बिनय प्रेम बस भईं भवानी |खसी माल मूरति मुसुकानी || गुरुवर मनचला जी की ऐसी नि:स्वार्थ व सात्विक विनय और निष्छल प्रेम के वशीभूत क्यों न हों माँ? क्योंकि अन्य देवों को तो भांति-भांति के चढ़ावे से प्रसन्न किया जाता है जैसे- कोउ खुश होय फूल-फल पाए, कोउ खुश होय सुगंध बसाए | लेकिन गिरिजा योगिराज की रानी, सो, विनय प्रेम बस भईं भवानी ||
कलम के जादूगर बड़े भैया दादा श्री जेपी मनचला जी को सादर चरण वंदन जय श्री राम ❤❤
आदरणीय गुरुदेव जी के श्री चरणों में बारंबार प्रणाम है
बिनय प्रेम बस भईं भवानी |खसी माल मूरति मुसुकानी ||
गुरुवर मनचला जी की ऐसी नि:स्वार्थ व सात्विक विनय और निष्छल प्रेम के वशीभूत क्यों न हों माँ? क्योंकि अन्य देवों को तो भांति-भांति के चढ़ावे से प्रसन्न किया जाता है जैसे-
कोउ खुश होय फूल-फल पाए, कोउ खुश होय सुगंध बसाए | लेकिन
गिरिजा योगिराज की रानी, सो, विनय प्रेम बस भईं भवानी ||