श्रद्धेय महात्मा के वचन सुनकर एक इस्लामी व्यक्ति को सुन रहा हूँ ऐसा प्रतीत हो रहा है। क्षमा प्रार्थी हूँ पर कोई यदि ईश्वर को साकार मानता है तो इसमें अधर्म क्या है। उसके मन में श्रद्धा तो ईश्वर के प्रति ही है मूर्ति के लिए नहीं
पुराणों में भी ईश्वर को इन्द्रियों के द्वारा न जानने योग्य तथा ध्यान के द्वारा ही प्राप्य बतलाया गया है...वे पुराण जो सगुण की उपासना करते हैं , वास्तव में हिन्दुओं का सगुण निर्गुण-ब्रह्म ही है जिसे हमने अपने देश, काल , रूचि आदि के आधार पर नाना-रूप प्रदान किया है
श्रद्धेय आचार्य सत्य जीत के विचार जन कल्याणकारी हैं। सभी को अपनाने की आवश्यकता है।
Achary ji bachapan se meri aatma jo dhundh rahi thi parmatma ko satya ko dharm ko vo mil gaya.
श्रद्धेय महात्मा के वचन सुनकर एक इस्लामी व्यक्ति को सुन रहा हूँ ऐसा प्रतीत हो रहा है। क्षमा प्रार्थी हूँ पर कोई यदि ईश्वर को साकार मानता है तो इसमें अधर्म क्या है। उसके मन में श्रद्धा तो ईश्वर के प्रति ही है मूर्ति के लिए नहीं
Acharya Ji saty chintan
सादर नमन
मुझे लगता है कि सगुण भक्ति ने जीवन को अधिक सरस , सर्वगम्य और आनन्दपूर्ण, उल्लासपूर्ण बनाया है
अति उत्तम कड़वी मगर सच्ची बात आर्य समाज के लिए संजीवनी धन्यवाद आचार्य जी
हमारा धरम हमारा जीवन ।
साकार और निराकार उपासना को लेकर कम से कम हिन्दू समाज में कोई उलझन या संशय वाली स्थिति नहीं है । साकार उपासक भी अपने आराध्य को सर्वव्याप्त ही मानता है
सत्य वचन, ये सभी बातें मैं अपने जीवन में अपना रहा हूं
Acharya satyajit Arya..
Must follow Him
for Guidance
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पुराणों में भी ईश्वर को इन्द्रियों के द्वारा न जानने योग्य तथा ध्यान के द्वारा ही प्राप्य बतलाया गया है...वे पुराण जो सगुण की उपासना करते हैं , वास्तव में हिन्दुओं का सगुण निर्गुण-ब्रह्म ही है जिसे हमने अपने देश, काल , रूचि आदि के आधार पर नाना-रूप प्रदान किया है
You
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aaprtim guide kiya hai aapane I like
Amar Rokade श्री मदभगवतगीता ज्ञान परमेश्वर का ज्ञान है
@@manojgoswami4893 bbbbbby
फिर तो दूसरों का चरणस्पर्श भी ईश्वरीय सत्ता को चुनौती मानना चाहिये...नमस्कार करना भी...वन्देमातरम् कहना भी
satyagit aarya
आचार्य जी नमस्कार,
आपका 31.14 मिनट का वक्तव्य तो इस्लाम के "शिर्क-ए-अकबर" का स्मरण कराता है