जय गुरुदेव जय गुरूमाता गुरुसेवा करें गुरु ज्ञान को जन जन तक प्रसारित करने मैं मेरी सहायता करें इसे ओर अन्य पुस्तकों को ऑनलाइन प्लेटफार्म पर शेयर करें सद्गुरु के ऋण से उऋण होने का प्रयास करें सद्गुरु देव द्वारा संचालित नई पूरानी पत्रिका ओर बुक यहाँ 👇डाऊनलोड👇 करें ua-cam.com/video/futGnTPhX4Y/v-deo.html
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Poonam mam bta Rahi thi unho ne school upgrade krwana tha to sign nahi kiye unhone clerk lekr gya tha file jha wo reh Rahi h mere se pucha to Mane kha plaster lga h.ar wo bhai ke pass reh Rahi h.Sign nahi kiye mam ne to pta nahi kisne kiye.
मंत्र तंत्र यंत्र विज्ञान प्रकाशित करने के कारणों पर सगुरुदेवडॉ नारायण दत्त श्रीमाली का लेटर वशिष्ठ ने कात्यायनी स "यदि तुम्हें जीवन में आनंद प्राप्त करना हैं, सब्भी रोगों से मुक्त होना हैं, चिरयौवनमय बने रहना हैं और सिद्धाश्रम के मार्ग में पूर्णता प्राप्त करनी हैं तो तुम्हें मंत्र-तंत्र और यंत्र का समन्वय करना होगा!" और कात्यायनी ने वशिष्ठ को पति नहीं गुरु रूप में स्वीकार कर ऐसा किया और अपने जीवन को उच्चता पर पहुँचाया! इसलिए जीवन में मंत्र-तंत्र-यंत्र का परस्पर सम्बन्ध हैं, इनके द्वारा ही जीवन ऊपर की और उठ सकता हैं! मंत्र-तंत्र-यंत्र विज्ञान का प्रकाशन ही इसलिए किया हैं.... कोई आवश्यकता नहीं थी, मगर आवश्यकता इस बात की थी कि इस समय सारा संसार भौतिक बंधनों में बंधा हुआ हैं, और बन्धनों में बंधने के कारन व्यक्ति अन्दर से छटपटाता रहता हैं, वह चाहता हैं मैं मुक्त हवा में साँस ले सकूँ, मैं कुछ आगे बढ़ सकूँ, मैं जीवन में बहुत कुछ कर सकूँ..... मगर इसके लिए कोई रास्ता नहीं हैं, उसको कोई समझाने वाला नहीं हैं! ऐसी स्थिति में पत्रिका का प्रकाशन किया गया और इस पत्रिका में मंत्र-तंत्र और यंत्र तीनों का समन्वय किया गया हैं! इसमें उच्चकोटि के मंत्रों का चिंतन दिया गया हैं! यह पत्रिका केवल कागज के कोरे पन्ने नहीं हैं! यदि बाजार से कागजों का एक बण्डल लाया जायें, तो वह सौ रूपये में प्राप्त हो सकता हैं, मगर जब उन कागजों पर उच्चकोटि के मंत्र और साधना विधियां लिख दी जाती हैं, तो वह पुस्तक अमूल्य हो जाती हैं! ज्ञान को मूल्य के तराजू में नहीं तौला जा सकता, ज्ञान को इस बात से भी नहीं देखा जाता हैं कि इस पत्रिका का मूल्य पांच रूपये या पच्चीस रूपये हैं, ज्ञान का मूल्य तो अनन्त होता हैं! इसलिए हमने इस श्रेष्ठतम पत्रिका का प्रकाशन किया! इसके माध्यम से हम अपने पूर्वजों के ज्ञान को, पूर्वजों के साहित्य को, जो लुप्त होता जा रहा हैं, जो समाप्त होता जा रहा हैं, उसे सुरक्षित कर सकें, क्योंकि कुछ समय और बीत गया, तो हम इन मंत्रों के, तंत्रों के बारे में कुछ जान ही नहीं सकेंगे! उन सबको सुरक्षित रखने के लिए इस पत्रिका का प्रकाशन किया...... इसके पीछे कोई व्यापर की आकांक्षा और इच्छा नहीं हैं, इसके पीछे जीवन का कोई ऐसा चिंतन नहीं हैं कि इसके माध्यम से धनोपार्जन किया जायें, चिंतन तो इस बात के लिए हैं कि हम पूर्वजों की थाती को, पूर्वजों के ज्ञान को सुरक्षित रख सकें! और पिछले कई वर्षों से इस पत्रिका का प्रकाशन इस बात का प्रमाण हैं कि आज भी समाज में चेतना हैं, जो इस प्रकार का ज्ञान चाहती हैं! अगर नहीं चाहती, तो पत्रिका कभी भी बंद हो चुकी होती! ऐसे व्यक्ति हैं जो इस प्रकार की साधनाओं के लिए लालायित हैं, उनको इस प्रकार की साधनाएं देने के लिए, वे समयानुसार किस प्रकार की साधनाएं करें , उनको मार्गदर्शन देने के लिए ही इस पत्रिका का प्रकाशन किया गया हैं! और सही कहूँ तो यह पत्रिका नहीं कलयुग की श्रीमदभगवदगीता हैं, जिसका एक-एक पन्ना आने वाले समय के लिए, आने वाली पीढ़ी के लिए धरोहर हैं, उच्चता तक ले जाने की सीढ़ी हैं! -पूज्यपाद सदगुरुदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमालीजी. मंत्र-तंत्र-यंत्र विज्ञान. जनवरी 2000, पेज 31. पत्रिका का परवर्तित नाम नारायण मंत्र साधना विज्ञान 0291 2432209,2433623 दिल्ली 011 27352248
जय गुरुदेव जय गुरूमाता गुरुसेवा करें गुरु ज्ञान को जन जन तक प्रसारित करने मैं हमारी सहायता करें इसे ओर अन्य पुस्तकों ओर वीडियो को ऑनलाइन प्लेटफार्म पर शेयर करें सद्गुरु के ऋण से उऋण होने का प्रयास करें सद्गुरु देव द्वारा संचालित नई पूरानी पत्रिका ओर बुक यहाँ 👇डाऊनलोड👇 करें ua-cam.com/video/futGnTPhX4Y/v-deo.html
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जय श्री सद्गुरुदेवजी 🙏🙏🙏आपके श्री चरणो में शतकोटी दण्डवत प्रणाम करता हुं 🙏🙏🙏 परमपूज्य गुरुदेव भगवान जी की जय 🪔🪔🪔🙏🙏🙏🪷🌸⚘️🪻🏵🥀🌹💐🌺🌷💮🌼🪔🪔🪔🙏🙏🙏
जय परमपूज्य परमहंस सदगुरुदेव भगवान आपके श्री चरणो में कोटी कोटी नमंन है
🙏 ॐ जय श्री गुरुदेव 🙏
🙏 ॐ जय श्री निखिलेश्वर 🙏
जय गुरु देव जय निखिलेश्वरानंद जी महाराज की गुरु देव आपकी क्रपा से मे साधना क्षेत्र मे सफल हो सका ईस लिये आपको कोटी कोटी प्रणाम :💐💐💐💐
जय गुरुदेव अपनी साधना की सफलता को लोक कल्याण मैं लगाइये गा
गुरू कृपाही केवलम: ऊँ निखिलम 🙏🙏🙏🕉
Jai Sadgurudev Nikhileshwaranand Ji 🙏🌹
जय गुरुदेव जय गुरूमाता गुरुसेवा करें गुरु ज्ञान को जन जन तक प्रसारित करने मैं मेरी सहायता करें इसे ओर अन्य पुस्तकों को ऑनलाइन प्लेटफार्म पर शेयर करें सद्गुरु के ऋण से उऋण होने का प्रयास करें
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Great Information 👍
Jai sadguru dev 🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jai Sadgurudev 🙏
Om jay Gurudev . Pranam.
Jai gurudev
Param Pujaniya Sadgurudev Swami Shri Nikhileshwaranandji Gurudev (Dr. Narayan Dutt Shrimaliji) ko Janam Divas ke is parva par koti koti pranaam
గురుచరణ కమలేభ్యోనమః
I love you guru Shri🌹
Jaisadgurudev nmh
जय गुरुदेव जय गुरूमाता गुरुसेवा करें गुरु ज्ञान को जन जन तक प्रसारित करने मैं हमारी सहायता करें इसे ओर अन्य पुस्तकों ओर वीडियो को ऑनलाइन प्लेटफार्म पर शेयर करें सद्गुरु के ऋण से उऋण होने का प्रयास करें
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"Shri Sadguru Charan Kamalebhyo Namah."
sadgurudev charan kamlebhiyo namah.
जय सदगुरुदेव💐💐💐
Om Param Tatvay Narayanay Gurubhyo namah
Viasdev Sharma jai gurudev
Jai Gurudev
Sadguru ke chrno me mera pranam
जय गुरुदेव
Jai guru Dev Ji
Jay Gurudev🙏🙏
Sri sadgurudev Bhagwan ki jai
Rakesh Pramanik jai gurudev
Jai guru dev
Some of the sadhana shouldn’t be secret from everyone and give to only right person with clean pure heart?
JAI SADGURU MAHARAJ PRANAM 🙏🙏
Jai ma durga
Essay agala video send karo
On param tatwam om. 11/21 mala on Hakeek or sphatik mala -morning.
If anyone knows any siddh yogi who been to siddhashram pls let me kno ..
jay gurudev
Poonam mam bta Rahi thi unho ne school upgrade krwana tha to sign nahi kiye unhone clerk lekr gya tha file jha wo reh Rahi h mere se pucha to Mane kha plaster lga h.ar wo bhai ke pass reh Rahi h.Sign nahi kiye mam ne to pta nahi kisne kiye.
मै आपकी सरण में दीक्छा लेना चाहता हूं
Param gurubyom namah
Jai gurudev
avashya hi aap hum milenge esa mujhe mahsush ho raha h
Ap ek bar Trimurti guru g se mil lijiye kyonki guru g hi unke roop me h
mai ek fouji hu gurudev
जय गुरूदेव
इसके आगे वाला प्रवचन मिल जायेगा क्या
मेरे पास आडियो कैसेट था जो गुम गया है
मै इस शिविर मे गया था
कृपया आगे पार्ट मुझे चाहिए
Bade gurubhai agla pravachan konsa hai??
ौ
guru Ji ap sa kaise milenge.
Priya More mai guruji nahi bhai ji hu
मंत्र तंत्र यंत्र विज्ञान प्रकाशित करने के कारणों पर सगुरुदेवडॉ नारायण दत्त श्रीमाली का लेटर
वशिष्ठ ने कात्यायनी स "यदि तुम्हें जीवन में आनंद प्राप्त करना हैं, सब्भी रोगों से मुक्त होना हैं, चिरयौवनमय बने रहना हैं और सिद्धाश्रम के मार्ग में पूर्णता प्राप्त करनी हैं तो तुम्हें मंत्र-तंत्र और यंत्र का समन्वय करना होगा!" और कात्यायनी ने वशिष्ठ को पति नहीं गुरु रूप में स्वीकार कर ऐसा किया और अपने जीवन को उच्चता पर पहुँचाया!
इसलिए जीवन में मंत्र-तंत्र-यंत्र का परस्पर सम्बन्ध हैं, इनके द्वारा ही जीवन ऊपर की और उठ सकता हैं! मंत्र-तंत्र-यंत्र विज्ञान का प्रकाशन ही इसलिए किया हैं.... कोई आवश्यकता नहीं थी, मगर आवश्यकता इस बात की थी कि इस समय सारा संसार भौतिक बंधनों में बंधा हुआ हैं, और बन्धनों में बंधने के कारन व्यक्ति अन्दर से छटपटाता रहता हैं, वह चाहता हैं मैं मुक्त हवा में साँस ले सकूँ, मैं कुछ आगे बढ़ सकूँ, मैं जीवन में बहुत कुछ कर सकूँ..... मगर इसके लिए कोई रास्ता नहीं हैं, उसको कोई समझाने वाला नहीं हैं!
ऐसी स्थिति में पत्रिका का प्रकाशन किया गया और इस पत्रिका में मंत्र-तंत्र और यंत्र तीनों का समन्वय किया गया हैं! इसमें उच्चकोटि के मंत्रों का चिंतन दिया गया हैं! यह पत्रिका केवल कागज के कोरे पन्ने नहीं हैं! यदि बाजार से कागजों का एक बण्डल लाया जायें, तो वह सौ रूपये में प्राप्त हो सकता हैं, मगर जब उन कागजों पर उच्चकोटि के मंत्र और साधना विधियां लिख दी जाती हैं, तो वह पुस्तक अमूल्य हो जाती हैं! ज्ञान को मूल्य के तराजू में नहीं तौला जा सकता, ज्ञान को इस बात से भी नहीं देखा जाता हैं कि इस पत्रिका का मूल्य पांच रूपये या पच्चीस रूपये हैं, ज्ञान का मूल्य तो अनन्त होता हैं!
इसलिए हमने इस श्रेष्ठतम पत्रिका का प्रकाशन किया! इसके माध्यम से हम अपने पूर्वजों के ज्ञान को, पूर्वजों के साहित्य को, जो लुप्त होता जा रहा हैं, जो समाप्त होता जा रहा हैं, उसे सुरक्षित कर सकें, क्योंकि कुछ समय और बीत गया, तो हम इन मंत्रों के, तंत्रों के बारे में कुछ जान ही नहीं सकेंगे! उन सबको सुरक्षित रखने के लिए इस पत्रिका का प्रकाशन किया...... इसके पीछे कोई व्यापर की आकांक्षा और इच्छा नहीं हैं, इसके पीछे जीवन का कोई ऐसा चिंतन नहीं हैं कि इसके माध्यम से धनोपार्जन किया जायें, चिंतन तो इस बात के लिए हैं कि हम पूर्वजों की थाती को, पूर्वजों के ज्ञान को सुरक्षित रख सकें!
और पिछले कई वर्षों से इस पत्रिका का प्रकाशन इस बात का प्रमाण हैं कि आज भी समाज में चेतना हैं, जो इस प्रकार का ज्ञान चाहती हैं! अगर नहीं चाहती, तो पत्रिका कभी भी बंद हो चुकी होती! ऐसे व्यक्ति हैं जो इस प्रकार की साधनाओं के लिए लालायित हैं, उनको इस प्रकार की साधनाएं देने के लिए, वे समयानुसार किस प्रकार की साधनाएं करें , उनको मार्गदर्शन देने के लिए ही इस पत्रिका का प्रकाशन किया गया हैं!
और सही कहूँ तो यह पत्रिका नहीं कलयुग की श्रीमदभगवदगीता हैं, जिसका एक-एक पन्ना आने वाले समय के लिए, आने वाली पीढ़ी के लिए धरोहर हैं, उच्चता तक ले जाने की सीढ़ी हैं!
-पूज्यपाद सदगुरुदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमालीजी.
मंत्र-तंत्र-यंत्र विज्ञान.
जनवरी 2000, पेज 31.
पत्रिका का परवर्तित नाम
नारायण मंत्र साधना विज्ञान
0291 2432209,2433623
दिल्ली 011 27352248
Ek saal me kaise
11 mala roj ek saal tak karni padegi
जय गुरुदेव जय गुरुदेव
जय सद्गुरुदेव 🙏🙏
Jai Gurudev 🙏🙏
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Jay Gurudev
Jay gurudev
Jai gurudev
mai ek fouji hu gurudev
जय गुरूदेव
Himanshu Jain jai gurudev
Jai gurudev
Dineshdd Pal jai guru dev
Can you give me your Mob. No. Mr. pal ?
Jai gurudev
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jai gurudev