धर्मराज जी प्रणाम आपके वीडियो मैं निरंतर देखता रहता हूं और देखता ही नहीं उसे पर मनन भी करता हूं पर मैं आपकी वाणी पर मेरा मन टिक जाता है इसलिए मेरी एक प्रार्थना है की गुरु गोरखनाथ की वाणी पर एक एक दोहे पर अगर आप 1 घंटे का भी वीडियो बनाएंगे और उसे पर बोलेंगे तो पूरी दुनिया का मैं नहीं कहता पर मैं गुमान सिंह राठौड़ उसको सुनूंगा मनन करूंगा और उसे पर जीने का ढंग बना लूंगा क्योंकि आपके मुखारविंद से गुरु गोरखनाथ के साथ एक न्याय जरूर हो जाएगा क्योंकि आपकी वाणी मैं आपकी प्रज्ञा में पूरी स्वतंत्रता है और आत्मा से निकली हुई वाणी है निष्कलंक है निष्कपट है और पवित्र
ॐ प्रणाम 🙏 हकीकत कह दी है, इस माध्यम से। एक प्रश्न उठा अभी अभी मन में, समाधान करें जी... जिस किसी उपाधि को lamp post बनाया गया है, light house बनाया गया है, वे सब तो ईश्वर की योजना के हिसाब से ही हो रहा है न ? जीवन में कहीं ना कहीं सब lamp post ही है, एक दूसरे के लिए, मनुष्य का जैसा मार्ग, वैसा प्रकाश उसे, प्रकृति की ओर से मिलता ही रहेगा न ? और यह सब निश्चित है, न कोई इस का दावा अपने सर पर ले सकता है कि मैने ऐसा ऐसा मार्ग दिखाया, अपधिका कर्तव्य है, आप बस मार्ग पूछने वाले को ही मार्ग बताते चलो। ईश्वर ने चुना है, कौनसी उपाधि को कौनसा काम सौंपा जाए यह सब तय है, इसकी चिंता फिक्र हमे नहीं करनी..! हमे तो बस मार्ग में प्रकाश मिल रहा है, उस पर चलते रहे, या अटक जाए यह भी कहना उचित नहीं होगा। समझ सही दिशा की तरफ है या नहीं ? आप ही प्रकाश दिखाया करें और हम चलते जाएंगे, जब तक शरीर में प्राण है। इस प्रकार से, यह भी कहना उचित है या नहीं, इसका पता नहीं लग रहा है! ॐ 🙏
प्रश्न अभी की सामाजिक परिस्थितियों को दर्शाता जिज्ञासा से पूछा गया है उत्तर जो आया है थोड़ा अस्पष्ट है अगर प्रश्नकर्ता इतना समझदार होता तो यह प्रश्न न उठाता... Spirituality is all about talking abstract,why there are no direct direction s🤐
Adbhut Adbhut
सत्य कहा है
🙏🌸🌸
♥️♥️🙏🙏
🎉❤
❤
❤🌹👃
धर्मराज जी प्रणाम आपके वीडियो मैं निरंतर देखता रहता हूं और देखता ही नहीं उसे पर मनन भी करता हूं पर मैं आपकी वाणी पर मेरा मन टिक जाता है इसलिए मेरी एक प्रार्थना है की गुरु गोरखनाथ की वाणी पर एक एक दोहे पर अगर आप 1 घंटे का भी वीडियो बनाएंगे और उसे पर बोलेंगे तो पूरी दुनिया का मैं नहीं कहता पर मैं गुमान सिंह राठौड़ उसको सुनूंगा मनन करूंगा और उसे पर जीने का ढंग बना लूंगा क्योंकि आपके मुखारविंद से गुरु गोरखनाथ के साथ एक न्याय जरूर हो जाएगा क्योंकि आपकी वाणी मैं आपकी प्रज्ञा में पूरी स्वतंत्रता है और आत्मा से निकली हुई वाणी है निष्कलंक है निष्कपट है और पवित्र
ॐ प्रणाम 🙏
हकीकत कह दी है, इस माध्यम से।
एक प्रश्न उठा अभी अभी मन में, समाधान करें जी...
जिस किसी उपाधि को lamp post बनाया गया है, light house बनाया गया है,
वे सब तो ईश्वर की योजना के हिसाब से ही हो रहा है न ?
जीवन में कहीं ना कहीं सब lamp post ही है, एक दूसरे के लिए,
मनुष्य का जैसा मार्ग, वैसा प्रकाश उसे, प्रकृति की ओर से मिलता ही रहेगा न ?
और यह सब निश्चित है,
न कोई इस का दावा अपने सर पर ले सकता है कि मैने ऐसा ऐसा मार्ग दिखाया,
अपधिका कर्तव्य है, आप बस मार्ग पूछने वाले को ही मार्ग बताते चलो।
ईश्वर ने चुना है, कौनसी उपाधि को कौनसा काम सौंपा जाए यह सब तय है,
इसकी चिंता फिक्र हमे नहीं करनी..!
हमे तो बस मार्ग में प्रकाश मिल रहा है, उस पर चलते रहे, या अटक जाए यह भी कहना उचित नहीं होगा।
समझ सही दिशा की तरफ है या नहीं ?
आप ही प्रकाश दिखाया करें और हम चलते जाएंगे, जब तक शरीर में प्राण है।
इस प्रकार से, यह भी कहना उचित है या नहीं,
इसका पता नहीं लग रहा है!
ॐ 🙏
प्रश्न अभी की सामाजिक परिस्थितियों को दर्शाता जिज्ञासा से पूछा गया है
उत्तर जो आया है थोड़ा अस्पष्ट है
अगर प्रश्नकर्ता इतना समझदार होता तो यह प्रश्न न उठाता...
Spirituality is all about talking abstract,why there are no direct direction s🤐