प्रिय बेटी अनीता आपके समक्ष मै एक अच्छी शेर पेश कर रहा जी आपको अच्छा लगेगा तो आर्शिवाद देगे जी जंगल में रहो या बस्ती मे रहो,लहरों मे रहो या कश्ती मे,महंगी मे रहो या सस्ती में पर रहो राम जी की मस्ती में जो डुबे है राम जी की मस्ती में चार चांद लग जाती है उनकी हस्ती में प्रेम से बोलो जय श्री राम।
प्रिय बेटी अनीता आपके समक्ष मै एक
अच्छी शेर पेश कर रहा जी आपको
अच्छा लगेगा तो आर्शिवाद देगे जी
जंगल में रहो या बस्ती मे रहो,लहरों मे रहो या कश्ती मे,महंगी मे रहो या सस्ती
में पर रहो राम जी की मस्ती में जो डुबे है राम जी की मस्ती में चार चांद लग जाती है उनकी हस्ती में प्रेम से बोलो
जय श्री राम।