परमात्मा बंदी छोड़ सतगुरु देव भगवान जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के श्री चरणों में दास का कोटि-कोटि दंडवत प्रणाम सत साहेब जी परमात्मा ♥️🌺💐🌹🙏🌺💐🌹🙏🌺💐🌹🙏🌺💐🌹🙏🌺💐🌹🙏🌺💐🌹🙏
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि सभी मानव, एक सर्वोच्च ईश्वर परमेश्वर कबीर जी की पूजा करें और हमारे मूल निवास सतलोक की ओर वापस लौटे। जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से अपनी जाति, पंथ, रंग, आस्था या धर्म से बेपरवाह होकर नाम दीक्षा ले सकता है
🔅 वेद में लिखा है कि पूर्ण परमात्मा मर चुके हुए साधक को भी जीवित करके 100 वर्ष तक जीने की शक्ति भी दे सकता है। संत रामपाल जी महाराज ऐसी ही सतभक्ति बताते हैं।
कबीर, गुरु बड़े हैं गोविन्द से, मन में देख विचार। हरि सुमरे सो वारि है, गुरु सुमरे होय पार।। कोटि कोटि सिजदा करूं, कोटि कोटि प्रणाम। चरण कमल में राखियो, मैं बांदी जाम गुलाम।। कबीर, यह तन जावेगा, सके तो ठाहर लाए। एक सेवा कर सतगुरु की, और गोविंद के गुण गाए।।
कबीर परमेश्वर जी जिंदा सन्त रूप में जम्भेश्वर जी महाराज (बिश्नोई धर्म प्रवर्तक) को समराथल में आकर मिले थे। अपना तत्वज्ञान समझाया। उन्होंने अपनी वाणी में प्रमाण दियाः जो जिन्दो हज काबे जाग्यो, थलसिर (समराथल) जाग्यो सोई। वह परमात्मा जिन्दा रूप में थल सिर (समराथल) स्थान में आया और मुझे जगाया।
जिस समय सर्व सन्त जन शास्त्र विधि त्यागकर मनमानी पूजा द्वारा भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं कबीर प्रभु ही आते हैं।
पूर्ण परमात्मा कविर्देव चारों युगों में आए हैं। सृष्टी व वेदों की रचना से पूर्व भी अनामी लोक में मानव सदृश कविर्देव नाम से विद्यमान थे। कबीर परमात्मा ने फिर सतलोक की रचना की, बाद में परब्रह्म, ब्रह्म के लोकों व वेदों की रचना की इसलिए वेदों में कविर्देव का विवरण है।
#आँखों_देखा_भगवान_को सुनो उस अमृतज्ञान को परमात्मा कबीर जी जिंदा महात्मा के रूप में श्री नानक जी को मिले। उन्होंने कबीर परमेश्वर जी की महिमा इस प्रकार लिखी है। गुरुग्रन्थ साहेब पृष्ठ 721 पर अपनी अमृतवाणी महला 1 में श्री नानक जी ने कहा है कि - “हक्का कबीर करीम तू, बेएब परवरदीगार।
💠ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में कहा गया है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है अर्थात् उसे ऋषि, सन्त व कवि कहने लग जाते हैं, वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर साहेब) ही है।
सदगुरुदेव जी के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम
Koti koti parnaam mere guruji
भोजन खाने के बाद बोली जाने वाली अमृत वाणी संत रामपाल जी महाराज के द्वारा
Bandi chhod satguru Rampal Ji Bhagwan Ji ke charanon mein koti koti dandvat❤❤
True worship given by sant Rampal ji Maharaj
कोटि कोटि दंडवत प्रणाम मालिक
बन्दी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जहो 🙏🙏🙏
🙏🏼 koti koti parnaam malik
अद्भुत अमृतमय वाणी🩷🤗🙏
माया सगी न तन सगा, सगा न ये संसार ।
सच्चे एको सतगुरु, जग के सिरजनहार ।।
पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तीसरे मुक्ति धाम अर्थात् सतलोक में रहता है। - ऋग्वेद
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
Good
Nice post
संत रामपाल जी महाराज सच्चे संत ही नहीं बल्कि कबीर भगवान् के अवतार हैं🙏😊
Anokhi aarti anndev ki
Wow
सतगुरूदेव जी के चरणो मे कोटी कोटी प्रणाम
Sat saheb 🙏🏻
परमात्मा बंदी छोड़ सतगुरु देव भगवान जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के श्री चरणों में दास का कोटि-कोटि दंडवत प्रणाम सत साहेब जी परमात्मा ♥️🌺💐🌹🙏🌺💐🌹🙏🌺💐🌹🙏🌺💐🌹🙏🌺💐🌹🙏🌺💐🌹🙏
Great gyan
anmol stuti ann dev ki
Awesome
जय हो बन्दी छोड़ की जी
कोटि कोटि दंडवत पणाम मालिक 🙏🏾🙏🏾
Very Nice satsang
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान जी की जय
Sat saheb ji
Nice Vani 🙏💐🎉❤🥀
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि सभी मानव, एक सर्वोच्च ईश्वर परमेश्वर कबीर जी की पूजा करें और हमारे मूल निवास सतलोक की ओर वापस लौटे।
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से अपनी जाति, पंथ, रंग, आस्था या धर्म से बेपरवाह होकर नाम दीक्षा ले सकता है
कबीर सतगुरु सरण आने से आई टले बल्ला जै मस्तक मे सूली लिखी वो काँटों में टलजा
Anmol vachan
Nice
Kabir is supreme God
बंदी छोड़ कबीर साहेब जी की जय
True way of worship
❤❤
Malik ke charno me koti koti pranam 🙏🙏
Wow very nice
कबीर,गुण तीनों की भक्ति में, भूल परो संसार.
कहे कबीर निज नाम बिन.,कैसे उतरे पार l
🙏🏻सत साहेब 🙏🏻
Sabse alg hai bhojan ke baad ki aarti
संत गरीब दास जी ने रोटी की महिमा बहुत अच्छी बताई है
🔅 वेद में लिखा है कि पूर्ण परमात्मा मर चुके हुए साधक को भी जीवित करके 100 वर्ष तक जीने की शक्ति भी दे सकता है। संत रामपाल जी महाराज ऐसी ही सतभक्ति बताते हैं।
Very nice
साईं इतना दीजिए जा मैं कूटूम समाये हम भी भूखे ना रहे साधूं ना भूखे जायें
Nice video
कबीर, गुरु बड़े हैं गोविन्द से, मन में देख विचार।
हरि सुमरे सो वारि है, गुरु सुमरे होय पार।।
कोटि कोटि सिजदा करूं, कोटि कोटि प्रणाम।
चरण कमल में राखियो, मैं बांदी जाम गुलाम।।
कबीर, यह तन जावेगा, सके तो ठाहर लाए।
एक सेवा कर सतगुरु की, और गोविंद के गुण गाए।।
Nice❤❤
❤❤❤❤😮😮😮🎉🎉
कबीर परमेश्वर जी जिंदा सन्त रूप में
जम्भेश्वर जी महाराज (बिश्नोई धर्म प्रवर्तक) को समराथल में आकर मिले थे। अपना तत्वज्ञान समझाया।
उन्होंने अपनी वाणी में प्रमाण दियाः
जो जिन्दो हज काबे जाग्यो, थलसिर (समराथल) जाग्यो सोई। वह परमात्मा जिन्दा रूप में थल सिर (समराथल) स्थान में आया और मुझे जगाया।
Very nice ❤
Kabir is God
जिस समय सर्व सन्त जन शास्त्र विधि त्यागकर मनमानी पूजा द्वारा भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं कबीर प्रभु ही आते हैं।
Sant rampal ji maharaj ki kay ho
पूर्ण परमात्मा कविर्देव चारों युगों में आए हैं। सृष्टी व वेदों की रचना से पूर्व भी अनामी लोक में मानव सदृश कविर्देव नाम से विद्यमान थे। कबीर परमात्मा ने फिर सतलोक की रचना की, बाद में परब्रह्म, ब्रह्म के लोकों व वेदों की रचना की इसलिए वेदों में कविर्देव का विवरण है।
#आँखों_देखा_भगवान_को सुनो उस अमृतज्ञान को
परमात्मा कबीर जी जिंदा महात्मा के रूप में श्री नानक जी को मिले।
उन्होंने कबीर परमेश्वर जी की महिमा इस प्रकार लिखी है।
गुरुग्रन्थ साहेब पृष्ठ 721 पर अपनी अमृतवाणी महला 1 में श्री नानक जी ने कहा है कि -
“हक्का कबीर करीम तू, बेएब परवरदीगार।
भगवान राम व भगवान कृष्ण जी सतयुग में नहीं थे। तब किस राम की भक्ति होती थी?जानने के लिए अवश्य पढ़ें पुस्तक ज्ञान गंगा।
Khane v khilane vale donu ko Labh hota hai
💠ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में कहा गया है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है अर्थात् उसे ऋषि, सन्त व कवि कहने लग जाते हैं, वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर साहेब) ही है।
Wow
Bandi chhod satguru Rampal Ji Maharaj ke Charan kamlon mein koti koti dandvat pranam
Nice
Very nice
Very nice