"आचार्य प्रशांत से समझें गीता, लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: acharyaprashant.org/hi/enquiry-gita-course?cmId=m00022 ✨ प्रतिमाह 20+ लाइव सत्र और नियमित परीक्षाएँ ✨ 40,000+ गीता छात्रों की कम्युनिटी ✨ पिछले 1,000+ घंटों के सत्रों की रिकॉर्डिंग - निशुल्क ✨ आचार्य प्रशांत से पूछें अपने सवाल"
लोकधर्म की मान्यताओं पर चलते चलते हमने पूरी पृथ्वी को भोग डाला है। आज केवल एक प्रजाति है जो बच रही है वह है - मनुष्य बाकी सब प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर है।
श्रेय और प्रेय दोनों अलग अलग है ये दोनों हमे अपने अर्थ से बाँधते है जो श्रेय को चुनता है उसका कल्याण होता है और जो प्रेय को चुनता है वो मूल लक्ष्य से भटक जाता है ।
न्यच्छ्रेयोऽन्यदुतैव प्रेयस्ते उभे नानार्थे पुरुषः सिनीतः । तयोः श्रेय आददानस्य साधु भवति हीयतेऽथर्थाद्य उ प्रेयो वृणीते ॥श्रेय और प्रेय दोनों अलग-अलग हैं। ये दोनों मनुष्य को अपने अर्थ से बाँधते हैं। जो श्रेय को चुनता है उसका कल्याण होता है और जो प्रेय को चुनता है वह अपने मूल लक्ष्य से भटक जाता है।
श्रेय और प्रेय साथ-साथ नहीं चलते, जो पहले से पकड़ रखा है बो छोड़ोगे तभी बो इतना भारी तरबूज़ हाथ में आएगा। नींबू बेर का तो ये है कि कुछ पकड़ भी रखा है तो साइड में फिट कर दो जैसे हम में से कई ने गीता को अपनी जिंदगी में साइड में फिट कर रखी है।
श्री आचार्य प्रशांत जी आज आपका विषय बहुत सुंदर और सत्यनिष्ठ था आपका बहुत बहुत धन्यवाद श्री आचार्य प्रशांत जी भगवान जी आपको हमेशा स्वस्थ रखे और आपको आगे बढ़ने की हिम्मत देते रहे 🙏🌹💐
मयि सर्वाणि कर्माणि संन्यस्याध्यात्मचेतसा । निराशीर्निर्ममो भूत्वा युध्यस्व विगतज्वरः ॥विवेक बुद्धि द्वारा सारे कर्म तथा कर्मफल मुझ में अर्पित करके निष्काम, ममता-रहित और शोक-शून्य होकर तुम युद्ध करो। भगवद् गीता-3.30
श्रेय और प्रेय दोनों अलग अलग हैं, ये दोनों मनुष्य को अपने अर्थ से बांधते हैं, जो श्रेय को चुनता है, उसका कल्याण होता है और जो प्रेय को चुनता है वह अपने मूल लक्ष्य से भटक जाता है।💯✌🏻
Sahi bat h ❤❤😊😊aacharya ji.. Atam gyan ke prakash me andhe karm sab tyag do, nirash ho nirmam bno taprahit bs youdh ho bs youdh hi... Pranaam acharya 🙏ji❤❤😊😊
आचार्य जी का मार्गदर्शन, प्रेरणा और ज्ञान का स्रोत है, जिससे कई लोगों को जीवन की जटिलताओं को स्पष्टता और उद्देश्य के साथ पार करने में मदद मिली है।❤❤🙏🙏✍️✍️💪💪
आचार्य जी अब पॉन्गे धर्मो के लोगों के जड़ को हिला रहा हैं इसलिए वो बौखलाए हुए हैं.. समय आ चुका हैं बाहर निकलने का अब चुप बैठने से कुछ नहीं होगा.. आचार्य जी के शिक्षा को घर घर पहुचना हैं🙏🙏❤❤
घोर उनके कर्म की ,याद से मन शुद्ध हो। जग विकल है तुम उठो, अंत तक बस युद्ध हो। आत्मज्ञान के प्रकाश में, अंधे धर्मसब त्याग दो। निराश हो निर्मम बानो,पापरहित बस युद्ध हो । आग दहके पर धुएं से, प्रकाश ढक सा जाता है। काम भरा जब आंख में, सच नजर नहीं आता है। ऐसा कोई काल नहीं कृष्णा जब होते नहीं। नाम अलग संग्राम वही, गीता धार बहती रहे।।
श्री आदरणीय भाई प्रशांत जी की कथा ,प्रवचन के सभी उपदेश प्रशनशनिए हैं,🌹इनके द्वारा बताए गए सत्य मार्ग दर्शन ही हम सब के दुख मिटने में देर लगेगी 🙏🌄🌴 जय माता दी❤
"आचार्य प्रशांत से समझें गीता,
लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: acharyaprashant.org/hi/enquiry-gita-course?cmId=m00022
✨ प्रतिमाह 20+ लाइव सत्र और नियमित परीक्षाएँ
✨ 40,000+ गीता छात्रों की कम्युनिटी
✨ पिछले 1,000+ घंटों के सत्रों की रिकॉर्डिंग - निशुल्क
✨ आचार्य प्रशांत से पूछें अपने सवाल"
🌄🌷💛
Thanks acharya ji bahut badhiya vishay tha aaj ka ❤
🙏🏻बहुत बहुत शुक्रिया श्रीप्रशान्त जी आज के विषय के लिए
13:57
@@ShriPrashant 🏹🏹🏹👍👑🎸✍🏻🦁🤸🤸🏻♂️🏋🏽🚴🏼♀️🇻🇬🇻🇬🇻🇮🇻🇮🇻🇮🇻🇮
जो कुछ भी तुमने आकर्षक पाया है उसी का नाम माया है
~ Acharya ji ❤
सत्य के योद्धा को नमन 🙏🙏🙏🙏
Thanks for clarity🛐
🥇
❤
घोर उनके कर्म की, याद से मन शुद्ध हो जग विकल है तुम उठो, अंत तक बस युद्ध हो
- भागवद गीता 3.20
आचार्य जी भारत के लिए नहीं पूरी मानवता के लिए प्रकाश हैं।
यह तो घर है प्रेम का, खाला का घर नाहि। शीश उतारे भुई धरे, तब बैठे घर माहि ॥ ☝🏻संत कबीर
❤🙏
सच्चा विश्वगुरु हमारे आचार्य प्रशांत सर 😢 . जीवन में नयी ऊर्जा और साहस देने के लिए नमन करते हैं...
Great Bodh Father ❤
सही अर्थ मे इस समय मे आपसे बढ़ा सच्चा धर्मगुरु ओर कोई नही है।
शिक्षक को नमन।🙏
हमारे आचार्य जी ने हमें सही ज्ञान देकर असंभव को संभव बना दिया है।
❤❤❤
Thanks Acharya Ji
मेरा चित्त एकाग्रचित्त नहीं रहता
🥇
सही कर्म का एकमात्र यही अर्थ है कि जो बन्धन में है वो कुछ ऐसा काम चुने जो उसके बन्धनों को काटे और उसे उसकी मूलग्रन्थि से मुक्त करे।✨
जहां आकर्षण है? वहां सुंदरता हो ही नहीं सकती। वास्तविक सुंदरता प्रेम का ही पर्याय है। 🙏
पिया मोरे जागे, मैं कैसे सोई टरी।बिन जागे ना मिलेंगे सजन सखिया । क्यों सोए तू मोह खोह में, कामिन ऐसी लगाए अखियाँ ॥
☝🏻- संत कबीर
❤🙏
जहाँ आकर्षण है, वहाँ सुंदरता हो ही नही सकती वास्तविक सुंदरता प्रेम का ही पर्याय है ।
आचार्य जी❤
सुबह की शुरुआत आचार्य जी के साथ 🙏🙏
आत्म ज्ञान के प्रकाश में अंधे करम सब त्याग दो निरश हो nirmam बनो ताप रहित बस युद हो
आचार्य जी का समर्थन करें, गीता जला दिए , निज दुर्दशा निज कर से ।।
हम जो चाह रहे हैं वो असंभव हैं और जो हम चाह रहे हैं वो सम्भव इस पाखंड से हैं अशान्त का शान्त मिल जाये
कर्म छू नहीं सकता शब्द से भी पाएगा कौन,
राम तक पहुँचेगा मन होकर मात्र मौन।।❤️
आत्मज्ञान के प्रकाश में, अंधे कर्म सब त्याग दो।
निराश हो निर्मम बनो, तापरहित बस युद्ध हो।।❤
❤
Aacharya Prashant is a symbol of truth❤
लोकधर्म की मान्यताओं पर चलते चलते हमने पूरी पृथ्वी को भोग डाला है।
आज केवल एक प्रजाति है जो बच रही है वह है - मनुष्य बाकी सब प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर है।
आनंद की जिम्मेदारी हमारी नहीं है, वह तो स्वतः उपलब्ध है। हमारी जिम्मेदारी ~झूठ/बंधन को काटना है ।
“निराशी निर्ममो युध्यस्व विगतज्वरः|”🌸
हाथ सुमरनी पेट कतरनी, पढ़त भागवत गीता।
राम भजा सो जीता जग में, राम भजा सो जीता।।
~संत कबीर 🌸🌸✨
सूली ऊपर सेज हमारी, किस बिध सोना होय ।
🪕- संत मीराबाई
आत्मा मने वो हो जाना जिसमें मुझे चैन मिले
मन के मते न चलिये, मन के मते अनेक।
जो मन पर असवार है, सो साधु कोई एक।।
~संत कबीर 🌸 ✌🏻
आत्म ज्ञान के प्रकाश में ,
अंधे कर्म सब त्याग दो ।
निराश हो निर्मम बनो ,
ताप रहित बस युद्ध हो ।।
कबीर मनहिं गयन्द है, अंकुश दै दै राखु ।
विष की बेली परिहारो, अमृत का फल चाखु ।।
~संत कबीर ✨
❤👌
"सद्गुरु मेरा सूरमा, करे शब्द की चोट।
मारे गोला प्रेम का, हरै भ्रम की कोट।।"
🌹🌹चरनदास जी महाराज 🌹🌹
आग दहके पर धुएँ से, प्रकाश ढक जाता है काम भरा जब आँख में, सच नज़र नहीं आता है
- भागवद गीता3.38
Acharya ji sachme mahan hain
Unki soch bichar mahasagar jaisa hain
आत्मा मने वो हो जाना जिसमें मुझे चैन मिले😌✨
आधुनिक भारत के महान योद्धा आचार्य प्रशांत
श्रेय और प्रेय दोनों अलग अलग है ये दोनों हमे अपने अर्थ से बाँधते है जो श्रेय को चुनता है उसका कल्याण होता है और जो प्रेय को चुनता है वो मूल लक्ष्य से भटक जाता है ।
न्यच्छ्रेयोऽन्यदुतैव प्रेयस्ते उभे नानार्थे पुरुषः सिनीतः । तयोः श्रेय आददानस्य साधु भवति हीयतेऽथर्थाद्य उ प्रेयो वृणीते ॥श्रेय और प्रेय दोनों अलग-अलग हैं। ये दोनों मनुष्य को अपने अर्थ से बाँधते हैं। जो श्रेय को चुनता है उसका कल्याण होता है और जो प्रेय को चुनता है वह अपने मूल लक्ष्य से भटक जाता है।
श्रेय और प्रेय दोंनों साथ-साथ नहीं चल सकते हैं
श्रेय को चुनना ही अध्यात्म की पहचान है😊
जहां कल्याण है वहां आकर्षण ही नहीं, विकर्षण है । और जहां कल्याण नहीं है, वहां सबसे ज्यादा आकर्षण है
~ आचार्य प्रशांत❤
आनंद की जिम्मेदारी हमारी नहीं है, वह तो स्वतः उपलब्ध है। हमारी जिम्मेदारी झूठ बंधन को काटना है।
54:12 जहां कल्याण नहीं है वहाँ आकर्षण ज्यादा है ✨️♥️
आनंद की जिम्मेदारी हमारी नहीं है, वह तो उपलब्ध ही है, हमारी जिम्मेदारी है झूठे बंधनों को कटना।। 🙏☺️
आचार्य जी ❤🙏
बात गहरी और स्पष्ट है😊
समझाने वाला आप जैसा हो ,तो क्या कहने🙏
प्रिय से बहुत ऊंची बात है श्रेय।
Acharya ji 🚩🙏❤
Best worrier of our Bharat ❤❤😊
अनुदान ज्यादा से ज्यादा करे सब
संस्था को संसाधनों की बहुत आवश्यकता है
हमें ही उसे मज़बूत करना है।
समय से कम्युनिटी में एनरोल करे।
अहंकार घाव है , उसकी सफाई दवाई करोगे तो पीड़ा होगी, और जो सफाई दवाई कर रहा उसको दोष नहीं देते - आचार्य प्रशांत। 🎯
अध्यात्म उनके लिए है जिनको कहीं और से आमंत्रण आने लग गया, जिनको यहाँ का बहुत दिखाई-सुनाई देना ही बंद हो गया।🙏🏻♥️
आप हमेशा स्वस्थ रहें आचार्य जी❤🙏
श्रेय और प्रेय साथ-साथ नहीं चलते, जो पहले से पकड़ रखा है बो छोड़ोगे तभी बो इतना भारी तरबूज़ हाथ में आएगा। नींबू बेर का तो ये है कि कुछ पकड़ भी रखा है तो साइड में फिट कर दो जैसे हम में से कई ने गीता को अपनी जिंदगी में साइड में फिट कर रखी है।
जो पहले से पकड़ा हैं उससे छोडो तभी तरबूज़ हाथ आएगा🙏🏻
श्री आचार्य प्रशांत जी आज आपका विषय बहुत सुंदर और सत्यनिष्ठ था आपका बहुत बहुत धन्यवाद श्री आचार्य प्रशांत जी भगवान जी आपको हमेशा स्वस्थ रखे और आपको आगे बढ़ने की हिम्मत देते रहे 🙏🌹💐
ज्यादातर घरों में गीता को सिर्फ लाल कपड़े में बांधकर पूजा स्थान पर रख दिया जाता है, खोलने भी नहीं दिया जाता ,ऐसा धर्म है हमारा 😢
आत्मा को पाना मतलब अहंकार का जाना ❤️
ऐसा कोई काल नहीं, कृष्ण जब होते नहीं नाम अलग संग्राम वही, गीता धार बहती रही
- भागवद गीता 4.1
❤🙏
आनंद की जिम्मेदारी हमारी नही है, वह तो उपलब्ध ही है, हमारी जिम्मेदारी है झूठे बंधनों को काटना ।
आचार्य जी❤
एक क्षण के लिए ईश्वर गलत हो सकते हैं पर हमारे आचार्य जी नहीं 🤝🤝
आचार्य प्रशांत महा महा महा ज्ञानी हैं 🙏
हम सब आचार्य प्रशांत 💕 जी के साथ हैं। हमारे रहते उनका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता।
मयि सर्वाणि कर्माणि संन्यस्याध्यात्मचेतसा । निराशीर्निर्ममो भूत्वा युध्यस्व विगतज्वरः ॥विवेक बुद्धि द्वारा सारे कर्म तथा कर्मफल मुझ में अर्पित करके निष्काम, ममता-रहित और शोक-शून्य होकर तुम युद्ध करो।
भगवद् गीता-3.30
श्रेय और प्रेय दोनों अलग अलग हैं, ये दोनों मनुष्य को अपने अर्थ से बांधते हैं, जो श्रेय को चुनता है, उसका कल्याण होता है और जो प्रेय को चुनता है वह अपने मूल लक्ष्य से भटक जाता है।💯✌🏻
दुनिया अजब दीवानी हो, मोटी कही एक न मानी हो।
तजि प्रत्यक्ष सङ्गुरु परमेश्वर, इत उत फिरत भुलानी हो ।
☝🏻- संत कबीर
Bohot acha gulab ji
❤🙏
🪔आत्मज्ञान के प्रकाश मे अंधे करम सब त्याग दो, निर्मम बनो ताप रहीत बस युद्ध हो...✨❤️❤️ शत शत नमन आचार्य जी ♥️🙏🙏
Teacher Acharya Prasant Sir❤❤❤❤
Gurujike charanme juga juga rahunga 🙏🙏🙏🙏
आत्मा माने वो हो जाना जिससे मुझे सचमुच चैन मिले
आचार्य जी❤
सभी लोग आचार्य प्रशांत जी का समर्थन करें ट्विटर पर असली धर्म को अपनाएं, धन्यवाद🙏
जो पहले से पकड़ रखा है उसे छोड़ो तभी जो असली है वो हाथ आयेगा ।
संसार मै चीज़ छोटी मिलती है तो सस्ती मिलती है दो पल की सस्ती खुशी , डरी हुई खुशी , सहमी हुई खुशी ✅💯
मरो हे जोगी मरो, मरो मरण है मीठा। उस मरनी मरो, जिस मरनी गोरख मरी दीठा ॥
✋🏻- बाबा गोरखनाथ
❤🙏
❤ऐसा आदमी मिलना मुश्किल है जो दुनिया मे सिकंदर हो और धर्म को जीवन के केंद्र में रखता हो😢😢😢
I am very inspired by Acharya parsant
सभी लोग आचार्य जी को सुनने के बाद प्रतिबिंब लिखना ना भूले और गीता सत्र में शामिल हों जल्दी से जल्दी से 🎉
हम अपने घर के कोने मै मंदिर की स्थापना कर देते है और हम अपने आपको धार्मिक कहते है 💯✅
अध्यात्म उनके लिए है जिनको कहीं
और से आमंत्रण आने लग गया, जिनको
यहाँ का बहुत दिखाई-सुनाई देना ही बंद
हो गया।
❤❤❤❤
Sahi bat h ❤❤😊😊aacharya ji.. Atam gyan ke prakash me andhe karm sab tyag do, nirash ho nirmam bno taprahit bs youdh ho bs youdh hi... Pranaam acharya 🙏ji❤❤😊😊
आचार्य जी का मार्गदर्शन, प्रेरणा और ज्ञान का स्रोत है, जिससे कई लोगों को जीवन की जटिलताओं को स्पष्टता और उद्देश्य के साथ पार करने में मदद मिली है।❤❤🙏🙏✍️✍️💪💪
मेरी दिली इच्छा है नवयुवक ज्यादा आचार्य प्रशांत जी से जुड़े ताकि उज्वल भविष्य हो
आचार्य जी को मेरा सादर प्रणाम 🙏🙏🙏
हाथ सुमरनी पेट कतरनी, पढ़त भागवत गीता ।
राम भजा सो जीता जग में, राम भजा सो जीता ॥
☝🏻- संत कबीर
🙏🙏🙏
❤🙏
Sadar pranam Aacharya Shri Ji 💐🙏
आत्मा को पाना मतलब अहं भाव का मिटना
आचार्य जी❤
आचार्य जी अब पॉन्गे धर्मो के लोगों के जड़ को हिला रहा हैं इसलिए वो बौखलाए हुए हैं.. समय आ चुका हैं बाहर निकलने का अब चुप बैठने से कुछ नहीं होगा.. आचार्य जी के शिक्षा को घर घर पहुचना हैं🙏🙏❤❤
चरण स्पर्श आचार्य जी🙏🙏🙏🙏❤❤❤❤
Radhe Radhe Achary ji
🙏🙏🙏
आत्मज्ञान के प्रकाश में, अंधे कर्म सब त्याग दो निराश हो निर्मम बनो, तापरहित बस युद्ध हो
- भागवद गीता 3.30
Acharya Ji is the Swami Vivekanand of our time, we are lucky to live and listen to Acharya Ji
धन्यवाद आचार्य जी 🙏🙏🙏
इश्क है अपने ही खून में नहाना और मुस्कुराना❤️🙏
Jivan bhar Youdh ho ❤❤
घोर उनके कर्म की ,याद से मन शुद्ध हो। जग विकल है तुम उठो, अंत तक बस युद्ध हो। आत्मज्ञान के प्रकाश में, अंधे धर्मसब त्याग दो। निराश हो निर्मम बानो,पापरहित बस युद्ध हो । आग दहके पर धुएं से, प्रकाश ढक सा जाता है। काम भरा जब आंख में, सच नजर नहीं आता है। ऐसा कोई काल नहीं कृष्णा जब होते नहीं। नाम अलग संग्राम वही, गीता धार बहती रहे।।
आत्मा माने वो हो जाना जिसमें मुझे चैन मिले।।❤️✨😇
श्री आदरणीय भाई प्रशांत जी की कथा ,प्रवचन के सभी उपदेश प्रशनशनिए हैं,🌹इनके द्वारा बताए गए सत्य मार्ग दर्शन ही हम सब के दुख मिटने में देर लगेगी 🙏🌄🌴 जय माता दी❤
Acharyaji shatayu jivan prapt kare jise vartman bharat ke navyuvano ko nayi rah mile or us per chalne ka bal or dimag mile
जो दिलदार दुनिया को छोड़े बिना मिल जाए तो वह दुनिया की ही धूल होता है।" चलो दिलदार चलो, चांद के पार चलो,"🙏🙏👍👍
बहुत बहुत धन्यबाद गुरुजी
आत्मज्ञान के बिना इंसान अधूरा है
प्रणाम आचार्य जी❤
Koti koti naman apke charno❤ acharya ji