मन ही तूम हो और शरिर भी तूम हो.. मन हैं तो शरिर हैं, शरिर है तो मन हैं.. परंतू शरिर और मन तुम नही हो..? तो फिर में कौंन हू..?? Who am I..?? कोन किस को देख रहा हैं..? दृष्टा, दृष्टि है तब तक दृष्य जीवन हैं.. दृष्टा, दृष्टि और दृष्य नष्ट हो जाता है, तब तूम नही रहतें..! ना दर्पण ना दृष्य..! दर्पण तो जन्मत: स्वच्छ निर्मल..! तो डरने की क्या जरूरत..? मैं स्वछंद.हूं..! अनादी आनंत हूं..! मेरा कोई नाम, रूप नहीं, गंध नहीं, परंतू हर स्थान पर, हर समय मौजूद हूं..! स्वयं प्रकाशित..! तत्वमसी..! मैं बाहर नहीं अंदर हूं..! Uncontaminated.. You for Ever..! तूम शाश्वत हों..! दृष्टा बनो..! चैतन्य से, चेतना में रहकर, साक्षी भावसे मन को देखो.. जो तुम ही हो..! जैसे चेतना में जीते हो तो द्वेत भाव मिट जाता, द्वंद समाप्त हो जाता, तू और मैं खत्म होता हैं..! तत्वमसी..! जो भीतर गया वह तर गया.. जो भी तर गया, वह भीतर गया..! मन ही सब कुछ हैं..! मन ही दर्पण मन ही दवता मन ही ईश्वर मन से बडा ना कोई.. मन ही प्रकाश.. मन से भाग ना कोई.. *अत्त दीपो भव..!* "मैं स्त्री नहीं हूँ, मैं पुरुष नहीं हूँ...न संत हूँ, न भगवान। मैं शरीर नहीं हूँ, मैं मन नहीं हूँ। मैं किसी भी तरह का व्यक्ति नहीं हूँ..." "न आत्मा, न आत्मा... लेकिन ब्लैक होल से कहीं ज़्यादा गहरा।" "मैं कुछ नहीं हूँ; मैं कुछ नहीं हूँ, लेकिन मैं सब कुछ हूँ। क्योंकि सब कुछ कुछ नहीं है और कुछ भी सब कुछ नहीं है।"
❤🎉Sat kaival saheb sat kabir saheb param guru sanatan 🎉❤
Saprem saheb bandagi saheb
Saheb Bandagi Sadguru Ji 🙏🙏🌷🌹
साहेब बंदगी
जय गुरु महाराज जी आप के पावन चरणों में कोटि कोटि प्रणाम
गजब की प्रेरणा दायक संदेश महाराज जी
आप का बहुत बहुत धन्यवाद महाराज जी
Aapki vani se Daas bahot hi prabhavit hua
Saheb bandagi guru ji
मन ही तूम हो और शरिर भी तूम हो..
मन हैं तो शरिर हैं, शरिर है तो मन हैं.. परंतू शरिर और मन तुम नही हो..?
तो फिर में कौंन हू..??
Who am I..??
कोन किस को देख रहा हैं..?
दृष्टा, दृष्टि है तब तक दृष्य जीवन हैं..
दृष्टा, दृष्टि और दृष्य नष्ट हो जाता है, तब तूम नही रहतें..! ना दर्पण ना दृष्य..! दर्पण तो जन्मत: स्वच्छ निर्मल..! तो डरने की क्या जरूरत..? मैं स्वछंद.हूं..! अनादी आनंत हूं..!
मेरा कोई नाम, रूप नहीं, गंध नहीं, परंतू हर स्थान पर, हर समय मौजूद हूं..! स्वयं प्रकाशित..! तत्वमसी..! मैं बाहर नहीं अंदर हूं..! Uncontaminated..
You for Ever..!
तूम शाश्वत हों..!
दृष्टा बनो..! चैतन्य से, चेतना में रहकर, साक्षी भावसे मन को देखो.. जो तुम ही हो..! जैसे चेतना में जीते हो तो द्वेत भाव मिट जाता, द्वंद समाप्त हो जाता, तू और मैं खत्म होता हैं..! तत्वमसी..!
जो भीतर गया वह तर गया..
जो भी तर गया, वह भीतर गया..!
मन ही सब कुछ हैं..!
मन ही दर्पण
मन ही दवता
मन ही ईश्वर
मन से बडा ना कोई..
मन ही प्रकाश..
मन से भाग ना कोई..
*अत्त दीपो भव..!*
"मैं स्त्री नहीं हूँ, मैं पुरुष नहीं हूँ...न संत हूँ, न भगवान। मैं शरीर नहीं हूँ, मैं मन नहीं हूँ। मैं किसी भी तरह का व्यक्ति नहीं हूँ..."
"न आत्मा, न आत्मा...
लेकिन ब्लैक होल से कहीं ज़्यादा गहरा।"
"मैं कुछ नहीं हूँ; मैं कुछ नहीं हूँ,
लेकिन मैं सब कुछ हूँ।
क्योंकि सब कुछ कुछ नहीं है
और कुछ भी सब कुछ नहीं है।"
सप्रेम साहेब बंदगी साहेब ❤
Saheb bandagi 🙏🙏🙏👌👌👌
सप्रेम साहेब बंदगी
Saheb bandagi saheb bandagi saheb bandagi
साहिब बंदगी
Guru sahib bndgi 😊❤😊
साहेब बंदगी साहेब जी🙏🙏🙏
Sat saheb ji
Saheb bandagi3 Saheb ji 🤲🤲🤲🙏🙏🙏
SHRI SATYA GURU CHARAN KAMALI BHAIYO NAMA
🎉🎉 साहेब वन्दगी 🌹🌹
Saheb bandagi satnam ji guruji
Shahab bandagi sawami jii
Saheb bandgi dhayabad apko
Sat Saheb ji 😌🙏🏼🪻
🌺🙏🏻🌺🙏🏻🌺🙏🏻🌺
Vaah umda
Sat saheb ji. 🙏🙏🌹🌹
सप्रेम साहेब बंदगी 🌹🤲🤲🤲🌹
સાહેબ બદંગી.. સાહેબ બદંગી ......સાહેબ બદંગી
🙏🏻🙏🏻
❤❤🙏🙏🙏🙏🥀🥀🥀🙏🌹
😮
Sahab bandagi sahab shamsher Daas sarojini nagar lucknow
😂સાહેબંદગીસતનામ😊
नींद
मृत्यु का दैनिक अभ्यास है।
Ramsitaramji
Saheb bandagi guru ji
Saheb bandagi guru ji
Saheb bandagi guru ji