भाष्य करने में विद्वानों की अलग अलग बुद्धि का भी अंतर आना स्वाभाविक है इसके बावजूद व्याकरण,शब्द व्युत्पत्ति और प्रसंग का बड़ा महत्व है।जब अर्थ प्रसंग के अनुसार मंत्र के मंतव्य को खोलता है तभी उसे संगत माना जाएगा। सूर्य सात अश्वों के रथ पर सवार होने का अर्थ यदि सात घोड़े लगाएंगे तो असंगति होगी जबकि तत् समय तेजी से गति करने वाला सामाजिक पशु घोड़ा ही था ।आज भी लोहे के बने इंजिन की शक्ति हॉर्स पावर से ही मापी जाती है। अश्व का अर्थ किरण लेने से स्पष्ट होता कि सूर्य के प्रकाश में सात प्रकार की किरणे होती हैं।आधुनिक काल में प्रसिद्ध वैज्ञानिक न्यूटन ने इसे प्रयोग द्वारा सिद्ध किया। स्पष्ट है कि अश्व का अर्थ किरण होना, मंत्र का शुद्ध वैज्ञानिक अर्थ है। आज महर्षि दयानंद सरस्वती जी के बाद यदि वेदों के वैज्ञानिक आधार पर कोई गंभीर कार्य कर रहा है तो उनका नाम है आचार्य अग्निमित्र जी।जिनका वैदिक फिजिक्स चैनल सभी जिज्ञासुओं को देखना चाहिए। वैसे भी जब महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने कहा है कि वेद सब सत्य विद्दाओं की पुस्तक है,इसका अर्थ यह नहीं जो वेद में नहीं वह कहीं नहीं अपितु जो भी विज्ञान सम्मत सत्य है वही वेद है।अर्थात सत्य ज्ञान, जो सिद्ध किया जा सके वही वेद है।इस दृष्टि से वेद नित्य कहे जाते हैं।
भाई सूर्य किरण में सात कलर होते है या सूर्य किरण किसी ऑब्जेकट को टकराने कें बाद सात कलर दिखते है जरा सायन्स भी देख लेना 🤣खाली कही भी कुछ भी चिपकणा है बस तो कुछ भी गपोडो और पब्लिक को भ्रमित करो खुद्द भ्रमित हों तो हों दुसरे को भी करणा है 🤣
यह जो वेदों पर प्रश्न कर रहा है साइंस जर्नी का भक्त है। यह नवबौद्ध है। इसे बुद्ध से कोई लेना देना नहीं है। आपने सुना इस्लाम तथा ईसाईयत का भी इसने महिमा मण्डन किया। वेद शास्त्रों को किसी भी प्रकार से निम्न सिद्ध करना इसका लक्ष है। सनातन समिक्षा के चैनल पर भी यह कुतर्क करता है। विशेष कर वर्ण व्यवस्था पर कुतर्क करता है। सनातन समिक्षा तो इसको तुरन्त भगा देता है तथा इसका नाम दुग्गल रखा है।
Srishti korta paramaatma Iswar ek hi he, jisne akash mandal, graha nakchhatra, prithvi, manushya, Sare jeev jantu, praniyo ko srija he, par woh Iswar ved me nahi he, agar Iswar ved me hota, ya ved ko Iswar ke agya ke duwara likha hota, to wuska praman yeh hota, Iswar insan se bate karta, insan ko apne nam batata, insan ko agya deta, pratigya deta, vawiswabani karta, par ved me iska ek vi bate nahi he, isliye ved ka Iswar srif kalpanik he. Iswar Iswar kahna chahiye, isliye kahta he, Iswar hota he yeh bat to bhut pret saitan vi janta he. Par Iswar inke sath nahi hota he.
क्या मूर्खता पूर्ण बातें बताते हो। शंकराचार्य ने वेदों के शिरोभाग वेदांत पर भाष्य लिखा क्योंकि वे उसी के उद्धार के लिए आए थे। पहले वेद के स्वरूप को तो जान लो परंपरा से।
@@DharmaSamratOffcialआपके इसी अज्ञानता को थोथा चना, बाजे घना कहते हैं। हर वेद में शाखा होती है, प्रत्येक शाखा पर एक उपनिषद होता है। ऋग्वेद में 21 , यजुर्वेद में 109 , सामवेद में 1000 , अथर्ववेद में 50 शाखा हैं। कुल 1180 उपनिषद हुए और पूर्व भाग, उत्तर भाग, आरण्य भाग, ब्राह्मण भाग के अनुसार कुल 4720 उपनिषद हुए । किंतु कलियुग में मात्र 280 उपनिषद उपलब्ध हैं अन्य उपनिषद विलुप्त हो गए। आर्य नमाजी - तेरे दयानंद को मात्र नौ उपनिषद का बोध था। दयानंद को अक्ल ही कितनी थी, जो वेदों का भाष्य कर सके। मनगढ़न्त अर्थ बता कर तुम्हारे जैसे आर्य नमाजी को बेवकूफ बनाया दयानंद ने 😅😅😅 एक बाप की औलाद है तो कोमेंट डिलीट मत करना। 😂😂😂
यें 600 bc का भाषा है तो तुरंत युनिस्को भेजो वहा जो ऋग्वेद की पहिली कॉपी भेजी है ओ 1446 की है 🤣तो इसको भेजो 🤣आपको तुरंत नेपाल सें नोबल पुरस्कार भी दिया जायेगा 🤣
wakawaka UNESCO MEMORY OF THE WORLD PAGE 8 पढ़ ले बच्चे, उन्होंने खुद माना है कि ऋग्वेद 2 हजार ईसा पूर्व से पुरानी है और चीनी यात्री चाहे जो कि 6 से लेकर 8 वि stabadhi तक आए थे उन्होंने वेदों से लेकर आयुर्वेद तक का वर्णन कर रखा है।
@@kumargupt3426 बेटा बाप को नहीं ना सिखाना बाप बाप होता है वही युनिस्को साईड पे सही सें पढ ले ऋग्वेद करके 1400 सदिका एक पेपर दिया है और ओ पुराना ऋग्वेद हों सकता है ऐसे लिखा है 🤣अक्कल कें अंधे सही सें पढ 🤣, अंधभक्त 🤣बापको मत शिका.....बच्चा कयसे पयदा होता है तेरे जसे मेरे बहोत बच्चे घूम रहे है 🤣
स्कन्द स्वामी ने यें वेद भाष संस्कृत में लिखा है तो यें पानिनी कब पयदा हुया और उसके 1000 सूत्र मिलके कोणासी भाषा बनी थी ? 🤣, फिर यें 2000 सूत्र बनके यें संस्कृत कब बनी ?, 🤣🤣 फेको पुरी ताकद सें फेको 🤣🤣
1.20 पे यें घंटोल काउंटर कर रहा है कॉलर को 🤣और खुद्द बोल रहा है वेद सृति ( बोलके ) आये हे लिखे नही गये 🤣🤣🤣क्या तर्क है खुद्द भ्रम में जी रहा है और लोगोको भ्रम में जिने कें लिये चॅनल चला रहा है 🤣🤣🤣
महऋषि दयानंद सरस्वती जी की जय। ॥ओ३म्॥
🙇🙇🙇🙇
भाष्य करने में विद्वानों की अलग अलग बुद्धि का भी अंतर आना स्वाभाविक है इसके बावजूद व्याकरण,शब्द व्युत्पत्ति और प्रसंग का बड़ा महत्व है।जब अर्थ प्रसंग के अनुसार मंत्र के मंतव्य को खोलता है तभी उसे संगत माना जाएगा।
सूर्य सात अश्वों के रथ पर सवार होने का अर्थ यदि सात घोड़े लगाएंगे तो असंगति होगी जबकि तत् समय तेजी से गति करने वाला सामाजिक पशु घोड़ा ही था ।आज भी लोहे के बने इंजिन की शक्ति हॉर्स पावर से ही मापी जाती है। अश्व का अर्थ किरण लेने से स्पष्ट होता कि सूर्य के प्रकाश में सात प्रकार की किरणे होती हैं।आधुनिक काल में प्रसिद्ध वैज्ञानिक न्यूटन ने इसे प्रयोग द्वारा सिद्ध किया।
स्पष्ट है कि अश्व का अर्थ किरण होना, मंत्र का शुद्ध वैज्ञानिक अर्थ है।
आज महर्षि दयानंद सरस्वती जी के बाद यदि वेदों के वैज्ञानिक आधार पर कोई गंभीर कार्य कर रहा है तो उनका नाम है आचार्य अग्निमित्र जी।जिनका वैदिक फिजिक्स चैनल सभी जिज्ञासुओं को देखना चाहिए।
वैसे भी जब महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने कहा है कि वेद सब सत्य विद्दाओं की पुस्तक है,इसका अर्थ यह नहीं जो वेद में नहीं वह कहीं नहीं अपितु जो भी विज्ञान सम्मत सत्य है वही वेद है।अर्थात सत्य ज्ञान, जो सिद्ध किया जा सके वही वेद है।इस दृष्टि से वेद नित्य कहे जाते हैं।
भाई सूर्य किरण में सात कलर होते है या सूर्य किरण किसी ऑब्जेकट को टकराने कें बाद सात कलर दिखते है जरा सायन्स भी देख लेना 🤣खाली कही भी कुछ भी चिपकणा है बस तो कुछ भी गपोडो और पब्लिक को भ्रमित करो खुद्द भ्रमित हों तो हों दुसरे को भी करणा है 🤣
shatyayana brahmana ki pandulipi kahi milegi ki nahi? 😢😢
woh mahamurkh homeo ka bhi prachar karne laga hai. use sirf Ved se hi samasya hai.
किसी दिन ग्रहसूत्रों पर भी स्ट्रीम रखो
@@prabhatrajput2827 जी
यह जो वेदों पर प्रश्न कर रहा है साइंस जर्नी का भक्त है। यह नवबौद्ध है। इसे बुद्ध से कोई लेना देना नहीं है। आपने सुना इस्लाम तथा ईसाईयत का भी इसने महिमा मण्डन किया। वेद शास्त्रों को किसी भी प्रकार से निम्न सिद्ध करना इसका लक्ष है। सनातन समिक्षा के चैनल पर भी यह कुतर्क करता है। विशेष कर वर्ण व्यवस्था पर कुतर्क करता है। सनातन समिक्षा तो इसको तुरन्त भगा देता है तथा इसका नाम दुग्गल रखा है।
Srishti korta paramaatma Iswar ek hi he, jisne akash mandal, graha nakchhatra, prithvi, manushya, Sare jeev jantu, praniyo ko srija he, par woh Iswar ved me nahi he, agar Iswar ved me hota, ya ved ko Iswar ke agya ke duwara likha hota, to wuska praman yeh hota, Iswar insan se bate karta, insan ko apne nam batata, insan ko agya deta, pratigya deta, vawiswabani karta, par ved me iska ek vi bate nahi he, isliye ved ka Iswar srif kalpanik he. Iswar Iswar kahna chahiye, isliye kahta he, Iswar hota he yeh bat to bhut pret saitan vi janta he. Par Iswar inke sath nahi hota he.
क्या मूर्खता पूर्ण बातें बताते हो। शंकराचार्य ने वेदों के शिरोभाग वेदांत पर भाष्य लिखा क्योंकि वे उसी के उद्धार के लिए आए थे। पहले वेद के स्वरूप को तो जान लो परंपरा से।
@@niranjantiwari-m4c उपनिषद वेद नहीं है। वह पौरुषेय है।
@DharmaSamratOffcial ऐसे प्रलाप आर्यसमाजी ही करते हैं सम्प्रदायहीन । मंत्र ब्राह्मण मिलकर वेद कहलाते हैं।
@ Lol. ऋषि शब्द भी पंडो के मुख से शोभा नहीं देता
शंकराचार्य ने ऋषियों एवम सनातन धर्म को छोड़ कर अद्वैतवाद का भोंडा सिद्धांत रचा है, इसीलिए वे अमान्य है।
@@DharmaSamratOffcialआपके इसी अज्ञानता को थोथा चना, बाजे घना कहते हैं।
हर वेद में शाखा होती है, प्रत्येक शाखा पर एक उपनिषद होता है।
ऋग्वेद में 21 , यजुर्वेद में 109 , सामवेद में 1000 , अथर्ववेद में 50 शाखा हैं। कुल 1180 उपनिषद हुए और पूर्व भाग, उत्तर भाग, आरण्य भाग, ब्राह्मण भाग के अनुसार कुल 4720 उपनिषद हुए । किंतु कलियुग में मात्र 280 उपनिषद उपलब्ध हैं अन्य उपनिषद विलुप्त हो गए।
आर्य नमाजी - तेरे दयानंद को मात्र नौ उपनिषद का बोध था।
दयानंद को अक्ल ही कितनी थी, जो वेदों का भाष्य कर सके।
मनगढ़न्त अर्थ बता कर तुम्हारे जैसे आर्य नमाजी को बेवकूफ बनाया दयानंद ने 😅😅😅
एक बाप की औलाद है तो कोमेंट डिलीट मत करना। 😂😂😂
यें 600 bc का भाषा है तो तुरंत युनिस्को भेजो वहा जो ऋग्वेद की पहिली कॉपी भेजी है ओ 1446 की है 🤣तो इसको भेजो 🤣आपको तुरंत नेपाल सें नोबल पुरस्कार भी दिया जायेगा 🤣
कृपया कोई प्राचीन प्राकृतग्रन्थ दिखा दो जिसमें आपकी बात का समर्थन किया हो।
wakawaka
UNESCO MEMORY OF THE WORLD PAGE 8 पढ़ ले बच्चे,
उन्होंने खुद माना है कि ऋग्वेद 2 हजार ईसा पूर्व से पुरानी है और चीनी यात्री चाहे जो कि 6 से लेकर 8 वि stabadhi तक आए थे उन्होंने वेदों से लेकर आयुर्वेद तक का वर्णन कर रखा है।
@@kumargupt3426 बेटा बाप को नहीं ना सिखाना बाप बाप होता है वही युनिस्को साईड पे सही सें पढ ले ऋग्वेद करके 1400 सदिका एक पेपर दिया है और ओ पुराना ऋग्वेद हों सकता है ऐसे लिखा है 🤣अक्कल कें अंधे सही सें पढ 🤣, अंधभक्त 🤣बापको मत शिका.....बच्चा कयसे पयदा होता है तेरे जसे मेरे बहोत बच्चे घूम रहे है 🤣
kaun hai jo gandi site ke subscription leta hai, kripya koi prakash daale 🙏
konsi gandi site
@truthteller-b9y wahi to mera prashn hai.
स्कन्द स्वामी ने यें वेद भाष संस्कृत में लिखा है तो यें पानिनी कब पयदा हुया और उसके 1000 सूत्र मिलके कोणासी भाषा बनी थी ? 🤣, फिर यें 2000 सूत्र बनके यें संस्कृत कब बनी ?, 🤣🤣 फेको पुरी ताकद सें फेको 🤣🤣
पहले शुद्ध लिखना सीख ले।।
1.20 पे यें घंटोल काउंटर कर रहा है कॉलर को 🤣और खुद्द बोल रहा है वेद सृति ( बोलके ) आये हे लिखे नही गये 🤣🤣🤣क्या तर्क है खुद्द भ्रम में जी रहा है और लोगोको भ्रम में जिने कें लिये चॅनल चला रहा है 🤣🤣🤣
aap muslim ho?
तू गजपूत यहाँ क्या कर रहें हों बेटा मायावती को सपने में हाथी आया और दूसरे दिन बुद्ध पैदा हुआ 😂😂