माँ की शरण में रहना सहजी जीवन की चतुराई प्रातःसमय में ध्यान करना सहजयोग की हैं गहराई माँ की शरण और ध्यान दोनों ही सच्चा आश्रय हैं सहजयोग में इसी में हमारा उत्थान निहित हैं
मैं बालक नादान हूँ मैय्या कीस विधि करू नमन तुझको मैं तो इतना जानु रे मैय्या जीवन हैं अर्पण तुझको आपके पावन कमल श्री चरणों में कोटि कोटि नमन माँ अनन्य अनन्य भक्ति प्रदान करों माँ जय श्री माताजी
माँ की शरण में रहना सहजी जीवन की चतुराई प्रातःसमय में ध्यान करना सहजयोग की हैं गहराई माँ की शरण और ध्यान दोनों ही सच्चा आश्रय हैं सहजयोग में इसी में हमारा उत्थान निहित हैं
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मैं बालक नादान हूँ मैय्या कीस विधि करू नमन तुझको मैं तो इतना जानु रे मैय्या जीवन हैं अर्पण तुझको आपके पावन कमल श्री चरणों में कोटि कोटि नमन माँ अनन्य अनन्य भक्ति प्रदान करों माँ जय श्री माताजी