सबसे ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर विश्व में भगवान शिव का

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  • Опубліковано 28 вер 2024
  • तुंगनाथ उत्तराखण्ड के गढ़वाल के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक पर्वत है। तुंगनाथ पर्वत पर स्थित है तुंगनाथ मंदिर, जो 3460 मीटर की ऊँचाई पर बना हुआ है और पंच केदारों में सबसे ऊँचाई पर स्थित है। यह मंदिर १,००० वर्ष पुराना माना जाता है और यहाँ भगवान शिव की पंच केदारों में से एक के रूप में पूजा होती है। ऐसा माना जाता है की इस मंदिर का निर्माण पाण्डवों द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया गया था, जो कुरुक्षेत्र में हुए नरसंहार के कारण पाण्डवों से रुष्ट थे। तुंगनाथ की चोटी तीन धाराओं का स्रोत है, जिनसे अक्षकामिनी नदी बनती है। मंदिर चोपता से ३ किलोमीटर दूर स्थित है। कहा जाता है कि पार्वती माता ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए यहां ब्याह से पहले तपस्या की थी ।
    यह पूरा पंचकेदार का क्षेत्र कहलाता है। ऋषिकेश से श्रीनगर गढ़वाल होते हुए अलकनंदा के किनारे-किनारे चलते है। तो रुद्रप्रयाग पहुंचने पर ऊखीमठ का रास्ता लेना है तो अलकनंदा को छोडकर मंदाकिनी घाटी में प्रवेश करना होता है। यहां से मार्ग संकरा है। इसलिए चालक को गाड़ी चलाते हुए बहुत सावधानी बरतनी होती है। मार्ग अत्यंत लुभावना और सुंदर है। आगे बढ़ते हुए अगस्त्य मुनि नामक एक छोटा सा कस्बा है जहां से हिमालय की नंदाखाट चोटी के दर्शन होने लगते है
    तुंगनाथ मंदिर।
    चोपता की ओर बढते हुए रास्ते में बांज और बुरांश काफल का घना जंगल और मनोहारी दृश्य रंग विरंगे फूलों से पेड़ों की गहरी घाटियां पर्यटकों को लुभाती हैं। चोपता समुद्रतल से बारह हज़ार फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां से तीन किमी की पैदल यात्रा के बाद तेरह हज़ार फुट की ऊंचाई पर तुंगनाथ मंदिर है, जो पंचकेदारों में एक केदार है। चोपता से तुंगनाथ तक तीन किलोमीटर का पैदल मार्ग बुग्यालों की सुंदर दुनिया से साक्षात्कार कराता है। यहां पर प्राचीन शिव मंदिर है। इस प्राचीन शिव मंदिर से डेढ़ किमी की ऊंचाई चढ़ने के बाद चौदह हज़ार फीट पर चंद्रशिला नामक चोटी है। जहां ठीक सामने छू लेने योग्य हिमालय का विराट रूप किसी को भी हतप्रभ कर सकता है। चारों ओर पसरे सन्नाटे में ऐसा लगता है मानो आप और प्रकृति दोनों यहां आकर एकाकार हो उठे हों। तुंगनाथ से नीचे जंगल की सुंदर रेंज और घाटी का जो दृश्य उभरता है, वो बहुत ही अनूठा है। चोपता से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद सारी नामक गांव के ऊपर देवहरिया ताल पहुंचा जा सकता है जो कि तुंगनाथ मंदिर के दक्षिण दिशा में है। इस ताल की कुछ ऐसी विशेषता है जो इसे और सरोवरों से विशिष्टता प्रदान करती है। इस पारदर्शी सरोवर में चौखंभा, नीलकंठ आदि हिमाच्छादित चोटियों के प्रतिबिंब स्पष्ट दिखाई देने लगते हैं। इस सरोवर का कुल व्यास पांच सौ मीटर है। इसके चारों ओर बांस व बुरांश के सघन वन हैं तो दूसरी ओर एक खुला सा मैदान है।
    तुंगनाथ मंदिर
    चोपता से गोपेश्वर जाने वाले मार्ग पर कस्तूरी मृग प्रजनन फार्म भी है। यहां पर कस्तूरी मृगों की सुंदरता को निकटता से देखा जा सकता है। मार्च-अप्रैल के महीने में इस पूरे मार्ग में बुरांश के फूल अपनी अनोखी छटा बिखेरते हैं। जनवरी-फरवरी के महीने में ये पूरा क्षेत्र बर्फ से ढका रहता है। चोपता के बारे में ब्रिटिश कमिश्नर एटकिन्सन ने कहा था कि जिस व्यक्ति ने अपने जीवनकाल में चोपता नहीं देखा उसका इस पृथ्वी पर जन्म लेना व्यर्थ है। एटकिन्सन की यह उक्ति भले ही कुछ लोगों को अतिरेकपूर्ण लगे लेकिन यहां का सौन्दर्य अद्भुत है, इसमें किसी को संदेह नहीं हो सकता। किसी पर्यटक के लिए यह यात्रा किसी रोमांच से कम नहीं है।
    तुंगनाथ: कब और कैसे पहुंचे
    मई से नवंबर तक यहां कि यात्रा की जा सकती है।[1] हालांकि यात्रा बाकी समय में भी की जा सकती है लेकिन बर्फ गिरी होने के कारण से वाहन की यात्रा कम और पैदल यात्रा अधिक होती है। जनवरी व फरवरी के महीने में भी यहां की बर्फ की मजा लेने और शिव भक्तों का तांता लगा रहता
    दो रास्तों में से किसी भी एक से यहाँ पहुँचा जा सकता है:-
    ऋषिकेश से गोपेश्वर होकर। ऋषिकेश से गोपेश्वर की दूरी २१२ किलोमीटर है और फिर गोपेश्वर से चोपता चालीस किलोमीटर और आगे है, जो कि सड़क मार्ग से जुड़ा है।
    ऋषिकेश से ऊखीमठ होकर। ऋषिकेश से उखीमठ की दूरी १७८ किलोमीटर है और फिर ऊखीमठ से आगे चोपता चौबीस किलोमीटर है, जो कि सड़क मार्ग से जुड़ा है।
    ऋषिकेश से गोपेश्वर और ऊखीमठ के लिए बस सेवा उपलब्ध है। इन दोनों स्थानों से चोपता के लिए बस सेवा के अलावा टैक्सी और जीप भी बुक कराई जा सकती है
    गोपेश्वर और ऊखीमठ, दोनों स्थानों पर गढ़वाल मंडल विकास निगम के विश्रामगृह हैं। इसके अलावा प्राइवेट होटल, लॉज, धर्मशालाएं भी हैं जो सुगमता से मिल जाती हैं। चोपता में भी आवासीय सुविधा उपलब्ध है और यहां पर स्थानीय लोगों की दुकानें हैं।
    मई से लेकर नवंबर तक यहां की यात्रा थोड़ी सरल है। यात्रा के लिए सप्ताह भर का समय पर्याप्त है। गर्म कपडे साथ में रहने चाहिए क्योंकि यहाँ पर वर्षभर ठंड रहती है। इस घाटी और क्षेत्र के कुछ मनमोहक दृश्य निम्नवत है।

КОМЕНТАРІ • 1

  • @gautamsamanta13
    @gautamsamanta13 4 роки тому

    Jay baba tuganath mahadev ki Jay baba Tuganath sab bhakton per apni kripa banae rakhen