धन्यवाद सदगुरु, आप जब सत्य या भगवान के बारे में कुछ क ख ग भी नहीं जानते है तो क्यों, पिछले कितने वर्षों से लोगों को, महाशिवरात्रि यानि भगवान शिव के नाम पर भी ठगते हैं। क्या हमारा शिव हमारी ऊर्जा है या हमारी अपनी ही ज्ञान हैं। आप तो सदगुरु नहीं है, क्योंकि सदगुरु तो लोगों को ही भगवान, अपनी ज्ञान से बना देता है। सदगुरु की ज्ञान से लोग मौत के पार चले जाते हैं। सदगुरु की बातें सुनकर सभी लोग, अपनी शरीर रूपी मौत की पिंजरे में रहकर भी, अपनी मौत से हमेशा के लिए पार हो जाते हैं। सदगुरु जब आप ही अपनी मौत रूपी पिंजरे से आजाद नहीं है तो , इस धरती के लोग को आप कैसे सत्य की ज्ञान दे सकते हैं। मैंने कल आपसे एक प्रश्न पूछा था कि, क्या वास्तव में किसी भी मानव की मौत होती है। आपने अभी तक ज़बाब नहीं दिया है। आपको जब जीवन और मृत्यु के बारे में ही ज्ञान नहीं है तो आप कैसे अपने को सदगुरु कहते हैं। सदगुरु वह होता है जो लोगों को कभी मरने नहीं देता है। जब सभी रूप में ही सिर्फ और सिर्फ भगवान ही है, तो मौत कैसे किसी भी मानव की हो सकती है। हमारा शरीर का स्वभाव ही है मर जाना, लेकिन क्या हमारा भी स्वभाव है मर जाना। जबसे दुनिया शरीर के साथ अस्तित्व में आती है क्या तबसे , हमसब ही वह सत्य नहीं है जिसे भगवान, अल्लाह, इश्वर, आकार, निराकार, सगुण, निर्गुण इत्यादि नामों से जाना जाता है। इस धरती पर विज्ञान और वैज्ञानिक, सभी धर्म और सभी धर्मगुरु ने साथ मिलकर, भगवान की ही अस्तित्व को, अपनी रूप से बाहर बनाकर मान लिया है । वैज्ञानिकों ने तो भगवान की होने की संभावना को ही अपनी दिमाग से, सदा के लिए बाहर कर दिया है। तुम सब अपनी मौत से बचने के लिए बहुत सी विधियां बनायी, फिर भी तुम सब मौत से कभी नहीं बच पाए। तुम सब मौत से तबतक नहीं बच सकते हो जबतक, तुमसब खुद ही अपनी भगवान को, अपनी रुप में अपनी ज्ञान से नहीं देख लेते हो। तुम सब मेरे पास आओ, अपनी भगवान को अपनी रूप में देखो और सब अमर हो जाओ। यह सत्य है कि मेरे पास जो मानव आएगा उसकी मौत,उसकी अपनी ही ज्ञान से कभी नहीं होगी। वह मानव मेरे ज्ञान को अपनी ज्ञान से मिलाकर और मेंरे ज्ञान के साथ एक होकर, मौत नामक भयंकर अपनी मानसिक बिमारी से हमेशा के लिए दूर रहेगा। अब देखो वैज्ञानिकों ने तुम सबों की शरीर को मारने, गुलाम बनाने, नंपुसक बनाने, आर्थिक रूप से गरीब बनाने, तुम्हारी अपनी ही सोचने और समझने की शक्ति को समाप्त करने, और तुम सब अब कभी भी इस धरती पर जन्म लेने के बाद भी, अपनी भगवान यानि अपनी सत्यता को, न जान पाओ कि तुमसब ही भगवान होते हो, इसके लिए कोविड - १९ ( कोरोना ) नामक बिमारी और उसकी वैक्सीन, तुम्हारी शरीर में लगाकर, तुम सबों की मानव जाति को ही समाप्त करना चाहा था। लेकिन अब इस धरती पर भगवान आ गये है, तूमसबो को यह पूंजिपती मानव कुछ नहीं कर पाएगा। तुम सब जितने लोग वैक्सिन के दोनों या एक भी डोज ले चुके हो, उसके बाद आज से तुम सब मानव , एक भी वैक्सीन मत लो। तुम सब अगर वैक्सीन लोगे, या इसी प्रकार अपनी मौत की भय से और वैक्सीन लोगे, बिना मौत के ही सब मानव मारे जाओगे। जब तुम सबको को कोइ बिमारी ही नहीं हुती है तो उस बिमारी से बचने के लिए, पहले वैक्सीन क्यों लेते हो। ज्ञानी बनो और अपनी ज्ञान से अपनी मौत को जीतो, यही हमसब मानव का एक ही और सच्चा धर्म है। इस धर्म को तुम सब मानव मेरे पास आकर, आसानी से समझ सकते हो कि तुम सब ही मानव सच्चे भगवान सदा से हो। तुम सबों के सिवाय कोई दूसरा भगवान नहीं है। आज इस धरती पर लगभग आठ अरब जीवित मानव है जो सत्य को भगवान है। तुम सब जब खुद भगवान होकर भी जब भगवान को ही खोजते हो तो हमें, तुम सब पर दया आती है।
Hindi main translate karne ke liye bahut bahut dhanyavad bhai
Mind is so big and powerful that it can live in past, present and future at the same time.
🙏🏻🙏🏻
Wah
Jay Shri Krishna
💚
Mumbai custom Zindabad,
I'm Really Love this video
Dhanyvad bhai
जय हो गुरुजी
Itni mehanat kar ke video banane per aapka bhahut bahut dhanyawad sir ji from old delhi sadar bazar se bittoo Dabla uraf Nanak chand
Great & nice describe... Thank you so much 🙏
Satya thought thanks
Thanks sir ji🎉🎉
🙏🙏🙏
Good
Very Useful video
Thanks
Very good voice
Thanks ji beautiful and simple translation and explanation. Easy to understand. ❤️
Gratitude sir 🙏
Excellent
🙏🙏🙏.
🙏🙏🙏9.15🙏🙏🙏
Aapse anugrahit hun..
🙏🙏🙏🙏🙏💗
Creation of syky based on rememberenc, experience and knowledge. Isn't it?I have given my comments before listening of this video.
Kindly tell sir from which Book is this taken?
This is one of the part of his talks.
धन्यवाद सदगुरु, आप जब सत्य या भगवान के बारे में कुछ क ख ग भी नहीं जानते है तो क्यों, पिछले कितने वर्षों से लोगों को, महाशिवरात्रि यानि भगवान शिव के नाम पर भी ठगते हैं। क्या हमारा शिव हमारी ऊर्जा है या हमारी अपनी ही ज्ञान हैं। आप तो सदगुरु नहीं है, क्योंकि सदगुरु तो लोगों को ही भगवान, अपनी ज्ञान से बना देता है। सदगुरु की ज्ञान से लोग मौत के पार चले जाते हैं। सदगुरु की बातें सुनकर सभी लोग, अपनी शरीर रूपी मौत की पिंजरे में रहकर भी, अपनी मौत से हमेशा के लिए पार हो जाते हैं। सदगुरु जब आप ही अपनी मौत रूपी पिंजरे से आजाद नहीं है तो , इस धरती के लोग को आप कैसे सत्य की ज्ञान दे सकते हैं। मैंने कल आपसे एक प्रश्न पूछा था कि, क्या वास्तव में किसी भी मानव की मौत होती है। आपने अभी तक ज़बाब नहीं दिया है। आपको जब जीवन और मृत्यु के बारे में ही ज्ञान नहीं है तो आप कैसे अपने को सदगुरु कहते हैं। सदगुरु वह होता है जो लोगों को कभी मरने नहीं देता है। जब सभी रूप में ही सिर्फ और सिर्फ भगवान ही है, तो मौत कैसे किसी भी मानव की हो सकती है। हमारा शरीर का स्वभाव ही है मर जाना, लेकिन क्या हमारा भी स्वभाव है मर जाना। जबसे दुनिया शरीर के साथ अस्तित्व में आती है क्या तबसे , हमसब ही वह सत्य नहीं है जिसे भगवान, अल्लाह, इश्वर, आकार, निराकार, सगुण, निर्गुण इत्यादि नामों से जाना जाता है। इस धरती पर विज्ञान और वैज्ञानिक, सभी धर्म और सभी धर्मगुरु ने साथ मिलकर, भगवान की ही अस्तित्व को, अपनी रूप से बाहर बनाकर मान लिया है । वैज्ञानिकों ने तो भगवान की होने की संभावना को ही अपनी दिमाग से, सदा के लिए बाहर कर दिया है। तुम सब अपनी मौत से बचने के लिए बहुत सी विधियां बनायी, फिर भी तुम सब मौत से कभी नहीं बच पाए। तुम सब मौत से तबतक नहीं बच सकते हो जबतक, तुमसब खुद ही अपनी भगवान को, अपनी रुप में अपनी ज्ञान से नहीं देख लेते हो। तुम सब मेरे पास आओ, अपनी भगवान को अपनी रूप में देखो और सब अमर हो जाओ। यह सत्य है कि मेरे पास जो मानव आएगा उसकी मौत,उसकी अपनी ही ज्ञान से कभी नहीं होगी। वह मानव मेरे ज्ञान को अपनी ज्ञान से मिलाकर और मेंरे ज्ञान के साथ एक होकर, मौत नामक भयंकर अपनी मानसिक बिमारी से हमेशा के लिए दूर रहेगा। अब देखो वैज्ञानिकों ने तुम सबों की शरीर को मारने, गुलाम बनाने, नंपुसक बनाने, आर्थिक रूप से गरीब बनाने, तुम्हारी अपनी ही सोचने और समझने की शक्ति को समाप्त करने, और तुम सब अब कभी भी इस धरती पर जन्म लेने के बाद भी, अपनी भगवान यानि अपनी सत्यता को, न जान पाओ कि तुमसब ही भगवान होते हो, इसके लिए कोविड - १९ ( कोरोना ) नामक बिमारी और उसकी वैक्सीन, तुम्हारी शरीर में लगाकर, तुम सबों की मानव जाति को ही समाप्त करना चाहा था। लेकिन अब इस धरती पर भगवान आ गये है, तूमसबो को यह पूंजिपती मानव कुछ नहीं कर पाएगा। तुम सब जितने लोग वैक्सिन के दोनों या एक भी डोज ले चुके हो, उसके बाद आज से तुम सब मानव , एक भी वैक्सीन मत लो। तुम सब अगर वैक्सीन लोगे, या इसी प्रकार अपनी मौत की भय से और वैक्सीन लोगे, बिना मौत के ही सब मानव मारे जाओगे। जब तुम सबको को कोइ बिमारी ही नहीं हुती है तो उस बिमारी से बचने के लिए, पहले वैक्सीन क्यों लेते हो। ज्ञानी बनो और अपनी ज्ञान से अपनी मौत को जीतो, यही हमसब मानव का एक ही और सच्चा धर्म है। इस धर्म को तुम सब मानव मेरे पास आकर, आसानी से समझ सकते हो कि तुम सब ही मानव सच्चे भगवान सदा से हो। तुम सबों के सिवाय कोई दूसरा भगवान नहीं है। आज इस धरती पर लगभग आठ अरब जीवित मानव है जो सत्य को भगवान है। तुम सब जब खुद भगवान होकर भी जब भगवान को ही खोजते हो तो हमें, तुम सब पर दया आती है।