मीडिया और लोकतंत्र : ऋषभदेव शर्मा के व्याख्यान का उत्तरार्ध

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  • Опубліковано 11 січ 2025
  • सत्ता और जनता के मध्य सेतु है साहित्य और मीडिया
    ऋषभदेव शर्मा
    महात्मा गांधी द्वारा स्थापित तथा राष्ट्रीय महत्व की संस्था दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा , चेन्नई के दीक्षांत मंडपम् में 12 नवंबर 2024 को तमिलनाडु के राज्यपाल श्री आर.एन.रवि द्वारा उद्घाटित काशी-वाराणसी विरासत फाउंडेशन के 'भारत : साहित्य एवं मीडिया महोत्सव' चेन्नई के दूसरे दिन के विचार-सत्रों में भारतीय साहित्य और मीडिया तथा लोकतंत्र पर केंद्रित गहन विचार विमर्श किया गया। ...
    दूसरा सत्र 'मीडिया, लोकतंत्र और साहित्य : चुनौतियाँ, खतरे और दायित्व' विषय पर केंद्रित था। सत्र की अध्यक्षता करते हुए डॉ. ऋषभदेव शर्मा ने सचेत किया और कहा कि देखना होगा कि हम अपने लोकतंत्र को कहीं भीड़ तंत्र में तो नहीं बदल रहे। मीडिया नैरेटिव सेट करता है , इस पर विमर्श की जरूरत है। अब 'वसुधैव कुटुंबकम्' 'वसुधैव बाजारम्' में बदल गया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जनता और सत्ता के बीच सेतु है साहित्य भी मीडिया भी। लेकिन अब पत्रकारिता मीडिया है और वह मिशन नहीं, प्रोफेशन है।ऐसे समय में निष्पक्ष बने रहने की कड़ी चुनौती मीडिया के सामने है। उसके मानदंड खिसक रहे हैं‌।
    इस सत्र में बोलते हुए उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के निदेशक आर.पी. सिंह ने कहा कि आज का मीडिया पुरानी पत्रकारिता से अलग है। पत्रकारिता में सिद्धांत होते थे जिम्मेदारी होती थी दायित्व बोध होता था, जबकि आज के मीडिया में एक प्रोफेशनलिज्म है। सोशल मीडिया के चलते आज हम सभी मीडिया के भाग हैं ,लेकिन पत्रकारिता के भाग नहीं हैं । पत्रकारिता की चुनौती पत्रकार के रूप में अपना वजूद बनाए रखने की भी है। सही खबरें देकर निष्पक्ष कैसे रहेंगे यह भी पत्रकारिता की एक बड़ी चुनौती है सोशल मीडिया ने पत्रकारिता का पूरा चेहरा और चरित्र बदल दिया है।
    इस सत्र को दिनेश पांचाल , मनोज मिश्र, अंजनी कुमार झा, नित प्रिया प्रलय, आकाश शा ने भी संबोधित किया।
    इसका संचालन डॉ. नीरजा ने किया।
    इस सत्र में दो शोधार्थियों पूजा पाराशर और ललिता ने अपने शोध पत्रों के सार भी प्रस्तुत किए।
    संयोजन एवं आभार प्रदर्शन महोत्सव के अकादमिक संयोजक कमलेश भट्ट कमल द्वारा तथा अतिथियों का स्वागत और सम्मान फाउंडेशन के उपाध्यक्ष शरद कुमार त्रिपाठी द्वारा किया गया। 000

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