏
Sat Sat naman guru ji🙏🙏💐💐
Sir ap jub muskurata hai assa lgta hai apna itna deep soul ko feel krka ap na parmatma ko siv ko prapat kar liya or vo parmtatv apka bhitar sa hasta hai satya ko baar baar samjhata hua feel karka muskurata hai
Parnam ji🙏❤ आप बहुत अच्छा समझाते हैं thanks🌹 ji🙏🙏
Om namah Shivay Om Chaitanya namah thanks and gratitude for nice verification
Stupendous
Thank you so much
Dhannabad guruji....🙏
Nmskar guruji 🙏🙏🙏aap bhut hi srel v clear smjata hey jb sey u tube pr aapke vidioj sunna lgi daily 2 or 3 vidioj daily sunti hi mn ki aavaj khti bhut sunder aap explanation krte hey kya dhyan mey betney ka vidioj apload hey guruji 🙏🙏🙏🙏🙏
आदरणीय गुरुजी सादर नमन 🙏। आप कठिन से कठिन विषयों की भी अत्यंत सरल भाषा में हमें समझा देते हैं।आपका कोटि-कोटि धन्यवाद। मेरी भी एक शंका का समाधान करें।
1- चेतना शरीर में प्रकट होती है या उत्पन्न होती है ?
2-चेतना भौतिक है अथवा अभौतिक ?
3-क्या चेतना ही जीवात्मा है ? धन्यवाद सहित।
आपका
ब्रह्म सिंह
रोहिणी,दिल्ली
बहुत प्यार बहुत आभार
Vavv guruji jordar speech....vo gyan muze bhi mile ...
Sir ji... Dhanyawad dil se..am searching so much time before about rebirth reality
.your views are so clear ..am satisfied with your efforts. Thanks and Regards.
Aum Chaitanya Namah
🕉🙏🕉
Bahot bahot Sundar. Chaitanyaji aap jis gatise bolte hai vohi achcha lagata hai aur hame aap jo kah rahe hai us bareme sochneke liye time bhi milta hai aur sab samaz me aata hai. Aapko Dhanyawad .Koti koti pranam.
Aapko bahut bahut thank you aapko aap Kahana aap Ya Main jo aap so Mein Vastav mein agar Yahi Hai To Main Apne aapko hi thanks Saccha hai
10:10 बहुत अच्छा प्रश्न है
Aapke dheeme bolne ki wajah se hum meditative state mein chale jate.🙏🙏
चैतन्य तो प्रकृति है। "वो" तो जड़ चेतन से परे है?" वो" सर्वव्यापक है। जिसे गीतजी में वासुदेव कहा है। शरीर के अंदर भी और बाहर भी वही है। वह सर्वव्यापक,अच्युत ,अनंत अस्नाविर है।
इसलिए हम सब ही नही यह संपूर्ण दृश्य अदृश्य उसके अंदर ही है।
Pranam Chaitanya ji
Spritiual life is all about to know ownself & help others to know their trueself...Moving towords सुक्ष्मता & चैतन्य..received. Many answers in singal video, with stability & clamness..😌🙏धन्यवाद🕉️
Yes true....we are addicted to speed...so we need to slow down.
ॐ
Jay guru dev
Sir बहुत बहुत धन्यवाद आपका। आज एक बात स्पष्ट हो गई कि इस खेल को समझना सबसे महत्वपूर्ण है। इच्छा रहित होने के लिए क्या उपाय है sir। मैं मन से इच्छारहित नही। हो पा रहा, वचन से तो प्रयास करता हु पर ये मन है कि काबू में ही नही आता।
Neeraj mujhe vi same hota hai.
Great
Aap dhire Bolate Ho tabhi Ek Ek word samjane aata hai. Aur Aap bichme hasate Ho tabhi apaneaap hamare chehare Par muskan Aati hai,
Thank you sir.
Om namah shivay
Sir apne adwait ka gyan dekar kritarth kar diya thank you sir 🙏💐🌺🌸🌸
प्रणाम गुरुवार💐
Thanks
Very good
Nice video sir ....
Aap bahut hi pyare bolte h sir.. aapki aawaj bahut bahut bahut hi pyari h... Or aapka samjhane ka tareeka to fantastic k... Thank you so much sir
Ma aapki saht judahna chati hu ji
(१)ब्रह्म को क्यों ऐसे जगत के रचने की इच्छा होती हैं, जिसमे दुःख ही दुःख हैं और फिर स्वयं ही उस से मुक्ति पाने के लिए श्रुति स्मृति द्वारा उपदेश दिलवाता हैं
(२) यदि यह कहा जाये की जगत और उसके अंतर्गत सुख दुःख सब मिथ्या और भ्रम रुप ही हैं, केवल एक ज्ञान स्वरुप ब्रह्म ही सत्य हैं तो ब्रह्म ने इस भ्रम को क्यों फैलाया और निर्भ्रांत ब्रह्म में भ्रम कैसा?
(३) अविद्या से ब्रह्म जगत की रचना करता हैं और अविद्या ब्रह्म से अभिन्न हैं फिर अविद्या और जगत से छुटकारा कैसे संभव हो सकता हैं?
(४) ब्रह्म की शक्ति रुप अविद्या से जगत की उत्पत्ति हैं, इसलिए विद्या अर्थात ज्ञान द्वारा ही इससे मुक्ति हो सकती हैं, किन्तु अविद्या के अंतर्गत होने के कारण सारे साधन श्रुति और स्मृति भी अविद्या रुप ही होंगे विद्या और ज्ञान ब्रह्म से बाहर कहाँ से लाया जा सकता हैं
(५) सर्वज्ञ ज्ञानस्वरुप ब्रह्म की शक्ति माया अर्थात अविद्या नहीं होनी चाहिए
प्रत्युत निर्भ्रांत विद्या और सत्य ज्ञान होना चाहिए
(६) और यदि उसमे संसार के रचने की इच्छा भी हो तो वह निर्भ्रांत विद्या और सत्य ज्ञान के साथ हो न की माया और अविद्या के साथ
(७) मदारी पैसा कमाने अथवा अपने से बड़े आदमियों को खुश करने के प्रयोजन से शोबदे और तमाशे दिखलाता है आप्तकाम ब्रह्म को इस मायाजाल के फैलाने में प्रयोजन क्या है?
(८) यदि अपनी महिमा और प्रभुता दिखलाने लिए, तो यह किसको दिखलाना? जब की एक ब्रह्म के सिवा दूसरा कोई है ही नहीं
(९) यदि अपनी प्रभुता और महिमा दिखलाने के लिए जीवों को उत्पन्न करता है तो इस प्रकार की महिमा और प्रभुता दिखलाने की अभिलाषा होना ही महिमा और प्रभुता के अभाव को सिद्ध करता है
(१०) यदि बिना किसी अपने विशेष प्रयोजन के ब्रह्म द्वारा संसार की रचना केवल जीवों के कल्याण अर्थात भोग और अपवर्ग के लिए स्वाभाविक मानी जाये तो यह सांख्य और योगका ही सिद्धांत आगया
I have listened to many spiritual gurus like Osho, Sadguru, Mooji. and now you. and this is endlless list. Few months, I think this is the best i reached at my destination. why its happening though I know these all are external medium to reach our innerself and teachings are same but ultimately we have to work on inner journey but thats not happening. I feel relaxed listening your lectures but i feel something is missing which i have not found yet
Keep in touch and you will get it.🙏
@@chaitanyadarshan Gratitude🙏
Sadar Pranaam🙏
🙏
Guruji aap
Sir..
How I can realize self.. That chetna..
Jay shree hari krishnaa ❤️ you
Prnam guruji, apne jo kha ki chetna ke bhiter srir h,ye anubhav hua to kah nahi sakta bas swas, vichar sab relax. Sabd nahi bhav likh nahi sakta. Koti Koti prnam.
प्रणाम स्वामीजी , मेरेअध्यात्ममिक यात्रा में, मै मन की ईसी स्थिर अवस्था से में निचे आ चुकी हू ऐसा 3.4 बार हुआ, मुझे समझ नहीं आ रहा की ऐसा क्यों हो रहा है 🙏
Je bhagavan
नेपालसे हुँ , प्रणाम ! मनकि सन्तुलन बनाई रख्नेके लिए कभि कभि अाँख बन्दकर बैठताथा,लम्बि सांस लेताथा छाेड्ताथा , साेहि क्रममे एकदिन कम्पनसा हुअा , बहुत अानन्दसा महशुस हाे रहि थि मगर उठ नहि पाया , निरन्तर कम्पन हाे रहि थि, समझ नहि अाया भगवानकाे पुकार्ने लगा मै पुर्बवत अवस्था मे जाउँ , केहिक्षणवाद कम्पन बन्द हुअा,मैने उसकाे परमात्माके कृपा ठान्ली, बहुत अानन्द हुई ये क्या था मुझे पता नहिं थि,1 ,2 दिन वाद अनियन्त्रित सांस चल्ने लगि, लम्बा सांस बाहर जाता था ,भितर अाता था ए अनुभव हाेने लगा ।।
अकस्मात् अाप से अाप अासन लग्ते थे , मै चाैकागया था ए क्या हुअा है ? इसि क्रममे 1दिन एक अनाैखि घट्ना हुई मै घरकि छतपर बैठा हुअा था जेष्ठ कि महिना थि, अन्दाजी 9 बजेकि समय रहि हाेगि , सुरजकि गर्मि बढ्नेवाली थि , मेरा शरिर अापसे अाप तन्का दृष्टि सुरज कि अाैर पढि, सुरजकि किरण कि मानव अाकृति साम्ने उपस्थित हुअा मै देख्ता गया,मानव अाकृति गाेल गाेल बनकर मेरि अाँखाेमे समागया , समझमे नहि अा रहा था उसकि वाद सुरजकि ताप कि अनुभव बेहद राेचक लग्ने लगि, जेष्ठ कि धुपमे भि सुरजकि धुप मार्ग महिने कि जैसि अनुभव हाेति थि,
कभि रात मे ताे कभि दिनमे शरिरके बिभिन्न अंगाे मे भाइब्रेशन हाेता था , अाँख, मुँ, कान ,नाक ,शिर गुप्तांग,घाँटी अादि, शुभ हाेते हि शरिरकि भाग अापसे अाप तनक जाति है, समझ नहि अाने कि कारण अापकाे बता रहा हँु , मार्ग दर्शन करें , मै 48 साल के हुँ , अन्य शारीरिक अवस्था डाक्टर के मुताविक ठिक है
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Hamare samne koi rota h shok me h apne ko khone ka use dar rahta ho us vakt hame pata h ki khel hame uspar karuna ati h lagta h ki ise sab bata du par fir lagta h ki isme deh bhav h or ahankar bhi ye samajh nhi sakega sunne ko taiyar n hoga aise me kya kar sakte h ham us vakt kya ham bhi shamil ho jaye usi me ya fir use samjhane ka prayas kare 🙏is sansar me mrutyu kisi ki pahle to kisi ko 80 varsh me sabki alag alag hoti rahti h ye mrutyu ka kya samay nirdharit hota h kya ki kab kis ko yaha se jana h kripaya mrutyu ke bare me bataye
Nachiketa ne yam se jo prashn kiye the usko bhi clear kare 🙏
kis prakar act Karu bas yahi sochta hu
Jab ham sab jante h lekin bata nhi sakte majbur hone ka aisas hota h ki batau gi to bhi n samjh payega
👍👌👌
જય ગુરૂ દેવ
पूज्यनीय
अपने भीतर की यात्रा को दिशा व गति बिना गुरू के कैसेमिलेगी --?
ये बात तो समझ आती है कि प्रयत्न मुक्त होने पर ही साधना में गति आ सकती है --परन्तु मैने यह भी सुना है कि प्रयत्न मुक्त तो गुरु ही कर सकते हैं
"किसी मेहरबां की नजर ढूंढते हैं"
😊😊😊🙏🙏🙏
आप धीमे ही बोलिए सर्।वो बंदा स्पीड बढ़ा के देख लेगा।
Sir jab b dhayan hota hai ashru dhara kyun chalti hai meri .....nature ko aise feel karti hun k mann bhar bhar jata hai
Bhaj Govindam Bhaj Govindam
In me, in you and in everything, none but the same Vishnu dwells. Your anger and impatience is meaningless. If you wish to attain the status of Vishnu soon, have samabhava always. Stanza attributed to medhaatithira.
Do not waste your efforts to win the love of or to fight against friend and foe, children and relatives. See yourself in everyone and give up all feelings of duality completely. Stanza attributed to medhaatithira.
Regularly recite from the Gita, meditate on Vishnu [thro' Vishnu sahasranama] in your heart, and chant His thousand glories. Take delight to be with the noble and the holy. Distribute your wealth in charity to the poor and the needy. Stanza attributed to sumatira.
Chant Govindam, worship Govinda, worship Govinda, Oh fool ! Other than chanting the Lord's names, there is no other way to cross the life's ocean. Hari OM JAI SHREE RAM 🙏
Sir Last question m mujhe kuchh puchhna hai jesa ki aapne ans diya ki atmaye to m janna chahta hu atma ek hoti hai ya bahut sari
🙏🌹
Mene iss baar pehle se zyada dheema mehsoos kara aapka bolna kahi ye uss comment k pratikar k karan to nhi 😅
Chaitanya yogeshji namaskar
Sanjay Mehta
Mene do bar 10 days ka vipasana shivir Kiya he.Par mere ko breath ko watch karna shikhna he.Mene mind ko alag alag jagah or focus karta Aya hu.Kabhi pura nose ka triangular area kabhi nak ka Agra bhag kabhi nak and uparwala hoth to kabhi uparwala hoth par kabhi chin se leke nak ka antim chor me Ek jagah pe focus nahi Kar pata hu kyunki mera face upar niche hota rahta he mere ko doubt he ke me swas ko dekhne ke bajay effort Kar raha hu .To please guide kare pahle ke mind ko Kaha focus karna he ? Bina prayatna kaise matra observe karna he For e g me Ek Bindu par focus karta he to swas as raha he ja raha he malum padta he same technique me nak par focus karta hu Swas aa raha he ja raha he par esime mere ko doubt lagata he effort Kar raha hu.
Dustin bat nabhi par hath rakh ke or Bina hath rakh ke upar niche movement hota he sath me swas nak me aa raha he bahar ka raha he ye technique bhi karta hu To ye dono technique me swas ko observe Kar raha hu ke effort laga raha hu please clarify kare guide kare
sanjaymehta921@gmail.com
Sattavik deit means vegetarian deit? Or lower the quantity of intake?
When I start to monitor by breath, the breathing tends to stop without effort.
The Chaitanya questions to itself and gets replied by itself! Got it Sir.. Pranaam! But Sir, it seems that the building block of our so called existence is IGNORANCE... If it's true; why can't we find the root cause of the Leela (circle of birth and death) instead of just enjoying it?!
I will answer
Circle it's self no start no ending it's circle....0 and Infitnite is having all within insite....without reason.... 🙏
🙏🙏🙏🙏
Sir thanks, I want to met you phisically
Chaitanya.darshan09@gmail.com
Sir pranam
Sir vibhinn lokon ke bare mein bataiye
Pret lok
Pishach lok
Gandharv lok
Vishnu lok
Brahmloke
Baikunth lok
Anami lok
Satnami lok
Etc etc
Ye sab kya hote hain, kahan hain, kaise hain???
Please reply
Basudeva sarvamiti kya hey.......
but nature is soul is to desire....because soul is chaitanya not dead matter......please answer?
Video nice Sir
Dearest Divine Chaitanya
Can I talk to you?
What no?
What is best time to talk to you?
Pranam , love and regards
Nayana
You can write: Chaitanya.darshan01@gmail.com for details
@@chaitanyadarshanm.facebook.com/story.php?story_fbid=1074256662936119&id=267156173646176
Dyan gahra hehi nahi
If a person does not able to realise the real self in his life , it is the ignorance or a wrong understanding but then only the reality that he is the consciousness will remain same.
If there is non duality ,so how can the rebirth of the individual is possible even if he does not self realised .
Please answer sir .Thank you
Everything is based on your understanding of your world because you are the center of your world and your world can't exist without you. Just like when you are in a dream state of mind, the dream can't happen without you
It's not your rebirth, it's chaitanya's rebirth, he is experiencing everything, you are the chaitanya but you experience yourself some other entity because of ahankar, that's why you feel hapiness and sorrow for your karma.
@@yashantrathoreBut chaitanya cannot be recreated. It is present everywhere already.
Can we say it is the prakrati which changes itself one form to another..but then only it is a change not the rebirth.
@@mahimasahu8303 it is said that the rebirth take place because of your vasna of this samsara, because you want to live in this world of birth and death that's why your 5 senses your intellect and your mind, which is recognised mistakenly as yourself by you, makes you born again and again in this world, until you realise yourself as the atama, your true self, your rebirth happens because you are engaged with this bodily functions, and relationships, you can't recognise yourself correctly, you think that this body is you, because you are not fully aware of your true nature, it is like you are dreaming with your open eyes, from eternity, once you experience your true nature by meditating than you notice that everything which is bothering you is just an illusion and you understand how meaning less your life is before experience this, like clouds all thoughts and all the beliefs trapped you in between them, it is better to be said that you trapped yourself by recognise them as yourself, but when experience the truth atleast a glimpse of that than you see that like smoke spreads all around the fire, and fire seems to be disappeared but when you blow this smoke away by your consciousness you will experience this fire again, but you can't see it, don't try to see anything, because this fire is you, you can't see yourself and there is no mirror available in this universe which can reflect your image to you, but you experience the bliss which comes when you meditate and get aware about your self and everything else in your mind and body, and don't recognise yourself with them and all your thoughts and emotions will disappear and you will experience the eternal peace, and liberty from every worldly bondages, but it takes a lot of patience and understanding of every obstacles, and the true way to achieve that, a real understanding is really matters but i can't tell that here in words, you need a good understanding of spirituality, i give you a tip which helps you to understand this without any specific guru like i understand - never stick to a person as guru or take anyone's words as the eternal truth, you just listen and try to understand, and experience but become your own mentor don't let anyone lock your intellect and your understanding, "sachcha guru wahi h jo aapko aazad kare har tarah se, bandhan na de aapko, aur na aapki progress m badha bane kyoki aasman m udne se pehle zameen p girna aur uthna padta h khud apni takat se, fir hi koi udd pata h, isliye kisi ko bhi apni takat na banaye aapki takat aap khud h bss sune sabki aur fesla kare ki kya sahi hai aur kya galat, mann uljhe to kisi se puchh le, m bhi jawab de dunga jb aapko puchhne ki zarurat pade", all the best for your journey to the truth, i said journey because it's like a journey to gather all the knowledge, understand the spiritual path and apply it to yourself and then get enlightenment, but all these words are just metaphors, they can't describe the truth, you have to experience the truth, hope I able to make you understand what I mean 🙏🙏🙏
@@yashantrathore Thanks a lot to you brother to spent your valuable time on explaining this..l will walk on to this journey slowly.
To kya chetnya hi Ishwar hai?
Kyaa aapka next JANAM Hoga? Sorry Sir, but------------------
Ap Atma apne sarir ke vitar mastak ke bich jise vrukuti kahate hain ohna baithe hai. Apka sair Atma ke vitar nhi hai. Sarir panch tattoo se bani hai jo ki bi na si hai. Parantu AP Atma anadi abinasi swatantrata chaityna satta hai. Ap Atma actor hai, act kare ne ke liye sarir ma ki garva se dharan kar bahar ate hain tab ap Atma ka khel suru hota hai.
So super
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